Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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Q
१.
नियुक्ति गाथा (गाथा १७५) में लोक का आठ प्रकार से निक्षेप करके बताया है कि लोक नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, भव, पर्याय - यों आठ प्रकार का है।
प्रस्तुत में 'भावलोक' से सम्बन्ध है । इसलिए कहा है
भावे कसायलोगो, अहिगारो तस्स विजएणं ।
१७५
भावलोक का अर्थ है - क्रोध, मान, माया, लोभ रूप कषायों का समूह। यहाँ उस भाव लोक की विजय का अधिकार है। क्योंकि कषाय-लोक पर विजय प्राप्त करने वाला साधक कामम-निवृत्त हो जाता है। और
कामनियत्तमई खलु संसारा मुच्चई खिप्पं । - १७७
काम
- निवृत्त साधक, संसार से शीघ्र ही मुक्त हो जाता है ।
-
प्रथम उद्देशक में भावलोक (संसार) का मूल - शब्दादि विषय तथा स्वजन आदि का स्नेह बताकर उनके प्रति अनासक्त होने का उपदेश है। पश्चात् द्वितीय उद्देशक में संयम में अति का त्याग, तृतीय में गोत्र आदि मदों का परिहार, चतुर्थ में परिग्रहमूढ की दशा, भोग रोगोत्पत्ति का मूल आशा तृष्णा का परित्याग, भोग-विरति एवं पंचम उद्देशक में लोकनिश्रा
विहार करते हुए संयम में उद्यमशीलता एवं छठे उद्देशक में ममत्व का परिहार आदि विविध विषयों का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है । ९
इस अध्ययन में छह उद्देशक हैं। सूत्र संख्या ६३ से प्रारम्भ होकर १०५ पर समाप्त होती है।
आचारांग शीलांक टीका, पत्रांक ७४-७५