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आयारदसा
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प्रतिपन्न श्रमणोपासक के लिए भिक्षा दो। इस प्रकार के विहार से उसे विचरते हुए देखकर यदि कोई पूछे--हे आयुष्मन्, तुम कौन हो ? बताओ; तब उसे कहना चाहिए-'मैं प्रतिमा प्रतिपन्न श्रमणोपासक हूँ।
इस प्रकार के विहार से विचरता हुआ वह जघन्य से एक दिन, दो दिन या तीन दिन यावत् उत्कृष्टतः ग्यारह मास तक विचरण करे।
यह ग्यारहवीं उपासक दशा प्रतिमा है । सूत्र ३० एयाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवतेहिं एक्कारस उवासग-पडिमाओ पण्णत्ताओ
-त्ति बेमि। छट्टा उवासग-दसा समत्ता। स्थविर भगवन्तों ने ये ग्यारह उपासक प्रतिमाएँ कही हैं ।
-ऐसा मैं कहता हूँ।
छट्ठी उपासक दशा समाप्त ।