Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
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जिनचन्द्रसूरिगीत, जिनमहेन्द्रसरि और गणिनी शिवचूला विज्ञप्तिगीतकी नकल पालीताणेसे उ० सुखसागर जीने भेजी थी। जिनवल्लभसूरि गुणवर्णनकी नकल रत्नमुनिजी, शिवचन्द्र सूरिरासकी प्रति लब्धि मुनिजी ( यह प्रति अभी हमारे संग्रहमें है ), रत्ननिधान कृत जिनचन्द्रसूरि गीतकी नकल (पृ० १०२), सूरत भण्डारसे पं०
केशर मुनिजीने भेजी है। (d) जिनहर्ष गीतद्वय, पाटणसे साहित्य प्रेमी मुनि यश
विजयजीसे प्राप्त हुए हैं। (औ) नीचे लिखी हुई कृतियोंके सम्पादनमें भुद्रित ग्रन्थोंकी सहा
यता ली गयी है। (a) देवविलास तो अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मण्डलकी ओर
से प्रकाशित ग्रन्थसे ही सम्पादन किया गया है। (b) पल्ह कृत जिनदत्तसूरि स्तुति, अपभ्रंश काव्यत्रयी
और गणधर सार्द्धशतक भाषान्तर ग्रन्थ द्वयसे पाठा
न्तर नौंधकर प्रकाशित की गई है। .. (c) बेगड़ गुर्वावली आदि (पृ० ३१२ से ३१८) की जैन
श्वेताम्बर काँन्फरेन्स हेरल्डसे नकल की गई है। (d) पिप्पलक खरतर पट्टावली, जै० गु० क० भा० २ और
देवकुल पाटक दोनों ग्रन्थोंसे मिलान कर प्रकाशित की गई है।
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