Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 638
________________ कठिन शब्द-कोष ४४३ झालिहि ३८८ संभलता झीलता ६२ अवगाहन क हक्क,बुक्क १७ वाद्य विशेष रना, नहाना, ढक्कारविण ३६६ ढक्का (वाय) गरकाब होना के रव शब्दसे ३८७ ध्वनि ढणहण ३९४ झरझर झोल ११३ झोली, झोला ढलकती ३३३ धीरे धीरे चलती हुई ट्टियउ २ स्थित ढाल ६० रागकी रीति विशेष २७२ ठण्डा होना ढीक ३४५ गरीब ठवणादिक २८० स्थापनादि ४ ढकडा ३०० पहुंचे, पास निक्षेपाल ३३३ ढेलनो, मयूरी (पय) ठवणुछव२१,२२ पदस्थापनोत्सव ठविउ २ स्थापित किया तक १ तर्क ठविज्जय ३६ स्थापितकिया| ३६८ तत्त्ववान जाता है तत्थ ३९० वहां, तत्र ठलिय २७ स्थापित करके तपला १४१ तपा गच्छीय ठवीया २७७ स्थापित किया तयणु ३९५, ३९६ तब ठिकरि १५४ ठीकरा तयणंतरु १६ तदनंतर तरणि ३६६ सूर्य डमडोलइरे १६० चंचल होना तरतउ १५७ तैरता हुआ डमर ५,१०४ उपद्रव तरंडय ३६७ नौका तलीया ३१६ विस्तृत (झाकझमाल) ३८५ तप डांण २६०,४१४ तेज तसपटे २९२ उसके पाटपर डोकरपणि १६३ वृद्धावस्थामें | तह ३७१ तथा १५७ गिराना तहति १५३ तथेति, ठीक डोहला १५४,१८० दोहद है ऐसा तत्तवंतु डाकडमाल आडम्बर तव डोहइ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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