Book Title: Acharang Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 269
________________ वयस्त्रिकादि बीआचारांग सूत्र चूर्णिः ॥२६७॥ HAIRSTUDIESHISIN RANHDUPalmisame मज्झिमे वये बुझंति तेण तग्गहणं, ते तु भुत्तभोगित्ता विगयकोउया सुहं विरागमग्गे चिट्ठति, विण्णाणंच तेसिं पटुयरं भवति, | गणहरा य पायसो मज्झिमे वये पन्नइया, तेहि य एतं सुत्तं आयणिक्खमणपज्जायसवेणं भणितं, भगवंपि य मज्झिमवए पडिवण्णो निक्खंतो, एअकारणओ मज्झिमवयगहणं, सम्म नाणादि बुज्झमाणा संबुज्झमाणा, चलमाणे चलितवत् , संजमउट्ठाणेण संमं उद्विता, ते तिविहा-सयंबुद्धा पत्तेयबुद्धवा बुद्धबोधिता, तत्थ बुद्धबोधिते य पडुच्च वुचति-सोचा वई मेहावीणं सोऊणं भवति वयणं, मेरा धावति मेहावी मेहावीणं वयणं, सो एवं मेहावी सोचा तित्थगरवयणंति, वयणति वायगं वेव, अत्थं भासइ(अरहा)सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं । सासणस्स हियट्ठाए ततो सुत्तं पवत्तति ॥१॥ पंडिता गणहरा, तं तित्थगरवयणं पंडितगणहरेहिं ता सुत्तीकयं, सोचा णिसम्म हियए करिचा, स्वादेतकि धम्मो मज्झिमवयसामेव पवेदितो? जम्हा वुत्तो, मा, मज्झिमवए किण्णु हविज?, समो. कहितो लोगप्पदीवेडिंति, तदुच्यते-समयाए धम्मो आरिएहिं पवेदिते समता समं वा समिता तर तरुणमज्झिमवुडाणं सव्वेसि समताए अक्खाओ, बुत्तं च-'जहा पुण्णस्स कत्थति' धम्मो दुविहो नाणादि, आरिया तित्थगरा, साहू आदितो पवेइओ, एत एवं सम्मं धम्म सोचा तिण्हं वयाणं अन्नतरे वए संबुज्झ, समुट्टिता पब्वइया संता ते अणवस्खमाणा इति, जे ते अन्नतरे एव णिक्खंता मोक्खअभिसुहा पट्ठिता, ण अणवकंखमाणा मित्तणातिमादि कामभोगे वा मिच्छाभावाण वा, अहवा सरीरं अणवकंखमाणा तवे, किं पुण सेसं ?, अहवा इहलोग च परलोगं च प्रति अपवकंखमाणा, भणियं च-'छलिता अवयक्खंता अणवयवंता गया.मोकावं, अणतिवाएमाणत्ति अतिक्यणं आयुसरीरइंदियबुद्धिपाणाहितो, ण अतिपातेमाणा अणतिवाते: माणा ते एवं अणतिवातेमाणा, यदुक्तं भवति-पाणादिपातं अधमाणा, अपरिग्गहो दब्बादि पुब्बभणितो, जहा अपरिग्गहमाणा - ORIHIRONMITRA ॥२६७॥

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