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आयारदसा
११३ वर्षा होने पर भूमि, काष्ठ, वस्त्र जिस वर्ण के होते हैं उन पर उसी वर्ण वाली फूलन आती है, अतः उनमें उसी वर्ण वाले जीव उत्पन्न होते हैं ।
अतः ये पनक-सूक्ष्म छमस्थ निर्गन्थ-निर्गन्थियों के वार-बार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं ।
पनक-सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
सूत्र ५३
प्र० -से किं तं बीमसुहुने ? | उ०-बीअसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा१ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिद्दे, ५ सुश्किल्ले । अस्थि बीमसुहुमे कणिया समाणवण्णए नामं पण्णत्ते।
जे छउमत्येण निग्गयेण वा, निग्गंथीए वा अभियखणं अभिक्खणं जाणियब्वे पासियग्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं बीअसुहमे । (३) ८/५३
प्र०-भगवन् ! बीज-सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ०-वीज-सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा१-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले।
वर्षाकाल में शालि आदि धान्यों में समान वर्ण वाले सूक्ष्म जीव उत्पन्न होते हैं वे बीज-सूक्ष्म कहे जाते हैं।
ये बीज-सूक्ष्म छमस्थ निग्रन्थ-निर्गन्थियों के बार-बार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं।
बीज-सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
सूत्र ५४
प्र०-से फि तं हरियसुहुने ? उ०-हरियसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा१ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिद्दे, ५ सुविकल्ले । अस्थि हरियसुहुमे पुढवीसमाणवण्णए नाम पण्णत्ते ।
जे छउमत्येण निग्गंथेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियन्वे पासियव्वे""पडिलेहियब्वे भवइ । से तं हरियसुहुमे। (४) ८/५४