Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta

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Page 633
________________ ४३८ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह एरिस पनल उदेग ४०४ उद्वेग ऊनविउ १४ उमड़ना उद्गता २९२ उदय हुए ऊभविय १८ ऊंचा किया जाना उदघोषणा २८८ घोषणा, ढंढोरा | ऊमाहो २२५ उमंग उत्साह उपदिसि ९४ उपदेशकर, कहकर | एकरस्यु ३०२ एक बार उपधान ८७ तप विशेष ३७ ऐसे उपनले ११ उत्पन्न हुए एषणामुमति २६२ एषणा समिति, उपशम ६२,१३०, निर्दोष आहार ३२०,३२३ शान्ति का ग्रहण । उपसमण ३६७ उपशमन उप्पल २७ उत्पल कमल | ऐरावण २६४ हाथी उबरन ३२ उदुम्बर ओ उभगउ १६२ उद्विग्न हुआ, ओठीडा ३०२ ऊंट सवार उम्मूलिय ३९ उन्मूलित किया | ओलगइ ८४ सेवा करता है उयरइ३३३,४०३,२२ उदरमें ओसउ १५४ औषध उलट १४५ हर्षोत्साह उल्लास ३५२,४०६ प्रसन्नता क उघडझाय२८,५६,५७ १ कृत, किया १३४,१३५, कइयइ १५७ कब २३१,३५५, १ करनेपर ३४०,४०२ उपाध्याय कचकडउ ११४ वस्तु विशेष उवसांग २० उपसर्ग कचोल ३५१ कटोरा उसभ २ ऋषभ कजारंभ ५ कार्यारंभ। उस्सासहि ४० आनन्दित, कटरि ३९८ आश्चर्य और उत्साहित प्रशंसा बोधक उबरा ८७ उमराव अव्यय कटारिआ १८८ गोत्रका नाम ऊगाहउ ५६ ढोकना, चढ़ाना ३६५ कष्ट ऊनधां (थां) २५८ उद्दड कडयड ३६६ कडकडी आवाज कए Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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