Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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। प्रथम उद्देशक में धर्मदृष्टि से जागृत और सुप्त की चर्चा की है। विशेषतः अप्रमाद और
प्रमाद का, अनासक्ति और आसक्ति का विवेक बतलाया गया है। । द्वितीय उद्देशक में सुख-दुःख के कारणों का तत्त्वबोध निरूपित किया गया है। ० तृतीय उद्देशक में साधक का कर्तव्यबोध निर्दिष्ट है। . चौथे उद्देशक में कषायादि से विरति का उपदेश है।
इस प्रकार चारों उद्देशकों में आत्मा के परिणामों में होने वाली भाव-शीतलता और भावउष्णता को लेकर विविध विषयों की चर्चा की गई है। निष्कर्ष यह है कि तृतीय अध्ययन के चार उद्देशकों एवं छब्बीस सूत्रों में सहिष्णुता और
अप्रमत्तता का स्वर गूंज रहा है। ० सूत्र संख्या १०६ से प्रारंभ होकर सूत्र १३१ पर तृतीय अध्ययन समाप्त होता है।
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आचा० नियुक्ति गाथा १९८, १९९