Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 693
________________ ४६८ ऐतिहासिक जैन काव्य-संग्रह पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध निमित्त हल्दी ७१ १९ विरुद्ध विरुद्ध न लेवे ७३ १० महोत्सव पट्टोत्सव ४१ ३ शिक्षा दीक्षा ७६ २२ घर्ष वर्ष ४९ १ लधि लब्धि ७७ १९ हरिसागर हीरसागर ५३ ११ मेताराज मेतारज ७९ १८ इवदन्त दवदन्त ५३ १३ सम्यक्ख सम्यक्त्व ७९ २२ सरिजी सूरिजी ५४ १ लक्ष्मीचंद लक्ष्मीचंद्र ८५ २१ जपकोति जयकीर्ति ५४ ११ कुशललाम कुशलधीर ९०६ चका चूका ६४ ६ संवेगेरग संवेग रंग ९१ २२ छोटा छोटे ६६ १६ श्वास सास ९२ १७ मुन्दर सुन्दर ६८ ४ शय्यंभद्र शय्यंभव १०४ ६ चारित्र चरित्र ७१ ४ पट्टा पट्ट १०७ ५ लाधशाह लाधाशाह __ हाल ही में "श्रीजिनरत्नसूरि निर्वाणरास' की एक प्रति उपलब्ध हुई है-जो हमारे संग्रह (नं० ३६१०) में है। उस प्रतिके पाठान्तर यहां लिखे जाते हैं :२३४ ९ जुगति जगत २३६ गाथा ४ के बाद अतिरिक्त गाथा: २३४ ११ शोभा में सोभागइ "पालता पांचे सुमति, भावना २३४ १५ बान भाग । मन भाव रे। जोधपुर नौ संघ सगलौ, देव२३५ १६ तेथी तिहांथी। झर वंदावरे॥" ३५ २१ सीठ सेठ २३६ १ वांदिवि वंदावि २३९ गाथा ११ वींका चतुर्थपाद: "किण हा घावी घात" ३६ ४ वेणइउच्छव उच्छवसखर २३८ ७ बड़ २३६ ११ साह लाह २३९ २ भूल तिका- मूल न का२३६ १४ साबाश जशवास । करी करो २३७ २१ याचक श्रावक २३९ ६ अनवइ अनवड़ २३७ २२ मुनि मुखि २३९ १८ विगत वीतग २३८ ६ श्रीपूज्यनी सुविध श्री २४० १० बखाण विचार पूज्यजी २४० ११ आदिस्यउ उपदिस्यउ ____Jain Education International 2010_05 For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org

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