Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 656
________________ विशेष कामोंकी सू की १८४,१९२,१९९.२१६,२२२,२२५ अइमता १८१ २३६,२४१,२४२,२६ ,२७४,२७५ अकार ६१,६२ ६३,६४,६९७०, ३१४,३५१,३५४,३७४,३९८ ७१,५२,७३,७४,८०,८१,०१,९२, अनिरुद्ध १४२ ९४,९५.९७,९९,१००,१२,१०७, अनेकान्त (स्यादुवाद) जयपताका३११ १.८,१००,११,१२२,१२३.१२५, अनुयोगद्वार (सूत्र) १८३ १२६,१२८,१२९,१३,१३०,१३७, अभयकुमार १३०.३९,१५४,१४६१४७,१५९, अनयतिलक ... ३०,३१ १७२,१७९ १८९,२३० अभय वसूरि ११,२०,२४३१,४१,४५ अखपराज __ ३५८,३६० ५९,११९,१७२.१७८ २१६,२२२,२२६ २२७,२२९३१२,३१९,३६६,३८४ अजमेर ४,९,३१९,३४३,३६५,३६६, अभय वलान ४१३ अजाइबदे १८८ अमरमाणिक्य १४४,१४५ अजिनाथ २७,३४१,३८६ अमरसर १८२,१८९ अजितसिंघ अमरपिंह (विजय) : २४८ अजीमगंज अमरनी १३,१९४ अजमोहम २२० अम्बिका ( अम्बा)३०,४६,१६७, अपहिल्लपुर (पाटण)१५,१६,१७,१८,१९ १७०,१७४,२०१,२१६,४०० २६,२७.२९,४४,४७,५८,५९,६,६४ अम्बेर ३०२ ९०,१०१,१०३ ११८,११९,१२०,१३८, अमाइजी २७३ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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