Book Title: Aetihasik Jain Kavya Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
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चित्र परिचय
.१ -- ग्रन्थ प्रकाशक श्री शंकरदानजी पितामह हैं ।
नाहटा - सम्पादक के
२– खरतरपट्टावलीः- इसी संग्रह में पृ० ३६५ से ६८ में सं० १९७०७१ के लि० प्रतिसे मुद्रित की गई है। इसमें सं० १९७१ लि० प्रतिके फोटु बड़ौदेसे उ० सुखसागरजीने भिजवाये थे उसमें खरतर विरुद प्राप्ति सम्बन्धी उल्लेखवाले पत्रका ब्लोक बनवाकर प्रस्तुत संग्रहमें दिया गया है । खरतर विरुद प्राप्ति के प्रश्नपर यह पट्टावली बहुत महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है ।
३ -४ - जिन वल्लभसूरी और जिनदत्तसूरीजी के प्रस्तुत चित्र, जैसलमेर भंडारके प्राचीन ताड़पत्रीय प्रतिके काष्टफलक पर चित्रित थे, उसके ब्लाक बनवाकर ( अपभ्रंश काव्यत्रयी में मुद्रित ) दिये गये हैं।
५ - जिनेश्वरसूरिजीका चित्र खंभातके शांतिनाथ भंडारकी ताड़पत्रीय पर्युसणाकल्प (पत्र ८७) की प्रति, जोकि लिपि आदिके देखनेसे १३ वीं शताब्दी लि० प्रतीत होती है, के आधारसे जैन चित्र कल्पद्रुम (चित्र नं० १०४ ) में मुद्रित हुआ है। श्री सारा भाई नवाबके सौजन्यसे हमें इसको प्रकाशित करने का सुअवसर मिला एतदर्थ उनके आभारी हैं । उक्त ग्रंथमें इस चित्रका परिचय पृ० १४३ में इस प्रकार दिया है
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