Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 679
________________ ४८४ विजयसिंह सूरि ३४२,३६१,३६२, ३६३, ३६४ देखो - जेसिंग विजयसिंह सूरि विजयाणन्द विजयानन्दाचार्य विठलदास विदो विद्याविजय ( खर० ) विद्याविजय (तपा) विद्याविलास विद्यासिद्धि विधिसङ्घ ( वसतिमार्ग ) विनयकल्याण विबुधप्रभ सूरि विमल (मन्त्री) विमल कीर्ति विमल गिरिन्द ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह विमलदास विमलादे विमलरत विमलरङ्ग विमलसिद्धि विल्हणदे विवेकविजय विसो वीकराज वीर (वर्द्धमान स्वामी) १८, २०, २४, ३२,४२,५८,९५,१०९, ११०,२१५, २१८, २२७,२६४, २६६, २७७, २७८, २९२,३१२,३२१,३४१,३६३,३६९, ३१ ३५८ | वीरजी (भण्डारी) १५२ वीरजी ३५४ ८८ ३६४ २४५ वीरजी (वीर विजय ) वीरदास वीरदेव वीरपाल २१४,२४० | वीरमपुर ३ वीरप्रभ १९१ वीरसूरि २२९ | वीसलपुर ४४,२२९ वृद्धि विजय २०८, | बेगड़गच्छ ६०,४१६, देखो वेगड (गोत्र ? ) शत्रुञ्जय | वेगइ २७३, वेलजी वेला वेलाउल वैशेषिक वैभारगिर वोहरा ११५, १९४, ३६०, ४३०, १८८, १८, 66, ४०६,२३६,६२,१९९,. ३८१, २२८, ४०८, २६३, ३३६, १९९, २०८,२४४, ७८, २०६, ४२२, ३३९, २८२, विवेक समुद्र (विवेउसमुद्र ) १७, विवेकसिद्धि ४२२, ३६३, ३५४, | शत्रुञ्जय ( विमलगिरि - देखो - सोरठगिरि) २१०, ४२,५९,६०,१०१,१०३, Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only ३१६,४३१,४३२, ३१४, ३१५,. २३६,. २५१, ३६०, ४१६, ३६, ३२७, ३००,३३०,३३२, ३३७, श शय्यम्भव २८, ४१, २१५,२१९,२२८ www.jainelibrary.org

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