Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
View full book text
________________
४५२
ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह
मंडए
मउड
३५२ मौड़, मुकुट | महन्वय ५ महाव्रत ३६५ मत | महंमद
११ मुहम्मद मंख
३५२ चित्रपट दिखा- महाणसि ३० महानस कर जीवन-निर्वाह करने |
. रसाई वाला एक भिक्षुक जाति महियलि २८ महीतल पर मच्चु. __ ३६७ मृत्यु
महिर
४११ महेर, कृपा मढति ३१९ माधीश
महिराग मगछि - २ मन वांछित महीयले ९ पृथ्वो तलपर मगयतु ३६९ मनुष्यत्व महुर
३९५ मधुर मगमगा १५. बालकको भाषा महअर
४९ मधुकर मणिमय ९५ शिरोमणि | महूय
३२ मधूक,महुवा मणु २ मन
३९२ मांडना, मणुय २३ मनुज
रचना करना मदान्ति
३६ वेदान्ती, | माकंद १५७ इन्द्र! वेदान्त ज्ञाता मागण
३८७ याचक मद्दल १४४ तबला. वाद्य | माणिण ३६६ गर्वसे
विशेष
| मांडवइ ३५१ मंडपमें मधुमाधवइ १०५ रागिणी मांडो १५७ बनाकर मनभिंतरि २७ मनके भीतर | मादल १६४,३४४ वाद्य विशेष मनरली. ३४६ मनको उग मायंड ___२३ मार्तण्ड, सूर्य
__ आनन्दित मनसे मारण १०५ रागका नाम, मयगल ३७ मदाल, हाथी
- मरु यसको मयम ३४ मदन
मालिया ३४५ महल मयरहरो १६४ समुद्र मालोवम १५ मालोपम मलपिया ४१५ चले
मिछन ११,३७ मिथ्यात्व मलइपाउ.. १५० चलता हुआ मितुवि ३७० मित्र भी मल्हार १७७ राग विशेष .. मिथ्यात्वशल्य २८, मिथ्यात्व मल्हारु
रूपी शल्य महावइए ३४० व्यय करना | मिसरू ३५५ वस्त्र विशेष
Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org