Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
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कठिन शब्द-कोष
४४४
Paranormourna
ANNANA
पिक्ख
पवरपुरि १ प्रवर नगरी पाडल १५२ पाटल' पवरो २२,३८८ प्रवर
पाथरइ ५३ विछाता हैपचय २७ पर्वत
पाथ ३५३ पथिक पवित्तिग १ पवित्र होकर
| पावरा
४१५ सीधा पसंसिजइ १ प्रशंसा को पांभरी १९५,१९८,३५० वात्रविशेष
जाती है पारका ३११ पराया पसाउ (य) ४,१७७ प्रयाद, कृपा ।
पाव
६ पाप पसायलु ३३९ प्रादसे
पावरोर २० भयानक पाप पासद्ध . १ प्रसिद्ध पासु
३६. पाश्वनाथ २७ प्रभु
पासेस ४१४ पार्श्वनाथ पहाण २४,४०२ प्रधान
३६५ देखो! पहिल २७८ पहला पिक्वहि १ प्रभु
पिक्विवि ३६७ देखकर पहुत्तउ ४. प्रभूत, पहुंचा
पिवणय
२२ प्रेक्षगक, दृश्य हुआ पिवेवि ३३ देखना . पहुतगी २१४ प्रवत्तिनो,पद- पिग ४५ भो, पर
विशेष | पिम्म ३६५,३६६ प्रेम पहुवा
४ प्रभवति, समर्थ पिम्मु
होता है पिउन ४१५ दुष्ट पहुविष्पयर
२ पृथिवी प्रसिद्ध पीलीया ३२९ पीले (कोल्हूमें पहूतिय ३९५ पहुंवा
पोल दिये) पाखर ११३ पलान, हौदा
१ पवित्र करताहै पाखर्यउ १७६ सज किया पुदगल २८८ षद्रव्यों में सेएक पांगरउ ६४,८६,९८,
पुराउ १०६ पूर्ण करो १८८,३००,३१४ विहार करना
१९ बहुपरिवार १५८ पट्ट. सुन्दर वस्त्र
या पुत्र, पतिपाटोघर १६६,२९४ पदधारक,
वालो स्त्रिय पदका उद्धारक पुरोसादाणी २६४ पुरुषों में प्रधान, पाडइ ३४७ गिराता है ।
प्रसिद्ध
२६
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