Book Title: Acharang Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 316
________________ श्रीआचारांग सूत्र चूर्णिः ॥३१४॥ मनुष्यायुपसर्गादि अरुहतो, उवसग्गा दिव्वादि भयंकरा मीमा संगमादिपउत्ता, ण एगं तेसिं रूवमिति अणेगरूवा, एकेका चउबिहा, अहवा अणुलोमा पडिलोमा य, किंच-उवसग्गाहिगारे एव तिरिक्खजोणियमणुस्सउवसग्गदरिसणत्थं वुच्चति-संसप्पगा यजे पाणा संसप्पंतीति संसप्पगा-अहिनउलसाणमजारपिपीलियादि खायंति केइ भूमिगता केई कायगता अहवा पक्विणो उपचरंति पक्खा तेसिं संतीति पक्खिणो, ते तु दंसमसगमक्खियादि, तेवि एगतावि उवचरिंसु, एगता दिवसउ रत्तिं वा, सोणीयादीहिं मिजमाणोवि ण अवज्झाणं गतवान् , भिसतरं ज्झाणाइगतचेता आसी, अह मणुस्सगा अदु कुयरा उवचरिंसु अदु इति अणंतरे, कुत्थियं चरंतीति कुत्थिय चारी, तंजहा-चोरा पारदारिया य, गामं रक्खंतीति गामरक्खगा, हिंडिता चोरगाहा ते सत्तिकुंतहत्थगता तं उवचरति, चोरपारदारिया पुरिसत्ति अभिवंति आहणंति, तंपि खयं लहुं चेव पउणति, गूढपहारोवि णिगिट्ठबंधति, उवसग्गाहिगार एव तेण वुच्चति अदु गामिता उवसग्गा इत्थी एगइया पुरिसा य, गामा जाता गामिता, गामो नाम खलजणो, मणोवाकायिए तिविहेवि उवसग्गे, वतिमणसा अंतो, तस्स तं रूबंदटुं जहा जातं, पदोसारुहहणणेण जणो भयं करेति, अप्पसत्था णं वायाए अक्कोसंति, कारणं तालंति, इच्छेते तिविहेवि गामिते उवसग्गे सहितातिया, अहबा गामधम्मसमुत्था गामिता, ता तु इत्थी एगतरा पुरिसा य, इत्थीओ तं स्वमंतं रतिं आगंतु उवसम्गति, णपुंसगा य, कम्मोदया अमिद्रवंति, मणसावि भगवंतो ण पकुज्झति, अहया एस अम्हंतणियाओ इत्थीओ पत्थेमाणो अम्हं अम्भासे वा समुवागतोत्ति पुरिसा तं चाहणंति णिच्छु| भंति पिटुंति वा, ते एते सव्वेहिंवि उबसग्गा तिविहा, तंजहा-इहलोइया परलोइया उभयलोइया य, ते य सव्वे सहियव्या, अतो भणिअति-इहलोइयाइं परलोइयाइं (७३) तत्थ इहलोइयाई माणुस्सग्गा, पारलोइया सेसा, अहवा इहलोइया इहलोगदुक्ख ॥१४॥

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