Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 440
________________ ઉત્તરઝયણાણિ ८६८ પરિશિષ્ટ ૧:૫દાનુક્રમ दवदवस्स चरई १७-८ दिन्ना मु रन्ना मणसा न झाया १२-२१ दुक्खस्स हेउं मणुयस्स रागिणो 3२-१०० दव्वओ खेत्तकालेणं 3०-१४ दिया कामकमा इव १४-४४ दुक्खाणंतकरो भवे ૩૫-૧ दव्वओ खेत्तओ चेव २४-६; 36-3 दिवसस्स चउरो भागे २६-११ दुक्खिया बहुवेयणा 3-8 दव्वओ चक्खुसा पेहे २४-७ दिवसस्स पोरुसीणं 30-२० दुग्गई उववज्जई बहुसो उ४-५६ दव्वं इक्किक्कमाहियं २८-८ दिव्वं च गई गच्छति १८-२५ दुज्जए कामभोगे य १६-१४ दवाण य गुणाण य २८-५ दिव्वजुयलपरिहिओ २२-८ दुज्जयं चेव अप्पाणं -38 दव्वाण सव्वभावा २८-२४ दिव्वमाणुसतेरिच्छं २५-२५ दुट्ठस्सो परिधावई ૨૩-૫૫, ૫૮ दव्वे खेत्ते काले 3०-२४ दिव्वा तहि वसुहारा य वुट्टा १२-3६ दुण्णुदही पलिओवम 3४-५३ दस उदही पलिओवम 3४-४२ दिव्वा मणुस्सगा सहा तिरिच्छा २१-१६ दुईतदोसेण सएण जंतू ३२-२५, 3८, दस उदही पलिय ३४-४३ दिव्वा वरिससओवमा १८-२८ ५१,६४, ७७,८० दस उदही पलियमसंखभागमब्भहिया ३४-३५ दिव्वेण गगणं फुसे २२-१२ दुईतो भंजए जुगं २७-७ दस ऊ सागरोवमा 3६-२२७ दिव्वे य जे उवसग्गे 3१-५ दुद्धदहीविगईओ १७-१५ दस चेव उसागरोवमा 38-१६४ दिसाविचारिणो चेव 3६-२०८ दुन्नि ऊ सागरोवमा 38-२२४ दस चेव नपुंसेमुं 3६-५१ दिस्स पाणे पियायए ___E-६ दुष्पट्ठियसुपट्ठिओ २०-39 दस चेव सहस्साई 38-१०२ दिस्स पाणे भयढुए २२-१४ दुप्परिच्चया इमे कामा दस चेव सागराई उ६-२२.६ दीवं कं मन्नसी? मुणी ! २.3-६५ दुब्भिगन्धा तहेव य 38-१७ दसण्णभद्दो निक्खतो १८-४४ दीवप्पणटे व अणंतमोहे ४-५ दुमं जहा खीणफलं व पक्खी १3-3१ दसण्णरज्जं मुइयं १८-४४ दीवे य इइ के वुत्ते ? २3-3७ दुमं जहा साउफलं व पक्खी ३२-१० दसमा उवसंपदा २६-४ दीवोदहिदिसा वाया 3६-२०६ दुमपत्तए पंडुयए जहा १०-१ दस वास सहस्साई 3४-४१, ४८, ५३ दीसंति बहवे लोए २३-४० दुलहे खलु माणुसे भवे १०-४ दसवाससहस्सिया 36-१६०,२१८,२२० दीहाउया इड्डिमंता ५-२७ दुल्लहया काएण फासया १०-२० दस सागरोवमा ऊ उ६-१६3 दीहामयविष्पमुक्को मसत्थो 3२-११० दुल्लहाणीह जंतुणो दसहा उ जिणित्ताणं २३-35 दुक्कडस्स य चोयणं १-२८ दुल्लहा तस्स उम्मज्जा ७-१८ दसहा उ भवणवासी उ६-२०५ दुक्करं खलु भो निच्चं २-२८ दुवालसंगं जिणक्खायं २४-3 दस होंति सागरा मुहुत्ताहिया 3४-3८ दुक्करं चरिउं तवो १४-39 दुविहं खवेऊण य पुण्णपावं ૨૧-૨૪ दसारचक्केण य सो २२-११ दुक्करं जे करंति तं १६-१६ दुविहं तु वियाहियं 33-१० दसारा य बहू जणा २२-२७ दुक्करं दमसागरो १८-४२ दुविहं दोग्गई गए ७-१८ दाणे लाभे य भोगे य 33-१५ दुक्करं मंदरो गिरी १८-४१ दुविहा अणसणा भवे 30-८ दायारमन्नं अणुसंकमंति १३-२५ दुक्करं रयणागरो १८-४२ दुविहा आउजीवा उ ३६-८४ दारए से सुहोइए २१-५ दुक्करं समणत्तणं १९-४१ दुविहा जीवा वियाहिया 38-४८ दाराणि य सुया चेव १८-१४ दुक्कराई निवारे 3५-५ दुविहा तेउजीवा उ 3६-१०८ दारुणा गामकंटगा २-२५ दुक्खं खु भिक्खायरियाविहारो १४-33 दुविहा ते पकित्तया उ६-१२७, १३६,१४५ दारे य परिरक्खिए १८-१६ दुक्खं च जाईमरणं वयंति ३२-७ दुविहा ते वियाहिया ६-१७,६८,७१,८3, दासा दसण्णे आसी १३-६ दुक्खं निप्पडिकम्मया ૧૯-૭૫ १७०, २०८, २१२ दाहामु तुझं किमिहं ठिओ सि? १२-११ दुक्खं बंभवयं घोरं । १८-33 दुविहा थलयरा भवे 38-१७८ दिगिछापरिगए देहे २-२ दुक्खं भिक्खायरिया १४-२ दुविहा पुढवीजीवा उ 38-७० दिज्जाहि मम कारणा २-२.४ दुक्खं हयं जस्स न होइ मोहो 3२-८ दुविहा वणस्सईजीवा 38-८२ दिट्ठपुव्वं मए पुरा १८-६ दुक्खकेसाणं भायणं १६-१२ दुविहा वाउजीवा उ 38-११७ दिट्ठीए अणिमिसाए उ १४-६ दुक्खमा हु पुणो पुणो २०-3१ दुविहावि ते भवे तिविहा 38-१७१ दिट्ठीए दिट्ठिसंपन्ने १८-33 दुक्खस्संतगवेसिणो १४-५१ दुविहा वेमाणिया तहा 3६-२०५ दिणभागेसु चउसु वि २६-११ दुक्खस्संतमुवागया १४-५२ दुविहा सा वियाहिया 30-१२ दित्तं च कामा समभिद्दवंति 3२-१० दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले ३२-२६, 3८, दुसओ तेयालो वा ३४-२० दिन्नं भुंजेज्ज भोयणं ५२, ६५,७८,८१ दुस्साहडं धणं हिच्चा ७-८ 3-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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