Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 17
________________ काव्यरचनाकालका संक्षिप्त शताब्दी अनुक्रम * १२ वींका शेषाद्ध। कवि पाल्ह कृत खरतर पट्टावली ( पृष्ठ ३६५ से ३६८ ) । १३ वींका शेषार्द्ध । जिनवल्लभसूरिगुणवर्णन (पृष्ठ ३६६ से ३७२), जिनपतिसूरिधवल गीतादि (पृष्ठ ६ से १०)। १४ वींका पूर्वाद्ध । जिनेश्वरसूरिरास (पृष्ठ ३७७ से ३८३), गुरुगुणषट्पद (पृष्ठ १ से ३)। शेषाद्ध : जिनकुशलसूरिरास (पृष्ठ १५ से १८), जिनपद्मसूरिरास (पृष्ठ २० से २३), जिनप्रभसूरि-जिनदेवसूरिगीत (पृष्ठ ११ से १४)। २५ वींका पूर्वार्द्ध । जिनोदयसूरिगुणवर्णन (पृष्ठ ३६ से ४०), जिनोदयसूरि रासद्वय (पृ० ३८४ से ३८६), जिनप्रभसूरि गुर्वावली (पृ० ४१-४२)। शेषाद्ध : खरतरगुरुगुणछप्पय (पृ० २४ से ३८), खरतरगच्छगुर्वावली (पृ० ४३ से ४८), कोतिरत्नसूरि फाग (पृ० ४०१-२),भाव* कई कृतियोंका रचनाकाल अनुमानिक है। Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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