Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 636
________________ गहिर गहूंली गंजण गाएस् गासिए गाल्यउ गिडगिडी गिरुआ गुरुपसाये गुली ३ गहरा ३३७, ३३८ गेहूं की ढगली गुरुगीत गूडिय गूडी गोइक गुजरी गुणनिलो ९७, १४७ गुणोंका ४९ गंजनकरनेवाला ३८४ गाऊंगा ३४० घट्ट (हि) घणतूर धरणि "" ८० गलाया बिताया १६४ वाद्यविशेष ३०० बड़ा १०५ रागका नाम गुणनहाण गुदराणी गुपति ११६,१७५,२९७ संयमित १४२ अरज की ४१६ करना २९७ गुरु प्रसादसे १५७ नजर नहीं लगनेके लिये बांधा जाता है कठिन शब्द-कोष आवास ३१ गुणनिधान ३८१ पताका १८, ३१६,, घ ३४ गाय औरआक २९ ठाठ ३८८ बहुतसे बाजे १७ ग्रहिणी घातण घुराया घुरे घोल चउपर्वी चउसठि चउसाल चकरडी चक्करो चमकिय चंग चारण चारित चियवास चूका चूडावयंसु चूनडी चो चोल चोवा छछेद ४४१ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only ३०१ डालना ३०३ बजाये ३३८ बजे १५६ कपड़े से छाना हुआ दही च १४३ ४ पर्व तिथी १८० चौसठ १०० चौसाल, चतुः शाला चारों ओर १५८ चकरी ३८९ चक्रधर, चक्रवर्ती राजा ३८८ चमका ३७७ अच्छा १६५ जाति १६३ चारित्र ४५ चैत्यवास १६३ भृष्ट होना विचलित होना २१] चूडावतंश ३३३ वस्त्र विशेष २५८ का १५८,१८० मजीठ ८४ सुगंधित पदार्थ विशेष छ १८३ आगम ६छेद सूत्र www.jainelibrary.org

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