Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 7
________________ कर्मयोग से जी नहीं चुराते, कामयाबी स्वयं उनके चरण चूमती है। श्री चन्द्रप्रभ सफलता के लिए उत्साह और आत्मविश्वास को सबसे ज्यादा जरूरी मानते हैं। उनके अनुसार आत्मविश्वास वह अद्भुत शक्ति हैं जिससे अनगिनत बाधाओं के पहाड़ को भी लांघा जा सकता है। उनके वक्तव्य हतोत्साहित व्यक्ति के जीवन में भी आशा और उत्साह का नया सवेरा ला सकते हैं। वे हमारे जीवन में वही काम करते हैं जो काम चौराहे पर मील का पत्थर किया करता है। आत्मविश्वास के साथ सफलता का दूसरा गुरुमंत्र सकारात्मक सोच है । श्री चन्द्रप्रभ जी ने अपने जीवन में जिस मंत्र का हजारों बार उपयोग किया - करवाया है वह वास्तव में सकारात्मक सोच ही है। ईर्ष्या, घृणा, क्रोध, अवसाद जैसी तमाम नकारात्मकताओं को हटाकर इस किताब में हमें वे बिन्दु दिए गए हैं जो हर असफल घड़ी में हमारे लिए सही रास्ते पर चलने के लिए दिशासूचक का काम करते हैं। तनाव हटाकर जीवन में प्रसन्नता और निश्चिन्तता का नजरिया देने के लिए श्री चन्द्रप्रभ जी ने तनाव को जीवन का वह घुन बताया है जो हमारे दिमाग को कमजोर करता है, मन को अशान्त करता है और भीतर-ही - भीतर हमें ऐसे चाट जाता है जैसे गेहूं को घुन और लकड़ी को दीमक । यह पुस्तक उस हर किसी व्यक्ति के लिए बेहद उपयोगी है जो तनाव से तलाक तो लेना चाहता है पर ऐसा कर नहीं पा रहा है। पुस्तक का पन्ना - दर - पन्ना जैसे-जैसे हम पढ़ते जाएंगे वैसे-वैसे यह हमारे लिए सफलता का द्वार खोलती चली जाएगी। सफलता का सम्बन्ध केवल व्यवसाय और कार्यक्षेत्र से नहीं है, जीवन के सुख, शान्ति, समृद्धि और आनंद भी सफलता के ही मायने हैं। श्री चन्द्रप्रभ जी के इस उदार दृष्टिकोण के लिए अखिल मानवता शुक्रगुजार रहेगी कि उन्होंने हर सफल व्यक्ति के हाथ में प्रेम और सहानुभूति का दीप भी थमाया है। हर कोई व्यक्ति सफल तो हो, पर अपनी सफलता को निहित स्वार्थ से जोड़ने की बजाए अगर उसका आनंद औरों में भी बांटें तो सफलता व्यक्ति विशेष तक ही सीमित नहीं रहेगी, वह अनगिनत बुझे दियों को भी रोशनी देने का सुख साध लेगी। महोपाध्याय ललितप्रभ सागर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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