Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पंचम अध्ययन : चतुर्थ उद्देशक : सूत्र १६२
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सम्यक् शब्द से यहाँ - सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र - ये तीनों समन्वित रूप से ग्रहण किए गए हैं तथा मौन का अर्थ है - मुनित्व - मुनिपन । वास्तव में जहाँ सम्यग्दर्शन रत्नत्रय होंगे, वहाँ मुनित्व का होना अवश्यम्भावी है और जहाँ मुनित्व होगा, वहाँ रत्नत्रय का होना अनिवार्य है।
'सम्म' का अर्थ साम्य भी हो सकता है। साम्य और मौन (मुनित्व) का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध भी उपयुक्त है। इस प्रकार प्रस्तुत उद्देशक में समत्व-प्रधान मुनिधर्म की सुन्दर प्रेरणा दी गई है।
॥ तृतीय उद्देशक समाप्त ॥
चउत्थो उद्देसओ
चतुर्थ उद्देशक चर्या-विवेक
१६२. गामाणुगामं दूइज्जमाणस्स दुजातं दुप्परक्कंतं भवति अवियत्तस्स भिक्खुणो । वयसा वि एगे बुइता कुप्पंति माणवा । उण्णतमाणे य णरे महता मोहेण मुन्झति । संबाहा बहवे भुजो २ दुरतिक्कमा अजाणतो अपासतो। एतं ते मा होउ।
एयं कुसलस्स दसणं। तद्दिट्ठीए तम्मुत्तीए' तप्पुरकारे तस्सण्णी तण्णिवेसणे, जयं विहारी चित्तणिवाती पंथणिज्झाई पलिवाहिरे ३ पासिय पाणे गच्छेज्जा ।
से अभिक्कममाणे पडिक्कममाणे संकुचेमाणे पसारेमाणे विणियट्टमाणे संपलिमजमाणे । १६२. जो भिक्षु (अभी तक) अव्यक्त-अपरिपक्व अवस्था में है, उसका अकेले ग्रामानुग्राम विहार करना
१.. (क) आचा० शीला० टीका पत्रांक १९३
(ख) 'मौन' शब्द के लिए अध्ययन २ सूत्र ९९ का विवेचन देखें। इसके बदले 'तम्मोत्तीए' पाठान्तर है, जिसका अर्थ शीलांकवृत्ति में है - 'तेनोक्ता मुक्तिः तन्मुक्तिस्तया'- उसके (तीर्थंकरादि)
के द्वारा उक्त (कथित) मुक्ति को तन्मुक्ति कहते हैं, उससे। __ 'पलिवाहरे' में 'पलि' का अर्थ चूर्णिकार ने इस प्रकार किया है - 'चित्तणिधायी पलि' जो चित्त में रखी जाती है, वह पलि
'पलिवाहरे' प्रतीपं आहरे, जन्तुं दृष्ट्वा चरणं संकोचए 'देसी भासाए' - पलिव देशी भाषा में व्यवहृत होता है। दोनों शब्दों का अर्थ हुआ - प्रतिकूल (दिशा में) खींच ले यानी जन्तु को देखकर पैर सिकोड़ ले। परन्तु शीलांकाचार्य इसका अन्य अर्थ करते हैं - परि समन्ताद् गुरोरवग्रहात् पुरतः पृष्ठतो वाऽवस्थानात् कार्यमृते सदा बाह्यः स्यात्। - कार्य के सिवाय गुरु के अवग्रह (क्षेत्र) से आगे-पीछे चारों ओर स्थिति से बाहर रहने वाला ।