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प्र० - हे भगवन् ! हरित सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ०- हरित सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले ।
ये हरित सूक्ष्म हरे पत्तों पर पृथ्वी के समान वर्ण वाले होते हैं ।
ये हरित सूक्ष्म छद्मस्य निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थियों के वार-चार जानने योग्य, देखने
योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं ।
सूत्र ५५
हरित - सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
प्र०—से कि तं पुप्फसुहुमे ?
उ० -- पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा
१ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिदे, ५ सुक्किल्ले ।
अत्थि पुप्फसुहमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते,
जे उमत्येण निग्गंथेण वा, निग्गंथोए वा अभिवखणं अभिक्खणं जाणियव्वे पासियन्वे पडिलेहियन्त्रे भवइ । से तं पुप्फसुहुमे । (५) 1८/५५
प्रo हे भगवन् ! पुष्प - सूक्ष्म किसे कहते हैं ?
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उ०- पुष्प- सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा१-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले ।
ये पुष्प-सूक्ष्म जीव फूलों में वृक्ष के समान वर्ण वाले सूक्ष्म जीव छद्मस्य निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थियों के वारम्वार जानने और प्रतिलेखन योग्य हैं । ८-५४
सूत्र ५६
छेदसुत्ताणि
पुष्प - सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
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प्र० - से कि तं अंडसुहुने ?
उ०- अंडसहमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा -'
होते हैं । ये पुष्पयोग्य, देखने योग्य
१ उद्दंडे, २ उक्कलियंडे, ३ पिपीलिंअंडे, ४ हलिअंडे, ५ हल्लो हलि अंडे ।
'जे छडमत्येण निग्गंयेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं अंडसुहुमे । (६) ८ / ५६