Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 675
________________ ३४४ ३६३ १८६ ४८० ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह मानबाई १९४ । मेरह (शाह) मानतुङ्गसूरि - २२८/ मेरुनन्दन मानदेव (सूरि) २२८,२२९ । मेवाड़ (मेदपाट) ९७,१८८,१९९, मानधाता ३३९,३६३,३९७,४००,४१५ मानविजय मेहाजल मानसिंह मेहा मानसिंह (छाजेड) मोतीया २८६ माना मण्डण माल (देव राउल) मालजी यशकुशल १८७,१९९२३३, १४००,१४९ मालपुर यशोधर ३७४ माल्हू ७,२८,५०,४२२ यशोभद्र मालव (देश) ९४,११८,१९९,४१० २०,४१,२१९,२२८, मिरगादे १८०,१८१,१८९, २२९,३६३ यशोवर्द्धन १९१,२००,२०२,३३६ मीमांसक यशोविजय २७२, २८८ (जस) ९८,११० मुल्तान यादववंश २८७,२०९,९६,१९२, युगप्रधान ४,४६,८८,८३,८६,९२, १९९,४२२,३७४ ९४,९५,९६,९७,९८,९९,१०३, मूलजी १०८,१२२,१२१,१२९,१३२,१४८, मूलदेव १७२,१७८,२२६,२३०,२३२,२९२ मृगावती मेघजी योगिणी २,४,१५,४६,१४ मेघदास (मेघइ) १३८,१४३,१४४ योगिनीपुर ५,१९३,३८६ . मेघमुनि देखो-दिल्लो २० १८१ मेडता ६७,८२,८३,१३२,१६८, १८४,१८६,१८८,१९२,१९९, रणकुजी २८३,२८४ ३०२,३४४,३४८,३५०,३५१, रतनउ (रतनसोह) ३८६,३८७. ३५२, ४१५, ४१७ ३८८,३८९ मेढमण्डलि ११ रतनचन्द १३० Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org | १९४ م ع ३६०

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