Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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१३] जीवनिका पढने मात्र से कर्म की निर्जरा होती है तो फिर वैसी करनी करे तो जरूर वह संसार का अन्त कर मोक्ष को प्राप्त करता है, इस लिये धन्ना अनगारका सविस्तर वर्णन पठनीय एवं माननीय है।
धन्ना अनगार की तरह सुनक्षत्र, ऋषिदास, पेल्लक, रामपुत्र, चन्द्रिक, पृष्टिमातृक, पेढालपुत्र, पोहिल, वेहल्ल आदि नवों कुमारों का संक्षिप्त वर्णन तीसरे वर्ग के अन्त में किया है। ये दशों कुमार धन धान्य आदिसे पूर्ण सुखी थे । इन का जीवन-वर्णन धन्यकुमार के समान ही बताया गया है।
इस प्रकार ३३ महापुरुषों का जीवन - वृत्तान्त बाला श्री अनुत्तरोपपातिक सूत्र पर अर्थबोधिनी टीका लिखकर आबाल वृद्धों को सरलता से ज्ञान सम्पादन कराने की पूज्य श्री की महती कृपा हमारे लिये आदरणीय है, यह सूत्र--संस्कृत, हिन्दी, गुजराती भाषा के जाननेवाले प्रत्येक व्यक्ति की परम हितकर होगा । हम आशा करते है कि समस्त जैन-समाज इस सूत्र का पठन -- पाठनद्वारा कल्याण प्राप्त करेगा।
इस सूब के पढने से पाठकों को ज्ञान मिलेगा, वैराग्य प्राप्त होगा, तीव्रतर तप करनेकी जिज्ञासा जगेगी, संयमियों को संयम प्रति सुदृढता वढेगी, क्यों कि पूज्य श्री घासीलालजी म. सा. ने साहित्य, न्याय, व्याकरण दृष्टि से सुसंस्कृत और सुललित भाषा में विषयको स्फुट कर समझाया है।
राजकोट,
THER२००४ कार्तिक धनतेरस वि. सं. २००४ )
समीर मुनि.
શ્રી અનુત્તરોપપાતિક સૂત્ર