Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 175
________________ अर्थबोधिनी टीका वर्ग ३ धन्यनामाणगार शरीर वर्णनम् १०५ मूलम्--धण्णस्स जिन्भाए अय०, से जहानामए,वडपत्तेइ वा,पलासपत्तेइ वा,उंबरपत्तेइ वा, सागपत्तेइ वा, एवामेवासू०३२॥ छाया-धन्यस्य जिह्वाया इद०, तद्यथानामकम्-वटपत्रमिति वा, पलासपत्रमिति वा, उदुम्बरपत्रमिति वा, शाकपत्रमिति वा, एवमेव० ॥ मू० ३२ ॥ ___टीका-'धण्णस्स' इत्यादि । तस्य जिहायास्तपश्चरणेनैवंविधं रूपलावण्यं संजातं, यथा-वटपत्रं, पलाशपत्रम् , उदुम्बरपत्रं, शाकपत्रं वा, एवमेव निर्मासशोणिता चर्मधमनीमात्रावशेषा जिहा संजाता ॥ सू० ३२ ॥ मूलम्--धण्णस्स नासाए अय०, से जहानामए-अंबगपेसियाइ वा, अंबाडगपेसियाइ वा, माउलिङ्ग पेसियाइ वा, तरुणिया० एवामेव०॥ सू० ३३ ॥ छाया-धन्यस्य नासाया इद०, तद्यथानामकम्-आम्रपेशिकेति वा, आम्रातकपेशिकेति वा, मातुलिङ्गषेशिकेति वा, तरुणिका० एवमेव० ॥सू० ३३॥ टीका-'धण्णस्स' इत्यादि । तस्य नासिकाया एवं रूपलावण्यं संजातं यथा-आम्रप्रसिद्धं, आम्रातकम् = आमडा' इति बङ्गदेशप्रसिदं फलं, मातुलिङ्ग 'बिजोरा-इति प्रसिद्धं फलम् , तेषां पेशी अस्थित्वग्वर्जितो घनीभूतो भागः 'गूदा' 'गिर' इति भाषायाम् , सा चापरिपक्कैच छिन्ना, आतपे दत्ता सती ___ 'धण्णस्स' इत्यादि । जिस प्रकार वटवृक्ष हा पत्ता, पलाश (खाखरा) वृक्ष का पत्ता, उम्बर का पत्ता, अथवा शाक (सागवान) का पत्ता होता है, उसी प्रकार घोर तप के कारण धन्यकुमार अनगार की जिहा भी रक्त मांस रहित हो केवल चमडें एवं नसों का जाल रूप ही रह गई थी ॥ सू० ३२॥ 'धण्णस्स' इत्यादि । गुठली और छिलके रहित आम की चीर-फांक, आमडे (बंगाल का प्रसिद्ध फल) की फांक, बिजौरेकी फांक, धूप में सुखा दी जायें और सुख जाने पर वे जिस प्रकार 'धण्णस्स' (त्याहिभ सु ना 4iti, पाश (मास) वृक्षना पissi ઉમ્બરાના પાંદડાં અથવા સાગના પાંદડાં હોય છે, તે પ્રકારે ઘોરતપના કારણે ધન્યકુમાર અણગારની જીભ પણ રક્ત માંસ રહિત થઈ, ફક્ત ચામડા અને નસોની જાળ ३१ २४ी गई हती. (१० ३२) 'धण्णस्स'त्या. साक्षी मने छति। विनानी शनी थी२, AIH31 (બંગલાનું પ્રસિદ્ધ ફળ) ની ચીર, બિજેરાની ચીર, તડકામાં સુકાયા પછી જેમ કર શ્રી અનુત્તરોપપાતિક સૂત્ર

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