Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 635
________________ ४४० कंठीर (व) कंपिनइ कंमिण कंसाल क्रमि क्रिया उधार खाटै खांत खान ऐतिहासिक जन काव्य संग्रह खित्तवाल खिसए खिहाला ३८४ सिंह खाभो खिजमति १२ कांपकर कृत्य ३६७ कर्म, ३,१६४ कांसीका वाद्य विशेष ३६९ चलकर, क्रमसे २७७ शुद्ध मार्गका उद्धार खइड खग्ग खटण खपाया खमाया २०९ क्षमा करवाया खमाविनइ ३३० क्षमा करवाकर खरड ३७९ सचा, खरा खरहरय खंति खंति क्खर खम्यो खाटीजइ ख १६३ खङ्ग "" ३५२ ३११ प्राप्त करना ४११ पूरे किए, नाशकिए ३६७ खरतर ३८० ध्यान ३४ क्षांति, तेज २९१ सहन करना १६२ संचय करना, प्राप्त करना ४१०,४१६ स्थापित करना ४०८ ध्यान, क्षांति ५३ मुसलमान सरदार २८४ कमी, त्रुटि २८२ खिदमत सेवा खोरह खेतरपाल खोणि गच्छ गजगाह गजगति गेलि गजघाट गणहरु गय गयणु गरट्ठि गरढी गरीठो गरुयड गलिय गहगहइ refor गहगाट ४ क्षेत्रपाल ३८७ हटना गउड १०६ गौडी रागणी गउ (ड) यड़इ ३७ गिडगिडाना गउरी Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only १५४ खाद्य वस्तु विशेष ३० क्षीर, दुग्ध ४०९ क्षेत्रपाल ३६ क्षोणी, पृथ्वी ग १०४ गौरी २८६ समुदाय १६५ हाथियोंकी घटा १५९ हाथोकी चालके समान चलना १६८ हाथियों का समूह २ गणधर ३३ गज २ गगन ३३ गरिष्ठ, बड़ा ३४३ वृद्धा स्त्री २७० बड़ा १७५ बड़ाभारी ३३ गल गया. ३४० प्रसन्न होना ४०१ होकर "" १६५,१६८, ३०१,३१५ प्रसन्नता सूचक शोर www.jainelibrary.org

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