Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 639
________________ ४४४ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह त थलवट थयउ तित्थु तिय तिसंझ थिवर ३०१ उसके ताणज्यो २८९ पसारना २९५ थली प्रदेश, तिडावे ४१६ बुलाना, मरुस्थल आमंत्रित करना १३३ हुआ ३६९ तीर्थ थाकणे ३५३ ठहराव ३५ त्रिया, स्त्री थाप्या ३३२ स्थापित किया तियस २९ त्रिदश, देव थानकि ३५३ स्थानमें तिलउ १२,२४,२७ तिलक थापण १६५ स्थापण, धरोहर तिलो १९२ " थापना ८९ स्थापना तिघु (त्यु) ३६६ तीव्र, तीर्थ, थाल १७९ बड़ी थाली त्रिसंध्या २२० स्थिवर तिहुअण २,६ त्रिभुवन ३७१ स्तुति करता है तिहुयणि ३८८ त्रिभुवनमें थणइ ३९९,४०० ,, ,, तुंगत्तणि ३३ ऊंचाई थुणवि १ स्तुति करके ३१ रात्रि थणस्सामि २४ स्तुति करूंगा तूठी ४०८ प्रसन्न हुई थुणहि १,३७१ स्तुति करते हैं तूंगीया २३५ पर्वतका नाम थणि ३३ " तूर ३०१ बाजा थंभ ९७,२०७ स्तूप तेगदार १५९ तलवार वाला | थूभ ३२०,४०६ " ३८५ तेज थोक २५७ काम, बात तोरणबार ३१६ द्वार २७६ तडककर २६२ दड़कता है, दळूण ३९१ देखकर दहाड़ता है दमणा १५२ फल विशेष त्रिकरण ९९,२९४ तीन करण दरसणियां ८१ दर्शनी (करना कराना (दर्शन शास्त्री) अनुमोदन) (कमल) दलावल ९ कमल दलकीपंक्ति त्रिवली १६४ तीन बलय दव २४ द्रव्य वाद्य विशेष दसूट्टण १५६ दसोटण तुंगी तेय त्रटकी बाडूकइ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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