Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
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काव्योंका ऐतिहासिक सार
६५. ___ मरु मंडलमें यशश्वी मेड़ता नगर है इसकी उत्पत्तिके लिये यह लोककथा प्रसिद्ध है कि जैसे जैनशासनमें भरतादि चक्रवर्ती हुए वैसे शिवशासनमें मान्धाता नामक प्रथम चक्री हुआ उसकी माताका देहान्त ही जानेसे वह इन्द्रकी देखरेखमें बड़ा होकर महाप्रतापी चक्रवर्ती हुआ उसका आयुष्य कोड़ा कोड़ी वर्षोंका था। उसके लिये कृत युगमें इन्द्रने राज्य स्थापना करके मेड़ता नगर बसाया। ___ मेड़ता नगर अति समृद्धिशाली था, सरोवरादिका वर्णन कविने रासमें अच्छा किया है। निकटवर्ती फलवद्धिं पार्श्वनाथका तीर्थ महामहिमाशाली है, पोष दसमीको मेलेमें जहां एक लाख जनताः एकत्र होती है-दूर-दूर देशोंसे यात्री आते हैं। ____ उस मेड़तेमें ओसवाल जातिके चोरड़िया गोत्रीय शाह मांडण का पुत्र नथमल निवास करता था, उसकी पत्नीका नाम नायकदे था। उसके घरमें लक्ष्मीका निवास था सामग्री भरपूर थी, (उसकी) दादी फुलां धर्म कार्यों में धनका अच्छा सदुपयोग किया करती थी। नथमलके १ जेसो २ केसो ३ कर्मचन्द ४ कपूरचन्द और ५ पंचायण नामक पांच पुत्र थे, पांचो पुत्रोंमें तृतीय कर्मचन्द हमारे चरित्र नायक हैं उनका जन्म वि० सं० १६४४ (शक १५०६ ) फाल्गुन शुक्ला २ रविवारको उत्तरभद्रपदाके चतुर्थ चरण और राजयोगमें हुआ था। ___ एकबार रात्रिमें सेठ नथमल सुख शय्यापर सोये हुए थे, जागृत होकर संसारके सुखोंके मिलनेका कारण विचार करते हुए वैराग्य वासित होकर सुगुरुका संयोग प्राप्त होनेपर कृत पापोंकी-आलोयणा लेनेका विचार किया । दैवयोगसे तपा-गच्छके श्रीकमलविजयजी म०
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