Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 654
________________ ४५६ सुहु कठिन शब्द-कोष सुकडि : ११४ घिसा चन्दन सुरंगी ३३३ अच्छे गंगवाली सूखनेपर सुरहम ५१ सुरद्रम-कल्पवृक्ष सुकयत्य ३७१ सफल सुरवर २९ उत्तम देव, इन्द्र सुकलोणी ६७ कुलोन, कोमल गाववाली सुरसाल २६२ उत्तम सुकिय ३३ सुत सुरूव ३९२ सरूप सुजगीश १४६ सुन्दर, इच्छा सलताण ८९ सुलतान सुणय ३९२ नोतिमान्, सुविहिय २४,२८,४९,२६ सु-विहित सदाचारी मुनिछ १ सुनिश्चित! सुहम २ सुधर्मा-स्वामी १८९ स्वप्न सुहिणइ ३५७ स्वप्नमें सुपनाध्याय २७० स्वप्नाध्याय ३७२ सब सुपरपरि .. .१ अच्छी तरह सुंखड़ी १८१ मीठाई सुपवित्तिण २ सुपवित्र सूरयोपभ २९२ सूर्यके समान सुपसंसिय ३१२ स-प्रशंसित सूरिमंतु ३ सूरिमन्त्र सुपसाउ २५७,८९ सु-प्रसाद, सहवि ३४१ सधवा सदनुग्रह सुप्रस ह (द) ३१० शोभन कृपासे सूहव ६७,३१६,१३४ सुभग, सौभासुमति ११६ इर्यासमिती ग्यवती आदि सोगत ३६ सुगत, बौद्ध सुमरिजजंत १ स्मरण किये सोस २६१,२६६ अफसोस, खेद जानेपर सुमरेवि सोहम्माइवहंद ३० सौधर्म देव ३८४ याद करके सुमिगत ३७८ स्वप्न लोकका इन्द्र सुयदेवि ४ श्रुतदेवी सोहामणो १३० सुहावना सुरगवि १४५ कामधेनु सौध ३६ महल, प्रासाद सुरगुरवि . १ वृहस्पतिके स्तुप २९० स्तूप, थूम समान १६५ से Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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