Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 422
________________ ઉત્તરજ્યણાણિ ૯૫૧ પરિશિષ્ટ ૧: પદાનુક્રમ १५-८ 38-८० 38-4 9-२ ७-४ २१-४६ ७-१५ १-२२ १२-38 १८-38 अहं पि जाणामि जहेह साहू! १३-२७ अहीणपंचिदियत्तं पि से लहे १०-१८ आउयं नरए कंखे अह कालंमि संपत्ते ५-३२ अहीणपंचिंदियया हु दुल्लहा १०-१७ आउरे सरणं तिगिच्छियं च अह केसरम्मि उज्जाणे १८-४ अहुणोववन्नसंकासा ५-२७ आउरे सुपिवासिए अह चउदसहि ठाणेहि ११-६ अहे वयइ कोहेणं ८-५४ आऊजीवाण अन्तरं अह जाणासि तो भण २५-१२ अहो! अज्जस्स सोमया २०-६ आएसं पप्प साईए अह जे संवुडे भिक्खू २-२५ अहो उठ्ठिए अहोरायं १८-१ आएसं परिकंखए अह तत्थ अइच्छंतं १४-५ अहो ! खंती अहो ! मुत्ती २०-६ आएसाए समीहिए अह तायगो तत्थ मुणोण तेसिं १४-८ अहो ! ते अज्जवं साहु आगए कायवोस्सग्गे अह तेणेव कालेणं २3-4; २५-४ अहो ! ते उत्तमा खंती ४-५७ आगओ तत्थ वाणिओ अह ते तत्थ सीसाणं २३-१४ अहो ! ते निज्जिओ कोहो ४-५६ आगम्मुकुडुओ संतो अह दारए तहिं जाए २१-४ अहो ! चे निरक्किया माया -५६ आगासे अहो दाणं च घुटुं अह निक्खमई उ चित्ताहि २२-२३ अहो ! ते माणो पराजियो ५-५६ आगासे गंगसोउव्व अह पंचहि ठाणेहि ११-3 अहो ! ते मुत्ति उत्तमा ८-५७ आगासेणुप्पइओ अह पच्छा उइज्जंति २-४१ अहो ! ते लोभो वसीकओ ८-५६ आगासे तस्स देसे य अह पत्तंमि आएसे ७-3 अहो ! ते साहु मद्दवं ८-५७ आघायाय समुस्सयं अह पन्नरसहि ठाणेहि ११-१० अहोत्था विउलो दाहो २०-१८ आणयम्मि जहन्नेणं अह पालियस्स घरणो २१-४ अहो ! दुक्खो हु संसारो १४-१५ आणया पणया तहा अह भवे पइन्ना उ २३-33 अहो ! भोगे असंगया २०-६ आणाइस्सरियं च मे अहमासी महापाणे १८-२८ अहो य राओ परितप्पमाणे १४-१४ आणाए रोयंतो अह मोणेण सो भगवं १८-८ अहो ! वण्णो अहो ! रूवं २०-६ आणाऽनिद्देसकरे अहम कुणमाणस्स १४-२४ अहो सुभाण कम्माणं २१-८ आणानिद्देसकरे अहम्मं पडिवज्जिया ५-१५; 9-२८ आ आणारुई सुत्तबीयरुइमेव अहम्मे अत्तपन्नहा १७-१२ आइए निक्खिवेज्जा वा २४-१४ आणुपुब्बि जहक्कम अहम्मे तस्स देसे य उ६.५ आइक्ख णे संजय ! जक्खपूइया ! १२-४५ आणुपुब्वि सुणेह मे अहम्मो ठाणलक्खणो २८-८ आइच्चंमि समुट्ठिए २६-८ आणुपुबु कयाइ उ अह राया तत्थ सभंतो १८-७ आइण्णे कंथए सिया ११-१६ आपुच्छणा य तइया अहवा तइयाए पोरिसीए 30-२१ आइण्णे गणिभावम्मि २७-१ आपुच्छणा सयंकरणे अहवा सपरिकम्मा 30-१३ आउं कामा य दिब्विया ७-१२ आपुच्छऽम्मापियरो अह संति सुव्वया साहू ८-६ आउं जाणे जहा तहा १८-२८ आपुच्छित्ताण बंधवे अह सा भमरसन्निभे २२-30 आउं सुहमणत्तरं ७-२७ आभरणाणि य सव्वाणि अह सारही तओ भणइ २२-१७ आउकम्मं चउव्विहं 33-१२ आभरणेहिं विभूसिओ अह सारही विचितेइ २७-१५ आउकम्मं तहेव य 33-२ आमंतामो चरिस्सामु मोणं अह सा रायवरकन्ना २२-७, ४० आउक्कायमइगओ १०-६ आमिसं सव्वमुज्झित्ता अह से तत्थ अणगारे २५-५ आउक्खए मोक्खमुवेइ सुद्धे 3२-१०८ आमोयमाणा गच्छंति अह से सुगंधगंधिए २२-२४ आउट्टिई आऊणं 3६-८८ आमोसे लोमहारे य अह सो तत्थ निजंतो २२-१४ आऊट्टिई खहयराणं 3६-१८१ आयंका विविहा फुसंति ते अह सो वि रायपुत्तो २२-3६ आउट्टिई जलयराणं उ६-१७५ आयंका विविहा फुसंति देहं अहस्सिरे सया दंते ११-४ आउट्टिई तेऊणं 3६-११३ आयंके उवसग्गे अहाउयं पालइत्ता अन्तो० २८ सू०७3 आउट्टिई थलयराणं 3६-१८४ आययंति मणुस्सयं अहाह जणओ तोसे २२-८ आउट्टिई पुढवीणं उ६-८० आयरिएहि वाहितो अहिंस सच्चं च अतेणगं च २१-१२ आउट्ठिई मणुयाणं उ६-२०० आयरियं कुवियं नच्चा अहिज्ज वेए परिविस्स विप्पे १४-८ आउट्ठिई वाऊणं 3६-१२२ आयरियं विदित्ताणं अहिवेगंतदिट्ठीए १४-3८. आउत्तया जस्स न अस्थि काइ २०-४० आयरियउवज्झाएहि उ8-8 ૫-૩૨. 38-230 उह-२११ २०-१४ ૨૮-૨૦ १-२ १-3 ૨૮-૧૬ 3१-१; 3४-१ १-१; २-१; ११-१ २६-२ २६-५ २१-१० २०-३४ ૨૨-૨૦ २२-८ १४-७ १४-४६ १५-४४ ८-२८ १०-२७ ૨૧-૧૮ २६-3४ १-२० १-४१ ६-८ १७-४ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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