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________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला प्रधान सम्पादक पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्वाचार्य (सामान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर) ग्रन्थाङ्क 35 कवि हेमरतन कृत गोरा बादल पदमिणी चउपई सम्पादक डॉ. उदयसिंह भटनागर, एम.ए., पी-एच.डी. (प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन) प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur द्वितीयावृत्ति 1997 मूल्य : 56.00
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________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला प्रधान सम्पादक पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्वाचार्य (सम्मान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर) ग्रन्थाङ्क : 35 कवि हेमरतन कृत गोरा बादल पदमिणी चउपई सम्पादक डॉ. उदयसिंह भटनागर, एम.ए., पी.एच.डी. (प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन) प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur द्वितीयावृत्ति 1997 मूल्य : 56.00
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________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यतः अखिल भारतीय तथा विशेषतः राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भाषा निबद्ध विविध वाङ्मय प्रकाशिनी विशिष्ट-ग्रन्थावली प्रधान सम्पादक पद्मश्री मनीषी मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य सम्मान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर; ऑनरेरि मेम्बर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी; निवृत्त सम्मान्य नियामक (ऑनरेरि डायरेक्टर), भारतीय विद्या भवन, बम्बई; प्रधान सम्पादक, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, इत्यादि ग्रन्थाङ्क : 35 कवि हेमरतन कृत गोरा बादल पदमिणी चउपई प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur प्रथमावृत्ति : 1966 द्वितीयावृत्ति : 1997 मूल्य:56.00
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________________ प्रधान सम्पादकीय चित्तौड़ की पद्मिनी का कथानक गोरा बादल के आख्यान के बिना अधूरा है। इस इतिहास प्रसिद्ध आख्यान पर आधारित सम्भवतः यह पहली राजस्थानी भाषा की प्रस्तुति है हालांकि इससे पूर्व भी इस वृत्त पर आधारित कथ्य को अन्य भाषाओं के कवियों ने भी अपनी रचना का आधार बनाया था। विगत तीन दशक पूर्व हेमरतन की यह रचना विभाग द्वारा प्रकाशित करवाई गई थी। विद्वानों एवं साहित्यरसिकों के आग्रह पर एक बार पुनः इसका नवीन संस्करण आपकी सेवा में प्रस्तुत करते हुये मुझे प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। आशा है गोरा बादल पद्मिणी चउपई का यह नवीन संस्करण आपके लिये उपादेय सिद्ध होगा। आनन्द कुमार आर.ए.एस. निदेशक
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________________ सञ्चालकीय वक्तव्य कोई 50 वर्ष पूर्व, जब हम पाटण के जैन-भण्डारों का अवलोकन कर रहे थे / तब हमें हेमरत्न की इस रचना का प्रथम परिचय प्राप्त हुआ। मेवाड़ और चित्तौड़ के प्राचीन इतिहास को जानने की हमारी रुचि बचपन से ही बनी हुई थी। हमने हेमरत्न की इस रचना को भी प्रकाश में लाने का तभी मनोरथ कर लिया था। अपने देश के प्राचीन इतिहास के अज्ञात, अप्रकाशित, एवं अलभ्य ऐसे साधनों को-प्रबन्धों, ग्रन्थों, शिलालेखों, प्रशस्तियों आदि को प्रकाश में लाने का हमारा सतत लक्ष्य रहा और इस दृष्टि से आज तक अनेकानेक अप्रकाशित ऐतिहासिक साधन-सामग्री को प्रकाशित करने का प्रयत्न भी करते रहे हैं / संवत 1636 में उदयपुर में राजस्थान हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन में हमारा पाना हुमा और हमने राजस्थान के प्राचीन इतिहास की सामग्री का अन्वेषण, संशोधन, प्रकाशन प्रादि कार्य के विषय में भी अपने राजस्थानी बंधुनों को समयोचित प्रेरणा दी। उसके बाद तुरन्त ही, प्रो० श्री उदयसिंहजी भटनागर बम्बई में हमारे पास भारतीय विद्या-भवन के एक शोधकर्ता विद्याभिलाषी के * रूप में पहुंचे। मैंने इनको उसी समय पद्मिनी की चउपई जैसी रचना का अध्ययन और अनुसन्धान करने का सुझाव दिया। मेरे पास जो इसकी प्रतियां थीं वे इनको दी। इन्होंने कार्य प्रारम्भ किया, परंतु बाद में ये वहां से चले गये और अपने अन्य कार्य-क्षेत्र में लग गये। सन् 1950 में जब राजस्थान के इस 'प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान' की मूल रूपरेखा बनी तो हमने इस प्रकार के राजस्थान के प्राचीन इतिहास के अनेक ग्रन्थ प्रसिद्धि में लाने का कार्यक्रम बनाया / . कान्हड़दे प्रबन्ध, क्यामखां रासा, लावा रासा, वीरमायण, मुंहता नणसी री ख्यात, बांकीदास री ख्यात व सूरजप्रकाश आदि ग्रन्थ इसो कार्यक्रम के अनुसार यथा-समय प्रकाशित किये गए / प्रस्तुत 'पदमिणी चउपई' भी उसी कार्यक्रम में सम्मिलित थी। डॉ० भटनागर ने इस बीच अपना कार्य चालू रखा और उन्होंने इस रचना पर पी-एच० डी० को पदवी प्राप्त करने के लिये विस्तृत निबन्ध भी तैयार किया / जब मैंने पहले-पहल इनको यह कार्य करने की प्रेरणा दी थी उसके कोई 12 वर्ष अनन्तर ये मुझे जयपुर में मिले / मैंने इनके कार्यों को देखा और सूचित किया कि यदि ये इसकी ससंपादित प्रति तैयार कर सकें तो उसको 'राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला' द्वारा प्रकाशित कर दिया जाय / इन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और तदनुसार मैंने तत्काल इसको बम्बई के सुप्रसिद्ध निर्णयसागर प्रेस में छपने दे दिया / परन्तु, श्री भटनागरजी को कुछ निजी
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________________ कठिनाइयों में उलझे रहना पड़ा, अतः इसका मुद्रण-कार्य बहुत धीरे धीरे चला। आखिर में, फिर 12 वर्ष बाद अब यह ग्रन्थ छपकर पूरा हुआ है और राजस्थानी साहित्य एवं इतिहास के प्रेमियों के करकमलों में उपस्थित हो रहा है / हमारी मूल योजना तो थी कि हम इस हेमरत्न की रचना के साथ, लब्धोदय, भागविजय आदि की रचनाओं को भी एक ही संग्रह के रूप में प्रकाशित करें और उनका तुलनात्मक विवेचन भी उपस्थित किया जाय / परन्तु, उक्त रूप से हेमरत्न को रचना ही को पूर्ण होने में असाधारण विलम्ब हुमा देखकर हमें उक्त विचार को स्थगित रखना पड़ा / तथापि, हमें यह देख कर बहुत संतोष हुमा कि बीकानेर-निवासी नाहटा बंधुनों के सदुद्योग से लब्धोदय-रचित पद्मिनी चउपई को भी एक सुन्दर प्रावृत्ति प्रकाशित हो गई है / डॉ० भटनागरजी ने प्रस्तुत संस्करण को सुसंपादित करने के लिए बहुत ही परिश्रम उठाया है / भिन्न-भिन्न प्रतियों के विविध पाठों का संकलन और सन्निवेश बड़े अच्छे ढंग से किया है। जिस प्रकार, इस ग्रन्थमाला में प्रकाशित 'कान्हड़दे प्रबन्ध' का उत्कृष्ट संस्करण हमारे परमप्रिय विद्वान् मित्र प्रो० के.बी. व्यास ने प्रस्तुत किया है, उसी प्रकार डॉ० भटनागर ने प्रस्तुत 'गोरा बादल पदमिणी च उपई' का यह सुन्दर संस्करण तैयार किया है / इस प्रकार की प्राचीन कृतियों के प्रमाणिक संस्करण तैयार करने वालों के लिए डॉ० भटनागर का यह सम्पादन आदर्श माना जाना चाहिए / हम इसके लिए डॉ० भटनागरजी का अपना हार्दिक अभिवादन करते हैं / प्रस्तुत 'पदमिणो चउपई' की मूलभूत प्रादर्श प्रति जो संवत् 1646 में लिखी हुई है वह स्वयं बनेड़ा निवासी स्वर्गीय वैरिस्टर श्री रविशंकरजी देराश्री ने हमें जयपुर में दिखाई थी। हमारा विचार था कि उस प्रति के प्राद्यन्त पत्रों के ब्लॉक बना कर इस पुस्तक में दे दिए जावें, परन्तु बहुत कुछ प्रयत्न करने पर भो स्व० देराश्रीजी के वंशजों से हमें यह सुविधा प्राप्त नहीं हुई। आशा है राजस्थानी-साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान् इस प्रकाशन का यथोचित समादर करेंगे। मुनि जिनविजय चैत्र शुक्ला 6 (रामनवमी) सं० 2023 दिनांक 31 मार्च, 1966 राजस्थान प्राच्य-विद्या प्रतिष्ठान जो ध पुर
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________________ प्रस्तावना प्राभार निवेदन सन् 1940-41 में मैंने उदयपुर में और उसके आसपास के गांवों तथा ठिकानों में शचीन हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज कर लगभग 2000 ग्रन्थों के विवरण लिये थे। इस खोज में मुझे पद्मिनी की कथा से सम्बन्धित अनेक रचनाप्रतियां देखने को मिली। इसी समय आचार्य मुनि जिनविजय जी से मेरा सम्पर्क हुआ। दो वर्ष तक बम्बई में भारतीय विद्या भवन में उनके साथ रह कर विद्याभ्यास कर ज्ञान से लाभान्वित हुना। 'पदमिनी चउपई' भी उस कार्यक्रम का एक प्रधान अंग रहा / इसका एक आलोचनात्मक संस्करण तैयार करने की प्रेरणा मुनिजी से प्राप्त हुई और इस कार्य को मैंने बम्बई में रहकर पीएच० डी० के लिये थीसिस के रूप में अंग्रेजी में तैयार किया। हिन्दी के प्रति विशेष प्राग्रह होने के कारण मन न माना। मैंने बम्बई विश्वविद्यालय से हिन्दी में थीसिस प्रस्तुत करने की प्राज्ञा मांगी, पर प्राज्ञा न मिली; हाँ, इस बात की प्राज्ञा तो मिली कि मैं उसे हिन्दी में लिखित किसी अन्य-जो लेना चाहे उसविश्वविद्यालय को प्रस्तुत करूँ तो बम्बई विश्वविद्यालय को कोई आपत्ति नहीं होगी। कार्य शिथिल पड़ गया। इस बीच हिन्दी में पुनः थीसिस लिखने के पूर्व किसी विश्वविद्यालय की खोज का प्रश्न सामने आ गया। कार्य चलता रहा / नवीन सामग्री नवीन अनुभवों के साथ जुड़ती रही / राजस्थान विश्वविद्यालय स्थापित हुप्रा। 1962 में मैंने 'हेमरतन कृत पदमिणि चउपई-एक परिपूर्ण मालोचनात्मक संस्करण तथा उसकी भाषा-राजस्थानी वि० सं० १६४५-का वैज्ञानिक अध्ययन'-थीसिस प्रस्तुत किया। वह स्वीकृत हो गया पौर मुझे पी-एच० डी० की डिग्री भी प्राप्त हो गई। यह सब हुआ मुनिजी की प्रेरणा, प्रोत्साहन और प्रबोधन से। आभार मुझे प्रकट करना है-पर किन भावनाओं में, किन शब्दों में ? एक शिष्य जिसके पास वाणी नहीं, शब्द नहीं-वह अपनी वाणी की कंगाली को भी प्रकट करने में असमर्थ है, आभार तो उसके लिये बहुत भारी है-बलिहारी गुरु प्रापणे, जिन गुरु दियो बताय।"
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________________ गोरा बादल परमणी पपई काम कुछ जटिल हो गया-अनेक संकट और कठिनाइयां, जीवन की ऊबड़ खाबड़ भूमियों के बीच जीवन और मरण, ये सब डेहली डोर साबाण सराचा, कटक तणा सिणगार / घड़िया जोणी, साँढ पलाणी, पूठ परठिया भार / और मैं चला। कथा कुछ दुखद हो गई। बड़ोदा विश्वविद्यालय में जाने के पश्चात् मुनिश्री ने फिर स्मरण दिलाया कि तुझे यह करना है; और इसके प्रकाशन का आश्वासन भी मुझे मिला / हेमरतन की जितनी प्रतियाँ मुझे बम्बई तक प्राप्त हुई उनका उपयोग मैंने बम्बई में ही कर लिया था। इसके बाद मुझे इसकी एक प्राचीनतम प्रति मिल गई जिसने इस संस्करण का आधार प्रस्तुत किया / अब प्रेस-प्रति तैयार करने में फिर से उतना ही कार्य बढ़ गया जितना किसी आलोचनात्मक संस्करण का प्रारम्भ से अन्त तक होता है / अत: जितना-जितना काम होता जाता उतनाउतना में मुनिजी को भेजता जाता और वह छपता जाता। इसी बीच में अनेक बाधाएं उपस्थित हुई। मेरी पत्नी की निराशाजनक अवस्था ने मेरे संयम और मानसिक सन्तुलन को बिलकुल नष्ट कर दिया। मुनिजी की प्रेरणा और उनके उत्साहवर्द्धन ने इस कार्य को समाप्त करने में सहायता की। प्रफ देखने तथा मूल पाठों को सुधारने का कार्य भी मुनिजी को ही करना पड़ा। कार्य समाप्त हो गया और इधर पत्नी की जीवन लीला भी समाप्त हो गई। भूमिका का कार्य रुक गया / प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन रुक गया। अतः इसका प्रकाशन देर से हो रहा है / प्राशा है पाठक मेरी विवशता को समझेंगे / ___ मुनिजी इस अवस्था में भी अपने कार्य में संलग्न रहते हैं। अपने कार्य में व्यस्त रहते हुए भी उन्होंने मुझे प्रेरणा दी, उत्साहित किया और मार्ग-दर्शन भी। उनकी मुझ पर कृपा है, उनका प्राभारी हूँ / एक शिष्य पर गुरु की कृपा का भार तो जीवन भर ही रहता है, वह तो उसकी सम्पत्ति है, उसका प्रदर्शन कर वह उसको लौटाना नहीं चाहता / बैशाखी मंगलवार, 13 अप्रेल, 1965 विक्रम-विश्वविद्यालय, उज्जैन / उदयसिंह भटनागर
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________________ प्रस्तुत संस्करण पद्मिनो को कथा को लेकर जायसी कृत 'पदमावत' हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है। प्राचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने जायसी की अन्य रचनाओं के साथ इसका भी उद्धार किया। 'मिश्रबन्धु विनोद' तथा शुक्लजी के 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में लब्धोदय (लक्षोदय) कृत 'पद्मिनी चरित्र' की सूचना मिलती है। इधर नागरी प्रचारिणी पत्रिका के पुराने अंकों में जटमल नाहर कृत 'गोरा बादल की कथा' के गद्य में लिखे जाने के विषय में भी विवाद चला था। राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज में मुझे अपनी यात्रा में इन रचनामों की अनेक हाथ-पड़तों की छानबीन में हेम रतन कृत 'गोरा बादल पदमिणि चउपई' के साथ भागविजय (और संग्रामसूरि) कृत 'गोरा बादल पदमिरिण चउपई' की भी अनेक प्रतियो प्राप्त हुई / इन सब में जायसी को छोड़ कर अन्य सभी रचनाओं के मूल में हेमरतन की रचना ही प्राधार रूप में बनी है / हेमरतन ही इस रचना का मूल लेखक है। वि० सं० 1645 में हेमरतन ने अपने इस काव्य की रचना की थी। वि० सं० 1680 में जटमल नाहर ने हेमरतन की रचना का एक विकृत रूप 'गोरा बादल की कथा' नाम से प्रस्तुत किया था। यह रचना गद्य में न होकर पद्य में लिखित है। फिर वि० सं० 1706 में लब्धोदय ने हेमरतन की रचना को ही गेय रूप प्रदान कर 'पमिनी चरित्र' नाम से विविध ढालों में ढाला / वि० सं० 1760 में भागविजय ने और उसके कुछ वर्ष पूर्व संग्राम सूरि ने इसके परिवर्तित और परिवद्धित संस्करण तैयार किये। इस प्रकार पद्मिनी की कथा को लेकर रचित काव्यों को निम्न लिखित वर्गों में रखा जा सकता है : 1. प्रज्ञात वर्ग : सम्भवतः बैन अथवा अन्य कोई चारण कवि / बैन का उल्लेख जायसी ने 'पदमावत' में किया है-'कथा परम्भ बैन कवि कहा'। इसी प्रकार हेमरतन की रचना में 'हेतंमदान कविमल्ल भणि' (21 / 154) पाया है। 2. जायसी वर्ग : प्राचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'पदमावत' के प्रथम संस्करण में अपने पूर्व के चार संस्करणों का उल्लेख किया है। उक्त संस्करण को उन्होंने प्रामाणिक हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर तैयार किया था। इसके पश्चात् डा० माताप्रसाद गुप्त और डा. वासुदेवशरण अग्रवाल के दो भिन्न (पर दूसरा पहले पर आधारित) प्रामाणिक संस्करण प्रकाशित हए। मैंने इस संरकरण में तुलना के लिये इन दोनों का उपयोग किया है।
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________________ गोरा बादल पदमणी पपई 3. हेमरतन वर्ग : इस लेखक की अनेक रचमाएँ खोज में प्राप्त हुईं। प्रस्तुत रचना 'पदमिणी चउपई' की ही अनेक प्रतियां प्राप्त हुईं। उनमें से निम्न लिखित प्रतियां महत्वपूर्ण हैं (1) श्री रविशंकर देराश्री (बनेड़ा) की प्रतिः-उक्त प्रति की एक फोटो प्रति श्री देराश्री ने मुझे उपयोग के लिये दी थी / इसमें रचनाकाल वि० सं० 1645 दिया गया है और लिपिकाल 1646 / इसमें प्रशस्ति सहित कुल 618 छन्द हैं। पर यह हेमरतन की मूल प्रति नहीं है और न सं० 1646 में लिपीकृत मूल प्रति ही / इसमें जो क्षेपक दिये गये हैं उनसे लगता है कि यह उक्त संवत 1646 में लिखित किसी हाथ-पड़त की प्रतिलिपि है। फिर भी यह मूल रचना के सबसे अधिक सन्निकट है और पाठ भी सबसे अधिक शुद्ध और मौलिक है। (2) मुनि श्री जिनविजयजी की दो प्रतियो:-पहली प्रति में रचनाकाल सं० 1645 और लिपिकाल सं० 1661 है। इसका प्राकार 10 इंच लम्बा और 4.5 इंच चौड़ा है। इसमें 20 पत्र और 654 छन्द हैं / पाठ की दृष्टि से उक्त भाषा के विकसित रूपों का प्रयोग इसमें मिलने लगता है। दूसरी प्रति जो ऊपरवाली (पहली) प्रति के अधिक सन्निकट है, वि० सं० 1726 की लिखित है / इसका प्राकार पौने दस इंच लम्बा और साढ़े चार इन्च चौड़ा है / 26 पत्रों पर 651 छन्द हैं। इसमें पहली प्रति की भाषा के अधिक विकसित रूप मिलते हैं / (3) वर्द्धमान ज्ञान मन्दिर, उदयपुर की प्रति:-यह प्रति वि० सं० 1785 में ढाका में लिखी गई थी। इसका आकार 6 इंच लम्बा और 5 इंच चौड़ा है। इसमें 102 पत्रों पर 675 छन्द दिये हैं। यह प्रति खण्डित है और प्रारम्भ के 61 छन्द नष्ट होगये हैं। क्षेपक तथा पाठान्तर होने पर भी इसके छन्द मूल छन्दों के अधिक सन्निकट हैं / (4) अन्य प्रतियों में माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भीडर की कुछ प्रतियां और ऑरिएन्टल इन्स्टीटयूट, बड़ोदा की प्रतियां भी उल्लेखनीय हैं। ये पाठ की दृष्टि से उतनी शुद्ध नहीं हैं। गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद, भाण्डारकर इन्स्टीट्यूट, पूना, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी में भी इसकी प्रतियाँ सुरक्षित हैं। 4. जटमल वर्ग : इसकी अनेक प्रतियां मिलती हैं। कुछ में पाठान्तर और भाषान्तर भी हो गया है। ऐसी ही एक प्रति की नकल मुनि जिनविजयजी के
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________________ प्रस्तावना संग्रह में भी है। यह उन्होंने अपनी बीकानेर यात्रा में लिखवायी थी। इसका एक प्रकाशित संस्करण भी मिलता है। कुछ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर पं० प्रयोग सर्मा ने इसका सम्पादन कर तरुण भारत ग्रन्थावली, दारागंज, प्रयाग में प्रकाशित करवाया था। प्रकाशित रचना खड़ी बोली के अधिक निकट है जो हस्तलिखित प्रतियों से भिन्न है / 5. लब्धोदय वर्ग : इस वर्ग की चार प्रतियां उल्लेखनीय हैं (1) संवत् 1753 की लिखित प्रति:-इसमें 780 छन्द हैं। इस समय यह उदयपुर के सरस्वती सदन में सुरक्षित है। (2) सं० 1761 की लिखित प्रतिः-इसका आकार " x 6.2" है। यह माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भीडर (उदयपुर के पास) में सुरक्षित है / इसमें 61 पत्र और 811 छन्द हैं / (3) संवत् 1823 की लिखित प्रतिः-यह सरस्वती सदन, उदयपुर में सुरक्षित है / इसमें 803 छन्द हैं। (4) संवत् 1865 की लिखित प्रति:-यह भी माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भींडर के संग्रह में है। इसका प्राकार 13.5"x8.5" है। इसमें 800 छन्द हैं / लिपि अधिक भ्रष्ट है / 6. भागविजय वर्ग : इस वर्ग में केवल वे ही रचनाएँ ली गई हैं, जिनमें संग्राम सूरि के क्षेपक भी सम्मिलित हैं / ऐसी कोई प्रति नहीं मिलती जिसमें केवल संग्राम सूरि अथवा केवल भागविजय के ही क्षेपक हों। इस वर्ग की निम्नलिखित प्रतियां महत्वपूर्ण हैं / (1) माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भींडर की दो प्रतियां:- इनमें पहली वि० सं०१७६० की लिखित है और दूसरी संवत् 1771 की / इनमें पहली प्रति लेखक की मल हाथ-पड़त लगती है और दूसरी उसी की प्रतिलिपि / पहली का आकार 10"x4" है / इसमें 31 पृष्ठ और प्रशस्ति सहित 616 617 छन्द हैं। (2) प्रॉरिएन्टल इन्स्टीट्यूट बड़ौदा की सं० 1783 की लिखित प्रति:-इसका पाठ अधिक शुद्ध नहीं हैं / प्रस्तुत संस्करण के लिये हेमरतन वर्ग और भागविजय वर्ग ही अधिक उपयोगी सिद्ध हुए हैं / जायसी और जटमल की रचनाएँ प्रकाशित हैं / लब्धोदय
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________________ गोरा बादल पदमनी पपई के 'पधिनी चरित्र' के एक स्वतन्त्र संस्करण का प्रकाशन अपेक्षित है / भागविजय की रचना हेमरतन की रचना का ही परिवर्तित और परिवद्धित संस्करण होने के कारण पाठालोचन और पाठशोधन के लिये उसका उपयोग करते हुए उसको नीचे पाठान्तर में रखा गया है। इस प्रकार उपर्युक्त प्रतियों में जिनका प्रयोग प्रस्तुत संस्करण में किया गया है उनका नामकरण निम्न प्रकार से किया गया है-- 1. A प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 1 देराश्रीवाली प्रति वि. सं० 1646 की लिखित / 2. B प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 2 में उल्लिखित पहली प्रति वि० सं० 1661 की लिखित / 3. C प्रति - हेमरतन वर्ग को प्रति संख्या 2 में उल्लिखित दूसरी प्रति वि० . सं० 1726 की लिखित / 4. D प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 3 में उल्लिखित वर्द्धमान ज्ञान .. मन्दिर, उदयपुर की वि० सं० 1785 की ढाका में लिखित खण्ड प्रति / 5. E प्रति - भागविजय वर्ग की प्रति संख्या 1 में उल्लिखित पहली प्रति वि० सं० 1760 में रचित और लिखित मूल प्रति / उपर्युक्त प्रतियों के छन्दों की तुलना और निरीक्षण से एक उलझन उपस्थित हुई। प्रत्येक प्रति में क्षेपकों के अतिरिक्त अनेक सुभाषित, उक्तियां, और प्रसंगानुसार अन्य अनेक कवियों की रचनाओं के उद्धरण भी थे। इन सभी पर एक ही क्रम में छन्द संख्या अंकित थी। यहां तक कि सबसे प्राचीन सं० 1646 की लिखित प्रति में भी यही स्थिति थी। इधर कई प्रशस्तियों के अनुसार हेमरतन के मूल छन्दों की संख्या 616 (षटसित षोडस) होनी चाहिये, जब कि प्रत्येक प्रति में छन्द इससे अधिक संख्या में थे। सं० 1646 वाली प्रति में भी यही स्थिति वर्तमान थी। प्रत्येक प्रति के छन्दों को पारस्परिक तुलना और सूक्ष्म निरीक्षण से हेमरतन के मूल छन्दों की खोज में बहुत सहायता मिली। इस तुलना से प्रत्येक प्रति की छन्द संख्या की स्थिति निम्नलिखित देख पड़ती है : स्वीकृत छन्द अस्वीकृत छन्द प्रति के मूल छन्द 604 612 654 651 675 562 864
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________________ C,, D, स्वीकृत मूल छन्द इस प्रकार हैंA प्रति में मूल स्वीकृत (हेमरतन कृत) 616 छन्दों में से 12 छन्द कम हैं (616.604) ,,, (616-612) , , , , , (616.606) , , , , , (616.606) " , , 54 , , (616-562) प्रत्येक प्रति में जो छन्द कारण विशेष से क्षेपक माने गये हैं, उन्हें नीचे टिप्पणी में दे दिया गया है। प्रत्येक प्रति के स्वीकृत तथा अस्वीकृत छन्दों में कई छन्द पूर्ण नहीं हैं / कहीं-कहीं क्षेपक रूप में एक एक अर्भाली जोड़ी गई है और कहीं क्षेपकों में मूल छन्द का कोई अंश है / अतः प्रत्येक प्रति में इस स्थिति की सूचना यथास्थान दे दी गई है। छन्द-निर्णय के पश्चात् पाठ-निर्णय भी आवश्यक है। प्रस्तुत प्रतियों में कोई भी प्रति हेमरतन की मूल प्रति नहीं है / न तो किसी में हेमरतन द्वारा रचित पूरे 616 छन्द ही हैं और न कोई भी प्रति क्षेपकों से सर्वथा मुक्त ही है। पर विभिन्न प्रतियों में से हेमरतन के 616 छन्द अवश्य निकल जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनके पाठों की समस्या सामने आ जाती है / अतः पाठ संशोधन के लिये निम्नलिखित प्राधार निश्चित किये गये 1. प्रतियों की प्राचीनता का प्राधार : सामान्य रूप से सब से प्राचीन प्रति को आधार मान कर पाठ-निर्णय करने की एक शैली परम्परा से चली आती है। परन्तु कभी-कभी प्राचीनतम प्रति भी लिपिकार के प्राग्रह से मुक्त नहीं होती। ऐसी स्थिति में वह उतनी सहायक नहीं होती जितनी अन्य प्रतियाँ / यहाँ A प्रति मूल रचना के एक वर्ष पश्चात् लिखित प्रति की प्रतिलिपि है। परन्तु यह भी पाठान्तरों प्रोर क्षेपकों से मुक्त नहीं है / अन्य प्रतियों में पाठान्तर अधिक होने पर भी कहीं-कहीं पाठ-निर्णय में उनसे बड़ी सहायता मिली है। इस दृष्टि से E प्रति उल्लेखनीय है जिसमें सबसे अधिक पाठान्तर और क्षेपक होते हुए भी अनेक स्थलों पर A प्रति से मेल खाने से वह पाठ-निर्णय में सहायक हुई है। जैसे Bc DE अबका प्रबकइ प्रबकिइ भवकह माजूणडे माजूण- प्राजूखो पाजूणो माजूरगडे माणिसं माणिसि माणिसि माणिसुं मारिणसं A
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________________ . गोरा बादल पदमणी चउपई 2. मूल छन्दों को प्रतिशत संख्या का प्राधार : प्रत्येक प्रति में मूल छन्दों की संख्या निकाल कर उसका निश्चित मूल छन्दों से प्रतिशत निकालने पर प्रतियों की क्रमगत श्रेष्ठता स्थापित हो जाती है और उसके आधार पर भी पाठ-निर्णय किया जाता है। पर कभी-कभी प्राचीन प्रति में मूल छन्दों की संख्या कम होने पर पाठ-निर्णय में कठिनाई होती है / उक्त रचना में यही स्थिति है। प्रति में सब से कम मूल छन्द हैं : 616 में से 604 छन्द होने से उनका प्रतिशत 68.05 B, , , ,612 , , , 9.35 " , , , 606 , , , , 9886 D. , , , 606 , , , , 6886 E, , , , 562 , , , , 61.23 इस दृष्टि से A प्रति में 98.05 प्रतिशत होने से उसकी स्थिति B (68.35 प्र.श.) और C तथा D (98.86 प्र. श.) के नोचे आ जाती है / पर क्षेपकों और पाठान्तरों का प्रतिशत उसकी स्थिति को बहुत ऊपर उठाये रहता है / 3. क्षेपकों और मूल छन्दों के अनुपात का प्राधार : प्रत्येक प्रति में क्षेपकों और मूल छन्दों का अनुपात निम्न प्रकार से है : प्रति कुल छन्द - मूल छन्द + क्षेपक-मूल छन्दों का प्रतिशत क्षेाकों का प्रतिशत A 610 - 606 + 4 69.15 00.68 B 654 - 612 + 42 06:42 G 651 - 6.6 + 42 63.55 D 675 - 606 + 66 10.22 0677 E 864 - 562 +302 65.42 3465 4. प्रत्येक प्रति में मिलनेवाले पाठान्तरों को प्रतिशत संख्या का प्राधार : पाठ-निर्णय के लिये भिन्न पाठों और पाठान्तरों के तुलनात्मक अध्ययन में प्रत्येक प्रति और उसके पाठों की प्रामाणिकता सिद्ध हो जाती है और उससे पाठसंशोधन तथा मूल पाठों के निर्णय में सुगमता हो जाती है। इन पाठों में से 1000 ऐसे पाठ चुने गये जिनके विविध प्रतियों में भिन्न पाठ अथवा पाठान्तर मिलते हैं। उसके प्राधार पर भी प्रतियों की प्रामाणिकता क्रमबद्ध कर पाठ-निर्णय में सहायता ली गई / इस प्रकार प्रत्येक प्रति में पाठान्तरों का जो प्रतिशत प्राप्त हुमा वह इस प्रकार है 0645
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________________ प्रस्तावना A प्रति में 1000 शब्दों में 17 पाठान्तर हैं = 1.7 प्रतिशत , , 587 , = 587 , C , , , 686 , = 68.6 , D , 732 = 73.2 " " 844 84.4 5. ऐतिहासिक प्राधार : प्रतियों में आनेवाले कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी पाठ-निर्णय में सहायक होते हैं / उक्त प्रतियों में दिये गये ऐतिहासिक उल्लेख ग्रन्थ के रचनाकाल तथा लिपिकाल प्रमाणित करने में सहायक हुए हैं / इनके आधार पर प्रतियों की प्राचीनता और कालगत भाषा-प्रवृत्तियों की खोज करने में सहायता मिली है / ये उल्लेख विशेष रूप में इन प्रतियों को प्रशस्तियों में मिले हैं। A प्रति को प्रशस्ति उसकी प्राचीनता सिद्ध करने में सबसे अधिक सहायक हुई है। यह प्रशस्ति मूल रचना की हो प्रशस्ति है। इसमें लेखक ने अपनी गुरु-परम्परा के साथ रचनाकाल (वि० सं० 1645) और रचना-स्थान 'सादड़ी' (मारवाड़) के साथ महाराणा प्रताप और उनके मन्त्री भामाशाह का उल्लेख करते हुए सादड़ी के शासक ताराचन्द का भी उल्लेख किया है, जो ऐतिहासिक सत्य है। इस दृष्टि से इसका महत्त्व अधिक बढ़ जाता है कि यह मूल रचना के अधिक सन्निकट है / प्रतः इसके पाठ अन्य प्रतियों की अपेक्षा अधिक प्रामाणिक सिद्ध हुए हैं। 6. साहित्यिक प्राधार : किसी रचना के पाठ-निर्णय में साहित्यिक प्राधार भी अन्य आधारों के समान ही महत्त्वपूर्ण होता है। रचना-तत्त्वों में छन्द, अलंकार, भाव और रस के उपयुक्त भाषा के रूपों को विभिन्न प्रतियों से तुलना तथा शोध-संशोधन कर पाठ-निर्णय किया गया है / इनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया जाता है (1) प० च० में प्रधान रूप से दोहा और चौपई छन्दों का प्रयोग हुआ है / इन छन्दों में प्रादि से अन्त तक एक विशेष लय है / पाठान्तरों का तथा भिन्न पाठों का कहीं-कहीं इस लय में मेल नहीं बैठता। इसी प्रकार गति-भंग-दोष तथा न्यूनाधिक मात्रा-दोष भी पाठ-निर्णय में सहायक हुए हैं / निम्न लिखित उदाहरण देखियेः ___ मूल - ब्रह्म-विष्ण-शिव सई मुखइं, नितु समरइं जसु नाम (2) यहाँ 'मुखइं' के स्थान पर E प्रति में 'मुखे' पाठ है / यह बहुवचन होने पर भी 'सइं मुखइं' तथा उसकी क्रिया 'समरइं' की लय में नहीं बैठता / 'मुखइं' के स्थान पर B प्रति का 'मुखि' पाठ मात्रा-दोष के कारण प्रमान्य
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________________ गोरा बादल पदमणि पपई हो जाता है। इसी प्रकार दसवें पद में 'वसुधा लोचन जेसु विसाल में 'जेसु विसाल' के स्थान पर B प्रति का पाठ जस 'सुविशाल' गति भंग दोष के कारण अमान्य है। (2) इसी प्रकार पहले दोहे में वयणसगाई अलंकार पाठ-निर्णय में सहायक हुमा है : सुख संपति दायक सकल, सिधि बुधि सहित गणेस / विधन विडारण विनयसुं, पहिली तुझ प्रणमेस // 1 // इसमें 'विघन विडारण विनयसु' के स्थान पर B प्रति का पाठ 'विधन विडारण सुखकरन' अथवा E प्रति का पाठ 'विधन विडारण रिधिकरण' कर देने से उक्त अलंकार की स्थिति नष्ट हो जाती है, जब कवि ने वीर रस को रचना में वयणसगाई को प्राथमिकता देने की परम्परा का निर्वाह किया है। (3) रस का प्राधार भाव है / अतः भाव-व्यञ्जना के लिये शब्द और अर्थ में सामंजस्य आवश्यक है / बादल के इन गाज भरे शब्दों में देखिये - "सुणि बाबा" ! बादिल कहइ, "सुभटासु कुण काम ? सुभट सहू सूए रहजे, ए करिस्युं हुं काम // 408 // इसमें 'सुभटा सुकुण कॉम' के स्थान पर E प्रति के 'अवरां केहो काम' तथा 'बैसि रही सारा सुहड' में प्रत्यक्ष भावाभिव्यक्ति न होने से बादल के उत्साह का भाव सीधा ग्रहण नहीं होता। 7. शैली और परम्परा का प्राधार : वीर-रस की रचना होने पर भी कवि ने जैन-शैली की भाषा-परम्परा और लेखन-परिपाटी के प्रति प्राग्रह दिखाया है। इस सम्बन्ध में प्रागे प० च० को भाषा के अन्तर्गत सविस्तार वर्णन है। नीचे कुछ ऐसे प्राचीन रूपों को दिया जाता है जो आग्रह पूर्वक प० प० में रखे गये हैं, और जिनके प्रति मन्य प्रतियों में यह प्राग्रह नहीं दीख पड़ता:-- मूल - प्रम्ह B,C,D.E, - हम / जबकि इसके विपरीत मूल 'अम्हि' के स्थान ___D, -हमने पर B, C, D, E, में 'अम्है', B में 'मम्ह' 'C में 'अम्हें और D, E में 'हम' भी मिलते हैं प्राविड़े B-प्राविमो, C, D-मावियो कृतरीड़े B-तरीयो,C,D- उतरीयौ। E ऊतरीयो उत३, कुतर्यो। सदपि B,C,D- जलव / B.C- समु} B सागर / दरिया जनषि
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________________ प्रस्तावना 11 8. भाषा का प्राधार : पाठ-निर्णय में भाषा का प्राधार सबसे महत्त्वपूर्ण आधार है / पाठ-निर्णय के लिये कुछ भाषा-सम्बन्धी प्राधारों का उल्लेख नीचे किया जाता है : (1) पाठ-भेद प्रवृत्ति : कुछ लिपिकारों तथा क्षेपककारों में मूल रचना से सर्वथा भिन्न पाठ कर देने की प्रवृत्ति होती है / इसके अनेक कारण होते हैं, पर मुख्यतः यह कभी तो अर्थ समझने में न आने पर किया जाता है और कभी प्रमाद या व्यक्तिगत रुचि के कारण:(क) अर्थ न समझने के कारणमूल- प्रति सुकमाल पसम पडवडी (153) (सं० सूक: कमल) B- , शुकमाल पक्षम (शुक ... =तोते का पर) E- कोमल सबल पसम पडवडी (प्रर्थ स्पष्ट है) (ख) व्यक्तिमत प्रमाद या रुचि के कारण__मूल - ऊषर क्षेत्र न लागइ बीज / विण झगडा नवि थापइ धीज (42) यहां रेखांकित शब्द उपयुक्त हैं। यहां 'खेत्र' के स्थान पर B प्रति में 'क्षेत्र' (भिन्न अर्थ) 'लागई' के स्थान पर 5 प्रति में 'उगै', 'झगडा' के स्थान पर प्रति मे 'झगडई तथा E प्रति में 'झगडे' पौर, 'थापई' के स्थान पर प्रति में 'होवई' पाठान्तर तथा पाठ-भेद हो गये हैं। इसी प्रकार 'ए ऊषाणु संख्या दीठ' (58) में 'अंख्या दीठ' के स्थान पर प्रति में 'साचो दीठ' पाठ लिपिकार की प्रमाद-प्रवृत्ति का द्योतक है। (2) पाठान्तर प्रवृत्ति : भाषा के प्राचीन रूपों के व्यवहार से मुक्त हो जाने पर लिपिकाल के समय लिपिकार उनसे विकसित नवीन रूपों का प्रयोग कर लेता है। इसी प्रकार कभी तत्सम रूपों के प्रति उसकी रुचि तथा उसकी स्थानीय बोली का प्रभाव और उसकी उच्चारण प्रवत्ति मादि अनेक कारणों से एक ही रचना की भिन्न-भिन्न प्रतियों में पाठान्तर हो जाते हैं / कुछ का उल्लेख यहां किया जाता है (क) प्रव्यवहृत प्राचीन रूपों के स्थान पर नवविकसित या प्रचलित रूपों का प्रयोग : मूल-प्रवग - B,C,D, - एवा, E इतने करावडे - CD -करावो (-) कहवाडे- B,C - कहवागे (-3), D.E-कहावो (-पी) मजुमालह- B, - उजवामद, C-उपवाल, E उजाल
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________________ गीराबावल परमणि चउप (ख) तत्सम रूपों के प्रति लगावमूल-अउर - B,C,D - अवर (< सं० अपर) उछाह - D - उत्सोह ऊछेद - D - उच्छेद (ग) स्थानीय बोली का प्रभावमूल- कवित्त - B,C,D,E - किवित्त ] मारवाडी की प्रादि इकार. कस्तूरी - E - किस्तुरी / प्रवृत्ति अबकइ - C - अबकिइ) मध्य राजस्थानी की अनइ - C - अनिइ प्रवनि - अविनि मध्य इकार-प्रवत्ति (घ) उच्चारण की मुखसुख प्रवृत्ति ('य' का निवेश.) मूल- करिसई- B,C - करिस्यई कहीइ - B,C - कहियइ. DE - कहिये उवेली उवेलीयडे (च) व्याकरण सम्बन्धी भूलें(१) लिंग की भूल - मूल - प्राडी (स्त्री०)-B-पाडडे, C,D,E-प्राडो (पु.) (2) वचन की भूल- मूल - प्राणा (ब.व.)-B-प्राणडे, D.E -प्राणुं (ब.व.) पदमणि चउपई की कथावस्तु का विस्तार दस खण्डों में हुआ है / प्रत्येक खण्ड की कथा संक्षेप में इस प्रकार है 1. खण्ड - चित्तौड़ के राजा रतनसेन का अपनी पटरानी प्रभावती के व्यंग पर सिंहलद्वीप में जाकर वहां के राजा की बहिन पगिनी से विवाह कर के लौटना-(१-६३)। 2. खण्ड - रतनसेन और पपिनी के प्रेम-प्रसंग के समय राघव का अन्तःपुर में प्रवेश और इस कारण रतनसेन का क्रोध में प्राकर उसकी आँखें निकलवाने का आदेश / राघव का डर से भाग जाना- (94-135) / 3. खण्ड - राघव का दिल्ली पहुंचना और वहाँ एक भाट की सहायता से अलाउद्दीन के दरबार में प्रवेश कर पमिनी स्त्री का प्रसंग छेड़ना। अलाउद्दीन का अपने हरम में पधिनी स्त्री की खोज के लिये रांघव द्वारा निरीक्षण कराना और उसमें एक भी पद्मिनी स्त्री न होने पर राघव के संकेत पर पद्मिनी के लिये सिंहलद्वीप पर चढ़ाई करना-(१३६-१८६)। 4. खण्ड - अलाउद्दीन द्वारा सिंहल पर आक्रमण और समुद्र में अनेक कठिनाइयों के कारण पीछा लौटना-(१८७-२२७)।
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________________ प्रस्तावना 5. खण्ड - दिल्ली लौटने पर अलाउद्दीन की बीबी का व्यंग्य करना / फिर राघव की सूचना और संकेत पर पद्मिनी प्राप्त करने के लिये चित्तौड़ पर आक्रमण का आदेश-(२२८-२४१)। 6. खण्ड - रतनसेन और अलाउद्दीन का युद्ध / अलाउद्दीन का गढ़ लेने में असफल रहने के कारण अपने मंत्री को भेजकर केवल किला और पद्मिनी को देखकर लौट जाने का छल-पूर्ण सन्धि-प्रस्ताव- (242-282) 1 7. खण्ड -- अलाउद्दीन का गढ़ में प्रवेश / भोजन के समय दासियों को देख कर उन्हें पद्मिनियाँ समझ कर बार-बार चौंकना और राघव का उसको सचेत करना। भोजनोपरान्त झरोखे की जाली से झांकती हुई पद्मिनी को देख कर उसका मूछित हो जाना और राघव का उसको समझाना / किला देख कर लौटते समय रतनसेन को बातों में लगा कर द्वार तक ले अाना और वहाँ अपने छिपे हुए साथियों द्वारा उसे बन्दी बना लेना-(२८३-३४७)। 8. खण्ड - रतनसेन-प्रभावती का पुत्र वीरभांण पद्मिनी को उसकी माता का सौभाग्य छीनने वाली समझता है और इस कारण वह उसको अलाउद्दीन को सौंपकर उसके बदले में राजा को लेने का प्रस्ताव स्वीकार करता है। यह सुन कर पद्मिनी के मन में रोष, चिन्ता और ग्लानि तथा वहां न जाने का दृढ़ निश्चय-(३४८-४२१)। 6. खण्ड - पद्मिनी का सहायता के लिये गोरा-बादल के पास जाना / बादल द्वारा रतनसेन को छुड़ाने की प्रतिज्ञा सुन कर उसकी माता का उसको रोकना-(४२२-४६७) / 10. खण्ड - अपनी बात न मानने पर बादल की माता का उसकी नव-विवाहित वधू को भेजना। अपने स्वामी के दृढ़ निश्चय तथा रणोल्लास को देखकर नव-वधू का उसको रणवेश से सज्जितकर प्रायुध देकर युद्ध के लिये विदा करना / बादल का वोरभाण को समझा कर अपने पक्ष में करना और अलाउद्दीन के पास जाकर उसको छलभरी बातों से पद्मिनी के आने का विश्वास दिला कर उसकी सेना को वहां से रवाना करवा देना / फिर गढ़ में आकर डोलों में दासियों के स्थान पर अपने संनिकों को और पद्मिनी के स्थान पर गोरा को छिपा कर ले जाना; रतनसेन को छुड़ाना और अलाउद्दीन तथा उसके चुने हुए साथियों को मार भगाना / युद्ध में गोरा की मृत्यु और उसकी स्त्री का सती होना-(४६७-६२०)।
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________________ गोरा बादल पनि घउपा पदमणि चउपई में भाषा को सामान्य प्रवृत्तियां और उसको शैली : पदमणि चउपई का रचनाकाल वि०सं० 1645 है अतः इसकी भाषा वि०सं० 1600 और 1700 के बीच की विकसित भाषा का रूप है। विकास-काल की दृष्टि से इसको मध्यकालीन राजस्थानी तथा क्षेत्र की दृष्टि से इसको मध्य राजस्थान की भाषा मानना चाहिये / मध्य राजस्थानी क्षेत्र राजस्थान का गोड़वाड़ का प्रदेश, उसके पूर्व में अजमेर, अजमेर से जहाजपुर-मांडलगढ, वहां से भीलवाड़ा, गंगापुर, रायपुर, मामेट, कुम्भलगढ और पुनः गोड़वाड़ के बीच का विस्तृत भू-भाग है / उस काल की मध्य राजस्थानी का क्षेत्र भी लगभग इसी के अन्तर्गत मानना चाहिये / उक्त रचना का रचयिता हेमरतन गोड़वाड़ प्रदेश में स्थित सादड़ी का निवासी था। प्रतः इस अन्य की भाषा-प्रवृत्तियां सामान्य रूप से मध्य राजस्थान की उस काल की भाषा-प्रवृत्तियां हैं, जिसके भीतर कहीं-कहीं गोड़वाड़ी की स्थानीय प्रवृत्तियों का भी समावेश है। लेखक के जैन साहित्य की परम्परामों में शिक्षित होने के कारण इस ग्रन्थ में जन शैली की भाषा-परम्परा का निर्वाह भी देख पड़ता है। इसी प्रकार वीर-रस की रचना होने के कारण इसमें डिंगल शैली का भी समावेश है :1. मध्य राजस्थानी की भाषा-प्रवृत्तियां(१) शब्द के मादि में प्रकार के स्थान पर मारवाड़ी इ-कार की प्रवृत्ति : इधकी (78 D अधकी); इसउ (227); खिण (24 - क्षण); खित्री (381 क्षत्रीय); सिबद (४३९=शब्द) (2) कहीं-कहीं 'इ' तथा 'उ' के स्थान पर 'ए' तथा 'प्रो' पोर 'ए' तथा 'ओ' के स्थान पर 'ई' तथा 'उ' की गुण-वृति; (क) जिसडे (४८६)-जेसु (10); करियो (४)-करेयो (431) जीपिसु (४६५)-जीपेशां (404); जीता (५६६)जेत (514) दिष्टे (155 B,C)-दीठ (६९)-प्रेठि (270) (ख) सुहामणी (१६८)-सोहामणी (DE); सुगंद (266) सौगंध (E); फुजदार (२८६)-फौजदार; फोफल (३३०)पुंगफल, पुष्पफल; बुल्लइ (३६७)-बोलइ (386); होई (१००)-होइ (33), हूइ (364)
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________________ प्रस्तावना (3) तालव्य 'श्' और दन्त्य 'स्' का एक दूसरे के स्थान पर मनि यमित प्रयोग : जीपेशां (४०४)-जीपिसु (465), करशां (४०१)-करेसां (537 A,E), करेसुं (536) (4) मध्यग-व- के स्थान पर कहीं- य - पोर कहीं-प्र का अनियमित प्रयोग : बहुअर (446), - बहूयर (B,C,E) - बहूवर (D) खान (361) - खावां जावइ (478) - जायइ (468) (5) स्वर-लोप द्वारा शब्द - संयोग की प्रवृत्ति : न + प्रावइ = नावइ (25) न + पादरी = नादरी (485) ___ म + आवइ = मावइ (422) (6) मध्य अनुनासिक - एँ - का - प्रा - में परिवर्तन : (क) वात सहू बहू पर नां कही (446 A) स्त्री० ए० (ख) सिंघलपति नां सिरपा दोउँ (222 A) पु० ए० (ग) मोटा नां परि दी मान (223 A) ब० व० उक्त रचना में इस प्रवृत्ति का प्रभाव कर्म कास्क के चिन्ह 'ने' पर पड़ने से उसका 'नो' हो गया है / आधुनिक बोली में इस क्षेत्र में 'थने कहयो' के स्थान पर 'थनां कियो' बोला जाता है / कर्म कारक में ही यह प्रवृत्ति सीमित नहीं है / मध्यस्थित स्वरों की यह प्रवृत्ति ध्यान देने योग्य है : भांश भैस; फांक्यो 2 फैक्यो, खांच्यो / खेंच्यो प्रादि। प०च० में खंची (563) 8 खांची / बैंची 3. पदमणि चउपई में मध्यराजस्थानी की गोड़वाड़ी बोली की स्थानीय प्रवृत्तियां : (क) संख्यावाचक दो-तीन (2,3) के स्थान पर बे-त्रण तथा उसके रूपों का प्रयोग : बि - च्यार (544), बी - सहस (105), बे (67), विवणडे (204) बेउ (54), बेइ (36) बेही (80), बिहुँ (7), बिहु (151), न्युं (92), व्यउँ (503), बिया (546), बीजा (366), बीजी (50) /
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________________ गोरा पारस परमणि पपई त्रिगुण (187), त्रिहुं (319), त्रीज (129), श्रीजी (309), त्रीस (41), त्रोसहस (373), त्रीसहजार (285) / (ख) करण - अपादान कारकों में 'स' (सं) के स्थान पर भीली थी' का प्रयोग : ११-रतनसेन थी मन महि डरइ (82) २॥-तुं सिंघल थी अविउ नासि (250) (ग) भूतकाल 'हतो' (माधु० राज० 'हो' ) के स्थान पर 'थो' का प्रयोग: १।-आगे - ई थो बंभण गुणी (145) (घ) दो दीर्घ स्वरों के बीच वाले अक्षर में स्थित स्वर "अ" का "ई" में परिवर्तन : दोहिली (454); पाछिली (64) 4. जैन शैली की भाषा-परम्पराओं का आग्रह : (क) संयुक्त स्वर 'ऐ' तथा 'नो' के प्राचीन रूपों को ग्रहण कर उनको प्राचीन रूपों में हो लिखा गया है, जब कि अन्य प्रतियों में उनके नव विकसित रूप लिखे गये हैं : वइसणई (२९)-बसणे (E); बेसणडे (५०३)-बसणौ (D) (ख) प्रादि 'य्-' के स्थान पर 'ज' का प्रयोगः जोपण (41) L योजन; जोगी (60) L योगी इसी प्रकार अन्त्य -ज' के स्थान पर इसके विपरीत ‘-य' का प्रयोग; प्रावयो (536) =पावजो; (ग) कहीं-कहीं शब्दों के प्राचीन रूपों का निर्वाह; (1) मध्य "त" के स्थान पर "प" : जीपण (73) - जीतण (2) आदि "ल" के स्थान पर "न" : निलवटि (468),- ललाटि (609)-, निलाटि (B,C,D,E), नालि (२८६)-लारि (184) (3) आदि व. के स्थान पर म - : मोनती (161) वीनती (206) 5. वीर-रस की अभिव्यक्ति के लिये भाषा में डिंगलत्व : . (क) व्यञ्जन द्वित्त्व : सावर्ण्य प्रवृत्ति के आधार पर विकसित प्राकृत-अप भ्रशं के द्वित्त-व्यञ्जन-युक्त शब्दों का प्रयोग डिंगल की प्रधान विशेषता है / इसी प्राधार पर उसमें अनेक प्रकार के द्वित्त-व्यञ्जनयुक्त रूपों की रचना हुई। इसमें से निम्नलिखित प्रवृत्तियां उक्त रचना में दीख पड़ती हैं :
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________________ प्रस्तावना (1) प्राकृत-अपभ्रंश में स्वीकृत सवर्ण द्वित्व : भट्ट (162) खग्ग (397) (2) अपभ्रंश में द्विस्वव्यंजन वाले जो शब्द राजस्थानी में परिवर्तित हुए थे उनमें द्विस्वव्यंजन लोप होकर उसके पूर्व-वर्ण को दीर्घ करने की प्रवृत्ति देख पड़ती है / इसी नियम के विपरीत शब्द के मध्य में द्वित्व के आगमन के लिये पूर्व स्थित दीर्घ वर्ण को ह्रस्व करने का नियम डिंगल में देख पड़ता है / निम्नलिखित उदाहरणों में यह प्रवृत्ति देख पड़ती अ< प्रा - झल्लई (367) < झालइ (396) इ <ई - लिज्जइ (374) लीजइ (267) इ < ए - खिल्लुं (433) < खेलुं (74) उ < ऊ - फुट्टठे (442) < देखो, फूटई (256) उ < प्रो- बुल्लइ (367) < बोलइ (33) इसी प्रकार के द्वित्व में कहीं-कहीं पर-वर्ण भी ह्रस्व कर दिया जाता है : ___ सत्ति (416) < सती (20) (3) कभी-कभी पूर्व तथा पर-वर्ण को प्रभावित किये बिना हो द्वित्वव्यंजनागम - ' हो जाता है : ___फिट्टू (442) < फिट (568); सक्कइ (13) < सकइ (13) (4) मध्यव्यंजन महाप्राण होने पर उसके साथ द्वित्व की स्थिति में अल्प-प्राण का ही संयोग होता है : रक्खाविउ (442); पाउँद्ध रइ (286) (5) (क) द्वित्वव्यंजनागम के पूर्व उर्ध्व रेफ का अधोरेफ होना : गंध्रव (163) < गंधर्व; लग्गि (241), सग्ग, < स्वर्ग (ख) उच्चारण लाघवत्व अथवा छन्द-बन्धन के कारण अक्षर लोप की प्रवृत्ति : संख (163) < सुंखिणी (163); रंभ (165) रंभा; कंति (166) < कांति; नीद्र (166) < निद्रा; (ग) सर्वनाम के प्राचीन रूपों का प्रयोग : प्रम्ह (170, ५८२-संबंध-कर्ता), अम्हनि (५४२-कर्म-अधि०), तूय (440), तूअ (443), तुज्झ (605) ताणंचिय (156), तांम [ 570 A (550) ] कवण (187)
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________________ गोराबारल पदमजी पपई (घ) प्राकृत 'हन्तो के रूपों का विविध विभक्तियों में प्रयोग : 1. कर्म - वासइ ए मोलोचह कोठे (368) 2. सम्प्रदान-संबंध -पोतुं बीतुं प्रमलह तj (47) सांमी सिंघल दोपह तणुं (62) 3. अपादान - गढनी पोलि हुंति ऊतरिउ (468) (च) अनुस्वार का विभक्ति के रूप में प्रयोग : 1. कर्ता-कर्म - खवासां उजासां (286) 2. कर्म - छत्रां धरइ (286) 3. करण - प्रख्यां दीठ (58) 4. संबंध - रायां घर (286), असुरां घेह (367) (छ) 'न' के स्थान पर 'ण' का भाग्रह : विणास (362), खांण (202), समांणी (161), सामिणी (416) (ज) अन्य प्राचीन रूप : पडसाद (पट+सह < शब्द-२४६), पायालइ-१८७ (पातालइ) पछई (306), प्रछां (402) (झ) दृश्य सादृश्य के लिये अनुरणन : 1. ढलकइं...ढीकली (244) 2. दुमकि दुममा....(२४५) (ट) अपभ्रंश के 'मडडडुल्ल' से विकसित स्वाधिक प्रत्यय : इसउउ, इसडइ (435), बड्डडे, प्रियड्डठे (397), बोलग (240) पाहुणडा (295), गोरिल्ल (363) / हेमरतन और उसकी रचनाएँ 1. कालनिर्णय : वि० सं० 1500 और 1700 के बीच का युग राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति और कला के चरम विकास का युग था। इस युग में राजस्थानी भाषा और साहित्य की बहुमुखी प्रवृत्तियों का विकास देख पड़ता है, जहां धर्म और सम्प्रदाय, भक्ति और साधना, लौकिक और पारलौकिक भावनाएं आदि का साहित्य के साथ-साथ सामंजस्य हो जाता है / साहित्य, नरक्षेत्र और माध्यात्मिक क्षेत्र में सामंजस्य स्थापित करता है। एक ओर वह मानव-व्यापारों में प्रादर्श
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________________ प्रस्तावना 19 स्थापित करता है तो दूसरी ओर वह उन आदर्शों द्वारा भगवत्प्राप्ति की ओर संकेत करता हुआ साधना और भक्ति के स्थूल तथा सूक्ष्म तत्वों में भी प्रवेश करता है / जहाँ धर्म सम्बन्धी रचनाएँ धार्मिक तत्वों और सिद्धान्तों के सीमित क्षेत्र में ही देख पड़ती थी वे अब लौकिक चरित्रों और लौकिक व्यवहारों के साथ सामंजस्य स्थापित करने लगी। जैन साहित्य की अनेक रचनाएं ऐसे ही पात्रों के चरित्र को लेकर सामने आई, जो इन आदर्शों के कारण लोकप्रिय हो रहे थे। ये आदर्श पहले जैन धर्म तक ही सीमित थे। फिर जैनेतर चरित्र भी उन आदर्शों के साथ समाविष्ट हुए। धीरे-धीरे जैन लेखकों ने जैनेतर विषयों और चरित्रों को भी अपने काव्य का विषय बना लिया, और इस प्रकार अनेक जैन लेखकों द्वारा उत्तम कोटि के चरित-काव्य रचे गये, जो राजस्थानी भाषा और साहित्य की अमूल्य निधि बन गये / हेमरतन इसी प्रकार का एक कवि था, जिसने जैन होकर भी जैनेतर वस्तु और पात्रों को अपने काव्य का विषय बनाया। इस युग में इस प्रकार की अनेक रचनाएँ हुई, जो जैन साहित्य की ही अमूल्य निधि नहीं हैं / उनको राजस्थानी भाषा और साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता। राजस्थानी साहित्य के विविध रूपों की परम्परा और विकास की द्योतक ये जैन रचनाएँ ही हैं, जिनसे साहित्य के इतिहास के लिये सम्बन्धित सामग्री भी परिपूर्ण मात्रा में प्राप्त होती है / हेमरतन के अनेक ग्रन्थ पिछली खोज में प्राप्त हुए हैं, जिनसे उसके अपने युग का एक महत्वपूर्ण कवि होने का संकेत मिलता है / उसकी प्राप्त रचनाओं में 'पदमणि चउपई' यहाँ प्रस्तुत है। हेमरतन के जीवन के विषय में बहुत कम सामग्री प्राप्त है। राजस्थानो लेखक इस दृष्टि से इतिहास लेखक की पोथी में बहुत बदनाम हुआ है / पर अपने महत्व को प्रशस्ति स्थापित करना राजस्थानी लेखक ने कभी अपने जीवन का उद्देश्य नहीं बनाया / उसका उदेश्य रचना और तद्गत विषय को प्रस्तुत करना था। इसीलिये उसने विषय और वस्तु को ओर अधिक ध्यान दिया / उसने ग्रन्थ के प्रारम्भ तथा अन्त में अपने आराध्य तथा आश्रय का उल्लेख कर उनके साथ अपना सम्बन्ध स्थापित किया है / चाहे वह धार्मिक क्षेत्र हो, चाहे साम्प्रदायिक, चाहे लौकिक क्षेत्र हो, चाहे पारलौकिक, सभी में. राजस्थानी लेखक की यही स्थिति रही है कि उसने अपने व्यक्तित्व को अपनी कृति में कहीं उभरने नहीं दिया। इस कारण इतिहास-लेखक ने एक अोर उसकी रचनामों को कृत्रिम कहा और दूसरी ओर उसकी सन्दर्भ-सामग्री का उपयोग भी किया / हेमरतन की रचनामों में 'पदमणि चउपई' का विषय इतिहास से संबंध
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________________ गोरा बादल पदमनी बडेपा रखता है। फिर भी उसका कोई अंश पूर्ण ऐतिहासिक नहीं है / पर वह किसी न किसी मात्रा में ऐतिहासिक सामग्री अवश्य प्रस्तुत करती है। इतना होने पर भी उसका उद्देश्य सहित्य रचना है, रस उत्पन्न करना है, इतिहास लिखना नहीं (देखो-खंड 1 / 4 / 5) / अतः उसको इतिहास के क्षेत्र में लेजाकर कृत्रिम कहना उचित नहीं है / 'पदमणि चउपई' इतिहास नहीं, काव्य है / उसका रचयिता इतिहासकार नहीं, कवि है, जिसका उद्देश्य किसी प्राश्रयदाता को प्रसन्न करना नहीं, केवल लोकप्रिय चरित्रों को लोकप्रिय काव्य-शैली में चित्रित करके उनके प्रादर्शों को लोक-जीवन में स्थापित करना है। __ हेमरतन की प्राप्त रचनामों में उसके जीवन सम्बन्धी जो अन्तक्ष्यि सूत्र प्राप्त होते हैं, उनसे उसके रचनाकाल, गद्य-परम्परा, शिक्षा, ज्ञान, अनुभव, तत्सम्बन्धी इतिहास प्रादि की ओर संकेत-सूत्र प्राप्त हो जाते हैं / उनके आधार पर उनके व्यक्तित्व की शोध संभव है / जैन धर्म में दीक्षित हो जाने के पश्चात् माता-पिता आदि का सांसारिक सम्बन्ध टूट जाता है और गुरु-परम्परा से उसका सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। यही कारण है कि हेमरतन ने अपने माता-पिता का परिचय न देकर गुरू परम्परा का ही उल्लेख किया है। बहिक्ष्यि सामग्री से हमें उसकी शिक्षा-परम्परा तथा तत्कालीन साहित्य और तत्संबंधी इतिहास का संकेत-सूत्र मिल जाता है / एक लेखक के विषय में इतनी तो जानकारी होनो ही चाहिये और इसके लिये प्राप्त अल्पतम सामग्री भी किसी सीमा तक पर्याप्त है / उसके आधार पर उसके जीवन और व्यक्तित्व का पता लगाने में तो हम सफल हो ही जाते हैं। अतः उसकी रचनाओं के प्राधार पर उसका जीवन निश्चित करेंगे। हेमरतन की अब तक जो रचनाएँ पिछली खोज में प्राप्त हुई हैं, वे निम्नलिखित हैं 1. अभयकुमार चउपई रचना काल वि०स० 1636 2. महीपाल 3. गोरा बादल पदमणि चउपई , , , 1645 4. शीलवती कथा " " // 1673 5. लीलावती , , , 1673 6. रामरासो 7. सीताचरित 8. जदंबा बावनी . शनिचर छंद
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________________ प्रस्तावना 21 इसमें से पहली पांच के तो रचनाकाल उपलब्ध हैं / शेष चार की खोज इन पांच के आधार पर सम्भव है। जिन पांच रचनामों पर रचनाकाल दिया गया है, वे सब प्रौढ़ रचनाएं हैं। इनके आधार पर हेमरतन का रचनाकाल वि०स० 1636 से 1673 के बीच निश्चित हो जाता है / इस प्रकार पहली रचना (1636) और पांचवीं रचना के बीच 37 वर्षों का अन्तर है / इनके आधार पर इन 37 वर्षों के समय के तीन कालों में-१६३६, 1645 और 1673 हेमरतन की सभी रचनामों को स्थापित किया जा सकता है / हेमरतन के रचना-विकास (मानसिक-विकास) के ये आदि, मध्य और अन्तिम अथवा प्रारम्भ, विकास और उत्थान की स्थितियां मानी जा सकती हैं। प्रादि और मध्य के बीच लगभग दस वर्षों का और मध्य पोर अन्तिम के बीच 28 वर्षों का अन्तर है / 28 वर्षों का समय उसके चरम विकास का द्योतक है / इसी काल में हेमरतन की अन्तिम और महत्त्वपूर्ण रचनाएँ पूरी हई होंगी। कवि ने अपनी रचनाओं में कहीं-कहीं अपनी रचना सम्बन्धी योजना की पोर भी संकेत किया है; जैसे 'अभयकुमार चउपई' में उसने लगभग सात विषयों की रचनाएं प्रस्तुत करने का संकेत किया है: दान, सील, तप, भावना, चारु, चरित्र, कहेस / क्रोध, मान, माया, वली, लोभाविक, पभणेस / / इसमें दान, शील, तप, मान, क्रोध, माया और लोभ ये सात विषय स्पष्ठ हो जाते हैं / लोभादिक कहने से चारों विकारों में शेष काम भी आ जाता है। इस प्रकार ये पाठ विषय पाठ रचनाओं की ओर संकेत करते हैं। इस आधार को देखते हुए वि० स० 1636 की प्रथम दो रचनाओं में भी यह स्पष्ठ हो जाता है कि 'अभयकुमार चउपई' उसके पहले की और 'महिपाल चउपई' उसके बाद की रचना है / ऐसा लगता है कि कवि ने इन्हीं विषयों को अपनी काव्य-रचना का आधार मानकर एक-एक विषय पर एक या अधिक रचनाएँ प्रस्तुत की / इनमें से एक रचना 'शीलवती कथा' का रचना काल जैन गुर्जर कविप्रो (भाग 1. पृ० 207-208) के लेखक ने वि० सं० 1603 दिया है। पर यह ठीक नहीं लगता / लेखक की मान्यता का आधार उक्त प्रति में दिया गया यह रचनाकाल है : संवत सोल त्रिरोत्तरे, पाली नयर मझारि। सील कथा साचो रची, प्रवचन वचन विचारि //
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________________ गोरा बादल पदमपी पपई विद्वान लेखक ने 'त्रिरोत्तर' का अर्थ तीन (3) मान लिया है, जो ठीक नहीं है / वैसे भी 'त्रिरीत्तर' का अर्थ त्रिदशोत्तर होता है। पर यह पाठ ही अशुद्ध है / शुद्ध पाठ "त्रिहोत्तरे" है जिसका अर्थ 73 होता है। हेमरतन का रचनाकाल वि० स० 1636 पोर 1673 के बीच मानने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि वि० स० 1636 में उसकी आयु 25 वर्ष के लगभग होगी। इस दृष्टि से उसका जन्म वि० स० 1611 के आसपास हुमा होगा / हेमरतन के एक शिष्य कुंवरसी की एक रचना 'नवपल्लवपार्श्वनाथ' श्री अगरचन्द नाहटा के संग्रह में है / उसके अनुसार हेमरतन का वि० स० 1681 में होना पाया जाता है / इस दृष्टि से वि० स० 1681 में हेमरतन की आयु 70 वर्ष के लगभग होगी। इसके बाद वे 10 वर्ष और जीवित रहे होंगे / अतः हेमरतन का निधन वि० स० 1660 के पास पास ठहरता है। इस प्रकार हेमरतन का जीवन काल वि० स० 1611 और 1660 के बीच निश्चित होता है। . पदमरिण चउपई की ख्याति और महत्त्व : चित्तौड़ की प्रसिद्ध रानी पद्मिनी को इतिहास-प्रसिद्ध कथा को लेकर लिखी जाने वाली यह प्रथम उपलब्ध राजस्थानी रचना है। इसकी रचना के 48 वर्ष पूर्व मियाँ जायसी अपना पदमावत अवधी बोली में रच चुके थे। __ स्पष्ट है कि युग की परिस्थितियों ने ही हेमरतन को इस रचना की प्रेरणा प्रदान की थी। वि० स० 1633 में हल्दीघाटो का प्रसिद्ध युद्ध हो चुका था, जिसमें महाराणा प्रताप के अटल धैर्य और कुल की मान-मर्यादा की परीक्षा हुई थी। वे न तो अकबर के आगे झुके और न अपनी बहन-बेटी को अकबर के हरम में पहुंचा कर राज्य-सुख ही भोगा / कठिन संघर्ष और रक्त-प्रवाह तथा त्याग और बलिदान के द्वारा वि० स० 1643 में उन्होंने अपने खोये हुए राज्य को पुनः अपने अधिकृत कर लिया था / रह गया केवल चित्तौड़ ! जिसकी प्राप्ति के लिये अन्तिम प्रयत्नों में वि० स० 1653 में उन्होंने अपने प्राण त्याग किये / महाराणा प्रताप की यह आदर्श गौरव गाथा देश में दूर दूर तक गायी जाने लगी। उनकी यह प्रणबद्ध अटलता, अडिगता और अणनमता सभी के लिये एक आदर्श उदाहरण बन गई थी। साहित्य में भी यह नवीन प्रादर्श एक नवीन उत्साह लेकर खड़ा हुआ था, जिसने लोगों के मन में देशभक्ति की भावना प्रतिष्ठित की। लोग इस त्याग पर अभिमान करने लगे। जैन लेखकों पर भी इसका प्रभाव कम नहीं पड़ा / पद्मसागर ने तो अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ
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________________ प्रस्तावना 23 'जगद्गुरु काव्य' (वि० सं० 1646) में अकबर के आगे अपनी प्रान बेचने वाले राजानों की भर्त्सना करते हुए राणा प्रताप के प्रति श्रद्धा प्रकट की थी: केचिद् हिन्दुनपा बलश्रवणतस्तस्य स्वपुत्रीगणं, गाढाभ्यर्थनया ददत्य विकला राज्यं निजं रक्षितुम् / केचित्प्राभृतमिन्दुकान्तरचनं मुक्त्वा पुरः पादयोः , पेतुः केचिदिवानुगाः परमिमे सर्वेऽपि तत्सेविनः / / सं० 1646 में पद्मसागर कृत जगद्गुरुकाम्य, 88 कितने ही हिन्दू राजा उस (अकबर) के बल को सुन कर स्वयं के राज्य को बचाने के लिए अपनी पुत्रियों के समुदाय को बड़ी अभ्यर्थना के साथ उसे निरन्तर प्रस्तुत करते हैं। कितने ही चन्द्रकान्तमणि आदि जवाहरात देकर उसके पैरों पड़ते हैं और कितने ही उसके गाढ़ अनुयायी बन कर उसके सच्चे सेवक कहलाने की कामना करते हैं। (परन्तु एकमात्र मेदपाट का राणा प्रताप जो हिन्दू जाति का कलशभूत माना जाता है वह उस (अकबर)का तिरस्कार करता रहता है और अपने पूर्वजों की प्रान को निभाने के लिये दृढ़तापूर्वक मणनम बन रहा है।) हेमरतन ने भी प०च० को प्रशस्ति में महाराणा प्रताप का उल्लेख किया है: पृथ्वी परगट राण प्रताप / प्रतपई दिन दिन अधिक प्रताप / अपने युग की प्रेरणा ने ही हेमरतन को इस वीर रस की रचना की मोर प्रवृत्त किया था। कोई आश्चर्य नहीं कि पदमणि चपई के अतिरिक्त भी उसने कोई धीर रस की रचना की हो / पदमणी चउपई में रतनसेन के पुत्र वीरमाण की कल्पना इसी प्रकार के प्रान बेचने वाले राजाओं का प्रतिनिधित्व करती है। गोरा और बादल उस पान की रक्षा के लिये प्राण देने वाले वीरों के प्रतीक हैं। बड़े ही उपयुक्त समय में हेमरतन ने अपना यह चरितकाव्य प्रस्तुत किया था। इसमें भारतीय नारी के सतीत्व और कुल मर्यादा की रक्षा हेतु प्राण देने वाले लोक-प्रसिद्ध चरितों को अंकित किया है। ऐसी रचना का महत्व भी उसी समय प्रकट हो गया था। मेवाड़ के पुनरुद्धार (वि० सं० 1643) के साथ ही इसकी प्राधार की भूमि तैयार हुई और दो वर्षों में उस जनता के सम्मुख प्रकाशित कर दी गई जो ऐसे ही त्याग का दिन-रात अनुभव कर रही थी। उसी समय यह रचना इतनी लोकप्रिय भी हो गई कि कवि के जीवन-काल में हो इसकी अनेक प्रतियां दूर-दूर तक पहुंच गईं। अनेक लिपिकारों और क्षेपककारों ने इसमें क्षेपक जोड़े, संशोधन परिवर्तन और परिवर्द्धन करके इसकी लोक-प्रियता
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________________ गोरा बादल पदमणी चउपई में वृद्धि की / लोक-प्रिय काव्य की आत्मा का कलेवर इसी प्रकार घटता-बढ़ता रहता है / इसकी लोक-प्रियता के अन्य कारण भी हैं : 1. अन्य जैन रचनामों के समान यह एकांकी नहीं है। अन्य जैन चरितकाव्यों के समान इसके आधार में कोई धार्मिक-सिद्धान्त या प्रचार की भावना नहीं है। 2. रचना के विषय, वस्तु और पात्र सभी ख्याति-प्राप्त और लोक-प्रिय हैं। 3. कथा ऐतिहासक है तथा उसी राजवंश से सम्बन्धित है, जिसमें महाराणा प्रताप जैसे वीर ने इसकी रचना के समय ही अपने मान, मर्यादा और स्वतन्त्रता-प्रेम का परिचय दिया था। उन्हीं के त्याग और बलिदान की प्रेरणा से इसकी रचना हुई है। दीख पड़ता है / इस रचना में उस काल के लोक साहित्यिक परम्परामों का निर्वाह हुमा है / यह वीर रस का एक सुन्दर लोक काव्य है। उदयसिंह भटनागर
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________________ कवि हेमरतन कृत गोरा वादल पदमणी चउपई [पहलो खंड] // दूहा // 'सुख संपति दायक सकल', सिधि बुधि सहित गणेस'। विघन विडारण 'विनयसुं, पहिली तुझ प्रणमेस" // 1 // ब्रह्मा विष्णु शिव सर मुखर', नितु समरहूँ जसु नाम / ते देवी सरसति तणा, पद" युगि करुं प्रणाम // 2 // पदमराज वाचक' प्रभृति, प्रणमी निज' गुरु पाई। केळवस्यु साची कथा, काँणि न आवई काई॥३॥ मवरस दाखई नव-नवा, सयण सभा सिणगार' / कवियण मुझ करियो कृपा, वदताँ वचन विचार // 4 // वीरा रस सिणगार' रस, हासा रस हित हेज। सामि धरम-रस सॉभल', 'जिम हुइ तनि अति तेज // 5 // सामि-धरम जिणि साचवि, वीरा रस सविसेष / सुभर्टी महि सीमा लही, राखी खित्रवट रेख // 6 // // 1 // 1 सकल सुखदायक सदा / / 2 गणेश B| 3 मुख-करन B, रिधि करण / / 4 पहिलं B, पहिलो , पहिलि D / ५प्रणमेश B, प्रणमेस। // 2 // 1 ब्रह्मा / 2 विष्नु / / 3 सइ , सै / / 4 मुखि 0, मुखें / / ५समरइ B, समरे / ६जस / 7 नाम B / 8 तेण B, तिण / / 9 सरसती / 10 तणे / 11 पय / 12 युग B, जुग / / 13 प्रणाम BI // 3 // १वाचिक.BI 2 प्रमति / / 3 प्रणमुं / 4 सद।। ५पाय BCE | 6 केविसं B, केळविसु, केळवताँ / 7 काणि BO, तथा / 8 लागे / 9 काय BCE | // 4 // १दाखह BO, दाखै छ। 2 शिणगार B| 3 करिजो B, करिज्यो / 4 वयण / // 5 // १सिंगार / 2 साँमि B, साम , साँम। ३ते , विधि / 4 संभलु A, संभल , साँभलो / / 5 ज्यं वा तन तेज। ॥४६॥सील साच जगि भाषिई, जसु प्रसाद मुख होह। पदमणि जिणपरि पालियो, साँभलियो सहु कोड / / E6 // // 3 // १सांम।। 2 जिम, जा।। 3 साचिन्यउ BO, साचल्यो / / 4 सुविशेष B, सविशेष / / ५सुमडाँ B, मुहडाँ। माँहि BC, मै / ७सोमा / .
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड गोरा' रावत' अति गुणी, वादल अति बलवंत / बोलिसु वात बिहुं तणी', सुणियों सगला संत // 7 // रतनसॅन राजा तणइ', छलि हुआ अति छेक।। गोरउ' वादल' " गुणी', सत्तवंत सविवेक // 8 // युद्ध' करी जिम जस लीउ, घसुहा' हुआ विख्यात / चित्रकोट' चावउँ की, ते निसण सहु वात // 9 // ॥चोपई // चित्रकूट' पर्वत चउसाल', वसुधा-लोचन जैसु विसाल। सुर-नर-किंनर तणउ "निवास, रॉम रहा था जिहाँ वनवास // 10 // गिरवर ऊपरि' दृढ' दुरंग, विषम ठाम गढ अति हि उतंग / गयणह' पडण विधाता डरी, जाणि कि थंभ दी थिर करी // 11 // विषम' घाट गढ विसमी पॉलि, अति उंची कोसीसौं ऑलि / संचा मॉहि घणा साँसता', अणभंग कोट घणी आसता // 12 // वॉक' दुवारा विसमी गली', विकट कोट अति विसम वली। 'अणजाणिउ न सकइ नीकली', कद ही कोइ न सक्कइ कली // 13 // माहि मनोहर' महल अनेक, सगला लोक वसई सविवेक / त्याग भोग सहु लाभई तिहाँ, सुर 'इम जॉणइ इणि गढि रहा // 14 // // 7 // 1 गोरो Bc / 2 राउत B, रावति / 3 बादिल A, बादल / / 4 सुं०। 5 बेहूँ० सुणिज्यो / 7 सघला BCI ___ गोरा वादल रिण गहिल, बिन्है सुहड बलिवंत / बोलिस वात हुई यथा, सुणयो सगला संत // 7 // // 8 // 1 तणे / / 2 हया , राखी / 3 कुल / 4 टेक।। ' हूया , राखी / 3 कुल E / 4 टेक।। 5 गोरो BCB | 6 बादिल / / 4 सहिमा / / 6 सतधारी / / 6 मुविवेक CB | // 9 // 1 जुद्ध Bc / 2 लीयउ B, लीयो / 3 वसुहाँ B, वसुधा 0 / 4 हुयउ B, ह्या / ५चित्रकोटि 0 / 6 चावु A, चावो / ७कियउ B, कीयो०। 8 निसुणो / ९सहु B, सवि। जुष जीतो जस खाटीयो, वमु-पुडि हुआ विख्यात / चित्रकोट चावो कीयो, सुणयो ते अवदात // 10 // नर नरपति पंडित सभा, साँभलियो सहु कोइ / परचाव्या तन धन दिये, ध्रम सतधारी कोइ // 11 // ॥१०॥१चित्रकूट B / 2 चौसाल / 3 जस सुविशाल B, जे सुविशाल / / 4 तणो , तणे D, राम BCE I ॥११॥१ऊपर / / 28 B01 3 तिहाँ / 4 गयणा / 5 दीयउ B, दीयो , कीयो / // 12 // 1 विषमी BOE | 2 कोसीसा BOE | 3 माहिं B, नीर / / 4 घणाँ 0, तणा / / 5 सासता BCE | 6 अभंग / // 13 // 1 वाघ / 2 विसमा E| 3 घाट / 4 विसमो। ५कोटि विसम , विसमो, विसमी / 7 वाट / 8 जाणि पुरुष भूलइ पणि वली 0, अणजाणग न सका नीकली / / 9 अणजांणउ न सका नीकली B, जांण पुरष पिण भूलै गली DI // 15 // 1 अनोपम | 2 महुल , महिल / 3 सपला B| 4 बसे / 5 मविवेक। 6 सवि 0 सुख / / 7 संपति / / 8 जहाँ / 9 सुर पिण जाणे वसीय इहाँ / /
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________________ पहलो] गोरा बादल पदमिणी चउपई चउरासी' चोहटा हटसाल, मणिमय तोरण झाक-झमाल / "गोख घणा उंचा आवास', राजभवणि संघिउ आकास // 15 // घरि-घरि गोख घणा' पाखती, रंगि' रमई बेठी दंपती / गोखाँ-गोखि घणी जालिका, तिहाँ बेठी दीसइँ बालिका // 16 // कमल-वदन गज-गति-गामिणी', कोमल तन दीसई 3 कामिनी / सात' मुँया उंचा आवास, लोक वसई सहु लील विलास // 17 // 'तिणि गढि राज करइ गहिलॉत्त'; रतनसेन राजा जस-जॉत्त। प्रबल पराक्रम पूर प्रताप, "पेसी न सकइ जसु घटि पाप // 18 // अवनि घणी लग' अविचल आण', भालि तपईं जसु वारइ भाँण" / वेरी कंद तणउँ कुदाल, रण'-रसी नइ अति रंढाल // 19 // पटराणी तसुपरभावती, रूपइँ रंभा सीलइँ सती / इंद्र तणइ इंद्राणी जिसी, तेहनइ ते पटराणी तिसी // 20 // अवर अनेक अछई तसुनारि, अपछर रंभ तणइ अणुहारि / पिण' मन-मानी परभावती, तिणि पिणि मोहि ली निज पती // 21 // सतर मेद भोजन रसवती, केळवि' जांणइ ते गुणवती / राजा तिणि रीझवी घणु, किसुं घणु हिवते हुँ' भ[२॥ 22 // भोजन भगति करइ ते नारि, तर ते भूप करइ आहार। अवर तण की अनपाक', रतनसेन नई लागइ खाक // 23 // ॥१५॥१चोरासी / 2 सुविसाल , सुविशाल / 3 मणिमह, मणिमै / 4 जाली गोख अनोप आवास। ५भुवणि 0, राजभुवन E / 6 सरिज म्। ७परगास। // 16 // 1 घणाँ B / २रंग B / 3 रमइ B, घरि घरि गोख चिहुं दिस घणा, देखण ख्याल बाजारों तणा। गोखे जडित गुपत जालिका, बैठि तिहाँ खेले बालिका // 18 // 0 प्रति में यह चौपई नहीं है। // 17 // 1 गामणी B, दामिनी 0, गामिनी / 2 चतुर / 3 दीसह 0, सरस / 4 सप्त छ / ५भुमिया B0 / 6 वसै / // 18 // 1 तिण गढ राज करे गहिलॉत्त ,...."गहलोत / 2 रिण प्रिसों मॉत्त E,..."राजा संजोत / 3 तेज / 4 पैसि सकै नहि / 5 तसु / // 19 // 1 तस / 2 आण BO| 3 भाल CEI 4 तप B0, तपै / / ५जस / ६बारह म्। 7 भाण B, बाँण / 8 वयरी BE, केवी / 9 तणो.CE | 10 कुद्दार , कोदाल छ / 11. रिण CE | 12 रसियो / 13 भट / // 20 // 1 पटरांणी / / 2 तस। 3 रूपइ BC, रूपै / 4 सील: B0, सीले / / 5 तणी CE | 6 रतन E / 7 तणै / 8 पटराणि / // 21 // 1 अछै / 2 तस E / ३तणे | 4 पणि CE | 5 मनिभानी BC, मांनि / 6 पणि CRI . ७लीयो CBI ॥२२॥१ते केलवी 2 जाणिह B, जांणे E / ३रसवती B| 4 राण BCE | 5 तणो चित। 6 रीझवीयो , रीझ्यो / ७घणु , इसो / 8 किसउ B| 9 घणु B / 10 तेह नो / 11 हिव / 12 भणु 03; 8 से 12- चातुरता नुं कहिवो किसो। ॥२॥१करि / 2 निज०% 1-2 राणी करै रसोडो हाथ, तव ते आरोगे नरनाथ // 3 तणो / 4 कीषो / 5 अंनपाक / 6 नह, नै।। 7 लागि B, लागे / / 8 खाख /
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________________ कवि हेमरतन कृत माहो-माहि घणु मनि-मोह, सहि न सकई खिण एक विछोह / पीरमाण तसु सुत अति सूर, प्रतपई तेज तणुं घट पूर // 24 // चतुरंग सैंन संपूरण' साथ, नीतई राज करइ नरनाथ / अरि सगला नॉख्या ऊछेद', खिति धरताँ तसु ना'वह खेद // 25 // सबल सूर साचा ससनेह, छल न करई नवि दाख' छेह / सुरपति दियई जिणारी साखि, इसा सुभट तसु घरि ऐक लाख // 26 // हय गय पायक' रथ नीसंख, करे न सकह को आकंख / इण परि परिगह तणइ पडूरि, रतनसेन राजा भरपूरि // 27 // एक दिवस भोजन नई' समइ, आवी दासी इम वीनमइ / "सांमि ! पधारउ' भोजन भणी', पाक हुआ हुई वेला घणी" // 28 // आवी बइठो नृप बइसण, पटराणीसु प्रेमई घणई। थाल कचोला कनकह तणा, सोवन पाटि पथराव्या घणा // 29 // प्रीसह भोजन भगति भंडार', नारी रंभ तणई अणुहारि। राजा भोजन जीमई रंगि', विचि-विचि वात करई कणयंगि॥३०॥ कदली दलसु घालह वाउ', जिमत जंपइ ते नर-राउ। "आज न भोजन भावइ कोइ, नितु निसवादा जीमण होह // 31 // .. शाक-पाक' सगला पकवान', धुरि निसवादा' लागा धांन / रूडी जुगति करउ रसवती", तव ते पभणई परभावती // 32 // // 24 // १माहिं / 2 घणो , प्रेम / 3 मन-मोह , समोह / / 4 सकई 80, खिण कनखमै . विरह विछोह।। 5 वीरभाण B / 6 प्रतपै / 7 तणो , प्रताप पंडूर। // 25 // 1 संपूरी 0 / 2 उछ्छे द 0 / 3 खेध 0% . सबल सेन सझाइ घणी, न्याय राज पाले गदाधणी। अरि नासै जेहने भडवाव, जिम गेवर दीठे वनराव // 28 // // 26 // १दाखड B / 2 वायह। 3 जिणरी / ४इसा सुभट घरि वसइक लाख B / सामंत सकल वडा रजपूत, साम-ध्रमी वांका रिण-भूत। महिपति मोटा चित्त उदार, नेह लाख सेवे दरबार / / 29 // // 27 // 1 पाएक B / २इणि B / 3 तणई / / 2-3 अवर परिग्गहत है गै रथ पाइक अणपार, नीत-रीत घट ध्रम आधार / रिद्धि-सिद्धि पूरित भंडार, दरबारे नित दै-दैकार // 30 // ॥२८॥१'नरें B, 'नै / / 2 सम( B, समै / / 3 वीनव( B, वीनवर बीनवै / / 4 स्वामि। ५पद्धारो, पधारो / 6 काजिE। 7 वेल B, भोजन ढील न कीजे राज।। // 29 // 1 बइठउ B, बेठो / 2 बइसणइ / / 3 सू, सू०।४प्रेमह 801 ५घण / 'तणां B ७पथराव्या A / 8 घणा / नृप आवी बेठा वेसणे, दासी वाय करे वीझणै / थाल कचोला सोवन तणा, कनक कपाट पथराया घणा // 31 // ॥३०॥१प्रीस / २अपार / 3 राँणी / / 4 तणे / 5 अनुहार।६जीमै / / 7 रंग 0 / 8 करे / / ९पिण चंग। // 31 // .1.1 राजा मित्र कदे न कहाइ / 2 जिमतों 0; 2-3 भोजन विचि बोल्यो न रहाय॥ ४भावै / / ५नित / / ६निसिवादा 07 जीवणि / // 32 // 1 सकल / / 2 पकवान B0 / 3 निसिवादा B0, सुंसवादा / / 4 लागइ होता। 5 धान / / 6 युगति / 7 करो। 8 अनपान / / १'जंपह, मानवणो की अभिमान / /
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________________ पहलो] गोरा वादल पदमणी चउपई 'मासंगह आणी अभिमान, रॉणी बोलइ-"सुणि राजॉन' ! भगति न भावई मुझ केळवी, तउँ काइ नारी आणउ* नवी // 33 // परणउ काह जई पदमिणी', ते जिम भगति करई तुम्ह तणी। अम्हें जिमाडी जांणां नहीं", कोप की कामणि इम कही // 34 // माणवती हुइ महिला मूल', माण गमाडइ विनय समूल / विनय गयह न रहई सोहाग', विण सोहाग' न लाभइ भाग // 35 // रतनसेन राजा रंढाल, तिजि भोजन ऊठिउ ततकाल / "तउ हुँ जउँ' आणु पदमिणी', भगति जुगति जीमुं ते तणी // 36 // ए इम गरवी नारी किसुं, नारी आगलि हुं किम खिसुं। असक्य नही हुं आणण' नारि', क्यु ए अबला कहइ अविचारि" // 37 // मुंछ मरोडी ऊभ थयउ, गरव ग्रही घर बाहर गयउ। रतनसेन राजा एकल, साथि खवास करी इक भलउँ // 38 // सबल' खजीन साथइ लेह', 'असि चढि चाल्या छाना बेह। कोइ न जाणए विरतंत', 'खिति-पति मनि अति लागी खंति // 39 // // 3 // 1-2 आसंगै छोडी मुख लाज, राँणि कहै साँभलि महाराज। 2 भावै / 3 तमे कांह।, 4 आणो , आंणो / ॥३५॥१जाई / / 2 पदमणी B; 1-2 परणो नारी जे पदमिणी / 3 करै / 4 तुम / ५अम्है / / 6 जीमाई / 7 जाणुं D / ८माण / ९कीयो। ॥३५॥१माणवती / 2 मूलि / 3 माणि 0, मांनै / / 4 गमाडि , हुई / 5 विनष्य B, विणसह 0 / 6 सवि धूलि / 7 विनइ / / ८गयै / / ९रहै / १०सोभाग। 11 सउभाग / 12 लाग न A, लामै E / // 36 // 1 तजि OEI 2 ऊठ्यउ , उठ्या / ३तो CE | 4 जो CE| 5 आणु , परणं / / " पदमणी / 7 तर 3 आणिवा ... // 37 // 1 किम। 2 असक CE / 3 आणिवा / 4 हार / 5 किम 0 / 610 / 7 वदि , जंपे। ८अविचार CE I BOF प्रतियों में निम्नलिखित दो दोहे और एक गाथा क्षेपक खित दो दोहे और प (2) (1) बघेउ वचन अति आकेर, राणी माण गहिछि / तेजी न सहा ताजणउ, सहा त' टॉइर ढिलि // B 37 अ / / [1 वयो, 2 आकरो, 3 जिणो, 4 तहार // // ] 'वचन कहिउ अणभावतो, राँणी माँन गहिल्छ / तेजी न सहै ताजणो, सहैय त' टारर ढिल्ल / / E41 // सुहड सपुरसाँ सिंह नृप, ए प्रहरड बलवंत। . अनइ बकारया माण बदि, ते नवि कदा खमंति / / B 37 मा / [1 प्राहिए; 2 वकारया; 3 माँण 4 वदि // 0 // ] सीह सुहड नृप सापुरस, एह सदा बलवंत / वाकारतां माण वसि, कदिहि न वयण खमंत // 42 // गाहा (3) माया पियाइबंध, मज्जा गेहं धणं च धन्नं च / अविमाणया य पुरिसा, देसं दूरेण छइंति // B 376 // 0 // // 38 // 1 मूछ / 2 ऊभो , उभा / 3 थया / 4.4 गमर करी निज महिले गया / ५एकलो / 6 भलो CE | ॥९॥१खरच / / २खजीना / ३साथै / / 4 लेह / 5 है चढि छांना चाल्या हर अब, अधि। 6 जाणे / / 7 वरतंत / / 8 राजा मनि लागी अति खंति।
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________________ कवि हेमरतन कृत "पदमिणि' परणी' आq घरे, नहि तरि रहिस्यु' गिरि-कंदरे। विण पदमिणि नवि पोढुं सेज, विण पदमिणि न हसुं हित हेज" // 40 // एम प्रतिज्ञा कीधी पूर', राजा चालि' साहस सूर। बीस त्रीस जोअण बउलिया', तव ते बेही इम बोलिया // 41 // "ऊपर खेत्रन लागइ बीज, विण झगडा नवि थापई धीज। विण वादल नवि वरसइ मेह, एक पखउँ नवि हुई सनेह // 42 // गाम नही त केही सीम, अगनि माहि नवि जाँमई हीम।" सेवक जंपइ “साँमी', सुणउँ', प्रगट प्रकासः मुझ मंत्रणउ // 43 // मरम पखें किम लहीइ माग, ताण्या विण किम लाभइ ताग"। "राजा जंपइ “पदमिणि भणी', मई ए अवनि उलंघी घणी // 44 // पदमिणि तणा' पठंगा जिहाँ, ठावी ठोड वताव तिहाँ"। सेवक जंपई “सामी', सुणउ', खरच-वरच साथइ छह घण" // 45 // पिणि नवि जाणी जाँ लगि पंथ, ताँ लगि सगल गोरख-कंथ"। बइठउँ भूप जई तरु तलई', पंथी आविउँ इक तेतलई // 46 // भूख त्रिसई मेदाणु घj, पोतुं बीतु अमलह तणुं। पंथ तणुं वलि पूरउ खेद, घटि सगलइ हूउ परसेद // 47 // अटवी माहि घणु आफलइ, पिणि नवि कोई माँणस मिला। तिणि ते दीठउ' भूपति जिसइ, पगतलि३ आंवी" पडीउ तिसइ // 48 // // 40 // 1 पदमनि / / 2 परणी / / 3 आविस / 4 नहिंतर / 5 रहिरौँ / 6 पदमणि / / पुढ, पोढौ / ॥११॥१मनसुं एडवो पण आदरी / 2 चाल्यो, चाल्या | 3 धरी / / 4 जोयण B, बोलिया, राति-दिवस चाले इम राव / 5 बेऊ 0 / 6 एम 0 / 5-6 पथ न लगै हैवर पाव 47 / // 42 // में यह अधिक है। राजा भेद प्रकासै नहीं, सेवक बोल्यो अवसर लही // 1 क्षेत्र / / 2 उगै / 3 झगड , झगडै / / 4 होवइ / 5 वरसि , वरसै। 6 पखो 06 | 7 हुइसइ B, होइ०, हुये / 8 नेह / / // 43 // 1 तो CE | 2 माँहि / / 3 नमि B, किम / / 4 जाम( B, जामइ 0 जांमै / / 5 बोला , बोले / 6 स्वामी BO / 7 मुणो 0 / ८प्रगासउ B, प्रकासो 0 / ९मंत्रणो मंत्रिणो। // 4 // 1 पखह, पखै / / 2 लहीयै / / 3 तांणा / 4 जिम / 5 लम्या, न लहै। त्राग / / 7 तव वलतो जंपह नर-राज E1 ८हु चाल्यो छ पदमिण काज / // 45 // 1 पदमणी / पदमण / 2 तणी B / 3 होइ / 4 वतावो , करेवी / 5 सोइ / 6 जपै / 7 स्वामी CE / 8 सुणो 0 / 9 विरच , लीयो / 10 साथि छइं BC, छै साथै / 11 घणो 0 / // 46 // 1 पणि / 2 जॉण, जाँण्यो जा संबंध / 3 सगलो | 4 धंध / / ५बेठो / 6 ते तलइँ B ते तलिइ 0; 5-6 वृखलाया राजा वीसमै छ। 8 आयो , आव्यो / / 8 एक / 9 समै / // 47 // 1 त्रिषा B, विसा / 2 भेदाणो , भेदांणो E / 3 घणो 0 / 4 पोतो 0 / ५वीतो 0 / 6 अमली 0 / ७तणो / ८पंथि BCE| 9 तणो , करता है। 10 पूरो , उपनो E / 11 सघले / 12 प्रगट्यौ / // 48 // 1 माहिय B, माहै / 2 घणो / 3 आफलै / 4 पणि / 5 नवी / / 1 कोई / / 7 माणस / / 8 मिलै : / 9 ति / 10 बलि , तलै / / 11 दीठो , दीठौ / 12 जिसई : जिस / / 13 आगलि / 14 आवि / 15 पडीयो / 16 तिसई B, तिसै। mammam
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________________ पहलो] गोरा वादल पदमणी चउपई राइ कीआ सीतल उपचार, वाली' चेतन पायुं वारि। अमल "अमोलिक देई करी, भाँजी भूख गई नीसरी // 49 // सावधान हु' पंथी' तेह', कर जोडी जंपई ससनेह / "त. मुझ कीधउँ अति उपगार, जनम दी मुझ बीजी वार // 50 // मुझ सरिख' को कहियों' काम, हुं सेवक नई तुं मुझ साँमि"। वलतुं राइ भणइ सविसेस', "तई दीठा बहु देस विदेस // 51 // 'पुहवि फिरंतह तई पदमिणी, काई नारि कठेई सुणी"। तव ते जपई “सुणि मुझ धणी ! सिंघल दीपि' घणी पदमिणी // 52 // 'दक्षिण दिसि छह सिंघल दीप', सगलाँ दीपाँ माहि प्रदीप। आड आवई उदधि' अथाह', तिणि तसु कोइ न लाभइ माह // 53 // इम निसुणी राजा रंजी', सिंघल दीप दिसी चाली। पवन-वेग चंचल चतुरंग, अंबरि ऊज्या बेउ' तुरंग // 54 // गाम नगर पुर पाटण तणा', मारग माहि उलंघ्या घणा। "अखलित गति ऊलंघी मही', समुद्र समीपइँ आव्या वही // 55 // आगलि' उदधि करई कल्लोल, छिटकि रही चिहुँ दिसि जलछोलि / पवहण तिकोई पइसा नही, तउ कुण माणस जाई वहीं // 56 // पाणीसु नवि चालइ प्राण', 'उदधि तणा आवइ ऊधाण / रतनसेन चिति चिंतई इसुं, हिव जगदीस करीजह किसु॥५७ // // 19 // 1 वाल्यो / 2 चेतनइ / 3 पायो , प्याइ / ४.४...गालि पायो ततकाल, तब प्रगट्यो बल तेज विलास / / ॥५॥१हुयो OE | 2 सवि / 3 देह / 4 जोडीद B, जोडी इम / 5 जौ / 6 करतांE 7 जन्म / 8 दीयो CE | // 51 // 1 सरिखो CE | 2 कोइ BC | 3 कहयो / , कहज्यो C, भापो / / 4 नई B5 स्वामि / / 6.6... पभणै ऍम नरेस / / 7 ते दीठा होस्यै बहु देस / // 52 // 1.1 प्रथवी पीठ सिरे पदमणि, किण देसै उतपति तेह तणी / एह भेद जे मुझ नै कहै, लाखपसाव वधाइ लह।।।। 2 जपे / 3 अरदास / / 4 संघल BODI 5 देसे / / 6 अलइ C, उतपति / / 7 तास / / 60 // // 53 // 1-1 शंघल BCD, छै दखिण दिसि सिधं / 2 प्रसिथ / / 3 आडो CE| 4 आवे।। 5 समुद्र / / , जलधि / / 6 अथाग / / ७तसुनो B, तेहनो / 8 लहद C, लहै / / 9 माग / / // 54 // 1 रंजीयो०। 2 दिसा / 3 चालीयो / 4 जाइ। 5 कुरंग / 15 वात सुणत राजा चित 'चढी, दीवी रतन-जडित मुद्रडी। . पूछी सवि मारग विवहार, चढीया गजा हाप अपार / / 61 // // 55 // 1 जेह D / 2 वहता / ३देखे / / 4 तेह। राजा मारग संध्यो जिसै | ६समीपह, समीपे / 7 आया / / 8 तिने / // 56 // 1 आगे / / 2 करइ BC, करे / / ३लकिरदी , छिलना दीसे पाणी छोलि / 4 पवन / , - प्रवहण न सके चालि जिहाँ / / 5 किन।। 6 तिहाँ / / / 65 // ॥५७॥१पाणी / / 2 चालिइ B, चाले / 3 प्राण / / 4-4 लाग नहि कोद बुधि विणांण / ५चित / / ६चित / / ७हिवइ, हिवै।।८करीसि , करी / / ९किस्य /
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________________ कवि हेमरतन कृत भूपति चिति' चमकई पदमणी', जलधि वेल पिण बीहामणी। 'नइ पिण उंडी गुल पिण मीठ,' ए ऊखाणु अंख्या दीठ // 58 // वाघ अनई दोतडिनन्याइ, ए मुझ आज पहूतः आई। केम करुं हिव चिंतु काइ, मंडे कोई अधिक' उपाई' // 59 // फिरतई ऍम पयोनिधि पास, दीठ जोगी एक उदास / साधइ पवन सदाई तेह, जंगम जोग तणउ गुण-गेह // 6 // सिध साधक' जोगेसर' जती, पणमी पासि गयउँ' भूपति / विनय करी राजा वीनवइ', वलि-वलि सिर तसु चरणे ठवह // 61 // "साँमी सिंघल' दीपह तणुं, मुझ मनि हरष अछई अति घणुं / तुम्ह मेट्या हिव भावटि टलइ, पदमिणि नारि किसी परि मिलह // 62 // 'मुझसुं साँमि करउ हिव मया', दुख देखताँ बहु दिन थया"। विनय-वचन वीनवीया जिसइ', सुप्रसंन हूई जोगी तिसह // 3 // नेत्र उघाडी निरखर' नूर, आयस मनि हू आणंद पूर / "आवउ रतनसेन राजाँन"! नाँम कही तसु दीधुं मान // 64 // विसमय हुअ राजा भणी, 'आँ किम वात लही मुझ तणी'। जोगी जपई', "सुणि राजॉन! 'जउ तु आयर्ड इणि मुझ यानि // 65 // ॥५०॥१मन / 2 चाहै / 3 पदमणी CEL . 4 सोहामणी / / 5 नय D / 6 पणि / 7 ऊँडी / 8 ऊँडी०। 9 उषाणो / 10 साचो / - // 59 // 1 अन / 2 तडिनो CE / 3 न्याय / / 4 पहुतुं B, पहुतो / 5 आय / 6 करो। ७च्यतो। 8 माडोल। 9 अपर , अवर 6-7 राजा इम चितै मन माहि / काने मुद्रा रयण झलकंति, लाइ बिभूति बइठो तपसंत। चित्रातच आसनि मृगचर्म, ध्यान मौन ध्यावइ शिवसमै // B061 // मुद्रा नाहि विभूत लगाइ , बैठो शिवसुं ताली लाय। ध्यान मौन ध्याँवै शिवसम, चीत्र-तुचा आसन मृगचर्म // 70 // // 60 // 1 विरतह B, फिरतो , फिरतां / / 2 दीठो / 3 साथै / 4 सदाही , साधना / ५तणो CE | // 61 // 1 साधिक / 2 योगेसर , जोगीसर / 3 जती CE | 4 प्रणमी / 5 गयो CE | 6 बिन / / 7 बिनवै / / 8 ठवै / / // 62 // 1 स्वामी / 2 शंघल AB, सीवल PE | 3 दीपा / 4 तणो / 5 मुझि मन / 6 अछै / // 63 // 1 मुझसुं महिर करो हिवे मया 0, महिर करी मुझ कीजै मया / 2 बोहो , सेवक ऊपरि आणी दया / / 3 बचन / 4 बीनवीयो , वीनबीया / 5 जिसे 0 / ६हुवो , हुओ DB || B64 / / 0 71 // // 73 // // 64 // 1 निरख्यो / 2 मन / / 3 हुँचौ , हुयो / 4 रावी D, आवो छ। 5 रत्नसेन B, रतनसेनि / ६...दीयो...,......माँन 8, दीयो बहु माँन D // // 65 // 1 विसमइ / 2 हूवो, हुंवौ D, हुयो / 3 किम इणि B, इण E, वात B, बात, लही B, कही ......, किम ए जाँण परि......D। 4 जंपैकहै D / 5 सुणो D1 ६......आन्यउ... ...यानि B, जो...आयो मुझनइ...C, जो तु आयो माहरै थानि D, जो तुम्ह भार माहरें....॥
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________________ पहलो] ___ गोरा वादल पदमिणी चउपई वई' हिव' सगलउ' होसी भलउ', मत मनि जाणइ छु एकलउँ / वीचा' अंबरि ऊडण तणी, समरी लाही करि समरणी // 66 // बे असवार धरी निज बाथ', सिंघल' दीप गयउ गुरुनाथ / नगर समीपई आया जिसई, आयस' हूउँ अलोपी तिसई // 67 // राजा रजिउ देखी दीप, जो जोवई ते अतिहि उदीप। कोलाहल अति कसबउँ' घण', वणज अनइ व्यापारौं तण // 68 // 'हीयइ-हीय' दलाई सही', विरल कोइक' जायइ वहीं / आगलि पडह' फिरतदीठ', "तास लगइ ते आव्या नीठ // 69 // पूछण लागा पडह विचार', 'तव ते जपद "सुणि असवार। सिंघल दीप तण राजी', गुणे करी महिमा गाजीउ // 70 // ॥६६॥१तो। 2 हिबदE, हिवै D / 3 सगलो D, सबही E| 4 होसइ / 5 भलो CD, भला ET 6 मति / 7 जाणो , जाणे D / ८छु , नै D, छइ / 9 एकलो CD, एकला / १०बिद्या० / 11 अंबर DI // 67 // 1 हाथि, हाथ D / 2 शंघल AB | 3 गयो , गया D / 4 सुधरनाथ C, गुरनाथ DI ५समीपै / 6 आव्या B, आयो / ७जिसै cD / 8 आइस / ९हुवो , थया / १०तिस EDI // 68 // 1 रज्यौ 0, रज्या D / २रूप / 3 जोवै CD / 4 उटीप B सरूप CD / 5 कसुबट B, कलहट cD / 6 घणो CD / 7 विणज B, बीणज० / 8 अन CD| 9 ब्यापारी , व्यापारी D / 10 तणो D / ॥१९॥१हीये हीयो B| हीयोहीये / २,दलायइ / ३धकै D / 4 बिरलो D, विरलो / ५कोई D / 6 जाय , जाई D / 7 सके D / इस अख़्ली के पश्चात् BODE प्रतियों में ये क्षेपक हैं सोवन कलस सोहह (सोहै D) सवि (सहु ) गेह / नर-नारी बहु (सहु 0) चतुर सनेह (संनेह c ) // B 70 // मणिमय ("मै CD) गउख (गोख CD) जड्या अतिसार / माहे (माँहि BC) बइठी (बैठी C, बैठा D) राजकुमारि (कुवारि E, 'कुआर D) // थानकि थान कि ( थाँनिक 2 D), दीसइ (दीसै 0) चरी। जाणे (जाँणि क D) इंद्रपुरी अवतरी / / B71 // चतुरा नारी मोहन वेलि (वेल C, बेलि D) / सहियाँ स्यूँ (सूं B. K DE) हीडइ (हीडै CD ) गयगेलि (गजगेलि CD) // नव-नव नाटक (नाटिक D) जोवर (जोवै DE) भूप / थानकि थानकि (थानिक 2 D) अकल सरूप // B 72 // हाट पटण (बाजार E) सहु देखइ (देखिइ2, देखै D) राइ (राय D) / मध्य भाग ते नयरें (नयरह DE) जाइ। इससे आगे शेष अर्द्धाली (69) आरम्भ होती है: ८पडहो DELL 9 वाणतउC, बाजंतो D, मुणयो / 10 सुण C, सुण D, जिसै El 11 तेह वहि आवइ नृप हित घणह, तिहाँ बहि आवै व्रपति घणै , राजा देखण पहुंता तिसे / // 69 // BC 73 / / D 80 // 6 82 // // 7 // 1 विचार D / २."जंपै"D, ते जपै "सुणिहो असवार.!" | 3 संघिल / 4 तणो DE I 5 राजीयो D, राजान / ६...गाजीयो D, लील-विलासी इंद्र-समॉन / / A70 // BC 73 // D 81 / / E83 //
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________________ .. कवि हेमरतन कृत तास बहिनि परतिख' पदमिणी', त्रिभुवनि ओपम नही तसु तणी। अह निसि पदमिणि ते इम बकई', 'मुझ भाई जे" जीपी सका // 71 // तेह नह' कंठि' ठवु वरमाल', इम जंपइ ते अबला बाल / ' "हिव ते पडह वजावह इस', मुझनइ जीपद नही को तिसउ // 72 // जीपण तणाँ घणा परकार, रिण-रामति' किनौ मल्लाकार। किण ते वात करह बँति घणी"? वलत' बोलई पडलद-धणी // 73 // "रिणवट' तणी रहउँ हिव' वात', सतरंज रामति खेलु घात / जउँ कोई मुझ जीपइ" सही, "तउ महं वात इसी छइ कही२ // 74 // अरध देस अरधउ' भंडार, विहची आपुं अधिक उदार। भगिनी वली परतिख पदमिणी', परणावी थु पहिरामणी' // 75 // ए मुझ वाचा अविचल' अछइ', इम म कहेज्यों न कहिउ" पछ"। ऍम सुणी रंजिउ नर-राइ, सतरंज रामति आवइ दाइ२ // 76 // भूप भणइ'-"संभलि' मुझ वात, सतरंज रामति' केही मात / जे जाणते लेज्यों दाण, पिण तुम्ह वात अछइ परमाण" // 77 // ऍम कही ते मेल्हि माहि , रामति' ऊपरि अधिकी चाहि / तिणि जाई सिंघलपति पासि, वीनवीउँ सहु वचन विलास // 78 // // 7 // 1 वहिनि B, बहिन DE | 2 परतखि DE | 3 पदमणी D / 4 त्रिभुवन DE | 5 उपम D, ओप / 6 अहनिस छ / ७पदमणि D, पदमिनि / ८मुहडा, मुहडै D, एह / 9 वकै DB | 10 बंधव DE | 11 को D, कोई / 12 सकै DE || A71 // // 72 // 1 तेहने , तेहनै D, तेहनें / 2 कंठ। 3 वो , ठउं D / 4 बरमाल / 5 जपै D, जंपे / 6 सुंदरि DE | 7 इसो / / 8 कोइ B 11 - 72 // // 73 // A प्रति में यह चौपई नहीं है / परिण...,...राँमति D, रिणवटि / 2 किना , के, खगभुजि / / 3 किग ते वात करे खाति घणी D, किण परि हंस असै तेहतणी / 4 वलतो CE, बलतो D / 5 बोलै D, जंपै / 6 पढहा है। ॥७॥१रिणपट / 2 रही cD, नही / / 3 हिवे DI 4 बात D, माहि / 5 सतरिंज / 6 रॉमति D / 7 खेलइ , खेलण DK | ८धात D, चाहि / 9 जे , जै को DI 10 मुझसुं B, मुझनइ , मुझनै / / 11 जीप D; 9.11 रमताँ मुझसुं जीपै जेह / 12 तउ मिह वात इसी कही सही C, तो मै बात कहा-इम कही D, मुंह माँग्यो फल पॉमे तेह E // 373 // // 75 // 1 अरधो CDE | 2 आपउं, बिहची आपु D / 3 अरध D; 2-3, है गै मणि मोती अणपार / / 4 भगनी D, बहिन / / 5 पणि बल D, मुझ। 6 परतखि DI 7 पदमणी DE | 8 दि घों DI ९पहिरावणी / / // 76 // 1 अबिचल D / 2 अछै CD / 3 मति / 4 कहियो , कहिज्यो D, कहयो E | ५कहियो CDE | 6 पछै DE | 7 तब / 8 निसुणी / ९रंज्यो CDE | 10 नरनाथ E| 11 सतरंज / 12 आवै D, माहरै / / 13 हाथ E / // 77 // 1 भणै DE / 2 साँभलि DE | 3 सतरंज / 4 राँमति / 5 माति / 6 जाण्यां B, जाणो cD. जाँणो / 7 लेन्यो B, लेयो , लेवो D, माँडो / / ८ए / 9 मुझ DE | 10 बाच / / 11 अछै DE | 12 परिमाण DI // 78 // 1 तस / / 2 मेल्हयो , मेल्हो D, मुंक्यो / 3 मांहि CE | 4 राँमति DE | ५इधकी DI 6 तिण / / ७जाय D, जाई / / ८संघल' ACD, सींघल / / 9 वीनवीयो DE | 10 बचन DI 21 बिलास , विलासि / /
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________________ पहलो] गोरा वादल पदमिणी घउपई सिंघलपति मनि हरखिउ घणु', तेडावी दीधुं बेस / भागति सागति करि अति घणी, वात बिहुँ रमवानी वणी // 79 // बेठा' बेही रमवा भणी, जाणि' कि सिसहर नई दिनमणी। पासई बेठी ते पदमिणी", कोमल कमल वदन' कामिणी // 8 // रतनसेन' सतरंजई रमइ, तिम-तिम नारि तणइ मनि गमइ। शुई किमई ए जीप दाण', त° मुझ वखत" सही सुप्रमाण३ // 81 // सिंघल' पति मनि शंका करइ, रतनसेन थीं मन महि डरइ। मनमथ रूप मनोहर वेस, ए कोइक छई सबल नरेस // 82 // कलि करता रामति रंग, सिंघल' भूपति पाँमि भंग। "जैत्र अनह जस हूउ घणउँ, परतउ पुहतउ पदमिणी तणउँ' // 83 // कंठ' उवी कोमल वरमाल', जय-जय शबद जगावइ बाल / सिंघल' दीप तण हिव धणी, भगति करइते भूपति तणी // 84 // सामहणी अति मेली घणी, परणावी बहिनर पदमिणी / अरघ देस' अरधा भंडार, 'विहची दीधा अधिक उदार // 85 // परिघल दीधी पहिरामणी', हरषित नारि हूई पदमिणी। वि सहस बाँदी रूप-निधान, पदमिणि पासि रहइ सुविधान // 86 // // 79 // 1 शंघल' AC, सिंघलि छ / 2 मन ED, तव / 3 हरख्यउ B, हरख्यो , हरख्यौ D, हरखत / / 4 घणो CD, थाय / 5 तेडावी दीयो c, वैसणौ बइसc, मेल्हि प्रधान तेडाया माहिं / / 6 कीधी DE | 7 बेहु / ॥८॥१बयठा B, बैठा D / 2 बेई , बेड D, बिन्है E | 3 रमिवा , रमिबा D, रमेवा / / 4 जाँणि CE | 5 किं , क D / 6 शशिहर DE | 7 नै / 8 पासि / 9 बइठी 0 / 10 पदिमणी / 8-10 पासै आइ बैठी ते पदमणी D, पास आइ बैठी पदमिणी / 11 बदन D / 12 कामणी B, कामनी D, काँमिनी / // 8 // 1 रतनसेनि D / 2 सेत्रंजइ 8, से–जै D, सतरंजें / ३रमै DE | 4 तणे c, तणै DE | ५गमै DE | 6 जइ / ७°ही CDE | 8 जीपै DE | ९दांण CE | 10 तो DE | 11 बखत D, पेखत E / 12 चढे / 13 प्रमाण B, परमाँण DE | ८२॥१शंघल' ADE, संघल / 2 संका CE, संक्या D / 3 करै D करे E / 4 रतनसेनि DI 5 तैD, नवि 0 / 6 माहि D, मै / 7 डरै DE | 8 बेस D| 9 छै DE | // 3 // 1 रॉमति ADE / 2 शंघल A / 3 पम्यो , पम्यौ D, पाम्यो / 4 जीती नइ जस लीधो घणो , जीपी नै जस लीयो घणौ , जीपे ऊठ्यो रयण नरिंद | 5 परतो पहुतो पदमिणी तणो , परत्यो पहुतो पदमणि तणौ D, पदमण मनि हुयो आँणंद // ॥८॥१कंठि / 2 काँमिणि , कामणि D / काँमणिE। 3 बरमाल / 4 शब्द B, सबद CDE | ५गावई B, पयंप, पयंपै / ६शंघल A, सीघल E / 7 तणो CDE | 8 हिवे B, हिवै DI 9 करै D, करे E / 10 तेण B, तिण E / // 5 // 1 अरधि देसि c,...राज DE | 2 अरधो CD / 3-3 विहची आप्यो अरधोदार , बिहची आप्यौ . अरध उधार , मणिमाँणिक मुगताफल सार E / // 86 // 1 पहिराँवणी D, पहिरांमणी / 2 थई / 3 विलास / 4 पदिमणि c, पदमणि DI : . ५रहै / 6 सावधान , सावधान DI 4-6 सेवा सारे पदमिण पास।
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________________ [खंड कवि हेमरतन कृत भमर घणा गुंजारव कर, पदमिणि-परिमल मोह्या फिर। पदमिणि तण पटंतर एह, भूला भमर न छंडई देह // 87 // पदमिणि' रूप कही कुण सकइ', इंद्राणीथी अधिकी' जकह। रतनसेन परणी पदमिणि', 'आस सँपूरण हुई मन तणी // 88 // दिन दस पंच' तिहाँ सुखि रही, रतनसेन नृप अवसर लही। "सिंघलपतिसु शिष्या करइ', "विनय-वचन मुख अति उच्चरई // 89 // सिंघलपति' साच' भूपाल', 'आदर अधिक करी सुविशाल'। 'रंगरली बहिनडनी बहू, सिंघलन पति पूरइ सह // 9 // सॅन घणी ले सिंघलनाथ, रतनसेन नह हूओ साथि। सेंना सगली समुद्र मझारि', प्रवहण पूरि कराय:' पारि // 91 // समुद्र पर पुहचावी करी, सिंघलनाथ शिष्या करी। प्रीति रीति पालिउँ पडिवनउँ', व्यु ही अधिक वधारिउ विन // 92 // 'सिंघलपति पाछा संचय', 'रतनसेन डेरइ ऊतया। भाट कला भुंजाई तणा, डेरइ डेरइ दीसइँ घणा // 93 // // 87 // 1 सदा E, / 2 गुंजारवि / / 3 करै DE / 4 पदमणि D, पदमिण / 5 फिर DI / 6 तणो CDE / 7 एइ 0 / 8 भोगी / 9 छडै D, छाँडै / 10 देह / // 88 // 1 पदमणि D, पदमिण E / 2 सकै DE | 3 हुती / 4 अधिकों , इधकी D / 5 जिकर, जेकइ D, जकै / / 6 रतनसेनि / / 7 ते परणी / 8 पदिमणी , पदमणी D, बारि / 9-9 आसा हुइ पूरी मन तणी , आस पूर हूई मन तणी D, साइँ सवाडौ पुरण हार / || A 88 | BC 92 / D101 / 103 / * // 89 // 1 पाँच DR | 2-2 तीहा सुख D, लगै तिहाँ / / 3 रतनसेनि व्रप D / 4 सिंहल' CB | 5 स्यं / 6 शिष्या B, सिष्या C, माँगी सीख E / 7 'अति' के स्थान पर 'इम' , विनय-वचन मुखि ईम उचरै D, कहेज्यो कारज अम्ह सारीख E || A 89 / BC 93 / D104 / / 106 / // 10 // 1 सिंहल DE / 2 साचो , साचौ 1, मोटो E / 3 राजान / / 4 हित दाख्यो देई बहु माँन / 5.5 यह अर्द्धाली D और E प्रतियोंमें नहीं है। // 11 // 1-1 यह अर्द्धाली CD प्रतियों में नहीं है। 2 सघली cDEI 3 मंझारि / 4 प्रवहणिक प्रहुषण D / 5 करि आया C, कराया DE | 6 पारि D || A 91 / BC 95 | D105 / / 107 // // 12 // यह चोपई E प्रति में नहीं है। 1 परै / / 2 सिंघलनाथै / 3 सिध्या / 4 पाल्यो पडिवन्यो , पालि पडवनो D / 5 बर्ड ही B, बिहु मनि CE || 6 वधारिन B, वधारयो , धारयो / ७विनो BD, वनो C, विनो E || D106 // // 13 // 1 सिंघल' BC, पाल्यो पडिवन्यो / 1.2 यह अ‘ली D प्रति में नहीं है, सिंहलपति पाछा जवल्या, रतनसेन आगा नीकल्या E 118 / 3 भुजाई' DE / 4 तेणा / 5 डेरै डेरै DE | 6 दीसै DE || A 93 / B0- 97 / D107 E119 // साहसीयाँ सतवादियाँ धीराँ एक मनाँह / देव करेसी चीतडी, लहिरी चित जिहाँह / / 102 / 104 // (दई D) (चंतडी D) (अरड फबेसी त्याँह D) साहसीयाँ लच्छी मिलै (हवै D), नह (नह D) कायर परसाँह (परीसाँह D) / काने कुंडल रयणमै, मिलि कज्जल नैणाँह // (अंजणयण नयणांह D) // D103 / / 104 //
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________________ गोरा वादल पदमिणी चउपई [दूजो खण्ड] वात' सुण हिव ते पाछिली', रतनसन राजानी भली / छानउँ छिटकिर्ड भूपति जेह, मरम न जाणइ कोई तेह // 94 // साँझ हुई नवि दीसह राइ, साँमी विण' किम सभा भराइ / बाहरि' भीतरि कीध सोझ', नृपर्नुकोई न लाभइ' खोज" // 95 // माहि' जई राँणी वीनवी', तव तिणि वात हती ते चवी / "सामि सकई त रीसह घणी, परणेवा चालिउ* पदमिणी" // 96 // धीरभाण' सुत सकज सनूर, सुभट सभा महि बेठउ' सूर। कपट बात कूडी केलवी, वीरभाण' भाषई नव नवी // 97 // "राजा माहि जपई छइ जाप, जिणथी प्रबल वध परताप"। एम कही आघु जोगवह, भूप तणी परि भुंइ भोगवइ // 98 // इम करता दिन (आघणा, संकॉणा मन सुभटाँ तणा। "नितु-नितु बाहरि करतउँ केलि, नृप हिवमहल' न द्यइ' किण मेलि३ // 19 // कुसल अछई कइ' काई वात', मत' सुति' मारिउ होई तात"। पहवी वात' करई ते जिसइ, रतनसेन नृप आविउ तिसई" // 10 // च्यारि' सहस हयवर हीसता, बी सहस गयवर अति गाजता। भी सहस' बिहुँ दिसें पालखी, त्या माहे बेठी तसु सखी // 101 // // 9 // 1 बात D / 2 सुणो CDE | 3 हिवि , हिवै D / 4 सवि / ५पाछली B / 6 रतनसेनि 118 / 7 छानो cD, छाँने E / ८छिटक्यो , छिटक्यौ D, चाल्या / 9 तेह / 10 जाणइ BC, जाणै D, जाँण्यो / 109 / // 15 // 1 हुवै D / 2 दीसै D, दीठा / 3 राय बीणि D, स्वामी...।। 4 भराय DI E 119 / 5 बाहिरि CE | 6 कीधो , कीधौ D, पूछया / / 7 सोज D, सही। 8 नृपनो , पनो D, नृपनी / 9 काइ / 10 लाभ D, मालम / 11 लही। // 96 // 1 माँहे , माहे D, माँहि E / 2 जाइ CE, जाय / ३राणी BC | 4 बीनवी D / 5 तब तिण D, तिण ते / / 6 हुवी BD, हुती 8, हुइ / / ७तिम CD, तेम / 8 स्वामि DE | ९सके DE | 10 तो DE | 11 रीस्य DE | 12 चल्या CDF | 13 पदमणी EL // 97 // 1 वीरभाण BC | 2 माहि , मह, माँहि / / 3 बेठो CE, बठो D / 4 कटक / / ५बात DI 6 भाषे DEI // 98 // 1 जपै , जपे छै / २जीहा D, जेह / 3 बध: RC, बधै D, वधै E / 4 आघो E, आघौ / ५गवै DE | 6 परिनँ , परिभुइ D, परिधर / / ७भोगवै DE || // 99 ॥१हूया BCI 2 सक्काणा 0 / 3 सुहडां D / 4 तणाँ / / 5 नित-नित E / 6 बाहिरि , बाहिर E / 7 करतो , करता E / ८,७प D / ९हिवे / / 10 महिले / / 11 दिये D, धै / / 12 किणि D / 13 मेल BI // 10 // 1 अछै cD | 2 काँई , कै DE | 3 लइ 8, कोइ छ। D, काइक | 4 बात D / ५मति / 6 सुतइ B, सुत D, बेटे / 7 मारचो cDE | 8 हुवइ C, होवै DE | 9 करेइ , करै D, हुई / 10 जिसइँ B, जिसै DE | 11 रतनसेनि DI 12 प DI 13 आव्यो , आयो D, आया E / 14 तिसई B, तिसै DE | // 101 // 1 च्यार / 2 हइवर / / 3 वीस सहस DR | 4 गरजता / / 5 बीस E / 6 चिहु , बिहुयै / / ७दिसि D दिसा। 8 पलिखी। ९त्याँ माहिं D, त्याँ माँहे E | १०बैठी DE |
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________________ कवि हेमरतन कृत विचि' पालखी पदमिणि तणी, चिहुँ दिसि भमर रह्या रुणझणी // ऊपरि कंचण' कलस अनेक, एक थकी वलि अधिकउ'' एक" // 102 // सुभट' तणा नवि लाभइ पार, 'गज-गरजारव हय-हीसार॥ पंच शबद वाजइ वाजित्र', जे सुणताँ सर्वि नासई शत्र' // 103 // इम' तसु साथई सबली सेण', गयणंगणि बहु ऊडई रेण // आव्या चित्रकोट तलहटी, हुवउ कोलाहल अति कलहटी // 104 // वीरभाँण' संकाण माहि', 'सुभट सहू धाया असि-साहि॥ परदल आविउं' जांणी करी', "हाटे हलफल हुई खरी" // 105 // तितरई' आविउँ' नृपन दूत, कागल लेई माहि पहूत // वीरमाण वाची सहु वात', "धन्य दिवस मुझ आविउ तात"॥१०६ // विनयवंत' सॉम्हउ' दोडीउ, "कपट तण पडदउ छोडी॥ "सुभट सहू धाया ससनेह', 'जोअण आया लोक अछेह // 107 // सकल' लोक' जई लागा पाइ, कुसल' खेम पूछई नरराइ॥ रतनसेन चडी गजगाहि, महा महोछवि आविउ माहि // 108 // // 102 // 1 विचडू , बिचि D, विचै छ। 2 पालखी BCDE | 3 पदमणि , पदमिण D, पदिमणि / / 4 चिहू CD, चिह्न / 5 दिस B / 6 भ्रमर / / 7 रणझणी B / ८कचन / / ९एक एक थकि वलि B, एक एक थी cD, एक एक थी बल / 10 इधको , अधिकी D, अधिको / / 11 रेख D / // 103 // 1 सुभटाँ तणाँ E / 2 न / 3 लाभै DE | 4-4 गय गंजारव हय हंसार B, हिंसार , गैगरनारव हय हीसार D, गय...हींसार / 5 बाजै D, वाजै / 6 बाजीत्र D / 7 जइ BC | 8 सहु / / 9 नासइ BC, नासे DE | 10 शित्र B, सत्रु 0 शत्रु B, सित्र E / // 10 // 1 इण CD / 2 परि D, तस / 3 साथै CD, साथि E / 4 बहुली / 5 सेणि , सेन DI 6 गयणांगण B, गयणाँगणि, गयांगण D / 7 लगि D / 8 ऊडी CDE | 9 आया CDI 10 चित्रकोटि / 11 हुई 4, हुवो CE, हुयो D / 12 कुलाहल / // 105 // 1 वीरमाण BD | 2 साक्यउ BC, साक्यौ D, संक्यो E / 3 मनमांहि BCE, मनमाहि D| 4-4 ...असू...BE,...अस...C, सुहडाँ तेड्या सिलह कराइ D / 5 आव्यउ B, आव्यौ , आयो D, आव्यो / 6 बारि D / ७-७...हुइ घरी घरि C, हलबल पडी सारे बाजारि D, हाटे हल हुई अति घणी / // 106 // 1 ततरइ A, तितरै / 2 आव्यउ B, आयो। 3 वपनो / 1-3 तितर नृप भुक्यो एक दूत D, ...आव्यो...: / 4 देइ D / 5 मांहि BC, रूडो D / 6 पहुत्त BCE, रजपूत D / 7 वीरभाण EC, धीरभाँण / / 8 बाची c, पूठी D, वाँची / 9 सब BE, सवि , सबि D / 10 बात cDI 11 धनि / / // 107 // 1 विनैवंत c, 'करि / / 2 साम्हौ , सॉम्हा D / 3 दउँडीयउ n, दोडीयो c, आवीया D, दोडीयो / ४-४...छोडीयउ ,...तणौ पडदो छोडीयो , कही भेद सहु परचावीया D....तणो पडदो छोटीयो / 5-6 D प्रतिमें नहीं है / 6 जोवण / / // 108 // १शकल B, नगर D / 2 जाइ B, जाय , सहु D / 3 लागइ / / 4 पाय CD / 5 कुशल BCE | 6 पूछै DE / 7 रतनसेंनि / 8 चढीयो D चढीया / 9 गजगाह BC, गजराज 4 / 10-10 महामहोलव आयो माँहि D, माहा... माहि D, ढालै चमर धरै छत्र साज है।
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________________ दूजो] गोरा वादल पदमिणी चउपई हूउ' पइसारउ' पूगी रली', ठोडि-ठोडि गूडी ऊछली // पदमिणि नारी परणी तण', जय जयकार हुई अति घणः // 109 // महल' मनोहर' दीधी माहि', तिणि ते पदमिणि करई उछाह। बि सहस' पासि रह छोकरी, चंचल चपल रूप सुंदरी 1 // 110 // रतनसेन' गयो राणी' पासि, “पदमिणि ऑणी द्यउ' साबासि / भोजन हिवें जीमेस्यों खादि', तई मुझ वोल वद्यो३ बडवादि // 111 // संभलि राणी' विलखी थई, "माहरी जिह्वा वैरिणि' हुई। निज करिस्युं म. भाग्यों रतन्न, पश्चाताप करइ क्या३ मन्न" // 112 // // दूहा // हिव' पदमिणी सुप्रेम-रस, सुखि झीलई ससनेह। पंच विषय सुख भोगवइ, गय-गमणी गुणगेह // 113 // वादल' महि जिम वीजली', चंचल अति चमकंति' / महल' माहि तिम ते तणउँ, झलहल तनु झलकंति // 114 // पान ग्रहीस्यई पदमिणी', गलि तंबोल गिलंति / निरमल तनि तंबोल ते, देह महिय दीसंति // 115 // हंस-गमणि हेजई हसइँ, वदन-कमल विहसंति / दंतकुली दीसह जिसी', जाणि कि हीरा हुंति // 116 // प्रेम संपूरण पदमिणी, सामि' घण' ससनेह / विलसह जे सुख' विषयना, कहि कुण जाणइ 'तेह // 117 // // 109 // 1 हुयो , हुवौ D, हूयो / 2 पइसारो , पैसारो , पेसारो / / 3 रुली BC | 4 ठउडि° B, ठोडि' ठामि D, ठाँमा / 5 पदिमणी 0, पदमणी D, पदमिण / 6 तणो CDE | 7 जइ जई Bc, जै जै E / 8 हुव B, हूयो CE, हुवौ / / 9 जस B, घणो CE, घणौ / / ॥११०॥१महिल DE | 2 मनोरथ / / 3 दीधउ A| 4 माँहि / ५तिणि BDE | 6 पदमणि CD, पदमिण E | 7 करई B, करि , करे , रहै / / 8 उछाहि E / 9 बेसहस D / 10 रहि, रहैं DE | 11 सूंदरी // A 109 / B 114 / 121 / 125 / / 134 // // 111 // 1 रतनसेंनि D, राजा E | 2 पहुता / 3 राँणी E | 4 पास DE | 5 पदमणि C, पदमिण DB | 6 आणी DE | 7 द्यो CE, दो D / 8 आवास / 9 हवि , हिवै D, हिव E / 10 जीमिस्याँ , जिमैस्याँ D, जिमैसाँ / / 11 ते DE | 12 मुकि D / 13 बदो D, कयो / 14 बडबादी D, थो वादि D / यह चोपई A प्रति में नहीं है। // 12 // 1 राँणी DB | 2 बिलखी / 3 गई / 4 माहारी D / 5 जिब्बा DE | 6 वैरण , बयरणि DI ७थई / ८°सुं DI9 मै DI 10 भागउ / 11 पस्याताप / 12 करै / / 13 क्याँ 0 / यह चोपई A प्रति में नहीं है। / 116 / 0123 / / 123 | D127 / / 136 / ॥१३॥१हिवि, हिवै D / 2 पदमणि D / 3 स्यूं BC | 4 झीले D / ५ससनेह / 6 विषै / 7 भोगवि , भोगवै D / ये दोहे 113 से 120 तक A प्रति में नहीं हैं। // 114 // 1 बादिल B, बादल CDI 2 माहि BD, माँहि / 3 बीजुली D / 4 चमकंत D / ५महुल , महिषल DI6 माँहि , / 7-7 तेहनउ B, तेहनो , तेहनौ / / 8 झलकत DI // 115 // 1 प्रहीसै D / 2 पदिमणी / 3 गिलंत D / 4 माहि BD, माँहे / 5 दीसंत DI // 116 // 1 हेजइ B, हेजे D / 2 हसइ , हसै D / 3 बदन D / 4 कवल / / ५बीकसति / / 6 दांति , दीसे DI ७तिसी / 8 हीरा B / . // 117 // 1 पदिमणी 0, पदमणी DI 2 स्वामि BCDI 3 घणो D4 संसनेह / ५बिलसह, बिलसै D / 6 सुखी / ७'नाँ B / 8 जाण( B, जाँणि C, जाँण D /
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________________ खंड कवि हेमरतन कृत राति-दिवस सैंधों' रहइ, नरपति पदमिणि' पासि / भमर तणी परि भूपति, अलुझि रहिउ आवासि // 118 // चंदन तरवरि' जिम चडी, वीटइ नागर वेलि। तिम ते कामिणि कंतसुं, विलगि रहइ गुण-गेलि // 119 // कवित कथा-रस काम-रस', गाह गृढ गुण गोठि॥ पदमिणि' प्रीतम रीझिवा', जाणि कि वास्या होठि // 120 // नारी' निरमल नेहरस, सुधा-सरोवर-सार। तास माहि नृप झीलतउ, पॉमि न सक्कइ पार // 121 // ॥चोपई // . राजा रमलि करंत रहइ', इम केताइक दिन निरवहइ // सगला लोक वसई सुखवास, आवासे लागा आवास // 122 // तिणि' पुरि राघवचेतन व्यास, विद्यासुं अधिक अभ्यास // राजा तिणि रीझवीउ घj, मुहत घणुं धइ व्यासाँ तणुं // 123 // राय भवणि नितु प्रति संचरइ', भारत-वात विचख्यण करई॥ अमहलि महलि सदा संचरइ', राजलोक' महि' हीडई फिरई // 124 // एक दिवसि पदमिणि नइ पासि, राजा बेठउँ करइ विलास // नेह नितंबनि चुंबनि करई, राजा आलिंगन आचरई // 125 // // 118 // 1 दिवसि D / 2 रूंघउ B, रूपो A0, लुधौ / / 3 रहई B, रहै / / 4 पदमणि .cp 1 5 अलूझ B, अलज / 6 र उ B, रह्यो , रहै / / // 19 // 1 तरुवर B, तरवर cD / 2 चढी CD / 3 बींटी B, वीटी , बीटी / / 4 बेलि D / 5 कॉमणि 0D / 6 स्यउँ B, 'स्यु , स्यौ / ७विलग , बिलगि D / 8 रही BCD | 9 गेल / A 116 / B 123 / 0 132 / D 135 // // 120 // 1 काँम / २गाहा DI 3 गूढा B, गूंढा , गुढा D| 4 गोठ BCI ५पदमणि DI ६रीझिवा B, रिझवा / / 7 क BCD / 8 वेस्या C, बास्या / / 9 होठ BC | // 12 // 1 नारि B / 2 निरम्मल B | 3-3... झीलतो, पामि... पारि , तासु माहि उप झीलतो। पामि न सकै पार D; नृपति केलि रस झीलतो, सकै न पामि पार है। A 118 / / 125 / 0 134 / D137 / E 162 // // 122 // 1 रमल BCD / 2 करतो CD / 3 रहै / / 4 केताएक D / 5 बरवहह , निरवहै / / 6 वसइ B, बसै / / ७°बास D / 8 आवासइ B / // 123 // १तिण D, तिन / / 2 पुर, गढ़ E| 3 ब्यास DI4 बिद्यासु, सु। 5 अधिको ODE | // 12 // 1 राइभुवण नित...B, रायभुवण नित..., राय...निति...संचरै D, राजभुवन नितप्रति ते जाइ / 2 भारथ-चात वखाण करइ A, भारथ-वात विचक्षण करइ B, भारथचात बिचिखिण करे D, भारथ कथा सुणवै राइ / 3 अमुहल BC, अमहल DE | 4 मुहल B0, महल DE | 5 संचरै D, संचरे / 6 राजमुहल BC, राजभुवन D, राजमहिल / 7 माँहि B, माँहि , मै DE | ८हींढइ B, हीडै DE | ९फिर D, फिरे / // १२५॥१दिवस E / 2 पदिमणि , पदमणिने D, पदमिगसुं। 3 सेज / ४बठो, बैठो D, बयठा E / 5 करि , करै D. छै / / 6 बिलास D, हित-हेज। 7 नेहा , नेहें।। 8 नितंबन CDE | 9 करै D करें / / १०.राजा निज आलिमन आपरै D, आलिंगन रति मुख , आचरे E /
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________________ दुजो] गोरा वादल पदमिणी चउपई तिणि प्रस्तावई राघव व्यास, पुहत प्रदमिणि तणई आवास'। ते देखी राजा खुणसी', राघव ऊपरि कोप ज की // 126 // भमह चडावी कीउ त्रिसूल, कोप तण जे कहीह मूल // राघव पिण मन माहे डरिउ, 'विण प्रस्तावई हुं संचरिउ // 127 // चतुर तगी ए नही चातुरी, अण तेडिउ' आवइ फिरि-फिरी। वात' गोठि अण रुचती करइ', 'काढंताई नवि नीसरह // 128 // बिडं जाँ विचित्रीज थाइ', अमहल'माहे आघ' जाइ। अण बोलायउँ' बोलइ घणु, अण दीधु वलि ल्यह" बेसणु // 129 // डील-डील' लिगाडी धसई', वात' करंत आपे हसइ॥ मनि जॉणई हुं खरउ सुजाण, मूरिख जनरा ए अहिनाण३॥ 130 // एकतई' अस्त्री-भरतार, रामति रमता हुई अपार। कन्हई जई ऊपावई काणि, मूरिख जनरा ए अहिनाँण // 131 // 'इम मनि खुणसिउ राजा घj, मॉन' मरोड्युं व्यासाँ' तणु। कीधी रीस घणी ते राइ', जिणथी तन-धन जीवित जाइ" // 32 // // 126 // 1 तिण DB | 2 प्रस्तावि , प्रस्तावै DB | 3 ग्यास D / 4 पुहतो , पहुतो DE | 5 पदमणि , पदमिण DE | 6 तणि C, नर D, रै / / 7 आवासि CD 8 खुणसीयो BCDs | 9 कीयो BODEI . // 127 // 1 भमुह BD / 2 चढावी DE | 3 कीयो BCDE | 4 तणौ DE | 5 ते D, जै / 6 कहीयो B, कहिद, कहीये DE | ७पणि / / 8 मनि B, मंन D, मन माँहे , माहे / 9 विणि D / 10 प्रस्तावें B, प्रस्तावि , प्रस्तावै DB | 11 संचरयो EDE, संचरयौ / // १२८॥१'तेज्यो / / 2 आवै CDE | 3 फिर फिरी BC | 4 बात D / ५गोठ BO| 6 अर DI 7 रुचिती B, जगती / 8 कर B करै D, करे E / 9 काढे तोडते...B, काढिइ तोइ ते..., काढंता पणि नवि नीसरै D, सीख दीयंताँ नविनीसरै / 125 / B 132 / 0 142 D148 / 170 // // 129 // 1 बिदु DE | 2 विचि / / 3 त्रीजु A, बीजो CDE | 4 थाय / / 5 नृप अमुहल Bo, चप अमहिल D / 6 माहि BC, मै D, मैं E / 7 आघो CDE | 8 जाय / 9 बोलायउ B, बोल्या , बोलान्यौ D, बोलान्योः / 10 बोले DE | 11 घणउ B, घणो 0E, घणौ DI 12 दीधउ B, दीयो CE, दीधा D / 13 निज BDE, णिजि D / 14 लेई BC, लै D, ल्यै / / 15 वइसणउ B, बेसणो, बैसणो DE | // 10 // 1 डील-इ-डीले D / 2 लगाडी BCD / 3 धसइँ B, धसै DE | 4 बात D / 5 करता B0 करतो DB | 6 आफे A, आपज / 7 हसइँ B, हसै DB | 8 मन / 9 जाणे जाँणे D, जाँनै / 10 खरो BCD, घणो / 11 सुजाँण DB | 12-13 मूरख नरनॉए अहित्राण B, मूरख नरनों ए अहिनाग , ए उत्तमना नहि सहिनाण / // 31 // 1 एकंत( B, एकांति , एकतै D, एकंते / / 2 स्त्री BO, नारी DE | ३...होइ...BC,...रमता ...D, बैठा होवे रंग मझार E / 4 कन्हि , पासि D, पास। 5 जाइ B0 जाय D, जह 6 ऊपजावह BC, उपजावै / ७काँणि DE | 8 मूरख BC, नर BCDE, नाँ B / 9 अहित्राण B अहिनाण CDI // 2 // 1 राजा मन माहि (माइ 8, माहे DE) खुणस्यउ छणउ B, घणो 0, घणौ / / 2 माण। 3 मरोड्यो BG, मरोड्यौ D, मरयों / / ४व्यासा , ग्यासाँ / / 5 तणउ B, तणो D | 6 तब / 7 राय CD 8 जेहथी BODE | ९तंन-धन D / १०जीवति, जीवत , जीवन / / 11 माय। . .
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________________ 18 कवि हेमरतन कृत [खंड विलख' हुई ऊतरी व्यास, नीठ' पहूतउ निज आवास / सामी तणी जव थाइ रीस", तव जाँणे" रूठ जगदीस // 133 // 'वलता व्यास न तेड्या माहि', मान मुहतथी मुक्या' ठाहि / इणि मुझ दीठी ए पदमिणी', आँखि हराकुं हुं ए तणी // 134 // व्यास' सुणी इम' मनि' बीहनउ, कुण वेसास करइ सीहन / राजा मित्र कदी नवि होइ, नवि दी? नवि सुणी' कोई" // 135 // [तीजो खण्ड] इम विति' राघव मनि डरई', 'नृप-खुणसॉणइ खिण न विसरह। "नृपनी खुणस न होइ भली', "नितु नितु हाणि हुई एकली" // 136 // इम आलोची राघव-व्यास', चित्रकोट' न छाँडिउ' वास। माणस' मुहर लेई करी, गढथी छान गउँ' नीसरी // 137 // जातउ जात' डिल्ली गय', तिहाँ जाईनइ परगट थय / / गामि माहि हू परसिद्ध, ज्योतिष निमित" घण जस लीध // 138 // भणई' भणावह' शास्त्र अनेक, वात वखाण' करइ सविवेक / नवरस सयण-सभा रीझवइ," सित-सित अरथ करी सीझवह" // 139 // // 33 // 1 विलखो CDB | 2 होइ CDE / 3 ऊतरयउ B, ऊतरयो C, ऊतरयौ D, उतरीयौ / 4 व्यास DI 5 नी&ि B, नीठि। 6 पहुतो , पहुतो D, पहुँतो E| 7 आवासि B / 8 सामि BODHI 9 जब D / 10 थायइ B, थायै DE | 11 जाणे (जाँणे E) करि BCDE | 12 रूठो CDE | // 13 // 1 वलतउ व्यास न ते गयो माहि BCD, ब्यास D, 'न पहुतों D, माहि / २मान BDI 3 ते / / 4 काढ्यउ B, कान्यो , काट्यौ / 5 साहि BCD | 6 पदिमणी 0, पदमणी D / 7 कढावउं B, कढावु , कढाउ / / 8 एह BODE | // 135 // 1 ग्यास D / 2 एम / 3 मन / 4 वीहनो , बिनहो / 1-4 वात सुणी मनि / व्यास 3 / 5 वेसास D / 6 करि , करै / / 7 सीहनो 0 / 5-7 सीहाँ तणा कहा विसवास / / 8 मीत्र D | 9 कदे न D, न केहनो / 10 दीठो CDE | 11 सुणीयो BCDS | 12 लोह। ॥१६॥१चिंता B, चंता , चितवतो DE | 2 डरई BC | डरै D, डरे / 3 नृपनी खुणस न खिण वीसरर B, नृपनी खुणस न ख्यण वीसरइ , पनी खुणस न खिण बीसरै D, नृपनी शंका न बीसरै / / ४"होवइ"B, ब्रपनी"होइ नही"D, ब्रपनी रीसै भलो न होइ / / 5 नित नित "हुवर"B, निति निति""हुवइ , नित-नित हाँणि हुवै"D, मरण नही तो गंलण होइ / / - 133 / B140 / 0152 / / 159 / 180 // ॥३७॥१व्यास D / 2 चित्रकूट BODE नो ODB | 3 छोड्यउ B, छोडो 0D, छाँड्यो / / 4 बास DI 5 माँणव / मुहरएँ B0, महरै D, साथै छ। 7 छाँनो DB | 8 गयो BC, गियो / // 38 // 1 जातो जातो DB | 2 दिल्ली BODE | 3 गयो BDE, गियो / 4 जाइनइ B0, जाइन D, जाइने / 5 परगटि BODE | 6 थयो BDE, थियो / 7 गाम B, ग्राम D, सिहर / / ८हयड B, हुअउ , हुवो D, हृयो / 9 परसीध CD / 1. जोतिष BCD, जोतिक। 11 निमत , निमति DI 12 घणो BCDE | 13 लिद्ध / // 19 // 1 भणे D, भणे / / 2 भैणावै D, भणावै / 3 सास्त्र , सासत्र D, बाल / 4 बास DI ५वखाण D, खाँण / / 6 करै DE | 7 सुविवेक BO, सुबिबेक D / 8 नवसत DI 9 वयण / / 10 सुभा / 11 रीझव( B, रीझवै D, रीजवे / / 12 सिति-सिति / 15 अर्व 801 14 सीझव B0, सीझवे / / 11-13. सूत्र अर्थ मिन मिन बह्मवै :
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________________ तीजो] गोरा वादल पदमणी चउपई पूर' घट' विद्या' परवेस, तेहनइ केहा' देस-विदेस। विद्या माता विद्या पिता, विद्या सयण सगा सासता // 140 // विद्या वित्त तण भंडार, विद्या घटि सोलह सिणगार,। माँन मुहत जस विद्या थकी, वित्तथी विद्या' अधिकी जकी // 141 // डिल्लीपति पतिसाह प्रचंड, अवनि' एक तसु आण' अखंड। अलावदीन नव खंडे नाम, नृप सहु तेहनई करइ सिलॉम // 142 // एक छत्र धर सगली धरइ', सुर नर सहु को तिणथी' डरइ / अवनि तण अधिकउँ अभिलाष, लसकर तसु नव त्रिगुणा लाख // 143 // तिणि ते सुणी बंभण गुणी, तेडाविउ डिल्लीनइ धणी। व्यासि जई दीधी आसीस, जाँणि की बेठो छइ जगदीस // 144 // व्यासि' कह्या तसु' कवित अनेक, सभा सहित रीझिउ' सविवेक // आगई थो बंभण गुणी, पातिसाहि" दी पहिरामणी'३ // 145 // मॉन' मुहत' वधीउ पुर मॉहि, पूछइ तेड़ी नित पतिसाहि / उलगता तूठ अवनीस, पूगी राघव तणी जगीस // 146 // वास्या' गाम ग्रास दह' घणा, राघव चेतन बेही' (?) जणा। पातिसाह पासह नितु रहई, राघव कवित कथा नितु कहह" // 147 // // 10 // 1 पूरो। 2 घटि पूरो DE | 3 विद्या D / 4 तेहनइ B, तेहवै D, तेहनँ / / 5 केहाँ / 6 विदेसि , बदेस D / 7 बिद्या D / 8 सदा BOD, सदाइत / / ९हिता / / // 41 // 1 विद्या D / 2 तणो cD. बित्त तणो / 3 घट B0 / 4 सोलह B0, सोलै D / 5 मान BODE | 6 महत DE | 7 वित्तथी अधिकी D / 8 जिकी B / // 12 // 1 दिल्लीपति BODE | 2 पतिसाहि D / 3 अविनि 8, अवनी B4 तसि / ५जस / / 6 आणि B0 / 7 तेहनइ B / तइनइ , तेहने D, अवर राइ सवि / 8 कर B0, करै DE | 9 सलाम DE | A 139 // 146 // 0161 // D169 // 188 // // 143 // 1 धरै D, धरे / 2 तिसथी D, जेहथी / 3 डरै D, डरें / 4 तणो 0D / 5 अधिको ODE | 6 मिले / 7 सतावीस / ॥१४॥१तिण BDE, तेण / 2 सुणीयो B, सुणीया OD / 3 तेडाव्या BODI 4 दिल्ली B0, 'ने, 'नै / / 5 धनी B / 6 व्यास B, व्यास D / 7 जाइ BCDE | 8 जाणि क B, जाँणि क DI 9 वइठउ B, बेठा 0, बैठो D / 10 छै DI // 145 // 1 व्यास D / 2 इम B / 3 कवित D / 4 राय E / 5 रीझ्यउ B0, रीझ्यौ , रीझ्या / 6 सुविवेक BO, सुबिबेक D / 7 आगइ Bo, आगै D / ८हीं B0 / ९थी B0 / 10 बाँभण BON 11 पातिसाह ODI 12 दीधी B, दीय D / 13 पहिरावणी BDI 713 देखी चातुरता कवि-भाव, पातिसाहि दीधो सरपाव / // 146 // 1 मान B / 2 महुत B0, महत DR| 3 वाध्य B, वाध्यो , बाध्यौ D, व्याध्यो / / 4 माहि ___DE | 5 पूछि 0, पूछै , नित प्रति तेडावै"। 6 ओलगताँ / / 7 तूठो , तूठौ / / // 17 // 1 व्यासाँ BOE, ग्यासाँ DI 2 ग्राम BC, ग्राम D / 3 दे DE| 4 बेई BODI 5 जंणा DI 15 दीधो ग्रास सात गाँमनो मोटाँ सेन्याँ वाध्यो विनो / 6 पातसाह B01 ७पास D, पासे / / ८नित DBI 9 रहै DE | 10 निति CD, रस। 11 कहे DBI .
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________________ 20 कवि हेमरतन कृत [खंड इक' दिन' आविउ ए अभिमान, 'रतनसेन मुझ मली" मान वालुं वयर किसी परि एह, सौमि धरम नई दीध छेह // 148 // "त' हुँ' ज' पदमिणि' अपहरं, चित्रकोटथी अलग करुं। पदमिणि' नारि खरी पड़वड़ी', लगि पातिसाह करं' परगडी" // 149 // राघव चिंता' अधिक उपाइ, प्रगट वात' मुखि न कहह काई / भाट एकसुभाईपणुं', कीधुं मान-मुहत दे घj॥ 150 // हीआ' माहि आलोची हेत, खोजासु कीधउ संकेत। . 'वित्त बिहुना दीधु घj, मित्र करी कीgमंत्रणुं // 151 // "सभा माहि' काढेयों' घणी, वात किसी परि पदमिणी तणी"। अन्न दिवसि बेठउँ” सुलितांण, मिली सभा सहुराँणोराँण // 152 // अति सुकमाल पसम पड़वड़ी', कलहंस पंखि तणी पंखड़ी। अतिसुंदर करि धरी सभाउ, तव तिणि भाटि दियउ ब्रह्मा // 153 // भाटवाक्यं एक छत्र जिणि पृथी, धरी निश्चल धर ऊपरि।। आणि कित्ति नवखंडी, अदल कीधी दुनि भीतरि / नल विश्नल विध्याडि, उदधि कर पाउ पखालिय / अंतेउर रति रंभ, रूप रंभा सुर टालिय / ॥१८॥१एक BODI 2 दिवसि BDI 3 आयो BC, आयौ / 4 रतनसेनि / ५मलीयो D, लीयो , टाल्यो DI 6 माण B, माँण / 7 वालउं B, बालो , बालु , वालु। 8 बदर B0, बयर D / 9 सामिधरम नइ B0, सामिधरमन D साँम धरमने / 10 दीधो 0, दासुं। A.145 / B952 / 0 1701 D178 / / 196 / / // 15 // 1 तो CDE | 2 हु। 3 जो CDE | 4 पदमणि CD, पदमिण / ५अपर B| 6 चित्रकूट B चित्रकोटि 0 / 7 अलगो 0E, अलगौ DI8 कर B / 9 परवडी / 10 पातिसाहि / / 11 कर 8, करो। 12 पगगडी। ॥१५॥१चित DE | 2 प्रगटि B0| 3 वाति B0, बात DE | 4 कहै DE | 5 स्यं B, सो 6 पणउ B पणो CD, 'चार / / 7 कीधउ B, कीधो CDE | 8 माँन / ९महत D, महुत / / 10-11 मनुहार / ॥१५॥१हीया BDE | 2 माँहि B| 3 आलोचE Bo, आलोचे D, आलोची / / 4 'स्यं B, 'सो 0 / 5 कीधो CE, कीधौ / / 6 विहूनइ दीध घणउ B, ...."दीधो घणो , बित्त बिहुनै दीधौ घणो D, बिहुनै धन देइ आपणो / 7 मंत्र B, मंत्रि। 8 कीधउ B, कीयो ODE | 9 मंत्रणउ B, मंत्रिणो , मंत्रणा DE | // 152 // 1 माँहि BODE | 2 काढेग्यो B, कादिज्यो , काढेज्यौ D, काढेज्यो 3 पदिमणी , पदमणि D, पदमिण / 4 भणी / / 5 अन्नि B, अन , अनि DE | 6 दिवस / ७वइठउ B, बेठो , बैठो D, बैठा। 8 सुलतान BCD, सुलताँण / / 9 राणो राण B, 'राणोराणि , 'राणो-राण D, सहूयै दिवाण छ। // 153 ॥१"शुकमाल पशम"B, कोमल सदल"D। 2 पंख BO, पंखिणनी / 3 पंखुडी 801 4 धरीय B0, ग्रही BE I 5 सहाउ D, सुभाइ / ६"तणि दीयो"०, तब तिण'दीयो बझाव D, भाटें मार दीयो ब्रह्माइ / .
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________________ तीजो] गोरा वादल पदमणी चउपई 21 हेमदान कवि मल्ल भणि, अमर किति ते वखत गिणि / दीठउ न को रविचक्र तलि, अलावदीन सुलिताण विण // 154 // ॥चोपई // कवित सुणी रीझउ सुलितॉन, भाट प्रतईं दीधळ बहु मान / "हाथि किसुं?" पूछइ पतिसाह, तव ते भाट भणइ गुण गाह // 155 // // गाथा // भाटवाक्यंमाणसरोवर' मध्ये निवसई कल' हंस पंखीया बहवे ताण चिय सुकमाला एसा पंखी करे मज्झ॥ 156 // // चोपई॥ इम निसुणी लेई सुलिताण', नव-नव मउंज महा असमान / सोहइ पसम महा सुकमाल, ते देखी-जंपइ भूपाल // 157 // "इसी सकोमल काई वली', किण ही वस्त कठे संभली?" तव ते भाट भणइ सुविचार, “हाँ, सुलिताँण ! कहुं अवधारि॥ 158 // पदमिणि' नारि इसी पातली, अति सुकुमाल सकोमल वली / एह थकी वलि अधिकी तेह', सगुण सकोमल नइ ससनेह" // 159 // // 154 // यह कवित्त BODE प्रतियों में नहीं है, परन्तु संग्रामसूरि द्वारा सम्पादित प्रतिमें तथा लग्धोदय गणि द्वारा सम्पादित 'पद्मिनी चरित्र' की प्रतियोंमें मिलता है। // 155 // इस चोपईके स्थान पर BCDE प्रतियों में निम्नलिखित चोपई है B, पातिसाहि पंख दिष्टें पडी। 'क्या बे हाथि तेरह पंखुडी।। 0, पातिस्याहि पंखि,, , तेरे // D, पातिसाहि द्रिष्टी पंखज पडी।,तेरै // E, पातिसाहीकी द्रिष्टिा पडी। यह किसकी है बे पंखडी। B, जीवइ पतिसाह हुकम जइ लहुँ / आलमसाह सलामति कहुं / D, जीवै पतिसा , जो , / आलसाहि सलामति , // E, जीवै हजरत, ज , , , , // A. 152 / B158 / ( 176 / / 184 / E 202 / / // 156 // 1 मानसरोवर D / 2 मझे BCD, मझै / 3 निवसइ BODE | 4 कलि Bc / 5 पंखीया / 6 बहुवे BC, बहवो D, बहवै / ७°चा BC, ताणी तो D, ताण तणो / 8-9 करे मुझ B0, कर मझ D, मम हत्थे EI // 157 // 1 नसुणी DI 2 जोई BD / 3 सुलताण BOD, सुलतान / 4 नवसत BODदेखी। 5 मोज BO, मौज DE | 6 महा असमान BOD / 7 सोहे D, सोहै / / ८माहा D, घणउ / ९""जंपै पतिसाह D, हरषित थइ पूछ"EI // 158 // 1 असी कोमलता कोइ ओर / 2 वसत कठे साँभली B,"वसत'"साँभली ,."बसत कहाँ साँभली D, वस्तु होती है किनही ठोर / / 3 तब DI 4 भणि c, भणे DE | ५आल. मस्याह"B, आलमसाह, आलमसाहिD, एक वस्तु इसके अणुहार BIA 115 / / 161 / 0,179 | D187 / 205 / ॥१५९॥१पदिमणि 0, पदमणि D, पदमिण / 2 सुकमाल BOD, असी पसम / 3 सुकोमल ODI 4 बली B / ५इसथै यादा (ज्यादा) कछु इक तेह / / 6 सुगुण CDB | 7 नै DEI
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड तव ते भूप भणइ-"पदमिणी, काई नारि कठेई सुणी"। भाट भणई ए अवसर लही, गोरीपति निसुणइ गही गही // 160 // भाटवाक्य ॥कवित्त // भाट भण'-"सुणि' भूप, रूप अति रंभ समाणि' / हाँ तुझ हरम हजार, संख कुण लहइ समांणी / ता महि" पदमिणि काई', हउसि तुरकिणी हिंदुआणी / अदल आज तू राज, अवर कोइराउ न राँणी // तुझ महल" माहि५ पदमावती, गिणत' नारि होसी घणी / सुणि मीनती सुलितांण विण", मइँ न काइ बीजी सुणी" // 161 // ॥चोपई॥ इम निसुणी खोज खलभलइ', पातिसाह बइठउँ' संभलई॥ आसंगाइत बोलइ इसु “तई रे भाट ! कहिउं किसुं ?" // 162 // खोजा वाक्यं // कवित्त // "मम भणि भट्ट' सुकवित्त, खुद खोज" धई पूरउ / रे! सबद फरोस! 'सिबद हरमां लगि सूर। कहाँ सुनारि पदमिणी", सेज रायनकी सोहह / सुरनर- ग गनव्व", पेखि त्रिभुवन मन मोहह"। // 10 // BODB प्रतियोंमें यह चोपई है॥ B, "इसी सकोमल अति पदामिणी / तई रे भकिहाँ-कहाँ मणी? 0, सकोमलि , पदिमणी / ति रे , , . .? D, , सकोमल , पदमणी / ते रे ,, किहाँ ई ,, ,? ,, , , कहिलै , कहाँ ते ,, ,? B, हमस्युं खूब कहउँ ये साच / तुझ उपरि खुसी बहुत मुझ वाच // 0, हमसु कडू ,, / , , , , , , // D, हिमसुं, कहो बो,, , " " " " // हमसे , कहै वे ,, ,खुस मेरीय , // // 16 // 1 'भणे BOD, भणहिं भट्ट / 2 सुनि / 3 समाँणी D, समानी। हर Bo, है है / 5 तुह / 6 सब कुण लहै"D, दिवमै रूप जुवानी / / 7 तामइ...B0, तामे पदमणि काई मुगलानी पारसी D / 8 होसी तुरकणि"B, होसी तुरकाणि", होसी तुरकणि हिंदवाँणी / / 9 अदिलराज तू आज B, अदलराज तू आज 0, अदलिराज तू आज D / 10 को B00 11 राव DE | 12 रॉनी / / 13 तुझिDI 14 मुहल Bo, महिल / / 15 माँहि / / 16 गिणित" BD, गणिति"0, है है नारि इंद्रायनी ।।१७."वीनती सुलितानजी B,"वीनवी सुलतानजी, सुणोदु अरज मुझि सुलिताणजी D, अल्लावदीन सुलतान सुनि / / 18 ओर ठौरमैं नहु मुंणि ! ॥५२॥१नसुणी / / 2 खोजो ODEI 3 पलभलै D, जलफलै / / 4 आलिमसाह Bo, मालमसाहि DE | 5 बेठो 0, बैठो D, बैठो 6 साँभलै DE | 7 आसंगह तब B, आसंगितब बोले इस०, बोले उछक आसंग नही / 8 क्यउ रे भाट! कबउ तिर ते 0, किस्थ: B, क्यं रे भाट कयो ते किस D, भदै मह जैसी क्यं कही // 159 | B 16510, 183 / / 191 / / 209 /
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________________ 23 तीजो गोग बादल पदमिणी चउपई सुषिणि सवई मुलितांण परि" कोपि हउ वदि इस "रे खोजा ला इतवार तूं", सुणि पातमाह मुलकइ हसइ२ // 163 // // चोपई॥ आगलि' बेठउ राघव व्यास, पुस्तक ऊपरि अधिक प्रयास। सई' मुखि पूछइ इम सुलितांण , पदमिणि नारि तणा अहिनाँण२ // 164 // कंडली // आलिमसाह अलावदी, पूछा व्यास प्रभाति / / "रतन परीक्षा तुम्हि करा, त्रीकी केली जाति ?" / "त्रीकी केती' जाति!" कहइ गवय मुविचारी / / "रूपयंत पतिव्रता, प्रिय सी हाई पियारी / / हस्तिणि कि चित्रिणि सुंखिणी, पुहनि वडी पदमावती / " : ? इम भणइ विप्र साच'' वचन, आलिमसाहि अलावदी // 165 // रूपवंत रतिरंभ कमल, जिम काय सुकोमले / परिमल पुहप सुगंध, भमर बहु भमइ बलावल / / चंपकली जिम चंग रंग, गति गयंद समांणी / सिसि-चयणी' सुकमाल मधुर मुखि" जंपइ वाणी | 51 // 163 // नाम , 2 भट्ट BODEI 3 किवित्त BCDE | .. 4 खूद BC | 5 खोजह / 13 , सोजो ch6 , कहे / / 7 पूरो , पूरी D, झूठौ / / 8 वाद , बात D, वान सबालमाहि हर यूर'उ , मवद माँहि हपूरो , तू ही बाजारी नरो , करही बाजार बयठो E / 10 कहाँमु, किहाँसू C, काहाँमु D, कहाँ नारि / 11 पदिमिणी 0, पदमणी , पुदमनी / १२...रावण''BC, "रावणरी सोहै D, लछिन ताका कहि. मोहै / 13 गंण / 14 गंधर्व BC, गंधरब D, ग्रंधव / / 15 पिंखि / 16 त्रिभोवन०, त्रिभवन D / 17 मोहै DR | 18 सुखिणी BC, संखणी D, संखनी / / 19 सवि Bo, सहु , सबही. २०पतिसाह BO, पतिसाहि D, साह। 21 कोपि हूउ बंदिण इसइ A, कोपीयो एम वंदण रसइ BC, कोपीयो एम बोलै रमै D, क्या है दुरावनि हम्मसै E, २२"इतवार"BC, लायतबार D; जिहाँनखान दरगहिं सुनहिं / / २३"पातिसाइ मुलके हसह C,"पातिसाह मुलकै हसै D,"पातिसाह मुलकित हसै / // 164 // 1 आगल / 2 वाठा B, वेठो 0, बैठा D, बयठा / 3 व्यास D / 4 पुसतग D / 5 प्रेम / 6 प्रकास / / 7 सै D श्री / / 8 पूछिह , पूछ DE / 9 नव / / 10 सुलताण B, . सुलताने , सुलतान E / 11 पदमणि CD, पदमिण / 12 इहनाण , सहिनाँण / / // 165 // 1 आलमसाह RC, आलमसाहि DI 2 पूछि B, पूछ / 3 म्यास D / 4 परीख्या BO .... परख्या DI५तुम्ह BD, तमे 0 / 6 करउ B, करो 0, करौ / / 7 केही DI 8 कहि, - कहै DI 9 अविचारी D / 10 पतिव्रता D / 11 प्रियस्युं B, प्रीयसु 8 प्रीवसु D / 12. हसतण DI 13, शंखणी B, संखणी D / 14 पुहिबि , पुहवि / 15 वडी / / 16 भणे, भणै D1 17 साचो , साचौ DI आलमसाह Bo, आलमसाहिDI प्रतिमें यह पद नहीं है। 162 / 168 / 0186 / / 194 //
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________________ [खंड 24 कवि हेमरतन कृत चंचल चपल चकोर जिम, नयण" कति सोहह" घणी / कहि राघव सुलिताण सुणि ! पुहवि इसी हुइ पदमिणी // 166 // कुच जुग' कठिन कठोर', रूप अति रूड़ी राँमा / हसित वदन हित हेज, सेज नितु रहइसकांमा / रूसई तूसइ रंगि", संगि सुख अधिक उपावइ / __ राग रंग छत्रीस गीत, गुण गांन" सुणावइ / जॉन मॉन तंबोल' रस, रहई अहोनिसि रागिणी / कहि राघव सुलिताण सुणि ! पुहवि इसी हुइ पदमिणी // 167 // वीज' जेम झबकंति', कंति कुंदण ज्यु' सोहइ / सुर नर गण गंध्रव्व', पेखि त्रिभवन मन मोहह। त्रिवली तलि तनुलंक, वंकर बहु वयण पर्यपह। पतिसुं"प्रेम सनेह', अवरसुं जीह न जंपई। साँमि भगत ससनेहली, अति सुकमाल सुहामणी' / कहि राघव सुलिताण सुणि पुहवि इसी हुइ पदमिणी // 168 // धवल-कुसुम-सिणगार, धवल बहु वस्त्र सुहावइ / मोताहल मणि रयण, हार हृदय स्थलि भावई। अलप भूख त्रिस' अलप, नयणि बहु नीद्रन आवई। आसणि अंग सुरंग", जुगतिसुकाम जगावइ / भगति जुगति" भरतारखं', करहः अहोनिसि कामिणी। कहि राघव सुलितांण सुणि! पुहवि इसी हुइ पदमिणी // 169 // // 166 // 1-2 काइ सकोमल BDE, काय स / 3 पुहव D, पुहोप E / 4 भमर D / 5 भमै DB | 6 बलाबलि BcD / 7 'कुली B / 8 समाणी B / 9 शिश B, बयणी D, बदनी / 10 सुकमालि BC | 11 मुख CE | 12 जंप DE | 13 वाँणी CE, बाँणी D / 14 नयन DE | 15 सोहै D, सोहे। 16 कहइ B, कहै / 17 सुलतानि , सुलताण D, सुलतान / 18 सुनि / 19 पुहुवि , पुहवि D / 20 होइ , हुवै DR | 21 पदिमणी 0, पदमणी D, पदमिनी / // 167 // 1 युग : 2 कठोरि C, सरूप DE | 3 रामा B0| 4 हसति BoD | 5 बदन BD I 6 निति निति / / ७रमइ BC, रमै DE | 8 सुकामा BE | 9 रूम DEI १०तूसे DB | 11 रंग / 12 सुखि / 13 अधिको पावइ, अधिक उपावै DE | 14 गुन / 15 ग्यान BCD, ग्याँन E / 16 सुणावै D, सुनावै / 17 सनाँन / 18 मज्जन B, मजन OE, मंजन DI 19 स्युं B, स्यु , सुं D / 20 रहि , रहै DE | 21 अहोनिस E / 22 रागणी। ॥१६८॥१बीज C, बीजू DI 2 झलकति BCDE | 3 कंत DI 4 कुंदन D / 5 सोहई / / 6 गुण / / 7 गंधर्व BCD, गंध्रव 8 रूप DE | 9 मोहइँ B, मोहि, मोहै DE | 10 तन नउ B, तननो CD, मय तज / 11 बंक D / 12 नहुं D, नहु / 13 वयण न B, बयण DI 14 पयंपे DE | 15 स्यु B, सुंE, सु D / 16 अपार DE | 17 स्युं B, FDI 18 जप, B, जंपै DE | 19 सामि BC, साँम / 20 सोहाँमणी D, सुहाँमणी / // 169 // 1 कुसम / 2 सुहावइ AC, सुहावै DE | 3 मुत्ताहल BCD, मुगताहल E / 4 रिदस्थल / 5 भावद AC, भावे DE | 6 त्रिसि A, त्रिषE। 7 नयण BCDE | 8 नीद BCD, नींद / 9 आव( B, आवै DE | 10 आसण BCDE | 11 सुत्नंग / 12 युगतिस्युं B, युगतिसु, जुगतिस्यौ D, जुगति करि / 13 जगाव! B, जगावै DE | 14 युगति BC, हेत / 15 स्युं B, सु, स्यौ / 16 रनइं B, रहर, रहै DE | 17 अहोनिसः / 18 रागणी / /
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________________ तीजो] गोरा वादल पदमिणी चउपई // चोपई॥ इणि परि पदमिणिना अहिनाण', निसुणी हरष धरइ सुलिताण। "अम्ह घरि हरम परीक्षा करउँ, पदमिणिहुई ते जूदी धरउ" ? // 170 // व्यास' भणइ "संभलि' सुलिताण', तू मुझ साहिब सुगुण सुजॉण / हुँ' तुझ हरम निरखं नहीं', विण' निरख्या क्युं पर सही ? // 171 // "म' कहसि वात निहालण तणी", तव ते जंपइ डिल्ली धणी / साहि कहइ-"संभलि हो व्यास, मणिमय' एक कर आवास" // 172 // तिण' माहे तेहना प्रतिबिंब, निरखी परख करउ अविलंब।" सामगरी सहु मेली करी, राघव माहे आणिउ' धरी // 173 // मणिमय' मंडप माहे' व्यास', परखइ' हरम तणउ परगास। हस्तिणि चित्रिणि नई सुंखिणी', निरखी नारी न का पदमिणी // 174 // // कवित्त // यण महलि' अलावदी, साहि राघव हक्कारी। नयणि नारि निरखेवि', परखि अब हरम हमारी / हंस-गमणि हँसि चली, नारि निरमल मयमत्ती / सुर-नर-गण-गंध्रव्व, पेखि भूले५ अनिरुत्ती / आइसी" सवेअंतेउरी, पभणि व्यास पेखी घणी। हस्तिणि कि चित्रिणि" सुंखिणी, नही साहि घरि पदमिणी // 175 // // 170 // 1 पदमणी DE | 2 अहिनाण BC | ३."सुलताण B,"सुलताँणि c, निरखी हरिष धरै सुलताँण D, सुणी चित हरख्या सुलतान / / 4 हम BC, हम cD / 5 घर / 6 परील्या BC, परिख्या D, परिखा EI 7 करो , करौ D, धरो / ८पदमणि D, पदमिन E 9 होइ BCE, होय / / 10 पासइ B0, पासै D, तो मालिम E I ' 11 धरो , धरौ D, करो / // 171 // 1 ग्यास D / 2 भणे DE | 3 साँभलि DE | 4 सुलताण B, सुलताँण CD, सुलताँन / 5 तूं B, त / 6 सुगण E / 7 ह....."नरीखउं नही B, हउं..."नरीखो , हु"निरखु"D, हुरमाँ निरखण हुकम न मोहि / ८."निरख्याँ""परखो, बिणु निरख्याँ.."परखु""D निरख्याँ विण किम पारिख होइE. // 172 // 1 इम BCDE | 2 कही BCDE | 3 बात DI 4 जपई BCE, जंपै / / 5 दिल्ली CDE | 6 साह BC | 7 कहै D / 8 संभल c / 9 मणिमइ , मणिमै D / 10 करूं AB, करो C, करौ / 11 आवासि / // 173 // 1 तिणि CD / 2 माँहि / 3 प्रतिबंब , प्रतिव्यंब D / 4 करुं AB, करो , करौ / 5 अबिलंब D / 6 सामग्री BC, सामग्रही D / 7 सबि , सब D / 8 माँहे / 9 आण्यउ B, मेल्यो , आण्यौ D, E प्रतिमें यह चोपई नहीं है। // 17 // 1 मणिमइ B0 | 2 मंडिप / 3 माँहि / 4 न्यास DI 5 परखि, परखै D / 6 तणो , हरमा तणौ / 7 परकास , प्रकास D / 8 हस्तणी D / ९चित्रणी BCDE | 10 नै DI 11 शंखणी B, संखणी DE | 12 पदमणी DI // 175 // 1 मुहल BO, महिल DI 2 साह 01 3 हकारी ACD | 4 नयण DI 5 नरखेव 0 / 6 परख / 7 इव 0 / 8 हमारी A, हमारी D / 9 हंसि गमणि C, हंस गमणी D / 10 हसि AI 11 चलि B / 12 निमल A / 13 मयमंती D / 14 गंधरव , गंण गंधर्ब / 15 भूलइ B, भूलि C, भूलै D / 16 अनुरत्ती BODE | 17 असी D / 18 सबै D / 19 अंतेवरी D / 20 भणह BD, भणे / 21 व्यास D / 22 देखी BCD / 23 हस्तिनी BODI 24 चित्रणी BODI 25 सुखणी BO, संखणी D / 26 पदमणी CD IF प्रतिमें यह नहीं है।
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड // चोपई // इम निसुणी' पभणा' पतिसाह,- "विण पदमिणि केहउँ उच्छाह / पातसाही पदमिणि विण' किसी, पदमिणि नारि हीया महि वसी // 176 // त' हुँ जउ परj पदमिणी', केथी कीजह ए पदामिणी। हस्तिणि चित्रिणि नई सुखिणी, घरि घरि नारि लहीजइ घणी // 177 // विण' पदमिणि' नवि पोद' सेज, विण' पदमिणि'न हसु हित हेज। विण' पदमिणि' न करूं सुख-संग, विण' पदमिणिन रमुं रति-रंग // 178 // चमकर' चित महि नितु पदमिणी', वलत जंप डिल्ली-धणी। “कहि राघव किहां छह पदमिणी'? जेहनइ हुइ ते आणु हणी // 179 // ठावी ठोड' वताव तेह, जिम जई ल्या पदमिणि गेह" / वलत व्यास पयंपई ऍम-"पदमिणी नारि लहीजई कम ? // 180 // सिंघलदीप' अछह पदमिणी, दक्षिण दिसि विचि धरती घणी। आडउ आवई उदधि अथाग, तिणि तेहनउ कोइ न लहह" माग""॥ 181 // साहि' भणह-"संभाल मुझ वात, मो आगलि सिंघल' कुण मात। सरग पताल समेत खणी! काहूं नारि जई पदमिणी" // 182 // // 176 // 1 नसुणी D / 2 प्रभणै D, जंपै / / 3 केहवउ BD, कहो c / 4 पतिसाही BDE / 5 पदमणि CE, पदमणी D / 6 विणु B, बिणि D / 7 पदिमणि , पदमणि D, पदमिण / ८हीय.DI 9 माँहि B, माहि , मै D, माहि / 10 बसी DI E // 177 // 1 तो CE, तो D / 2 जो 0E, जौ D / 3 परण3 B, परणु D / 4 पदमणी DI 5 कॉमिणी ,"कीजे...काँमणी D, अवर न मन रीझै कामनी | 6 हस्तनी B, हस्तिनी / 7 चित्रणी BOD, चित्रनी / / 8 नई BC, नै D, ने / 9 संखणी BD, सुखणी , शंखिनी / 10 लहीजे , लहीजै DEI ॥१७८॥१विणि D / 2 पदिमणि, पदमणि D, पदमिन E| 3 नवि / 4 पउट B, पोदो 0, पौढौ / / 5 सेझ D / 6 हसउं BC, हसु D, हसुं / / 7 करउं B, करों 0, करु DE | ८रमउ B, रमु 0 / ९रित B, रिति / A 175 / / 209 / 0 215 / D 221 / / 249 / / // 179 // 1 चमकर चित्त माहि"B, चमकि चित्त माहि"०, चमकै चित्त माहै पदमणी D, वसि नारी चित्तमैं पदमिनी / 2 बलतउ B, बलतो GE, बलतो DE | 3 जपे DE | 4 डिली नई B, डिलीनो 0, दीली DE | 5 कहउ B, कहो 8 कहौ DE | 6 व्यास BOR, व्यास DI 7 किहा D, कहाँ / 8 होइ B0, है DE | 9 पदमणि CD, पदमिनी / / १०.जेहणइ B,. जेहनै न, किसकै / 11 होइ BOD, है D / 12 तिस E: 13 आणउ B, ऑणो , आणौ / // 18 // 1 ठउड B / 2 वतावो E, बतावो / 3 जेह BCD, सोई / / ४."जाइ ल्याव"गेह : जिमि जाइल्यावो" ,"जाय ल्याउं पदमणि'"D, पदमिण नारि जिहाँ किण होइ / ५वलतउ B, वलतो CD, बलतो / 6 म्यास D / 7 पयंपै DE | 8 पदिमिणि , पदमणि D, पदमिण / / 9 लहीजे DEI // 18 // 1 सिंहल दीपि Bo, सीपल दीप D, संघल दीप / 2 अछै DET 3 पदमणी CDI पदमिनि / 4 दख्यण , दखिणि D, दखिण D / ५दिस। 6 विचि DI 7 आगे Os, आडौ / / 8 आवै DE | 9 समुद्र BC, जलद D, जलधि / 10 अथाह D / 19 तिण / 12 तेहनो CE, तेहनौ / / 13 कोई , को / 14 लहर DE | 15 माह DI // 182 // 1 साह कहर B, साह कहि"CI"कहे साँमलि"बात D, 'सुणो व्यास! हजरत कहे बात। 2 मुझ BODE | 3 आगल छ। 4 दरीया BOD, दरिया / 5 पयाल BDE, पयाकि / 6 समेत BD, सबऊ , सबैउ / ७काढउ B, काढो , कादु DR | 8-8 नारि जाइ B, नार जिई०, नारि जाय D, न्यास नारी / / 9 पदमणी , पदमिनि / ... पाला
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________________ चोथो] गोरा वादल पदमिणी चउपई हयगय-पाखरि' सहु सज किया, घोर दमामा' नोवत' दिया। बाहरि' डेरा दीया सही, लसकर सहूवई आया वही // 183 // सिंघल' ऊपरि चडी' साहि, कोपाटोप कीउ पतिसाहि। . पदमिणिसु मनि अति अभिलाष', लसकर लारि सतावीस लाख // 184 // असि' चडि चालिउ' आलिम जिसइ', वह दिसि देस' संकाणा तिसह। गयणंगणि' बहु ऊडह' रेण, सूर" न सिसिहर सूझइ तेण // 185 // सेषनाग सहि सकई न भार, आलिम चालिउ' हुह असवार / घण जिम गाजा गयवर घणा', पार न लाभई सुभटां तणा // 186 // [चोथो खण्ड] // कवित्त // असपति की आरंभ, चडवि चंचल दक्षण' धर। पतिसाहि' कोपीउ, कवण छूटइसिंघल' नर / दल-वादल' पतिसाह', जुडीउ संग्राम सुहड भड। नव लख त्रिगुण" तुरंग, सहस सोलह" मयगल घड। . सुरिज खेह लोपी गया, पायाल? वासुगि डल्यिउ। चिहुँ चक्कराइ संसय" पड्यउ, पातिसाहि५ किसु परि चड्य" // 18 // B ॥१४३॥१पाखर DE | 2 दमामा DE | 3 नोबति DE | 4 बाहिरि DE | ५दीधा D / 6 लारसा B, सहवै D, सहुये E,Aप्रतिमें यह चोपई नहीं है। B214 / 2201 D226 / E253 // ॥१८१सिंहल B, सीहल C, संघल A / 2 चढीयउ 101 3 साह BCE | ४"कीयो पतिसाह Bc. "कीयो"D, दिलीपति रिणवर रिमराह / / ५."स्युं"B, पदमणि'CD, जीतवाद जैत जस हाथ। 6 जगत जीत विरद है तास EI. // 185 // 1 असु BC, अस्व D / 2 चढि D / 3 चाल्यउ B, चाल्यो CDE | 4 आलम BE, असपति / / 5 जिसै DE | 6 लोक BCDE | 7 संकाँणी / 8 जिस D, तिस / 9 गयणंगण B, गया. गिण , गयणागणि- D / 10 उडइ B, बहू उडइ , बहु उडी D / ११"ससिहर'BO, पार न रवि तसु सूझै रेणि D, अंबरि भाँण न सूझे तेणE | // 186 // 1 शेषनाग BC | 2 सकै D, सके / 3 आलम DB | 4 चाल्यउ B, चाल्यो CE, चाल्यौ / / 5 होइ BC, होय D / 6 गाजै / / 7 गयंवर B, गैवर DICघणाँ / 9 लामै D / 10 तणाँ , 182 / B216 / 0222 / D228 / 256-257 / ॥१७॥१अव / २कीयो B, कीयो०, कीयो D, कीय E / 3 चढवि B. चढिवि / 4 दख्यण 0, दाखण दखिण DE| 5 पातसाह Bo, पातिसाह D, दलीपती / / 6 कोपीयउ B, कोपीयो CB, का कोपीयौ DI7 कहाँ 11८छटई B, छुटे DE | S सिंहल BC, सीघल D. सिंघल / / 10 पर। 11 गोरी?A, दलबादल D / 12 पतिसाहि D, रिमराह / 13 जडी BCD. भिडण / 14 तिगुण B01 15 सोलह Bc / 16 संगल B, संघल 0D, सिंघल / / 17 सूरज B0, सरिज D, सूरजि / 18 लोपवि गई 4, लोपी गयो 0, लोपी गयो D, लुकवि गयो।। 19 पायाला BCD, पयाले D, पयालहि / / 20 वासिग Bo, बासिग D, वासिंग छ / 21 दुडउ B, दुर्यो०, दुडो , गड्यौ / / 22 च 801 22-24 चौ धराय सासै पडो D,"""पडै / / 25 पातसाह B, पातिसाह DE | 26 किस B, किसि ODI 27 चब्यो 80, चन्यो /
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________________ कवि हेमरतन कृत // चोपई॥ आलिमसाहि' की इलगार', साथई सबला' जोध जुझार। अखलित गति उलंबी मही', समुद्र समीप आव्या वहीं // 188 // रण-रसीउ नई अति रंढाल, आलिमसाह करइ धख चाल / "बूरी समुद्र करूं' थल-खंड, सिंघलदीप करूं सित' खंड // 189 // पकडु सिंघलपति' जीवत', पदमिणि' आणु त हुँ' हतउं"। ऍम कही ऊतरीउ' साहि', लसकर दीधउ ले जल माहि // 190 // "छडे पयाणे जाउ छडि, सिंघलदीप करउ सित खंडि"। ऍम हुकम आलिम नउ हूउ', लसकर बूडी माहे मू // 191 // आलिम नह अतिचडीउ कोप, कोप तण कीधउ आटोप॥ प्रवहण नाव घडाव्या नवा, चडीया जोध' वली जूझिवा // 192 // लाख-लाख एकीक लहह, रण-रसी कुण' वाँसई रहई॥ आगलि ऍम कहइ वलि धणी, ए वेलाँ छई सुभटॉ' तणी // 193 // // 188 // 1 आलमसाह BO, आलमसाहि DE | 2 कीयो BCDE | 3 अलगार DI 4 साथे BC, साथै OF | 5 सबल BCD, बडा / 6 योध B01 7 झूझार BCDE | 8 एलायति "B, एलायति" उलंगी", पातसाहि औलंघी मही D, बडे पयाणे लंधी मही / 9 समद D, समुंद्र / / 10 समीपह, समीपे B, समीप DE | 11 आव्या BCE, आयौ / 12 सही CDE | A 184 / B219 / 0225 / D231 / E259 / // 18 // 1 रिण-रसीयो BCE, रणरसीयो D / 2 नै D, आलम / ३"ढिग'"'BC,"करै धक"b, पोरस चढि माँडी धक चाल E / 4 बूरउ B, बूरो CDE / 5 करउ B, करो , करौD, खिण / 6 खल-खड BCD, घर-मंड / / 7 सिंहल BO, सीधल D, संघल / 8 करउ B, करो / ९सत CDE | // 190 // 1 पकडउ B, पकडो caa / 2 सिंहल BO, सिंघल D, सीघल / / 3 जीवतो CE, जीवतौ / / 4 पदमणि CD, पदमिण E / 5 आँणउ B, आँणो छ / 6 तो CE, तो D / ७जीत BCD, मै / / 8 हथउ BC, हथौ D, छतो / / 9 इम कही / 10 उतरीयो BCE, उतरीयौ / 11 साह BCE | 12 लीधो , दीधी D, दीधो छ। 13 लेइ B, लें CE, ते / / 15 माँहि 0, माहि / // 191 // 1 छडै / 2 पियाणे , पयाँणे D, प्रयाँणे / / 3 जाजो Bo, जाजी D, जायो / / 4 सिंबल BO, सीघल , शंघल A / 5 करो B, करु D, कीयो / / 6 सितखंड B सतखंड CDs | ७इमते B0, इंमंते D, इमेते E, हुकम हुवउ , हूवो, हुवो D, कीयो E, पतिसाह B, पतिसाहि / / 8 बूढण BCDE | 9 लागउ , लागो CE, लागा D / 10 माहि BCD, माहिं / / // १९२॥१'नई B, आलमन D, तव आलम | 2 मनि BCD, वलि / 3 चडीयउ B, चडीयो OR चढियो / ४"वलि कीधउ टोप,"तणो बलि कीयो","तणौ कीधौ अटोप D, मुज्म वयणनो किम हुइ लोप: / 5 प्रहुंवण D / 6 घडाया छ / 7 चाड्या B0, चाल्या , चन्या / / 8 जूध 0 / 9 बलि B, बले D, तिणे / / 10 झूझिवा BO, झूसवा DB | // 193 // 1 एकीको 0D, एकेको छ। 2 लहई B, लहै DE | 3 रिण-रसीयो BO, रसीयो D, रिण वेला / / 4 किम छ। ५वासइँ B0, बासै D, वाँसे / / 6 रह( B0, रहै DB | ७"बलि","कई बलि D. हम जंपर ऊभो निज धणी / 8 बेलाँ BD, वेला AD / ९छह Bo, छै DAI 20 मुजरा
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________________ चोथो] गोरा वादल पदमिणी चउपई लडी-भिडी सिंघल' मेलयो', माहि जई माझी झेलयो / चाल्या जोध घणा जूझार', पाणी माहि की पइसार // 194 // आगलि कहर' भमइ भमरीउ, जाणि कि सिंघलि' सुर समरीउ / "ते माहे प्रवहण गिया जिसइ, खंडो-खंड हूआ सह तिसइ // 195 // फरीआदे' लागी फरीआदि', ऊगारउ' आलिम अवलादि। दरीउ दूठ महा दुरदंत, उदधि तणउँ नवि लाभइ अंत // 196 // वड-वड सुभट' रह्या जल माहि, अंबुधि न सकइ को अवगाहि / पदमिणि' नारि पडउ पातालि, आलिम ए तुम्ह छंड आलि // 197 // चलत' आलिम इणि परि कहइ', 'मो आगलि क्यु दरीउ रहिइ ? / सुभट मूआ ते गई बलाइ', 'अवर घणेरा आणु जाइ // // 198 // वरस सहस-'इक रहिस्यु इहाँ, विण पदमिणि किम जाउँ तिहाँ। भसपति कीप वलि आरंभ, तेड्या सुभट घणा सारंभ // 199 // 'सुभट सहू संकाणा हीइ, फोकट दरीआ माहे दीइ / 'काम-काज नवि सीझइ कोइ, हठी आलिम न रहइ तोइ // 20 // // 194 // 1 सिंहल BC, सीघल D, सीघंल / 2 भेलिज्यो, भेलज्यो CE, भेलज्यौ / 3 माहे BDI 4 जाइ B0, जाय D / 5 झेलिज्यो B, झालिजो , जेलजौ D / 6 झुझार BCD, झुंझार / 7 पाणी BODI 8 माँहि BDI 9 कीयउ B, कीयो०, कीयो D, कीया / / 10 पइसारि , पैसारि D, पयसार E I A 190 / B225 / 0231 / D237 / E266 / ॥१९५॥१कहह , कहि, कहै D, एक E / 2 भमे , भमै D, भमें E / 3 भमरीयउ B, भमरीयो CE, भमरीयौ / 4 क BC, जाँणि क / 5 सिंहल BO, सिंघल D, सीघल E / 6 मेल्हीयउ B, मेलीयो , मेल्हीयो D, मेल्हीयो E / ७"माँहिँ गया प्रवहण'"B,"माँहि गया प्रवहण", ."महे गया प्रहुवण जिसै D,"माँहि प्रहुवण पहुता जिसै / 8 खंडि B / 9 हुवा ICDE | 1. सवि / 11 निसै DE | // 196 // 1 फरीयादे BODE | 2 फरीयाद BCE | 3 ऊगारो BCE, ऊगारौ / / 4 आलम DRI 5 अवलाद / ६दरीयउ B, दरीयो ,दरीया DE | ७दु BCDI 8 जलद BC | 9 तणो CE, तणौ D / 10 लाभै D, लाभे / ॥१९७॥१बडबड BC | 2 खान E / 3 माँहि / / 4 अबुध"कोउ अवगाह BO"न सकै को"D, .."कोई न सकै अवगाहिँ D / 5 पदिमिणि पदमणि D, पदमिण E / 6 पडो 0E, पडौ / ७."तुझ द्वंडो, आलष"छंडो'D, आलम छाँडो एं हठ आलि EL ॥१९८॥१बलतउ B, वलतो , बलतौ D, बलता / 2 आलम BDE | 3 इण। 4 कहै DET ५"किम"'BC, मुझ"किम दरीया रहै , हम आगै दरीया क्युं रहै / ६."मूवा"वलाइ B, मूवा ...c,"मूवा तौ"D, सुभट मुयैका क्या पछताव E / ७."घणा आणउं बोला B,""घणा आणो , "घणा आणौ बेजाय D, दिल्लीका घर भी दरीयावौं / ॥१९९।१"एक लगि BCDE | 2 रहेस्य उ B, रहे स्यों , रहिसौं D, रहैगे / 3 बिणि / / 4 पद. मणि D, पदमिनी / 5 मै | 6 जावै / 7 कीधो , कीधौ D, चिंत्यो / 8 अति BODI 9 सुहड धणा गज खंभ E / // 200 // १"हीयह Bo," सहुं संकाँणा हीये D, लसकर हू संकाणा होय / 2 दरिया BODB | 3 माहिं cDEI. 4 दीपड BC, दीपै DE | ५"सीझै"D, तिल-इक कारिज सरै न कोई / / 6 हठोयउ BCE, हठया DI 7 आलम BDE | 8 रहै DE | A 196 / B231 / 0237 / D243 / 1271 /
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________________ कवि हेमरतन कृत आलिम मनि' अति अमरस घणउ', पार न पांमइ' दरीआ तण"। खाण पीण' निद्रा परिहरी,' असपति मनि हूई चिंता खरी" // 201 // ॥कवित्त // 'कोपि चडि सुलितॉण', खांण' अर' पनि न भावइ / 'ला इतमार ज नार दार" पद मिणि दिखलावइ / करि सिलांम बहु दुवाहि,"खोदि वन जो इस ऊपरि। "सिंघल दीपि सुमुद्र" १'अछइ, पदमिणी घराघरि / "हुसियार हू अरदास सुणि, 16 १"एक अद्ध पेखाँ जहाँ / "पेखवि समुद्र सासह पडिउ,८ १"कुण खुदाइ खूदे कहाँ // 202 // सुभट' घणा सज कीधा वली, नाव'-इ-नाव घणी सांकली'। इणि परि आलिम ऊभउ कहइ, "लाख तुरी जाई ते लहइ // 203 // सिंघल' मेलइ जे उंबराउ, विवण तेहनइ करुं पसाउ। माहि जई जे माझी हणइ, त्रिगुण पसाउ' करुं तेहनइ // 204 // // 20 // 1 आलम BDE | 2 मन D / 3 अमरष / / 4 घणो CE, घणौ / / 5 पामर BD, पामै D, पाँमै / 6 दरीया BCDE | 7 तणौ D, तणो / 8 खाँणा , खॉन DE | 9 आव B, अनइC, पाँन DE | 10 परहरी BCD | 11 असपति हूई"BC, असपति"D" चिंता धरी EI इसके पश्चात् BC और D प्रतियोंमें यह दोहा हैB. चिंता निद्रा परिहरइ , चिंता लेजाइ सुख / c. " , परहरइ , , , , D. , , पारहरै, लेजाय / B. चिंता अहनिशि तन दहइ, चिंता फेडइ मुख // 0. , अहि निशि तन दहति, , , // D. , , , दहै , , फॅडै फुक // A और प्रतियोंमें यह दोहा नहीं है। ॥२०२॥१कोप BCE | 2 चड्य: BD, चड्यो , बड्यौ / 3 सुलतान B, सलतानि ,सुलताँन / 4 खान B, खाण , खॉन DE | 5 अरु DE | 6 पान BC | ७भावै DB | ८'अबे याराँ! D करो निहाल BO, "करू D, तिसकुं करहु निहाल / 9 जो नार BO, जुनार D, जुपै नार E / 10 पदमणि D, पदमिन B / 11 दिखलावै DE | १२"सलाम"धुंड चाहि B,...सलॉम बहु द्यु'","सलाम हुँ''D, सुनत हुकम सब सूर / / 13 खोदि जल करो दरीया दूर , खोदि जल करो दरीया दूरि , खोदि जल करि दरियादर , प्रबल प्रगटे सूरातन / 14 शंघल ...D, उलटे दल असमाँन / 15 अछै...०, अछै पदमणी D, मनहुँ वन वन सिर रावन / १६"ह"B,""हू अरदासि CD, हुलसे सुभट करि करि हला / 17" अध न पेखद जिहाँ Bc, ""अध न पेखे जिहाँ D, समुंद्र तट आए जम्बहि / १८...सास पडइ B,...साँस पडौ D, दरीयव छैल विषवि दहल / १९"खोदह"Bc,...खोदे जिहाँ D, तन गुमान छूटहि तबहि E // 203 // १शुभट B / 2 बली D / 3 ना नाव 4 घाली 5 किली 6 इण परि BE एण / 7 आलम BDE | ८ऊभौ , ऊमाँ D, ऊभा / ९कह DI 10 जायह , जाय D, जाम्। 11 लहै DE | A 199| B 235 / 0241 | D248 / E2780 ॥२०४॥१संगल B, शिंघल DE | 2 भेले , मेलै DE | 3 उमर B, ऊबरो, उमराब DB | 4 बिमण पसाठ तेहन करउं B, बिमणो पसाउ तेह नइ करो , बिमण पसाव तेहने कराव सुभट लहे ते दूण पसाव / / 5 माहे BD, माहिँ / 6 जाइ BCD / 7-7 माझी नह BO, माझीने D पकडे / 8 हणे D, सिरदार / 9 तिमुण BC, तिवण / 10 पसाव / 11 सही BODI लडे / 12 ते लहइ BC, तसु तणे DIझुंझार / /
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________________ चोथो] गोरा वादल पदमिणी चउपई 'पेसी आणइ जे पदमिणी, धर बहुली नउ हुइ ते धणीं। लालच लोभ' दिखाडइ घणा', "मन्न मनावइ सुभटी तणाँ // 205 // 'पदमिणि नउ अधिकउ अभिलाष, सज्ज कीया सुभटाँ नव लाख। सुभट सहू मनि शंका करइँ, आलिमथी वलि अधिका डरई // 206 // वाघ अनई दो तडिनउ न्याइ. लसकरीओं नइ पुहत आई। जिणि परि तिणि परि "मरिवउ.सही, सुभट सहाव्यासांमही॥ 207 // 'सुभटे छान तेड्यउ व्यास, "रे पापी ! तई घालिउ पास। कुमति किसी तइँ कीधी एह, 'सुभट सहनर कीधउ ह // 208 // ... 'हिव तेइँ कोई हुसी उपाइ', जिणथी आलिम निज घरि जाइ"। व्यास' कहा- "निसुण' वीनती, सहुई सुभट होवउ इक मती // 209 // // 205 // 1 पइसी'E, पइसी 'पदमणी, पैसो आणजे पदमण, आणीछे मुझनें E2 होइते""B, ..'बोहलानो'.c, ''बहुलानी होवै घी , तेह कर दक्षिण दिस घणी / / 3 लालिच BC | 4 एम , दिखाडै // पैमारे धणं / / ७मान: 1, मंत्र न माने "D, मन नवि मानै सुहडाँ तण / / . .. // 206 // 1 पदमणि कउB, पदिमिणिकी अधिको, पटमगिनो अधिकौD, पातिसाह मनि पदमिणि चाह E| २सज कीधा मुभट'''BC, मुभट सजे कीया 'D, मुहड विचारे निज कुल राह / 3. संका'""nc,"संवया कर 1, समुद्र थकी मृत संका धरे | 4 आलमथी मनि"B"मनि ...'', आलमथी मनि'' 'ढरै , आलमी पणि'टरै ! // 207 // 1 वाघ / 2 अनि, अनै DE | 3 तट नउB, दोत डिनो CE, दोतडिनो D| 4 न्याया / 5 लसकरीयाँ ICDE | 6 "नै D, 'ने / / 7 पुहूतो , पहुतो DE | 8 आय D / 9-10 जिण तिण° BE | 11. मरावो , मरियो / / 12 धाया BCVI 13 सामुही B / 11-12 यह अंतिम पाद E प्रतिमें नहीं है / ॥२०८॥१मभटइ। 2 छाँनो CDI 3 तेड्यो , तेडी D, 4 व्यास DI 5 ते D / 6 घाल्यो, घाल्यौ / ७."कीधौ / 8 सफल सुभटनी कीवी छह D, यह चोपई : प्रतिमें नहीं है। इस चोपईके पश्चात् BCD प्रतियोंमें निम्न लिखित दोहे हैं B. वचन बिमासी बोलीए , ए पंडित नउ न्याइ / c. ,, विमासी बोलीइ , ए पंडितनो न्याय / D. बचन बिमासी बोलीयो,.,,,,। B. अविमास्या कार्य करइ , मूरीख ते नर थाह / / c. अणविमासी कार्य जे कहि,,,,, थाय / D. अबिमासी कारिज करै, , , , थाइ / 2, B. लधु बालक पुहवी धणी , ए विहुं एक सुहाउ / C." " " , ,, बेहू , , D., पोहोबी,,,, विहुं, सहाउ। B. रीढ न छंडा आपणी, मावद ते घर जाउ // ०.रीढ, छाडि , , , , घरि // D. रंढ नवि छडै , ,भावै जौ घर , // A और B प्रतियोंमें ये दोहे नहीं हैं। . // 209 // १"ते"हो"",""ते"होइ उपाउ 0, हिव एडवो कोइ करो उपाइ 4 / 2 जिणि D, जिण परि / / .3 आलम BDE | 4 फिरि पाछो / 5 जाय / 6 व्यासि म्यास / / 8 निसुणो CE, निसुणौ / / 9 बीनती / / 10 सह BODE | 11 हुवउ , वो 0. होबो D, होवो। 12 एक BODE | A205 / B244 / 02481 D248 11993 //
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड हिकमति हेक' हलावाँ नवी, 'व्यासह साची मती' सीखवी। सहस एक साकतिसुं तुरी, आधा आणउँ' गज-पाखरी // 210 // पहिरावउ' सोवन सिणगार', कोडि एक आण' दीनार / नाव भराव:* बहु नव नवी, पट्टकूल बहु ऊपरि ठवी // 211 // कंचण' कलस घणा सिरि' ठव', अण दीठा' नर इम सीखवउ / 'सिंघल' पति मेल्हउ'छह डंड, आलिम! अवकइ मुझ नइ छंडि" // 212 // नाक'नमणि' मई कीधी एह, हुँ छु तुम्हनी पगनी खेह'। ऍम कही राख अभिमान', जिम 'बाहुडि जायइ सुलितान" // 213 // अवर उपाइन दीसह कोई, हरषित' सुभट' हुआ सहु कोइ / रातो-राति कीया परपंच, छांना मेल्या सगला संच // 214 // आलिम' साहि न जाणइ वाति', आविउ डंड' हूउ परभात / जागि' आलिम जगती-धणी, मन माहे थी चिंता घणी // 215 // आगलि' वाविउ वाहणि जिसइ, जलधि माहि ते दीठा तिसइ। साहिब कहइ “किसुं छह एह?" तव ते व्यास कहइ ससनेह // 216 // ॥२१०॥१हीकमति BC, हुकमति D / 2 एक BCDE | 3 चलावउ B, चलावो , चलाँउ D, चलावी / 4 व्यासइ Bc, व्यासे D, न्यासै / / 5 मुली D / 6 °स्युं B, सागतिस्यु , साखतिवं, ___ सुं। 6 पाँचसह BC, पाँचसह BC, पाँचसै DE | 7 आगो , आणी D आँणो / // 211 // 1 पहिरावो CE, पहिरवी D / 2 शोवर शिणगार , सिंणगार / 3 आणो , आँणो DE | 4 भरावी CE, भरावी DI // 212 // 1 कंचन / / 2 शिरि B, सिर / 3 ठके C, ठवौ DE | 4 जाण्याँ Bc, जॉण्या D, सिंधा E / 5 'नइ Bo, नै DE | 6 शीखवउ B, सीखवो c, सीखवौ DE | 7 सिंहल BC, सीघल°D, सिंघल / 8 मेल्ह B, मेल्यो , मेल्हे D, मूंकी। 9, D, ए | 10 दंड BCD, पेसे E / 11 आलम DE | 12 अवकइ B, अबकि, अबकै D, मुझकुं / 13 मुझनई BC, "नै D, म दियो / 14 रेस / // 13 // 1 नाकि / 2 नमण / 3 मह BC, मै DE | 4 हू / ५छउं Bo, छु DE | ६तुमारा C, आलम DE | 7 इम / 8 राखो , राखौ D, राख्यौ / 9 अभिमान BI 10 वाहुहि B / 11 जाइ BO, जाए D, जायै / / 12 सुलताण B, सुलताँण , सुलतान:। // 214 // 1 उपाव B, उपाय CDE | २दीसै DE | 3 कोय / 4.5, 6 साँभलि रीझया मनि"। 7 रातौ राति D / 8 करी / / ९प्रपंच B / 10 छाना cD / 11 मेल्हा D / // 215 // 1 आलिमसाह Bo, आलमसाहि D / 2 जाणइं BC, जाँणे D / 3 बात DI 4 आन्या Bo, आया / 5 दंड B / 6 हूयो , हुवै D / 7 परभाति / 8 जाग्यो , जागो D / 9 आलम DI 10 जगनो D / 11 माहि , 'माहे DI यह चोपई : प्रतिमें नहीं है 4 211 / B 250 / 0254 | D264 // ॥१६॥१बाहिरि...A, ...आव्या...जिस B, ...बाहण..., ...आया बाहण जिस D, तितरे प्रवहण आया नेह।। २दरीया...तिस B, दरीया माहे दीठा तेह D, दरीया माहिं दीठा तेह / / ३साहबजी कहाँ किस्युं छइ एह B, साहबजी कहि किसु छइ एह 0, साहबजीर कहे किस एह D, साह वजीर कहै क्या पह / .4 बलतउ प्यास..... बलतो... बलतौ म्यास कहै...बलता...की संसनेह /
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________________ चोथो] गोरा वादल पदमिणी चउपई "सॉमि' सकई त सिंघल तणी, परिघल' आवी पहिरामणी"। झलक. तोरण चूनी चंग, ऊपरि कंचण-कलस उतंग // 217 // फरहर नेजा धज फरहरई', उदधि माहि "आवई इणि परई। आलिम मनि हूउ आणंद, देखी प्रवहण-वाहण-वृंद // 218 // ते पिण' आव्या बाहरि तरी', "साकति 'सगली आगलि करी / असि' नाँखी नई आव्या धाइ', पातिसाहि" नइ लागा पाइ" // 219 // डंड-डोर हय-हाथी घणा', सेवक' आव्या सिंघल तणा' / विनय' करी भाषइ वीनती', "तुं मोटउ छइ डिल्लीपती // 220 // सिंघल पति तुम्ह' पगनी खेह, तिणि महिमाँनी मेल्ही एह / 'ए चूनउ होसी तुम्ह पॉनि', मया करी हिवकई दिउ मॉन // 221 // तुं मोटउ जाणे जगदीस', नमतासुन करउ हिव रीस"। विनय-वचन राजा' रीझीउ', सिंघलपति नई सिरिपाउ दी // 222 // पहिराव्या' सगला परधान, मोटॉ नई परि दीधु" मॉन'। सिंघलपति "युंजे मेल्ह', ते सुभटाँ नई विहची 'दीउ // 223 // // 217 // 1 स्वामि BCE, सामि D / 2 सकई B, सकै, DE | 3 तो BCDE | 4 सिंहल BC, सिघल धणी DR | ५...पहिरावणी BD, मेल्ही पेस एह हजरत भणी E / 6 झलकह BO, झलकत D, झलकै / / 7 कंचन DI // 28 // 1 फरहरै D, फरहरें E | दरिया BCD, सागर / / 3 बिचि D, विचि / / 4 आवा BC, आवै DE | 5 परि 0, परै DE | 6 आलम DE | 7 मन / 8 हूवउ B | हुवा , हुयो / 9 बाहण-बंद DI // 219 // 1 परि B, पणि CD, तितरै / 2 आया DE | 3 बहिरि , बाहण तिरी D, वाहण तिरी / / 4 सौंकलि B, साखति , सागत E / 5 शगली B, सघली E / 6 धरी / 7 अस B, खडग CDI 8 नाखि नइ B, नाखइ नइ , नाखिने D, नाँखिनै / 9 आया DE | 10 धाय DI 11 पातसाह Bo, पातिसाह / 12 नई B, नै D, के E| 13 लागइँ BC | 14 पाय BE | // 220 // 1 घणा BCD I 2 आन्याँ B, आया / / 3 सिंहल EC, सिंघल DI 4 तणां / / 5 बिनै DI 6 भाष( B, भाषे / / 7 बीनती / / 8 तउ (तूं०) छई मोटो Bo, तुम्ह छौ मोटा साहिब दिलीपती D, तुम्ह हो मोटा दिलीपती E | प्रथम अर्द्धाळी E प्रतिमें नहीं है। // 22 // 1 संगल' B, संघल' 0, सीपल' D, सिघल' / 2 तुम / 3 तिण D / 4 महिमानी / 5 बोली BC, भेजी DE | ६""पान B,"हूँ चनो'"तुम पान ,"तुम पाँन D, यहुंचना हंगा तुम पाँन / ७"यो मान B, हिवकि यो मान , हिवै दौ मुशिमान D, लीजै हम माँन / A 217 / B256 / 0 260 / D270 / E307-308 / // 222 // १"मोटो.c, तू मोटो'D, तुम हो दुनियाँ सिर जगदीस / २'स्युं B, नमतासु D, सुं CE | 3 डिव केही B हिवि केही 0. हिवै केही / / 4 बिनै / / ५बचन D / 6 आलम DE | 7 रंजीयो B0, रंजीयौ D, रीझीयो / 8.9 'ना A, सिंहल पति नई B, सिंहल पति""0. सिघलजी नै D, सिंघल हुँ। 10 सिरिपा A,सिरपाउ B, सिरपाऊ , सिरपाव D, सिरपावज।। ११दीयो CE, दीयौ / / ॥२३॥१पहिराया DBT 2 परधान BODI 3 नौनी BODE | 4 दीघउ / ५मान BODI ६सिंहल' 10. सीधल D. सिंघल / जे जे B. जि. जे जे DBI मेला . मेल्हीयो HODAI S 'ना, नई 8, 'नै D, सहगने / 10 दोउं , बीयो BODE |
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________________ - कषि हेमरतन कृत 'मान मुहतहुँ मेल्या तेह, सिंघलपतिसुकी सनेह / 'व्यास तणी सहु समरी वात', "मेली धीगडि धात-धात // 224 // दूहा // [जेह नइ' घटि 'बहु 'बुद्धि वसई', 'ते सारइ सहु काम। " भंजइ गंजइ वलि घडइ', 'वलि आणइ निज ठाम // 225 // ] कूच कोउ असंपति' पतिसाहि', आविउ डिल्लीपुरि' निज माहि। ठोडि छोडि गूडी ऊछली, गोखि-गोखि बहु नारी मिली // 226 // कवित्त // मिलीया' मीर मलिक, साहिजादा हिंदू सहि / "कहाँ सुरे पदमिणी', खारि खाधडे लसकर सहि / राघव जपह' इस', "कहिउँ हमारा कीजइ। आण माल बहुत", साहि" पाछ५ वालीजई"। अछह लाछि अरदास' सुणि, असिपति डंड भराई। सुलिताण' ताम" सब झाइ करि, बाहुडि डिल्ली" आई५ // 227 // // 224 // 1 माँन DB | 2 महुतस्युं B, 'स्युं 8, महतसुं D, महुतसुं। 3 मेल्या 9, मेव्हा DB | 4 सिंहलपतिस्यु B, संघल , सीघल D, सिंघल' / 5 कीयउ B, कीयो cD, करी / 6 व्यास "वात D, व्यास तणी पर सुखरी वात / / ७धातोधात B,"धाते धात 9, मेली जिम-तिम धातौ-धात D, जिम-तिम मेली धाते धात / / ___ // 225 // 1 जिहनइ B0, जेहनै , ज्यौँ / 2-3 बुद्धि बहु BD, बुधि बहु , बहुली बुधि / / 4 बसइ B, बस DI ५"बहु","सारै"कॉम D, नीत रीत परिणाम / / 6 मंजि गंजि", भजे गंजै बलि घडे D, घडि भंजे, भाँजै घडे / / ७"ठामि , बलि आणै"ठामि D, सकल सुधार काँम प्रतिमें यह दोहा नहीं है। - // 26 // 1 कीयउ B, कीयो , कीयौ / / 2 पतिसाह B, पतसाह 0, पतिसाहिDI 3 आव्यर , आव्यो , आयो DI 4 डिलीपुर , दिलीपती DI 5 निज माँहि B0, निज माहिDI 6 ठउडिठउडि B, ठोडि ठोडि 0, ठामिठामि / / 7 गउखिनउखि B, गोखि-गोखि 0D I : प्रतिमें यह चोपई नहीं है। 226 / B261 / 0265 / D276 / - 1 मिलीआ 0 / 2 मिलक D / ही, / / 4 काहाँ , काहा / / 5 पदमणी / खायो, खाधी D / जंपै / / 8 इसु / / 9 कधूउ B, को कहीयो / 10 हमारउ B, .. हमारो, हमारी / / 15 कीजई B, कीजै DI 12 आणो , आणौ / / 15 बहूत / १४सार 01 १५पाछो, पाछो DI 16 बालीज, बालीजे 01.17 अछ / 18 पेस BODI 19 अरदासि D / 20 भरायउ B, भराइयो, भरावीया I 21 सरिताण, . सुबताण B, मुलताणि 0, सुरताण DI 22 ताम BDI 25 भूलाइ की BODI E दिली दीली DI 25 आश्यड B, आईयो 0, आईयो / प्रतिमें वह पीपई नहीं है। 222 / 3292 0266 / / 277 /
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________________ 1 . पाँचमो] गोरा वादल पदमिणी चंउपई [पाँचमो खण्ड] ||चोपई॥ असिपति आविउ निज पुरि जिसइ', ठोडि-ठोडि नर भाषई तिसंह। पदमिणि' नारि ‘पखई पतिसाह, 'किम °आविउ' "विण कीह विवाह // 228 // आलिमसाहि' 'हत आकरउ, "पिण हिव सरल उपाधरउ / ..... विण परगी आवि पदमिगी', ठोडि-ठोडि भाषई कॉमिगी" // 229 // आलिम' आविउँ निज आवासि', लेह शस्त्र महि गयउ खबास।.. माहि मेल्हि ते वलीउ जिसइ, बडकणि' बीबी बोलई तिसई // 230 // "पातिसाहि' परणी पदमिणी, ते दिखलावउ अब हम भणी।... जात्तकरी जोवा दीदार, निजरि निहाला हम इक' वार।। 231 // जसु घरि पदमिणि' नही दोइ च्यार, सगल सूनउ तसु संसार। तेह तणी सुलिताणी किसी'? जेहसुं पदमिणि न रमह हसी // 232 // 24 पातिसाहि' हिव' पदमिणि पखें', ठालउ" आय हुइ घरि रखे"। बीबी विलख' की खवास', आवी" पुहत आलिम पासि" // 233 // // 228 // 1 आव्यउ B, आयो , आयौ D; आया / / 2. निज तखत BDE, निज तखतह / 3 जिस B, तिसह तिसै D, जिसै E 4 ठउडिराउडि BC, ठामिठामि D, ठोडि ठोडि | 5 भाषा, भाषे DR | 6 तिस BE, जिसइ 8, इसह D / 7 पदिमिणि, पदमणि D, पदमिण छ / 8 पखा, पखै , सरिसै / 9 क्युं / 10 आयउ B, आयो , आयौ D, आए / 11 विणि D, बिर्नु / 12 कीयइ BC, कीया D, कीधे / 13 ब्याह EL. // 229 // 1 आलिमसाह B, आलमसाह OF, आलमसाहि D / 2 हुतो , हुतौ D, हुते / / 3 आकरो, - आकरौ D, आकरे / 4 पिण, पणि DE | ५हिवि 0, हिवै D, अबकै / ६हवी 0, हुवी - हुयै / / ७पाधरो , पाधरौ D, पाथरे / 8 विण D, विनुं / ९परण्या / / 10 आव्य B, ठोडि ठोडि 0, ठामिठामि D, ठाँम-ठाम / 13 भाषि , भाषे DR | 14 कामिणी , कॉमनी D, कॉमनी / // 230 // 1 आलम BDE | 2 आव्यउ B, आव्यो , आयौ D, पहुंता / / 3 आवास BE, आन्यासि / 4 शस्त्र लेई गयो माहि खवास B, सस्त्र लेई गयो माँहि खवास, ससत्र लेइ गयो माहे खवास D, खा बडायो आइ खवास / 5 माहे / 6 'नइ BE, मेलिना , मुकीनै DI ७वलीयउ B, वलीयो०, बलीयो D, वलियौ / 8 जिसइँ / 9 बडकण BOD, बरकत / 10 बोलै D, बोली / / 11 तिसई B, तिसै DEI - // 2 // 1 पतिसाह 08 | 2 पदमणी D / 3 ति B, सो छ / 4 दिखलावो / 5 तणी / जातिकरा , जातकरा D, जातिकराँ / 7 देखाँ BODEI नजरि B, नजर / 9 निहाल B, निहालौँ CDs 10 टुक BODE | 11 एक वार BODI . २॥१जस / / 2 पदमणि D, पदमिन / / 3 दोह-च्यारि BCD, दर च्यार ४सब ही जड तसु संसार BO, अब ही जड तसु घर बार , है तिसका कैसा अवतार / ५."सुलताणी ...B, अब तेरी पतिसाही किसी DE | 6 जेहस्युरमई"B, जेहस्यु', जेहस्यो पदनणि D, जे पदमनि सुन-सुन में हसी ॥२५॥१पातसाह BOE, पातिसाह DI 2 अबे BE, अब 0, भाए DI पदमणि / 4 पखए . परी D ५वालो BODE I'6 आयो BODE T 7 होइ BODB | ८बिलखो CDE | कीयो BODRI 1. खवास / 11 आवि / 12 पहुंतौ DI 13 आलम BDS | 14 पास.A२२८ / B267 / 0271-0282 / 121
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________________ 33 कवि हेमरतन कृत [खेर 'बात सहू सविवेकी कही', असपति' रीस हीया महि ग्रहीं। मालिम मंडिउ' अधिक अभ्यास', 'ततखिणि तेडिउ वलि ते व्यास // 234 // "सिंघलदीप पखे पदमिणी', 'वले किहाँ छइ कहि मुझ भणी"। 'व्यास कहा- "संभलि सुलिताण', 'इक वलि पदमिणिर्नु अहि ठाँण // 235 // चिंहु' दिसि चविउ गढ चीतोड, वांझाचल महि विसमा ठोडि। रतनसेन राजा रंढाल', "कलह करूर महा कंधाल° // 236 // तसु घरि नारि अछह पदमिणी', 'सेषनाग सिरि जिम हुह मणी / "लेई न सकह कोई तेह', तिणि' कारणि सुंभाऱ्या 'एह" // 237 // साह कहई-"संभलि' हों बंभ,' एवडुउ' फोकट की आरंभ। बीजी वात सहू हिव तिज', गढ चीतोड" तण मुंगज" // 238 ऊभा-ऊभि ली पदमिणी, जीवतउ पकड़े गढन धणी"। 'सबल सेन ले आलिम चडिउ', 'धर धूजी वासिग धडहडिः // 239 // // 234 // इसके पूर्व निम्नलिखित चोपई BCDE प्रतियों में क्षेपक रूपमें मिलती है B“पातिसाह जीव कोडि वरीस , बीबी हासा मिसि करि रीस / C पातसाह जीवो , , , , , ,कीधी / D पातिसाहि जीवौ बरीस , , हासौं ,, , / E हजरत जीवो वरीस , हमसुं कीन्ही / Bहासा मिसि मुझ कहीया षणा , नाजक बोल पदमिणी तणां / on nघणा , नाजिक पदमणि तणा। D, मिस मुखि, , , नजक पदमिणी तों। E, मिसि घणा कमा ,,मोसा पदमिन नारी तणा। 1 बात'"सबिबेकी D, नगर वात पणि सगली लही / / 2 अमुपति / / ३हीया माहि Bहीया माँहि 0, 'मै DI 4 गृही BCDE | 5 आलम DB | 6 माझ्यउ B,माख्यो ,माडौ , माग्यो / 7 प्रयास।। ८ततखिण तेडाग्यो ते व्यास B, ततिखिण तेडाव्यो ते व्यास 0, ततखिण वेडायो ते व्यास D, तेढायो वलि राघवच्यास। सूचनिका-इसके नीचे एक कवित है, देखो सं० 240 / ॥२३५॥१.सिंघल BOD, सीघल / / 2 पखइ BOD, पखें / / 3 पदमिनी / ४बहुरि किहाँ कहि मुझ भणी BD, बहू', कहि बै व्यास कहाँ तें सुनी / / ५."भण"सुलताण "मणरें" जीवै हजरत इस दुनियाँन / एक वले पदमिणि अहि ठाण BD, एक वले पदमणि अहि ठाण है पदमिन एक हींदूस्थान / / // 236 // 1 चिहू , चिहु / 2 चिक / 3 चावो / 4 चीत्रोड BODI 5 वीझाचल , बींझाचल B / 6 माँहि , मै / / 7 विसमी BODHI 8 ठउडि B, ठोड ।।रिणधीर / / १०"कुदाल BOD, रजवट सिरै चढावै नीर / // 27 // 1 अछै / 2 पदमिनी / ३"सोहर जिल'""BD, सेष-सीस जिम सोहर मणी, रजवट सिरै चढावै नीर / ४."तिहाँ BOD, ले न सकीजे किण ही तिहाँ / / ५तिण BDN | 'स्य BODE | 7 भाषउं BD, भाषों , कहीयै / / ८जिहाँ BOB | ॥१८॥१साहिDI 2 कहाँ B, कहि, कहै DBI 3 साँभलि DSI4 ।५म्यास वड एवंडो, पहिली / / 7 फोगट / 8 कीयउ B, कीयो / 9 प्रयास।। 6.8 यह पाद प्रतिमें नहीं है। १०."अब तजउ BOD, अब जी सही बातो तजो . 11 चित्रोडि B0 (1) 12 तणो OR, तणौ / / 13 शुं 4, स्युं BD, क्या D / 14 गजो CD, गजौ।। ॥२३९॥१ऊमाँऊम D, ऊमा-ऊमा। 2 लेवउं लेऊ लेदं (1) D, स्याई जीवते..... पकड""B, जीवतो पकडो गढ़नो धणी 4 जीवतो"गढनौ"Dपकडि जीवतो गढको धणी / ४५के खान पर यह अाली क्षेपक है दिन दस-पाँच रही ते करी BODE, संबल सनाखति (सनापति B) सावति (सावति )करी BODAI .. .
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________________ पाँचमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई // कवित्त // सलहदार हथीयार, लेह आगलि अवधारी। सभाली सर-सेलि, माहि' मेजी भंडारी / बीबी तब पूछीउ', "कहाँ पदमिणि' तुम्हि आँणी। च्यारि-पंच नही पदमिणि', किसी तिसकी सुलिताँणी। तेडावि व्यास तत्तखिणिहि', पूछइ वात विगति वह / सिंघला३ टालि" जिणि ठाणि हइ", कहाँ" राघव "पदमिणि कहू // 240 // हसि बोलइ सुलतॉण', 'माण 'धरि मूछ' मरोडी। "रतनसेन ‘करुं बंदि, चित्रगढ' 'भाजु बोडी / पलाण्या३ पतिसाह,१५ १'जलय-थल बहु अकुलाँणइ। स्रग्गि" इंद्र खलभलिउ", पड्या दह- देस भगाँणइ"। "फणिवइ पयालि वासुगि दुड्यां", "कहइ साहि विग्रह करें। समारं सदेस हिँदूआण कउ२३, "एक-एक जीवित धरूं // 241 // इसके पश्चात् BCDE प्रतियोंमें यह अर्द्धाली क्षेपक रूपमें है B मीर-मुगल वाहुडि सज थया, आधी राति दमाँमा हुया। Cमूंगल बहुडि सजि , , , , ,हुआ। D,जोधा वाहुडि जस कीया , , , ,दीया / E,., , कीया , , , , , ४४.."चब्य3 B,"चच्यो ,"सेनि ले आलम चडौ D,"सेनसु आलम चन्यो / / 5.5." धडहड्यउ B,...धडहड्यो ,"बासिग धडहड्यौ D,"वासिंग धडहड्यो E 14 234 / 3 277 / 0279 / D212 / 332 / // 240 // सूचना-यह कवित्त BCD प्रतियोंमें चोपई संख्या 234 के नीचे दिया है और प्रतिमें नहीं है। 1 माहि BODI 2 भेज्यउ BD, भेज्यो / 3 पूछीयो BODI 4 पदमणी DI 5 तुम / 6 आणी / / 7 दोइ-च्यारि DODI 8 पदमणी DI 9 सुलतानी B, सुलतानी D / 10. व्यास D / 11 ततखिण, B, तितखिणहOD | 12 पछै बात बिगती बहु / 13 सिंह लि B, सिंहल, सीघल D / 14 वगारि BO, विगर D / १५जिहि BODI 16 ठउरि B, ठोर D / 17 हय / / 18 किहाँ Bo, किहा D / 19 पदमिणि , पदमणि DI 20 कहो , कहुं DI BOD प्रतियोंमें यह कवित्त चोपई संख्या 234 के नीचे दिया है। प्रतिमें यह नहीं है। // 24 // 1 बोले , बोल्यो / 2 सुलताण B, सुलताणि 0, सुरताँण D, सुलतान / / 3-6 कहाँ राघव! पदमिणि कहु / 3 माँण , माँन / 7-9 रतनसँन गढ चित्रकोट / ७रतनसेंनि DI 8 करों B, कुं। 9 वंदि D, पकडि / 10-12 गहिलोत राह पहु / 10 चीत्रगढ D / 11 भाजउं B, भाजी , नाखहुं / / 12 तोडी DB | 13-14 पलाँणीया अलावदी , पलाण्या पतिसाहिD, हय कंपे चक च्यार / / 15 जल-थल अकुलाणइ, जल-थल बहू अकुलाणे, जलय थल बहुं अकुलाँणे D, थरकि जलनिधि अकुलाँणौ / / 16 सरग BOD, सरगि।। 17 खलभली BCD, खलमल्यो / 18 पख्य B, पड्यो OE, पडी।। 19 दस-देस Bo, देस-देस D, दस-दिसिहि / / 20 भंगाणे D, भंगाणो / २१...वासिग...B,वासिग डर्यो, फण बय पयाल बासिग होD, फरमान देस देसहि फटे / / २२...करउं B,...करों 0, कहे...विग्रह...०, सब दुनियाँ असी सनी।। 23 मारउं B...हिंदूवाण...B, मारू देस हिंदवाणको 0, यो पटु देस हिंदवाण सब D, मारि हैं रतन हीदुऑन पति / / 24 कोइ-कोई जीवतउ धरउ B, कोई कोई जीवतो धरू, कोइकह जीवतो धरु D, साहिं पकडि है पदमिनी / BODB प्रतियोंमें यह चोपई संख्या 239 के नीचे दिया। A236, 3278,0280, D293,333 / /
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________________ 382 कवि हेमरतन कृत [छठो खण्ड] गढ चीतोड' तणी तलहटी, आविउ असिपति इणि परि हठी। लाख सतावीस लसकर लार, 'हथीयारे लागा हथियार // 242 // महगल' सबल कर सारसी, हय हीसारव भट पारसी। आतसबाजी अधिक अगाज', गोला-नालि रह्या बहु गाजि // 243 // दह दिसि मंड्या बहु दुमदमा', 'सुभट सहू दीसई ऊजमा। "ढलकई चिहुँ दिसि बहु ढीकुली', 'न सकइ कोइ पइसी नीकली' // 244 // दुमकि' दुमामा घूमई घणा', 'वाजइ ढोल घण-साँघिणा। भभका भुंगल' मेरी भूर', रणकई रोस भरया रण-तूर' // 245 // हुई' सरणाई सिंधू साद, परबत माहि' पडई पडसाद / / हठी आलिम साहि अभंग', जुद्ध तणा करि जाणइ जंग // 246 // रतनसेन' पिण रोसह चडिउ', दीठ आलिम आवी पडिउ। सुभट सेंन सज कीधी सहू', बलवंत बोलह बहसे बह // 247 // "साहि भलई तुं आविउ सही', 'पिणि हिव नासि म जाए वहीं। नासंता छह नर नई खोडि', हुँ ठाव छु' इण हिजि ठोडि" // 248 // // 242 // 1 चीत्रोड BC, चीतौड 3 | 2 अनुक्रमि आया असपति हठी , अनुक्रमि आयो असपति...0, __अनुक्रमि आयौ असपति हठी , अनुक्रमि आयौ आलम हठी है। 3 हथियार दीसह..., ........दीसइ हथीयार ,....दीसै...D डेरा दीया अति विस्तार E . // 243 // 1, मइँगल B, मयगल D, मेंगल। 2 कर D, करें | 3 हींसारव B, हीसे हींसें / / 4 मुगल BCD, मूंगल / 5 अति / / 6 अगास D / 7 अग्राज / / ... // 245 // १दिस। 2 मॉड्याँ , माड्यौँ / 3 दमदमा BCDE | 4 सुभट्या सहू दीसह जमा है, . ...दीस ऊजमा 0, ...सहुं दीसै उजमा , माँडी नालि वलि चिहुयै गमा / / 5 ढलकर बिहुं दिसि ...बहु दीकुली B, ढलकर बिहु दिसि बहु दीकली , ढलकै...ढीकली D, ढलकै ठाँमठॉम डाली। ६...नीकली BOD, न सके को पैसी नीकली। // 45 // १...दमामा घूम....B, दुमका दाँमा धूम....0, ...दाँमा धूम...D, पास नगरे भूजे धरा / २...घणाहू घणा B0, बाजै ढोल नही कार मणा D, गॅज्या गयण अनै गिरवरौं / भमकै DRI ४.मूंगल B, मूगल, मुंगल DE | 5 भूरि / 6 रणकरें B, रणकै D 8 भरायद तूर * B0, भराया तूरि D, भराणा तूर / // 256 // 1 सुर BODE | 2 सीधू D, साँधू / / 3 परवति B| 4 माँहि BC| ५पडा B पडै DRI 6 परसाद / 7 हठीयो BOD, हठीयौ / 8 आलमसाह Bo, आलमसाहि DE / ९ऽलाव (अलाव) / 10 जुध...जाणह...B, जोधि...जाणइ...०, जुध जुख्या करि जाँणे जंग D, गढ भाँजण भनि चिंतें दाव।। // 27 // 1 रतनसेनि BD | 2 पणि BODE | 3 रोसइ B, रोसि , रोसे D, रोसें / / 4 चयउ , चन्यो , चढ्यौ D, चच्यौ / / ५दीठो CE, दीठौ / / ६आलम ODI 7 पन्य 80, पडी , / अख्यौ / / 8 तेडाया / ९बहू BCE, सहुं / 10 बोले D, आया / / 11 सहू। 242 / B284 / 0285 / D299 / / 339 / राणा रतनसेनजी दूत मोकली एम कहायो-B. // 248 // १...आम्यउ...:, ...मला तू आव्यो...०, साँहि भलै तू आयो सही D, अम् उपरि आया छौ सही।। 2 पणि नासि म जाजो जी चिप मही 80, नौसि म जाजो खिमजो रही D, नासि मजाजो खमयो रही / / 3 नासता BODE / 4 छै / / 5 नरने। 0, नरनै / 3-6 नासता हींदू नै खौडि / / ७हूँ B, ODI ८ठावोठावौ DE | 9 छ& B, छु / १.णहीण हीज , इणि हीज / / 11 ठउडि B, ठोदि कठोड ,ठौडि।
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________________ गोरा बादल पदमिणी चउपई हिवा' दिखाडिसु माहरा हाथ, तु' पिणि' सज' करे' निज साथ / ढीलीपति मत' ढीलउ रहा', सुभट" तिको" जे पहिली" कहह" // 249 // हुँ सिंघलथी' आघिउ नासि, तिणि' कारणि' तोनइ शाबासि / तोना छईनासणनी टेव, दीठह' मुंहि" मत नासइ हेव'"" // 250 // की कोट सजे साबत, फिरतां दीसइ अति फाबतउ / पोलि' जडावी पेठा' माहि', सुभट घणा साह्या गज-गाहि // 251 // 'भागलि पतिसाह अराति कराल, तेल पड्य' बलि ऊठी झाल। हिंदू बोल' बघा' 'बडा, अब क्या "सुभटो देखो खडा // 252 // गढ रोहउ मंडाण घणउ, तिम-तिम कोप वधई बिहुं तण। ही बलवंत बेही दूठ, पूरउ परिगह बिहुंनी पूठि // 253 // जे भाजा ते लाजरें 'घj, कुल अजूआलई आपणुं / गोला-नालि वहई ढीकली', 'बाहरि को न सकइ नीकली // 254 // गोफणि गणि' वहाँ अति घणी, रीठ पडई अति रोढाँ' तणी / कुहक बाण करडाटा करई', 'लसकर लघी जाई परई // 255 // ९.१हिवह BO, हिवै D, हिवे / 2 दिखाडिसि BC, दिखाडसि D, दिखा डिस / ३तूं B, तू cD, तुम्ह।। 4 पिण BC, पणि DE | ५सज CD, सझE। ६कीयौ / ७डिल्ली° B, डिलीपती / 8 मति BCE | 9 ढीलो , ढीली DE | 10 रहा , रहै DEI 11 शुभट B, सकज / 12 तिकउ BO, तिको D, तेह / 13 जो BODE | 14 पहिलो D / १५कहाँ B, कहै DEI // 15 // १हूँ BR, तू 0D / 2 सिंघल' , सिंघलि , सीवलत D, सींवलतें / 3 आव्यउ B, आल्यो , आयो D, आयौ / 4 तिण BDE, तिणि तो 0 / 5 वातै / 6 तो B, तुझ 0, तोने , तुझनें / 7 सावासि BOD, स्यावासि / 8 तुझनै DE | 9 नासणरी छह B, नासणरी में 05, नासणरी छै / / १०दी? DE | 11 मुहि , मुहर, मुखि DE | 12 मति BCD | 13 जाऐ B, जाइ 0, जाज्यों D, भाजो / // 25 // 1 कीधो DB / 2 सावतो ODE 3 फिरतउ..., फिरतो...फाबतो... फिरतौ दीसै C, फाबतौ D, भुरज भीत चिहुं दिसि फबती E | 4 पउलि B / 5 पाठ B, पेठो , पैठो D / 6 माँहि ७शुभट / ८गाह BCD | अंतिम अर्द्धाली प्रतिमें नहीं है। ॥५२॥१"अति विकराल 0, ""आलम अति असराल D, आलिम आगि सदा असराल / 2 पडो, पज्यो / 3 नै / 4 बोलइ / 5 विद्या , कमा / 6 वडा B, बि वडा / 7 याएँ DEI 8 देखो CE, देखौ / / // 25 // 1 गढरो हो cD, गढरो हौ / / 2 मंडाणो B, मंडांणौ 0, मंडाणी / / 3 घणो , घणी DE | YNE. D. वध्यौ / 5 बिष्ट तणो E, 'तणी DE | 6 बेवैबेई BCDs | 7 पुरो ODE | 8 परिग्रह B, परिग्रिह 0 / 9 बिहनी B, बिहूनी 0, वेहई D, बिहु / 10 पूठ / // 35 // 1 भाजै DB | 2 लाजइ BC, लाजै DB | 3 घणउ B, घणो , घणी DE | 4 उजवाला B, उजबालै D, ऊजाले / 5 ते D / 6 आपणउ B, आपणो , आपणौ DE | 7 वहाँ B, वहि, यो D, वहै / ८ढीकुली B, ढीकुली 0, ढींकली। ९बाहिरि B, बाहिर / 10 कोइ B, कोई 0 को / 11 सकै DE I A 248 / B 291 / 0 292 / 0 313 / / 382 / // 55 // गयण ODB | 2 वहइ , बहै D, वहै / 3 पडद, पडै DE | 4 गिर D, सिर ।।५रौढाँ / / ६कोहोक बाण D, कुहक बाँण / / 7 कडडाटा D, गडडाहा / / 8 करै DE | ९...जाय परह, ...माजी जाय पर D, गैवर घोडा मंगल भरै / /
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________________ [खंड कवि हेमरतन कृत वाण' बिछूटइँ बेटई तणी', 'फूटई फोज "चिहुं 'दिसि 'घणी / 'झूझ-बूझई सघली कला', "भुरजि-भुरजि भड ऊछौंछला // 256 // झाडइ झंडा पाडईं पाघ', ऊडाडई धज गयणि अथाग / "ताकइ हाकइ वाहइ तीर', मारइ मगगल मुंगल मार' // 257 / / फाडइ डेरा हेरा करी, न सकइ को पेसी नीसरी / कलली कोप करई कंधाल, फारक मारि करई द्यई फाल // 258 / / कोट 'तणा 'सगला काँगुरा, बीटी वइसई जिम वानरा / वालई वाधी कवडी' हणई, मरण तण भय "मनि नवि गिणई // 259 // रतनसॅन' वाँसइ राजॉन', 'पूरइ पाणी नइ पकवान / "जूझई सुभट सनेही सहू, आलिम मनि हुई चिंता वह // 260 // आलिमसाहि' कहई-"साँभल, सुभट सह को भेला मिल / गढ ऊपाडउँ द्यः सीघडा, "पाड भुरज हिंड' घडा // 266 / / सवल सुरंग दी गढ हे ठि', देखी न सका जिम को द्रठि / / कोट तणां ढाह काँगुग', पाडउँ खाँणि धकाव धरा // 262 // // 256 // 1 बाँण / / 2 व र C, विटै D, विछूटे / टर, नटे D, / मा / / / 5 फूटइ C, फूटै ), फाटे / / 6 फोना / / 7 निहू B, चिहू , विदु। दिस। 9 तणी E / 10 झूझ-बूझड...c, भार वण मुगला विण भीच / 51 भुरज भुरज भिटई उछालला B, भुरज भुरज भिढई उठाछला C, बुरजि-बुजि मि उछालला D, भुरजे-भुरजे ऊभा भीछE // 257 // 1 झाढई B, झाडै DE | 2 पाडइ 0, पाडे DI 3 पाथ BED, पाग / 4 उडादर , उडावद, उडा, ऊढाई E / 5 गयण BCDE I 6 अवाथ BC, अबाथ D / ताकई हाक वाह."B, ताकई हाकई बाहि...c, ताकै हाकै बाहै ...1), ताकि हाकि इम वहै तीर / 7 मारद ...मुगला..., मारइ मलंगल...C, मारे मुगल सबली भीर , पाडे खाँन निबाबा मीर / // 258 // १फाई DE | 2 डैरा D / ३सकर न सके DE | 4 पइसी BC, पैसी D, कटक तणा / ५नीकली DI 6 कर, करे / / ७बहु BC, देइE प्रतिमें यह अर्ध्वाली नहीं है। // 259 // १'तणां B, कोटि तणां / 2 सघना DE | 3 कोंगरा।। 4 बीटी D, वींटी / 5 बाठा B, बैठा DE | 6 वानरा IC, बाँनरा / / 7 वालइ BC, दाल , वाले / / 8 वाधी B, बांधी CDE | 9 कउडी B, कोडी CDI 10 हण RC, हणे DE | 11 तणो CE, तणी D / 12 तिला 13 गणE BC, गणै DRI // 260 // 1 रतनसेनि D / 2 वाँस , वासे , वासै D / वाँसे E. 3 राजान / / ४...पकवान B, "पाणी...c, अन्न-पान पूरै पकवॉन D, दिये वधारा कर सम्मान / ५झूझइ BC, झूझे D, झुझे / / 6 सनेहा IRCIPE | 7 आलभ DE I A254 / / 297 / 8 298 | D 323 / / 392 / // 261 // 1 अलिमसाह Bc, आलम साह / / 2 याहै / / 3 साँमलो CE, साँभली DI 4 महट / 5 सबै / 6 कोउ BC, अब DE | 7 ले ले / 8 मिलो CE, मिलौ / 9 ऊपाडो, ऊपाडौं D, उडाडो E / 10 द्यो , दो D, दे / 11 पाडो CE, पाडौ / 12 बुरज BCDE | 13 हुवउ B, हुयो , होइ D, लागौ / / // 262 // १"दीयउ...B,...दीयो...c,...दियो गढ हेठ D, सुरँग लगावो मढनै हेठ / 2 देखि न / 3 सकै DB | 4 कोइ CE, कोई / 5 द्रेठ / 6 तणाँ / ७पाहो , पाडै / / 8 कागरों 0, कागुरा D, काँगरा / 9 पाडो C, पाडौ DE | 10 खाणि B0 | 11 थकावो , धुखावो DB |
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________________ छठो] गोरा वादल पदमिणी घउपई आसि-पासि पइसारउ करउ', कार्मु मरण थकी मनि डर'१. लॉबी ले नीसरणी ठवउ", एकी ‘कउ रोढउँ खेसव' // 263 // लाख लाख ल्य' रोढा तण, गढ ऊपाडि कर' ऑगण"। सुभट सहू को धाया धसी, आलिमसाहि हू मनि खुसी // 264 // रण-रसीउ जोवइ रमि राह, हलकारह पूठईं पतिसाह। ढीलीपति ढोवउ माँडीउ', 'पिण नवि कोट चिनी खाँडी // 265 // साँझ लगइ' हूउ संग्राम', पिण नवि सीध: कोइ कॉम / घणा मराव्या मुंगल' मीर, असिपति माँनी हीयइ हीर१॥ 266 // 'आलिमसाहि करइ आलोच', लसकर माहि हूउ संकोच / / व्यास' कहइ'-"संभलि सुलिताण', कोट न लीजइ किम' ही प्रॉण' // 267 // 'छानउ कोइ करउ छल-भेद, 'मत परगास मरम मजेद / "वात करावउँ कपटई इसी, 'साहि हूउ हिव तुमसुं खुसी // 268 // बोल-बंध दियउ माँगइ तिके, कर सुगंद करावइ जिके। विचलह नहीं हमारी वाच', ऍम कही ऊपावउसाच // 269 // // 263 // 1 आस-पास / / 2 पइसारो 0, पवसारौ D, पैसारा / / 3 करो CD, करौ / 4 काशु 10, क्या बे D / 5 अब DE | 6 डरयो 0, डरौ DEI * ठवो , ठवौ DI 8 एकेको D, एकैको / 9 रोदो करोढे D, रोढौ / / 10 खेसवी DBI . // 25 // 1 ल्यो OR, लेहु D / 2 रोडौं Bc, रोग / 3 तणो , तणौ DE, I 4 करो DR | 5 ऑगणो , आँगणौ / / 6 सहुंकै D, सुणी सहु / 7 आलिमसाह B, आलमसाहिDI ८हूवा B, हुआ 0E, हुवौ / / 9 मन 01 // 15 // 1 रिण रसीयो BO, रिणरसीयौ DB | 2 जोवै DE | 3 रिण BO, रिम DE | 4 सिलकारह BO, हलकार DB | 5 पूठर B0, पूठे D, ऊभौ / 6 दिल्लीपति B, डिलीपति , दिलीपति D, दिलीपति / / 7 ढौवी / माँडीयउं B, माडीयो , माडीयो D, मॉडीयौ / 9 पणि... खाँडीयउ B, पणि"कोटि...खाँडीयो 0, पणि...चिन्हि खाँडीयो D, तिलइक गढ खाँडियो / / // // 1 D, साक्षि खगे। २४वा Bहया होवे रौ / 3 संग्राम / / 4 सीधो . खीझै DB | 5 काम BODI 6 मराया / 7 मुगल'न B, मूगल'न , मुगलह D, मूंगल / / 8 असुपति B, असपति DE | 9 मानी BCD | 10 हीयहर Bo, हारि DE | 11 अधीर D, अहीर 3 1 4 260 / 8303 / 0304 / / 330 / 3 399 / स. १'मालमसाह कार करउ आलोच' B,...करो...०, आलम साहि पब्यौ...आलोच / / 2 माहि BDE | ३हूव B, ह्यो , हुवौ , ह्यौ / / 4 भ्यास D / ५कहि , कहै D, भणे / / 6 मुख्ताण B, मुलताणि 0, सुलतान / / 7 कोटि 0 / 8 लीजे D, लीजै / 9 किणही 8 | 10 प्राणि BD, प्राण / // 28 // 1 छानो 0E, छाँनो छ / 2 रचो , करो D, करौ / / 3 मति D / 4 परगासो BC, परगासौ D, परकासौ / / 5 बात D / 6 करावो OD, कहावौ / 7 कपइ B, कपटे D, कपटें / / 8 साह हुवउ...स्युं...B, ...हुयो... सु..., ...हुयो हिवै...D, आलिम हुआ है....। ॥९॥१बउ B, यो , देउ , धौ / 2 मागइ , मागि , माँगे DI करो , करी / / 4 सुगंधि , सुगंध D, सौगंध / / 5 करावो D, करावै / 6 विकै विचले D, विचले / / 8 नहीं। हमारी , अमारी ईमारी D / 10 बात B, वाच / 11 स्पावओ . उपायो, उपायो , अपायो /
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________________ कवि हेमरतन कुत मुंक' महिपाका परधान', इम' कहवाड' दिउ हम मॉन। वेडी माहि खवाडउ खाँण', देठि" दिखाडउ तुम्ह अहिठाण२ // 270 // पदमिणि' हाथई जीमण तणी, मुझ 'मनि खंतिअछइ अति घणी / अवर न काई मागइ साहि', 'अलप सेनसुं" आवइ माहि // 271 // एक वार' देखी पदमिणी', साहि सिधावइ' ढीली' भणी। ऍम कही मुंक्या परधान, रतनसँन पूछया दे मॉन // 272 // "कहउ किम आव्य तुम्हि परधान?" तव ते बोलई-सुणि राजॉन / आलिमसाहि' कहइ छइ ऍम,- "माहो- माहि कर' हिव" प्रेम" // 273 // ॥कवित्त॥ "हमसुं साहि परठव्या', करणकुंवात भल्ली। "जइ तुम्हि मान वात, साहि वहि "जावइ डिल्ली' / "करि पदमावति दृष्टि', "फेरि चीतोड जि देखुं३।। "विग्रह कोई नवि करूं", "बाँह देइ सब ही रखें। गलि लाइ कंठि पहिराइ करि", बहुत मया आलिम करह। . "राउ रतनसेन ! सुणि बीनती", पुहर माहि" दुत्तर तरइ // 274 // // 270 // 1 मूको BOD, मेल्हो / 2 माँहि BOR, माहि DI 3 पक्का / / 4 परधान BO | 5 एम DR | 6 कहवाडो B, कहिवाडो , कहावी DB | 7 धउ B, यो G, दो D, दियौ / 8 मान BD | ९खवाडो, खवाडी D, खवावो / 10 खाण B / 11 नजरि B, नजर, निजरि , निजर / / 12 दिखाडो 0, दिखाडौ D, दिखावी छ। 13 ठाण BEI // 271 // 1 पदमणि D, पदमिन E| 2 हाथि C, हाथै D, हार्थि / / 3 जीमणि BC | 4 मंनि / / 5 खाति DE | 6 अछि 0, अछै DB | 7 काँई BE | 8 माग( B, मागै D, मागे / / १साह B0 / 10 अल्प / 11 स्यु B, 'सु 0, सेनि° D / 12 आव( B, आवे०, OT DE // 272 // 1 बार DI 2 पदमणी D / 3 साह BCE | 4 सिधावै DE | 5 दिल्ली B, दीली , डिल्ली DI 6 धणी BOD, भणी / / 7 [क्यउ B, मूक्यो , मूक्यौ D, मुक्या / / 8 परधान BCD I ९...पूछा राजान E0, रतनसेनि पूछ राजान D, मिल्या जाइ रतन राजान | A 266 / B309 / 0310 / D336 / E305 / // 27 // 1 कहु...आयो तू परधान B, कहु...आयो तू...०, कहो...आयो तू...D, कहोजी क्युं आया...। 2 तब D / 3 बोलइ BC, बोले DE | 4 चतुर BODE | 5 सुजाण BD | 6 आलमसाह Bo, आलिमसाहि D, आलिम वला E / 7 कहै / / 8 छै DE | 9 माहो-माँहि / 10 करो Bc, करौ / 11 हिवि , हिवै DI ॥२७४।१"पठान्या B,"पठावीया 0, हम...D हमहिँ पठाए साहि / 2 को DI; 3 वाताँ D, वातौँ / / 4 जे BO, जै D, जो / 5 तुम्ह BDE, म / 6 मानो , मानौ D, मानहुं / ७बात D, वाच / / ८साह BOR | ९वलि BO, बलि D, फिरि / 10 जाइAD, जावे / / 11 दिडी D | १२...दीठिE, दिखलावा पदमिनी / 13 फिरि सहगढ कउ देखें B, फिरि सहू.......०, फिरि सब गढ....D, और सब गढहि दिखावो / / १४...कोइ...करो B, ...कोह...कराँ, विग्रह को .... / 15 बाह देउ सबहि हरषु B, बाह देओ सबही हरषाँ 0, बाह दे सबही हरषु D, बाँह दे प्रीत बढावौ / / १६...कंठ....,...'लाई....,... लाय...पहिराव .........मिलहि सिरपाव दे / / 17 आलम D / 18 करई B, करै D, करहि / 19 राव रतनसेंनि...बीनती D....सुनि...। 20 माँहि 0, माहि / / 21 तरई B, तरै D, तरहि प्रतिमें यह कवित्तके नीचे दिया है।
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________________ छठी] गोरा वादल पदमणी चउपई वॉकउ गढ चीतोड' 'सकति सुरताँण' न लीजा। ऊठाईइ मुसाफ बोलि ज्यु राउ पतीजई। दंड द्रव्य न ली देस पर दल नवि३ गाहुं / नही हम" गढकी चार राउकुमरी नवि८ व्याहुं"॥ अलावदीन सुरताण कहि - "राज माहि नवि आहु९३ / राउ रतनसँन मुझकुं मिलइ", नाक- नमणि करि "बाहु९ // 275 // "कीउ उपंग सुलिताण', 'मंत्र एइ सु उपाई। मुझकु गढ दिखलाउ, आप जनमंतर भाई। हुकृत क्रम्मज जम्म, "खत्रु असुरों "घर पॉमी / "तु पूरव" पुन्य प्रमाण,६१"हुउ चित्रकोटह स्वामी। दोह काइ अछह इक आतमा, आवि जम मेलउ थय / खीसकरण-भुज-मंत्रसुं राजा-चयण तिम भय३ // 276 // चोपई॥ बोल' बंध घुसाचा सही, विचला वात' हमारी नहीं। नाकनमणि करि कोट दिखाडि, पदमिणि-हाथ मुझ जीमाडि // 20 // पदमिणि' नारि निहालण तणउ, मुझ मनि हरष अछह अति घणः। अपर न कोई मागई आथि, जीमे जाऊँ पदमिणि' हाथि // 278 // // 275 // 1 घाँको 10, बाकी D / 2 चीत्रोड BO, चीतौद D / 3 सगति BODI 4 सुलताणि B, सलतोंनि , सुलताण / / 5 लीजे DI 6 ऊठाइयइ B, उठाई D / ७ज B, 'ज 0. 'तो / ८राज D, 9 पतीजई BE, पतीजे D! 10 द्रव्य D / 11 नहुं BOD | 12 लीयु B, लीयु DI 13 नहि / / 14 हंमं / 15 को BO, 'कुं D / 16 चाओ / / 17 राजकुमरी B0, राजकुमरी D / 18 नहि BCD) 19 न्याहूँ DI 20 सुलतान B, सुलतानि , सुलतान DI 21 कहा BCD I 22 राजमहल DI 23 आहुडउं / 24 रत नसेनि D / 25 मिलई B, भिलइ०, भिलै D| 26 त नाक...B, तो नाक...c, तो नाक...DI 27 बाहुडउं BI / प्रतिमें यह पद नहीं है / BOD प्रतियों में यह पद चोपई संख्या 278 के नीचे दिया गया है। A271 / B315 / 0316 / / 342 / // 276 // 1 कहा राण सुलताण B, कहि राण सुलताण 0, कहै राँण सुलताण / / 2 वात तुम्ह ऍम कहाई B, बात तुम एम कहाई 0, बात तुम्ह कहाई / / 3 कउ BC | 4 दिखलाई B, दिखलाइ , दिखलाय / 5 आप A, आपि 0 / 6 जनमंतरि B, जनमर्मितर / 7 मा BO, मै DI ८कृत कर्म BO, ऋतकर्म / 9 अमिहर BOD / 10 जनम BCDI 11 घरि BODI . 12 पाम्यौ / , 13 तू B, तूं। 14 पूर्व , पुरब / 15 पुण्य CD, पुंन्य B / 16 प्रमाणि B, प्रमाणि / 17 हूउ A0, हूव B, हुवी D / 18 चित्रकूट 30 / 19 स्वामी 0, सांमी DI २०दोई काई एक आतमा B, दोई काई एक जीव आतमा दोई काइ जीव एक आतमा , दोय काया एक हंम आतमा / / 21 दुनिया माहि मेलउ थयउ B, दुनियाँ माहि मेलो थयो , दुनिया माहि मेलौ भयो DI २२...मुझ-मंत्र सुणि Bo, खेम करण मुझ मंत्र सुणि D / 23 राजि वयण तबमानीय B, राजि वयण तब मानीयो०, राज-बयण तब माँनीयौ / ॥२७॥१ौल DI 2 B, यो, देउ D, धौ / 3 विचलि , बिचलै , विचले।।४बात। 5 हमारी BO| 6 नाँकि / 7 कोटि / 8 दिखालि Bo, दिखाउ / / ९पदमणि D, पदमिन / / 10 हाथइ B, हाथि , हाथै DB | 11 मुझह DB | 12 जीमाड। ॥२४॥१पदमिन, पदमणि / 2 तणो 0, तणौ DI 3 हरषि हर्ष D / 4 मछ I ५षणो Bषणी D| 6 काइOD। 7 माँगे D| 8 खाणा BOD, खाँणा।। 9 खरदम BG सुरम खुस है। प्रतिमें यह पद यहीं है। ..
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________________ कवि हेमरतन इत माहो-माहि करउ' संतोष, राखउ हिव ए वथत रोष।" पलतउ भूपति' बोलइ राण, माहरा' कथन कहउँ सुलताण // 279 // रतनसेन' कहि-"सुणि परधान, वात करताँ वाधइ वॉन' / पिणि जउँ''प्राण' दिखाडइ" भूप, त? नवि कोई रहइ रस-रूप" // 280 // वात' करह' जउँ' आलिमसाह', तहम मिलवा घणउ उछाह। असपति आवह अंगणि वही, प्रापति विण क्युं पामाँ सही // 281 // 'बोल बंध घइ साचा साहि, अलप सेनसुं आवहि माहि / अम्ह घरि आइ 'अरोगउ धान, माहो-माहि वधइ ज्यु मान" // 282 // [ सातमो खण्ड] पराने पूछि' पतिसाह, “वात वणे दीधी निज 'बाह"? आलिम सुंस करइ सहि झूठ', मुँहि" मीठउ मन माहे दूठ // 283 // राघव व्यास कीउ' मंत्रणउ, रतनसेन नृप झालण' तण। . नृप-मनि कोइ नही छल-भेद, खुरसानी मनि अधिकउ खेद // 284 // ऊघाडी मेल्ही गढ-पोलि, मिलीया माणस' टोला-टोलि'। आलिम साथि लीया असवार, लोहइ लुंब्या त्रीस हजार 285 // // 279 // 1 करो, करौ DE | २...हिवर बधता रोस B, राखो हिवि वधतो रोस , राखौ हि वर्धती रोस D, हिव मेटौ अति बधतौ रोष / 3 वलतो , बलती D, वलता / ४...बोले राँण D, कहै रतन राजॉन / / ५माहरी CDE | 6 कहो , कही D, सुणौ / / 7 सुलताणि 0, मुलताण D, परधान / A प्रतिमें यह अर्द्धाली नहीं है / A270 / / 314 / 0 315 / D 341 / / 410 / // 280 // 1 रतनसनि / 2 कहइ BC, कहै / 3 सुण C, सुनि / 4 परधान B / 5 वात BO, बात / / 6 करतां BCD / 7 बांधै D / 8 वान B, बान DI 5.8 इण वातै बहु वाधै वान / / 9 पणि BCD, परि / 10 जो CDE | 11 प्राण BC, जोर / 12 दिखाडै D, दिखावै / / 13 साह / 14 तो...c, ते...रहै...D, रस न रहै वलि लागै दाह / // 28 // 1 बात D, इम / / 2 करै , करतौँ / 3 जो CDE | 4 आलिमसाहि B, आलम साहि DET 55 चो० 281 का दूसरा पाद-अलप... BCDE | 5-6 और 7 पाद BCDE प्रतियोंमें नहीं है। // 282 // 1 BCD प्रतिमें यह पाद नहीं है। 2 BCDE प्रतियोंमें यह 280 का अंतिम पाद है।...'स्यु आवइ...B,... सु आवइ...,...सेनिसं आवै...D,... सं आवै...। 3 अह्म / 4 आरोग B, आरोगइल. आरोग D, आरोगे / 5 माँहो माँहि CE | 6 वधई B, बधै D, बधै।। ७जउ B, जुक बोहौ D, बहु / A 276 | B 318 / 0 319 / / 345 / / 416 / // 23 // 1 परधाने B, परधानि / 2 पूछ्यउ B, पूछ्यो , पूछै D / 1-2 तेडी राँण तणा परधान छ। 3 बात CDI 4 वणी BC, बणी D / 5 दीन्ही DI बाहिक, बाहि / / 3-6 दीपा बोल बाँह सुलतान / 7 आलम BDI 8 स्युस / 9 करे D6 | 10 आहूठ Bo, सहु झुठ / 11 मुह BO, मुखि D, मुख / / 12 मीठो 4G, मीठा D, मीठौ / 19 माहि , मॉहि / / Arant कीयो , कीयो D / 2 मंत्रिणो CE, मंत्रणौ / / 3 रतनसनि / / 4 अप B, नै। 5 झेलण BCDE | 6 तणो CE, सणौ / 7 खुरसाणी , खुरसात ODE | 8 अधिको OR, धको / 12 // 1 उघाडी मेल्ही गढनी पउलि B, उघाडी मेल्ही गढनी पोलि उघाडी तप गढनी पोलि। मिलिया DI. माणस BDI 'टोल DI 5 आलम DI ६किया BODI 7 लौहै / खुल्या बलून्या मातीस 2001यह चोपप्रतिमें नहीं है।
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________________ सातमो] गोरा वादल पदमणी चउपई ॥कवित्त // गढई चज्य सुलिताण, नालि" उंबरां' खवासाँ। भमर एक भुल्लि गउ, चंद ज्यु' भयउ उजासाँ। ए चंदा खाइक्क,२ १२दान उर मानस मंगल / "एक चंद चंदणउ, "सेज सोहइ रायाँ घर५॥ फुजदार सबे" हाजरि खडे, गिरि" पदमिणि" पाउद्धरइ। अलावदीन सुलिताण सुणि, आलिम सिरि छत्राँ धरह" // 286 // ॥चोपई॥ रतनसेन' सरलउ मन माहि', मंत्री तेडण मेल्यउँ" साहि / "साहिब! आज पधारउ सहि", रतनसॅन' तेडइ गहगही // 287 // व्यास' सहित साथई ततकाल', माहे" पेठा सहु समकाल / कला इसी का कीधी सोह, पइसंत नवि दीठ कोइ // 288 // आवी माहि' हुआ एकठा, तव सगला' दीठा सामठा'। रतनसेन मनि खुणसिउँ सही, आलिम आविउँ अंगणि" वहीं" // 289 // सुप पिण' सेना सगी सार, असवारें मेल्ह्या' असवार / तुंगे-तुंग मिल्या एकटा, जाणि' कि दीसई'बादल' घटा // 290 // आलिम पिणन सकई आगमी', न सकई नृप पिण' आलिम गमी। आलिमसाहि कहा "सुणि भूप, कॉइ' तुम्ह मेल' कटक सरूप // 291 // // 286 // 1 गढ BOD | 2 चडीयो , चडीयो D / 3 सुलताण BD | 4 सावि D / 5 उमराव BC, अमराव D / 6 खवासा D / 7 जेम BOD | 8 भूलि BO, भुली DI 9 पयर्ड , गयो 0D / 10 जो D / 11 भयो , भयौ / / 12-12 पंच लाख इक दीयउ BO, पंच लाख एक दीयौ / 13-13 जोति तसु अतिहि सुदिनकर BOD | 14-14 चाँदणउ जणु अफ्ताद 10, चंद जेम अफुताब D / १५"राय घरि BC, सेझ सोहै राय घरि D / 16 हुजदार BCD I 17 सबै D / 18 गिर BCD | 19 पदमणि D | 20 पाउ उधरह BC, पाच उधरै / / 21 सुलताण BC, सुलतान D / 22 आलम D / 23 छत्र ए BCD / 24 वरै DI BCD प्रतियोंमें यह चोपई संख्या 287 के नीचे दी गयी है, प्रतिमें नहीं है। A280 / B 324 / 03251 0 353 .2001 रतनसेनि D / 2 माँहिं 0, °माहिं / / 3 तेडन D / 4 मेल्यो , मेल्हो D / 5 आजि DI 6 पधारो , पधारौ , 7 तेडै DI 8 गहिगही है। प्रतिमें यह चोपई नहीं है। ३२८८॥१न्यास D / 2 साथे BODI 3 ततकालि D| 4 माँहे B, माँहि / 5 पइठा B0, पैछ / 6 कली B, किलि , कल D | 7 एहवी D 8 काई BODI 9 पसंता BG पैसंता DI 10 दीठो , दीठो DIE प्रतिमें यह नहीं है। // 289 // 1 माहि / / 2 दुवा BE, हुया 0 / 3 तब DI 4 सगले BODE I 5 सौमठा / 6 रतनसेंनि / / 7 खुणस्यो B0, खुणस्यौ DB | 8 आलम D / 9 आम्यउ B, आव्यो , आयो DR | 10 अगणे B, अगंण 01 11 बही BDI // 290 // १७प D / 2 पणि BODE | 3 सघल / 4 असवारें B, असवारि 0 / 5 मिलीया BODI 6 हुआ / 7 जाण कि B, जाणिक OR, जाँणिक DI 8 दीसै , उतरी। बादल BD, वादिल / सा॥१पणि BODE | २सकै DE | 3 ऑगमी A1 ४७प DI 5 आलम DEI 'साह BCD I 7 को DE | 8 कार BD, काँए , क्यु / / 9 इम्हि RD, झि 0, तुम्हे D / 10 मेल्यउ , मेल्यो मेमेलन होगा
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________________ 46 - कवि हेमरतन कृत [खंड हुँ' इहाँ विढवा आविउ नही', गढ' जोएवह जाइसु सही। म धरउ" मन महि' खोट खेद, मुझ मनि कोइ नही छल-छेद" // 292 // नृप' जंपइ-२ "आलिम ! अवधारि', कटक कोइ मेलु न लिगार। जई तुम्ह वचन हूरं हिव इसु, कटक करी नइ करि किसुं? // 293 // पिण' तई आण्या त्रीस हजार', किणि' कारणि ऍवडा' असवार ? / तुझ मनि काँइ सही छइ वात', धूत पणारी दीसइ धात" // 294 // आलिम जंपइ- "नृप! अवधारि', पाहुणडॉ' नइ इम न पचारि। थोडा हो अथवा ह्रो घणा', झेली लीजई निज प्राँहुणा // 295 // घाँन' तण छइ आज सुगाल, घणा-घणा काँइ कह भूआल। अम्हि आव्या था जिमवा सही', विढवा कारणि आव्या नहीं // 296 // जीमण' र जाण' संकोच, खरच' करताँ आवह खोच। त' वलि पाछा मेल्हाँ एह', जिम भाखउ तिम राखाँ तेह" // 297 // भूप' भण- "संभलि पतिसाह', भलह' पधान्य आलिमसाह। वलि तेडावू जॉण जिके, पिण' लघु बोल म" बोल तिके३ // 298 // // 292 // १...आपउ...B, हू...आयो..., हू...बिढवा आभ्यो...D, मैं लडनेकुं आया नही / / २...जोइ... जाइस्यु...B,...जोइ...,...जोइ नै जासु...D, गढ देखणकी है दिल सही / 3 न / / 4 धरो cDE | 5 माहि B, माँहि , मै DE | 6 खोटो , खोटा / / ७...भेद BCD, मेरे मनं नांही छल-भेद / / // 293 // १७प DI 2 पै DE | 3 आलम D / 4 अवधार D / 5 एवडउ कटस्युं नगर मझारि B, एवंडो कटसुं नगर मझारि , एवड़ौ कटस्युं नगर मंझारि D, लसकर क्युं लाए हो लारि / 6 जो...हूवउ ...इसउ B, जे तुझ...हूयो इसा C, जो तुम्हे बचन हुउ हिवै इसउ D, पहिली तुम्ह फरमाया साहिः। 7 करिस्यो किसउ B,...करिस्यौ किस्यो ,...करीनै करिसी किसो D, अलप सेनसें आई माँहि / // 294 // 1 ए...तीस...BI ए तह आँण्या तीस...०, ए तै...तीस D, अब तुम ल्याए तीस...।। 2 किण CD, किस / 3 कारण , खातर / 4 एवडा BCD, इतने / ५...काइँ...कडी ... B,...कूडी...,...काइ कूडी छै बात D, है तुम्ह मन कूडा असमान है / 6 धुर्त...दीसै...D, दिल्लीके ठग हो सुलतान / // 295 // 1 भालम DE | 2 पै D, जंपहि E / 3 त्रिप D| 4 अवधार D, राजाँन / 5 प्राणडाँ...B0, पाहुणडाने मती पचारि D, घरि आयाँ दीजै बहुमान E / 6 थोडा होइ होइ अथ घणा BC, थोडा होवै होवै घणा DE | 7 लीजइ BC, लीजै DR | 8 प्राहुणा BCE, पाहुणा DI // 296 // १धान Bc / 2 तणो, तणा DB | 3 छै DE | 4 आजि / ५सुगाल CE | ६कया DEI 7 करो 0, करै D, कहो / 8 भूपाल BCDE | 9 अम्ह...B, असे 8, हम आया...D, हम मिलवा आए ऊवही छ। 10 बिढवा...आया...D, लडवाकुं आए है नही / // 297 // १रो CE, रौ / 2 जाणे , जाणौं D, जाणो E / ३...उपने...D, ...तणौ आँणौ मन....। 4 त पाछा मेल्हावर्ड एह B, तो पाछा मेलावो एह 0, तो पाछा मेल्हाँउ एह D, कहो जितने फिरि लसकर जार) ५...राखउं तेह B, ...भाखो...राखो तेह 0, ...भाषो...राखु...D, राखी सोइ तुम्हें दिल भाइ / // २९८॥१राणा Bo, रॉण D, राई / / 2 भणि 0, भणे D, कहै / / 3 पतिसाहिDI 4 मलिक, भलै DE | 5 पधारे / 6 आलमसाहिD, आलिमसाहि / ७बलि BI8 तेडाव B, तेडावो, तेडावी DB | 9 जाणउ B, जाणो , जाणी D, जाँणौ / / १०पिणि B, पणि ODB | ११न DI 12 बोलो OPE | 13 बके BD, बके OF | A 292 | B334 / 0335/ 36511439 /
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________________ सातमो] गोरा बादल पदमिणी चउपई परिघल पाणी परिघल धान, परिघल घोल घणा पकान / जीम भोजन भावह जिके, पिण लघु बोल न बोलउ बके" // 299 // बोलि-बोलि बे हुआ खुसी, हाथे ताली दीधी हसी। माहो-माहि हूउ संतोष, टलीया सगला मनना दोष // 30 // रतनसन' हिव निज घरि घणी', भगति करावइ भोजन तणी। पदमिणि नारि प्रतई जई कहइ',-"आलिमसुं हिब जिम रस रहइ // 301 // तिण' परि भोजन भगतई कर', जिम आलिम मनि हरष वरउँ" / पदमिणि नारि कहइ- "प्री'! सुण, निज करि न करिसु हुं प्रीसण // 302 // षट रस' सरस' करु' रसवती, प्रीसेसी दासी गुणवती / सिणगारउ सगली छोकरी', बाँति अछइज तुम्ह" मनि खरी" // 303 // वि' सहस दासी रूप निधान', पदमिणि पासि रह" सुविधान। रूप अनोपम रंभा जिसी, काम तणी सेना हुई तिसी // 304 // भासण-घेसण सगला तेह', करसी कॉम सहू ससनेह। सगली साकति करि साबती', माँहि तेंडाविउ डिल्लीपती // 305 // परिघल' परठा दीसइ घणा', जाणि विमान अछई सुर तणा। ठउडि ठउडि दीसह पूतली', घालई वाउ चिहुं दिसि वली // 306 // // 299 // BODR प्रतियों में यह चोपई नहीं है। // 30 // 1 बोल...:। 2 हूया B, हूँया , हुवा / / 3 माँहि 0 / 4 हूवउ B, हूयो 0D, हुवो / ५राइ तणै मनि मिटियो रोष / ॥३०॥१रतनसॅनि घरि विधि-विधि घणी D, रतनसेन गया महिलाँ भणी / / 2 जुगति / 3 करावी BCD, करावण / / ४...प्रति इमि...०, पदमणि...प्रतै...कहै D, पदमिण प्रति राजा...कयो / ५...स्यु...B,...सु...0, आलमसुं हिवै...रहे है। // 32 // 1 तिणि...मगति...B, तिणि...भगति करो ,...मगति करु D, भोजन भगति करो हिव इसी / २...थण3 B0, आलम...हरिषै घj D, जिण दलीपति होवै खुसी / 3 पदिमणि , पदमणि D, पदमिण / 4 कहै DE | 5 प्रीय 6 सुणो CE, सुणी D / ७...करूं...B,...करू... प्रीसणो ,...करहु प्रीसणी D, हुं हाथै न करू प्रीसणो / // 303 // 1 नवरस ABOD | 2 सरिसा / 3 कर B, करो , करू D, करिस / 4 प्रीसेसई B, प्रीससइ , प्रीसेसै D, प्रोसैसै / / 5 नारी / 6 सिणगारू , सिणगारौ D, सिंणगारो छ / 7 सघली DE | ८छौकरी / / 9 अछ. B, अछै DE | १०जे BCD, जो E / 11 तुम / // 304 // 1 दो Bo, बे D / 2 निधान BCD | 3 पदमणि D, पदमिण / 4 रहै DE | 5 सावधान BCD, सावधान / / 6 होइ BOD, हुयै E | A 297 / B 339 / 0 340 / 0 370 / / 446 / // 305 // १...बहसण...B,...बेसण...D, आसण बैसण विधि विधि किया / २...काम...B,...कॉम-काज ...D, ऊपरि छाया डेरा दिया / ३...रिसवती B,...साखति...। 4 माहि / / 5 तेडाव्या BODE | 6 दिल्लीपती BO, दीलीपती D, दीलीधणी। // 306 // 1 परघल परिगह...B, परपल परिगह...पणाँ 0,...परिगह दीसै...D, देखे साहि महिल सतखणा / 2 तौणि 4 जाणि / / 3 विमाँन , विमाण D, विमाँण / 4 अछह AB, अछै DE | 5 सुरतणाँ ODE | 6 ठोडि-ठोडि ACDE | 7 दीसइ BC, दीसै DEI 8 फूतली / 9 घाला B, पालि , पाले DEI १०बाव D, वाव / 11 बिहूँ / 12 मिली BADET
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________________ 49 कवि हेमरतन कृत [खंड अनुपम रतन-जडित आवास, अगर कपूर अनोपम वास' / चिहुँ दिसि दीसइँ चित्र अनेक', मंडप महल महा सुविवेक // 307 // तिहाँ आवी बेठो पतिसाह, मन महि आवइ अधिक उछाह / पदमिणि पाँहईं अधिक पडूर', दासी आवि दिखाडई नूर // 308 // इक' आवी बइसण दे जाइ', वीजी थाल मडावइ ठाइ। त्रीजी' आवि धोवाडइ हाथ', चोथी ढालइ चमर सनाथ // 309 // दासी आवई' इम जू जूई', आलिम मति अति विह्वल हुई। "पद मिणि आ कह, आ पदमिणि, सरिखी दीसाइ सहु कामिणी" // 310 // व्यास कहइ-"संभलि' मुझ धणी! ए सहु दासी पदमिणि' तणी। वार-वार स्युं झवक ऍम? पदमिणि इहाँ पधारइ कॅम"? // 311 // "मुष्टि करी रह साहि सुजॉण', "म हव बलि-चलि विकल अयाँण। ए आवई ते सगली दासि, प्रमदा पदमिणि' तणी खवासि" // 312 // देखी दासी रंभ समान', आलिम-मनि अति हूई गुमाँन / "जेहनइ दासि अछईं एहवी', ते कहउ आप हुसी केहवी'? // 313 // // 307 // 1 अनोपम , अनौपम D, 'नूपम / 2 आवासि / ३...अनूपम...B, ...अनौपम...D, अगर धूप कपूर सुवास / / ४...दीसह... DC,...दीसै...D, चित्रसाली रंगित चित्राँम BI ५...महिल महा मुबिबेक D, विचि-विचि मीनाकारी कॉम / / . // 308 // 1 बइठउ B, बाठो , बैठो D / 2 मइ BC, मन माहि D / 3 आवै / / 4 उत्साह छ / 5 पदमणि DI 6 पासइँ B, पासइ D, पासैः / 7 पुंडूर DI 8 आवइ B, आवि c, आइ DI 9 दिखावै CD I E प्रतिमें यह नहीं है / // 309 // 1 एक...सण दे जाय D / २...मंडावै धाय D / ३...धुवाटइ...BC, तीजी आय धुवाडै DI 4 चउथी BC, चोथी D / 5 ढोलइ B, ढालै DIE प्रतिमें यह नहीं है / इसके नीचे BC प्रतियोंमे ये दो चोपइयाँ अधिक हैं(१) इक सखि मेवा मिठाई घणी, इक सखि भाँति बहु (बहू 0 ) सालण (साल 0) तणी / इक सखि साग सगएती (सगोती c) थाल, लेइ-लेइ ऊभी सुंदरि बालि / / (2) इक आणइ खूब घणाँ (घणा c) पकवान, इक आणइ गुरडी देवजीर धान (धान 0) // ___ इक आणइ हलुआ साकर तणा, पातसाह (पातिसाह 0) मनि रंज्या घणा / // 310 // 1 आवइ BC | 2 जू जूई B| 3 विकलत थई Bc | 4 पदिमणि / काँमिणी / A 303 / B 347 / 0348 | DE प्रतियों में यह नहीं है। // 31 // 1 कहइँ B, कहि 8, कहै DE | 2 सुणि दिली-धणी E / 3 सुह BC, सब DE | 4 पदमणी D, पदमिण / 5 बार बार D / 6 सु, सुं D, क्या E / ७झबको B, जबको , झबको / 8 पदमणि D, पदमिण / 9 पधारै cD, पधारें / // 312 // 1 मुष्ट B0 / 2 हो , रहो DE | 3 साह BCE | 4 सुजाण B, सुजॉन / / ५मम होवउ वलि विकल अजाण BE, मम होवो वलि विकल अजाँण , मति हो बलि-बलि विकल अजाँण DI 6 आवड BCDE | 7 पदमणि D, पदमिण E / // 313 // १...रूप-निधान BCE,...रूप-निधान D, दासी रूप-विलासी देखE। २...हूवउ गुमान B, हुवो गुमान D, वार-चार चितै अनिमेष म्। ३...अछइ...AC,जेहनै...छ... D, जेहनी दासी छै एइवी / / ४...कहु...,...आपि हुस्यह...BE,...कहो आपि हुस्यह...०....कहौ...D I इसके नीचे OD प्रतियोंमें यह कवित्त है। आगलि बहुत खवासि, नारि बहु पोइस करती। पालि सह पँचच्यारि, च्यारिसित चिहुं दिसि रती।
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________________ सातमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई व्यास कहइ'-"सांभलि' सुलिताण! पदमिणि' नारि तणा' अहिनाण। झलकंती जाणे वीजली', कुंदण-कति जिसी ऊजली // 314 // अंधारइ' अजूआल करइ', देखता त्रिभुवन मन' हरइ / परिमल कमल सरीख:" तास', भूला भमर न छंडई पास // 315 // ते आवी छानी किम रहई', सुणि आलिम'!' इम राघव कहई। आलिम एम कहई-"सुणि व्यास'! धन्य! धन्य! ए सगली दासि // 316 // पदमिणि पासि रहइ नितु जेह', निजरि' निहालई पदमिणि देह / किण परि निजरि हुइसी पदमिणी'? व्यास कहइ -"सांभलि मुझ धणी // 317 // उंचउ' दीसई ए आवास, इहाँ छह पदमिणि' तणउँ निवास / रतनसँन राजा इहाँ रहइ, पदमिणि विरह खिण इक नवि सहई॥ 318 // ॥कवित्त // लखदह' लहइ पस्यंग', सउँडि' सतलाख सुणिजई। गाल-मसूरी सहस, सहस गंदूआ भणिजई। तस ऊपरि दोवटी', मोलि दस लाखे लीधी। अगर कुसुम" पटकूल'", सेजि कुंकुम पुट दीधी। अलावदीन सुरिताण" सुणि', विरह विथा खिण 2 नवि खमइ३ / पदमिणि" नारि सिणगार करि, रतनसेन सेजई रमई // 319 // चमर ढलह चिहुं पासि, भमर बहु रुणझुण मंडइ / सुर-नर पिष्यिय रूप, गरव मनि ततखिण छंडद / हंस गमणि गय गेलिस्यु, ठमकि ठमकि पग ते ठवई / कहइँ राघव-"सुलताण सुणि, पदमिणि गति इणि परि हुवइँ // 1 बहूत C, बोहुत D| 2 खवास CD / 3 बहू / 4 पोईस B| 5 करती B / 6 पाछिल / 7 सइपँच B, सयपँच DIचिहु cDI // 314 // 1 कहि , कहै D / 2 संभलि / 3 सुलताण B, सुलताणि / 4 पदमणि D / 5 तणाँ DI 6 अहिनाण BCD / 7 झबकंती D / 8 बीजुली B, वीजुली , बीजली DIE प्रतिमें यह नहीं है। // 315 // 1 अंधारे , अंधारै / / 2 ऊजवालो , ओजवालो D / 3 कर B, करै / / 4 देखता BDI 5 मनि D / 6 हर B, हरै / / 7 सरीखो CDI 8 बास DI 9 छंडि , छंडै D / 10 पाँस BC, खास DIE प्रतिमें यह नहीं है / // 316 // 1 रहइँ B, रहै / / 2 आलम D| 3 कहई B, कहै / / 4 व्यास D / ५धनि-धनि BD, धन-धन / 6 एते BCD I A 309 | B353 / 0 354 | D385 / E प्रतिमें यह नहीं है। // 317 // 1 पदिमणि , पदमणि D, पदमिण E | 2 पासइ / 3 रहई BC, रहै DE | 4 निति D, नित E 5 नजरि B, नजर / 6 निहालई AC, निहालै DE | ७...नजरि होसी...B,...होइसी ...0, किणि...होसी...D, किस विधि...हूहै...। ८...कहि-संभलि..., व्यास कहै...D, ...कहै-"सुनि दिली... | ॥३८॥१ऊचउ B, ऊचो , उचौ D, उचो E| 2 दीखइँ B, दीसै DE | 3 ईहाँ B, ईहा , तिहाँ 4 छ. B, छै DE | 5 पदिमणि , पदमणि D, पदमिन E / 6 तणो CE, तणौ / ७रहर B, रहै D, जाइ। ८...विरह क्षिणइक...सह. B, पदमिणि विण इक खिण नवि रहइ A, पदमणि विरह खिण एक न सहै D, भमर कमल जिम प्रेम सुखइEI // 319 // १-दश B, दस CE, दल D / 2 लहै DE | 3 सेज , पिलंग D, पलिंग / / 4 सोडि DE | 5 सतलक्ष B, सतलख्य , सत्तलख D, सतलख 6 सुणीजइँ B, सुणिजह, सुणीजै DE |
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड // चोपई॥ अउर न देखह पदमिणि' कोइ, जो देखइ सो गहिलउँ होइ / पदमिणि' पुण्य पखे क्यु मिलइ", जिणि दीठी नारी" प्रव" गलइ" // 320 // इम ते व्यास अनइ सुलिताँण, वात करई ये चतुर सुजाण / तिणि अवसर' पदमिणि चीतवई', "दे असुर किस?"- इम चवई // 321 // तितरइ' जंपइ दासी एक, "गउँख हेठि वइठउ" सुविवेक"। ते देखण गउँखइ गज-गती', आवी बेठी पदमावती // 322 // जाली माहे जोवह जिसई', व्यासई दीठी पदमिणि तिसई। ततखिण' व्यास वली' वीनवह', "सॉमी'! पदमिणि देखउँ हवा // 323 // रतन-जडी देख जालिका, ते माहे दीसह वालिका।। आलिम उचुंजोयह जिसह, परतिख दीठी पदमिणि तिसह // 324 // "अहो! अहो! ए कहुं पदमिणि ? रंभ कहुं, कइ कहुं रुखमिणी? नागकुमरि कह का किंनरी? इंद्राणी आणी अपहरी ? // 325 // 7 ममूर्या BCD | 8 गिहावा B, गिडूया , नीदवा ) / 9 भणिज्जः / , भीमइ 8, भाजे DE | 10 तम् BOE | 11 दोबडी , दुप्पटी / / 12 दसलखें 1, दसलखे C, दहलखे D. दहलख / / १३लिद्धी BE, लद्धी , लधी / / 14 कुसम ROD / १५प्रदकुल / / 16 सेज BODE | 17 दिद्धी BCE, दिधी D / 18 मुलताण BC, मुलतान DE | 19 सुनि / २०बिरह / 21 विथा BE, वृथा C, विथा / / 22 क्षिण BCDE | 23 खमै DF | 24 पदिमिणि C, पदमणि / / 25 सिंगार BC | 26 सजि / / 27 सेजें 2, सेजइC, सेने DE | 28 रमै DE | A 312 / B355 / 356 / / 388 / E465 / // 320 // 1 ओर / 2 देखै DE | 3 पदिमिणि C, पदमणि 1, पदमिन E / 4 जे BCDE | 5 देख DE | 6 ते D / 7 गहिलो CE, गहिला D / 8 पुन्य BE, पुनि D / 9 पखइ B, पखै DE | 10 किम BCDE | 11 मिलै DE | 12 जिण CE | 13 दीठ, B, दीठ, दीठ DE | 14 अपछर / 15 ग्रब DE | 16 गलै DE | // 321 // 1 अनै D, अने E / 2 मुलताण B, मुलतानि C, सुलतान D / 3 वात D / 4 करे D, करे / / 5 सुजाण BD| 6 तिग DE | 7 अवसिरि / 8 पदमणि D, पदमिन / / 9 चीतवर B, . चितवै Dचातवै / 10 देख...चवई , देखो... किसु...c,...किसो...हुवै D, आलम केहवेजे इम चवै / ॥३२२॥१तितरई B, तितरै D, तितरे E / 2 पै DE | 3 गोखि CD, गोख E / 4 बेठो , बैठो, वेठो / 5 मुबिबेक D / ६...गोखि...,...गोखइ... D, तमु मुख देखण तव गज-गती Ei 7 आवद , आवे DE | 8 वयठी B, वाठी C, बैठी D, गोखै / // 323 // १जालिका माहइ जोवई जिसई B, जालिका मोहि...c. जाली माहे जोवै जिसै D. जाली माहि जोवै जिसै E / 2 व्यासइ B, व्यासि C, ब्यास D, व्यासै E / 3 तत खिणि D / 4 बली D / ५वीनवई B, बिन D, वीनवैः / 6 स्वामी ICDE | 7 देखो CE, देखौ / ८हिवई B, हिवै DEL // 324 // 1 जडित BCDE | 2 देखो C, देखौ D, जे छैE | 3 माही BE, माहिं D / 4 बइठी BC, बैठी D, बेठी / / 5 आलम D / 6 ऊँचउ B, ऊबो , ऊचौ , उंचो E / 7 जोवई , जोई , जोवै DE | 8 तिसई B, जिसै DE | 9 परत खि D, परितिख / / 10 पदमणि D, पदमिन E / 11 तिसई B, तिसै DE | // 325 // 1 बाहि ! बाहि ! यारॉ ए पदमिणी B, वाहि ! बाहि ! यारों ए पदिमणी c, वाहि ! वाह ! यारों ए पदमणी D, दाहि ! वाहि ! यारो ये पदमिनी / / 2 रंभ किता ए छइ रुकमिणी B, रंभ कन्या ए लइ रुकमिणी , रंभ किनाँ ए छै रुकमणी DE, रुखमणी / / 3.4 कि ना BCDE | 5 किनरी CDE | 6 कइ इंद्राणि आणि (आँणि c)..., के इंद्राणी आणी हरी D, इंद्राणी आणी अपहरी E | A318 / B360 / 0361 / 395 472 /
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________________ सातमो] गोरा बादल पदमिण धउपई पहन रूप अनोपम एह, रूप तणी इणि' लाधी रेह / एहना एक अंगूठा जिसी, अवर नारि नहु दीसई' इसी // 326 // एहनी वात' कहीजई किसी, पदमिणि नारि हीया महि वसी। मूर्छित चित्त हूउँ पतिसाह, धरणि ढलइ वलि मेल्हई धाह // 327 // व्यास' कहइ'- "सांभलि नर-राज, फोकट' काइ गमाडउ लाज / धीर धरउ साहस आदरउ, अवर उपाय वली" के करउ१३ // 328 // रतनसेन' जउ पाँनइ पडइ', त" ए पदमिणि हाथइ चढाइ। इम आलोची मेल्ही वात", धीरपणा विण मिलइ न धात" // 329 // मौन' करी सहु जीमिउ साथ', भगति घणी कीधी नर-नाथ। फल फोफल देई तंबोल', माहों-माहि' की रंग-रोल // 330 // चोआ चंदण' अगर कपूर, करि कसतूरी केसर' पूर / माहो-माहि' कीया छाँटणा, ऊपरि दीधा वागा घणा // 331 // परिघल दीधी पहिरामणी', भगति- जुगति अति कीधी घणी'। हाथी-घोडा देई घणा', संतोष्या सगला पाहुणा // 332 // हिव इम जपई आलिमसाह, माहो-माही साही बाह। "कोट दिखाड' अब हम भणी, हम आयाँ हुई वेला घणी" // 333 // // 326 // 1. अनूपम...B, एहनो..., एहनौ...अनौपम...D, अति ही अनूपम नारी एह / 2 इम BE, एह / 3 दीसै DE | 4 किसी BCD / // 327 // 1 बात D / 2 कहीजै D / 3 पदिमणि , पदमणी D / 4 माहि BCD / 5 बसी D / 6 हूवउ B, हूयो , हूवौ D / 7 ढल्यो BC, ढल्यौ / 8 बलि BD | 9 मेलइ , मूकै DI E प्रतिमें यह नहीं है। // 328 // १व्यास B / 2 कह( B, कहि , कहै DE | 3 संभलि DE | 4 पतिसाह BCD, सुलतान E | 5 फोकटि, फोकट D, फोगट / ६काय DI .7 गमाडा BC, गँमावै D, गमावो | 8 साह BCD, माँण | ९...धरो...आदरो , धीरज धरि...आदरौD, धीरज धरि...आदरो। 10 अवरोपाव C, उपाय DE / 11 बली BE | 12 को BCDE | 13 करो CE, करौ / // 329 // 1 रतनसनि / 2 जे B, जो C, जौ D / 3 पानइ B, पाँनै, पाँने / 4 पडई , पडै , प. E / 5 तो CE, तो D / 6 पदमणि D, पदमिन E / 7 हाथइ C, हाथे D, हाथै / 8 चडई B, चडइ , चढे D, भडै E | 9 आलौची / / 10 मेलइ BC, मेलै D, मेले / 11 बात D / 12 बिणि D, विनु E / 13 मिलै DE | 14 घात EI // 330 // १...जीमो...०, मून...जीमौ...D, इम करताँ जीम्यो...। 2 नाथि B / 3 फल-फोफल वलि देइ तंबोल B, फल-फोफल बलि देइ तंबोल , श्रीफल देह दीधा तंबोल | 4 माँहि DE | 5 कीया BCDE | ॥३३१॥१चोवा BCDE | 2 चंदन BCDE | 3 कस्तूरी BC, किसतूरी D / 4 केशरि B, केशर, केसरि / ५माँहो माँहि / 6 बागा DIA 324 / B366 / / 367 / D400 / E477 / // 332 // 1 पहिरॉमणी / २...युगति...B...जोगति...c, जरकस ने पाटंबर तणी / 3 घणौँ BI 4 प्राहुणों B, प्रहुणा CE | // 333 // 1 जपई B, जपै DE | 2 आलमसाह CE, आलिमसाहि D / 3 माहे-माहे BD, माँहो-माँहि, माहोमाहिँ छ / 4 झाली DE, 5 बाँह CE, बाहि D / 6 दिखलावउ B, दिखलावो , दीखावो D, दिखावो / 7 अम्ह BDI 8 तुम महिमानी कीधी घणी B, तुम महिमाँनी कीधी घणी ODE | .
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड रतनसेन नृप साथइथयउ, कोट' दिखाडण लेई गयउ। विसमी' जे-जे हुँती ठोड', फेरि दिखायउँ गढ चीतोड' // 334 // विसम घाट' अति वाँक कोट, माहि न देखइ काई खोट / गोला-नालि घणी ढीकली', कदही कोई न सकई कली // 335 // गढ देखता ग्रय सब गलइ', इसड कोट कदे नवि मिलइ। हिव इम जंपइ आलिमसाह', माहों'-माहे अधिक उछाह // 336 // "काम काज कह्यो हम भगी, तुम महिमानी कीधी घणी / भीख दिउ हिय ऊभा रहीं", आलिमसाह कहइ गहगही // 337 // भा भणई'. "आघेरा चलउ! जिम अम्ह जीव हुइ अति भव" / एम कही आप संचरिउ, गढथी वाहरि नृप नीसरिउ // 338 // नृप मनि कोइ नही वलवेध', खुरसाणी मनि अधिकउ खेध / व्यास कहइ. "ए अवसर अछइ, इम म' कहेज्यो न कहिउ पछइ” // 339 // // हा॥ ["अवसर चुक्का मेहला', वरसी काह' करेस। खड सुक्का गोरू मुआ, वाल्हा गया विदेस" // ] 340 // ॥चोपई॥ हलकारया आलिम' असवार, माहों-माहि मिल्या जूझार। रतनसेन झाल्यउ ततकाल, विलली वात हुई विसराल // 341 // // 334 // 1 रतनसेनि ध्रप / 2 साथे BC, साथै / 3 थयो BC, थयौ D, थया / 4 गढ BCDE | 5 दिखलावण RDE, देखलावण / ६गयो RC, गयो D, गया / ७विषम-विषम जे हुंती (हँती) ठोट ICDAI 8 किरी BCDE | 9 दिखाड्यो BCD, देखाड्यो / 10 चीत्रोट BC | // 335 // 1 घाटि / 2 वाँको TCDR | 3 माँहि / 4 देखै DE | 5 काँई BCDE | 6 धरी D, वहै / ७ढोकुली , ढीकुल / 8 कोई ABCDR | 9 सद, सकै DE / १०नीकली DI // 336 // १...गरब...गल्य 10, गढ देख्यौं गढपति ग्रब गले DEI २...मिल BC, सडौ कोट कदे नह मिल D, एहवो कोट न कदहि मिला / ३...जप..., जंपै...D, हिवै इम जंपै आलमसाह / 4 माहो माहे ...ncD, तुम्ह रतन हो मेरी वाह / // 337 // 1 काँम CDE | 2 कहिय्यो B, कहियो CE, कहिज्यो / 3 तुम्हि BC, तुम्ह म्। 4 महिमानी RCDE | 5 दीयउ BD, देउ 8, दीये / 6 हिव BD, हिवह 8, वलि ET 7 कहिइ 8, कहै DIA 330 | R376 / 8 386 / D 407 / 484 / // 338 // 1 कहा BCDE | 2 आधेरौँ / / 3 वलउ B, चलो cDE | 4 हम BODRI 5 होवइ Bc, होइ D, हुइ / 6 आधो CE, आघौ D / 7 संचर्यउ B, संचर्यो CE, संचर्यो / 8 बाहिर CE | 9 नीस BE, नीसो CDI // 339 // 1 छल-भेद BCDE | 2 अधिको cDE | 3 खेद RCDE | 4 न , मत DE | 5 कहय्यो B, कहिज्यो कहिज्यौ D, कहज्यौ / 6 कहियउ B, कहीयो , कह्यो / 7 पछै DE | // 340 // 1 मेहदा / 2 काहु D, कहा / / 3 मुया C, मुवा DIA प्रतिमें यह दोहा नहीं है। // 341 // 1 आलम DE | 2 माहे B, माँहि क माहिँ / 3 झुझार BCDE | 4 झाल्यो BCDE | ५विचली BCDE | 6 वात्र RC, बात D / 7 हुवी B, हुया C, हुई / ८बिकराल DI
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________________ आठमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई ॥सोरठा॥ रूखा माहे राउ, आँबा भणी परसंसियइ। मुहि रस' हीयइ कसा', कहु किम हीयइ पतीजियइ // 342. // // दूहा / / "नृप', वयरी. वाघा तणउ, जे विश्वास करंत / ते नर कच्चा जाणिए-" आलिम एम कहंत // 343 // "वयरी विसहर व्याध वघ, ग्रासी गढपति गई। छल-बलि गृहिए दाउ धरि, लग्गइ कोइ न पाउँ // 344 // तई महिमांनी हम करी, अब तूं हम महिमान / 'पदमिणि देइ करि छूटस्यउ', रतनसेन राजान” // 345 // ॥चोपई॥ साथि हुता जे सुभट' सनेह, तियाँ तण तिणि कीध छेह। नरपति आणिउ लसकर माहि', जाणि' कि सूरिज गिलीउ राहि // 346 // बेडी' घालि बेसारिउ राउ', आलिम जुलम की अन्याउँ'। भूप हतउ अति सबलउ सही', अबल हउँ जब लीधउ 'ग्रही // 347 // [आठमो खण्ड] सुणी सहू गढ माहे वकी, वात तणी विणठी वाँनकी / गढ माहे हुइ हलफल घणी, 'साही लीधउ जव गढ-धणी // 348 // // 342 // 1 माँ इंदा२राब DE | 3 प्रसंसीइ, 'प्रससीयै , ऑबा तजा सराहिये / 4 मुख। 5 हियै DE | 6 कसाव DE | 7 कहो किम हिये पतीजियें D, अवरों केम पतीजिये | A प्रतिमें यह सोरठा नहीं है। B381 / 0391 / / 415 / 488 / // 353 // १७प DI 2 बरी। 3 करंति / / 4 कहंति BIA प्रतिमें नहीं है। // 344 // १बैरी / / 2 आप BE | 3 लागै DE | 4 पाप BE TA प्रतिमें नहीं है। // 345 // 1 ते DE | 2 पदमणि देई छटस्यौ D, पदमिन दीधो छटि हो / 3 राजाँन CDE | A प्रतिमें नहीं है। // 346 // 1 सुहड / 2 तीयाँ...A, तियाँ (ति आँE) चढाई रजनी (रजवट E) रेह BODE | ३...आण्यो .... BC, ग्रहि आंण्यौ व्रप (आंण्यां नृप R) लसकर मांहि DE | 4 जाणे BC, जाणे DE | 5 गलियो BCD, ग्रहीयो E / // 347 // 1 बेडि घालि बइसार्यउ...B, बेडि घालि बइसारयो राय , बेडि घालि बैसारथो राय D, बेडि घालि बैसारयो.राइ E / 2 आलिम जिम कीघउ (कीधा D) अन्याय Bo, आलम जुल कीयौ अन्याय (कीयो अन्याइ E) DE | 3 राणउ हुंतउ...B, राणो CD, राजा E,हुंतो BE, हुंतौ , सबलो OE सबलौ / / 4 हुवउ B, हुयो , हुवौ , हुऔ / 5 लीधो CE, लीधौ DIA 335 / / 386 / 0396 | D420 / E 493 // // 348 // 1 हुलबल हूई सहिर बाजार / 2 साही लीधउ गढ नउ धणी B,...लीधो गढनो...०. पकडे लीधे गढनो...D, पकडांणो राजा सिरदार /
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________________ 54 कवि हेमरतन कृत मिलिया' सुभट दहों दिसि वली', सेना सगली गढ महि मिली। "मिलिया माणस टोला टोलि', सबल जडावी गढनी पोलि // 349 // धीरभाण सुत सुभटौँ माहि', 'बहठउ आवी ग्रही गजगाहि। माहो-माहि करइ आलोच, सबल हूउ गढ माहि' सँकोच // 350 // एक कहइ'-"द्या राती वाह", एक कहइ “जूझा गढ माहि" / एक कहइ-"सॉमी साँकडइ', जूझंताँ किम टाणु जुडइ" // 351 // एक कहा-"नहि नायक माहि, विण नायक हत सेन कहाइ / नायक' विण सहु आल पंपाल', पूलइ वाँध्यउ जिउँ सुसपाल" // 352 // एक कहा "मरवु छइ सही, मूआँ गरज सरह का नही। सबलातुं नवि थाइ संग्राम, 'जिण परि तिण परि न रहइ मॉम // 353 // इम आलोच कर भट' सहू, मन माहे भय हउ बहू। तितरह आविउ इक परधान', आलिमसाहि तणउ असमान // 354 // खबर' करावी आविउ माहि', एम कहइ छइ आलिमसाहि। "हमकुं नारि दियउ 'पदमिणी, "जिम हम छोडाँ गढनउ धणी // 355 // // 349 // 1 मिलीया A, मिलिया BCD / 2 ते दह दिसि ECD / 3 बली BOD / 1.3 तेड्या सुहड दसो दस वली E / 4 माहे B, माहि , माहे D, मांहि / ५...मानस AB, कटक सजाणो घण हाल कलोल E / // 350 // १...माँहि BC, बीरभाँण सुत सुभटज...D, वीरभाण तब करि दरगाह E / 2 बइठो...(वयठो D)...गृही गज गाह (गजसाह 0) B, तेच्या सुहड सवे गजगाह / / 3 हुबउ B, हूयो , हुवो D, हूओ E / 4 माहे BD I लोक कहै कुमति हुवो ('यो E) राय (इE), काइ विस्वास कियो असुराय D (असपतिनै आंण्यो गड माहि E) राय ग्रहौ पदमणि पणि ग्रहै, गढ तोडै जण खय जसबहै / वलि पहुचावण साथै थया, गढ बाहरि अलगा जो गया E| D423 / : 497 / तो राजा पडिया तिण पास, असुर तणा केहा विस्वास। राय प्रयो पदमिन पणि ग्रहै, गढ चीतोड हवै नवि रहै / E498 // // 351 // 1 कहा Bo, कहै DEI 2 घर्ड BD यो C, दियो / 3 झूझउ 1, मूझो 0D, झूझो / / 4 सामी BCD | 5 सैकडै DE6 झूझंता...टाणउ...BC, झूझता...टाणौ जुडै D, लडतां तेहनै भारी पडै E / // 352 // 1 कहइ B0, कहै DE | 2 नही / 3 नाइक BC | 4 विन...BCE, विणि...पताल D, एडवो कोइ करो मंत्रणो E / ५...पहिलउ B,...पहिलइ , कांइ सवै मिल झंखौ आल D, मान रहै हिंदू भ्रम तणो / // 353 // 1 कहइ BC, कहै DE | 2 मरिव्यो B, मरिवो CDE | 3 छै DE | 4 मूवां BD, मूयां / 5 सरै / 6 स्युं BC७न / 8 होइ BODI ९हारि हुयै तो न रहै माम। 341 / B393 / 0 403 / / 428 / E 502 / // 354 // 1 आलोचइ सामंत Bo, आलोचै सामंत DE | 2 मन मांहि विघन हुवा (हूया ) अति बहू BOD, चिंता उपजी चितमै बहू / 3 तितरह BC, तितरै D, तितरे / 4 आव्यो BC, आयौ DE | ५एक BODE | 6 परधान BCDE | 7 आलमसाह...(तणो D) असमान BCD, हुकम करै छै इम सुरताण / मांहि तेड्यो नीसरणी ठवी, मंत्रि महाबुधि जाणग कवी। इम जंपै छै आलमसाह, तुम्है कहो तेहनी धुं बांह // 8 504 // . // 355 // 1 खबरि BCDE | 2 कराई / 3 आवि BCDE | 4 मांहि BCDE | 5 कहै छै DI 6 आलमसाहि BCDE | 7 हमकौं / 8 दियौ DE | 9 जिम हूँ छोडउ... BCD, जिम मैं छाडों गढका धणी E/1 /
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________________ आठमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई 'नही तरि प्राणइं लेशा सही', 'जउ तुम्ह इण परि देशउं नहीं। 'जउ तुम्ह देशउ हम पदमिणी', 'तउ छूटेसी गढनउ धणी // 356 // नहीं तरि गढपति लीध ग्रही, गढ पिण' हेवइ लेशा सही। गढ लीधई लीधी पदमिणी, हठी 'असपति करसी घणी // 357 // मरश' सुभट सहू ससनेह, कइ हम सीख कर तुम्हि "एह"। एम कही ऊठिउ परधान, 'तितरइ वोल्या ते ससमान // 358 // "वात विचारी कहाँ अम्हे, ताँ लगि पडखउ इक दिन तुम्हे"। एम कही राखिउ परधान, सुभट करईं आलोच समान // 359 // "कहउ' हिवई परि कीजइ किसी, विसमी वात हुई ए इसी। "जउ ए देशा इम पदमिणी', "तउ पिण मॉम रहइ नही चिणी // 360 // विण दीधइ सहु विणसइ वात, पदमिणि विण का न मिलइ धात / प्राणइए तउ लेशइ ‘सही, जे इम आविउ छइ इहाँ वहीं // 361 // प्राणइ लेता विणसइ घणु', 'न रहइ वाँसइ एको व्रिणुं / "नही तरि जाशइ इक पदमिणि, अवर विणास हुइ नहु चिणी" // 362 // वीरभाँण पिण' पदमिणि दिसी, देता होवइ मन महि खुशी। "इणि मुझ मात तण सोहाग, लेई दीधः दुख दउहाग // 363 // . . . // 356 // १...लेस्यु...,...प्राण लेमु...1, नहि तव लेंगे में खड प्रांण / / 2 जो...देस्यो...BD, गढ गंजिहि गजिहि हिंदूआण E/2/ ३...खुसी न घउ (देउ D)... BD, खुसी होइ द्यौगे पदमिनी E / 4 खुदा न करइ (करै D) राखउं गढ धणी BD, में भी छोडौंगा गटका धणी // /1 / 0 प्रतिमें यह चौपई नहीं है। // 357 // 1 नहि BOD| 2 लीयो C, लीधा / / 3 पणि BCD| 4 हेवें B, हिवै / / 5 लेस्यो B, लेस्युं , लेसु D / 6 लीधै D / 7 पदिमणि C, पदमणी D / 8 हठियो BCDI 9 आलिम RCD | 10 करिसइ / प्रतिमें यह चौपई नहीं है। // 358 // 1 मरउ BC, मरो D 2 सेवक D| 3 4 करो CD I 5 तुम्ह BCDE, प्रतिमें यह अद्धुली नहीं है। 6 कही नइ BC, कही नै DE | 7 गयो BCDE | 8 सुभट करइ (करे D) आलोच समान BCD, सवि आलोच पड्या असमान E/2 | B398 1 0 407 / / 433 / / 506 / // 359 // BCDE प्रतियोंमें यह चौपई नहीं है / A 347 / // 360 // 1 कहु , कहो CDE | 2 हिवै DE | 3 कीजै DE | 4 जइ BC, जै D, जो E, आपइ BC, आपणी C, तो काइ मास रहै नहि चिणी D, तो पिग वट न रहै आपणी। // 361 // 1 दीधै D, दीयां / / 2 सवि BCDE | 3 विणसै CDI 4 पदमणी D, पदमिनी E / 5 मिले DE | 6 प्राण BC, प्राणै DE | ७ई ए IC, पनो DE | 8 लेसह BC, लेसो DE | 9... आव्यो छइ इण परि...(आयौ DE, छै DE) BCDE // 362 // 1 प्राणई RC, प्राणे DE | 2 विग D | 3 दाउ BCD, दाव E / ४...रहई वासई (रहै वासे D) कोइ निणाउ BCD, गढ न रहे नवि छूटे राव / 5 नहि तरि जाइ एक पदमिणी B, नहि तरि जाए ए कामिणी C, नहि तरि जाइ एक पदमणी , नहि तरि इक जातां पदमिणी / ६...न होवइ... BC,...न होवै...D, धरती रहै रहै गढ धणी E / // 363 // 1 पणि BCD, पिण / 2 पदमणी D, पदमिन / / 3 थ्या / / 4 तणो BCDE | 5 दीधी DE| 6 दोहाग BCDE |
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________________ 6 [खंड कवि हेमरतन कृत तिणि' कारणि देता पदमिनी', 'बलि मुझ मात हद्द सामिनी / वीरभाण समझावी कहइ-"पदमिणि दीधइ सगलु रहद्द" // 364 // नाथ पखइ सहु काच हाथ, छल-बल भेद न जाँण धान। एक समी कहि इक विपरीत, कोई भार न झालइ चीत // 36 // सगले सुभटे थापी वात- "पद मिणि देशों हिव परभाति" / इम आलोची ऊठ्या जिसइ, पदमिणि' सहु सांभली तिसइ // 366 // 'पदमिणि हेव हीइ खलभली', "वात बुरी मई ए साँभली। खंडुजीभ ! दहुं निज देह ! पिण नवि जाउं अनुराँ गेह // 367 // राजा इणि परि बंधे दी', वाँसह ए आलोचह की। सगला सुभट हूआ सतहीण! हिव किण आगलि भाषु दीण // 368 // वखत इस मुझ आविउँ वही', सरणाई को देवू नही / हिव जगदीस ! करीजह कितुं ? देख संकट आविउं इसु // 369 // रे जीत! तुं नवि भाषे दीण', जीव! म होयो रे सतहीण / 'मरता सटुवइ समरइ सही', 'दुख-सुख कर्म लिख्या होइ मही॥ 370 // कर्म हर्ता कर्म कर्ता, कर्म लील विलास / कमि आगलि को न छटइ, रा रंक नइ दास // 371 // // 364 // 1 तिण / 2 दीजै / / 3 पद मिगी BCE, पदमणी / / 4 म्हांकु दुख्य न लागई (लाग 1) चिणी BCD, एह वात छै समस्या तणी।। 5 समझावद IC, समझा, मुहडांन / 6 हिवद RC, हिवै D, कहै / / 7 दीर्थ D / ८सगलउ BDE, सगलो / ९रहै DIA 352 / // 365 // 1 पखै DE | २काची DE | 3 जांणै DE | 4 झाले DETA प्रतिमें नहीं है। / 4.4 / 8413 / / 439 / / 512 / // 366 // 1 पदमणि D, पदमिन / / 2 देस्यां ICD, दसा / / 3. परभात BCDE | 4 जिस DEI 5 संभलियो BC, सांभली 1, सांभलियो / 6 तिस / बीरभांण कहि वात, मुनहु उमराव प्रधानह / रखडं गढकी मांम, धरा रखहु हीदुआंनह / है राजा पर हथ्थ, है बल देखै भली। देहुं नारी पदमिनी, साहि फिरि जावै दिल्ली। गढि आइ रांण बैठहि तखत, चमर ढुलावहि तुझक धरि / सिल हेठि हाथ आयौ सु तो, छल हुकमति कबहु सुपरि // 513 // / / 367 // १...हिव हियटइ... BC, पदमणि हिवै हिवडै...D, पदमिन हिव चितमै व्याकुली / २खाई ___BCDE | 3 पणि BCDE | 4 जाउंE। // 368 // १...बाँधी दीयउ BC, बाधी दीयौ D, असपति...बाँधी दीयो / 2 वासै D, वाँसै / 3 आलोचज BCDE | 4 कीयउ BC, कीयो D, कीयो / 5 हिवै D / 6 किणि BCD / // 369 // १इसो BCD | 2 आयो BCD | 3 बही BD / 1.3 आज दिवस मुझ एहवो सही / 4 कोइ BE | 5 जगदीश्वर BD, जगदीस्वर / 6 कीजइ BC, कीजे D, करीजै / 7 किसउ BD, किसी। 8 देखो BCDE | 9 आयो BDE, आव्यो / 10 इसो BDE | A 356 / // 37 // १...दीन BC, अरे जीव मत भाषै दीण / 2... होय्यो...c, हिव मत होजे तू सत्तहीण है। ३...सहुयौ समरै...D, मरण थियां सवि सुधरे बात / / 4 बीजी काइन पहुचै घात / A में नहीं है। B 411 / 0 419 / D 445 / 8 518 / / // 371 // 1 लीलवजास / २रंग C ADE में नहीं है। B 412 / 0 420 /
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________________ आठमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई सीता बाहर रामचंद' कीइ, द्रुपदी' हरि लेइ पाँडुवा दी। पदमिणि असुरों छुटइ नही, रे! रे! जीव! मरण तुझ सही // 372 // // कवित्त // दइ' पोलि' छिटकाइ', भन्या गढ तुरक नभाया। अउर गई घढ मंडि, साथि लसकरी सवाया। आवत मिलीउ राउ, तब हि कीधी भुंजाई / "त्रीस सहस जुडि गया, साथि लसकरी सवाई। "खाण खाइ ऊठि जवहि, पकडि बाँह राजा ली। 'वात करत लंघाइ पोलि, रतनसेन काठ की // 373 // 'करे कटक अलावदी, आइ चीतोडि विलग्गः / 'वाच बंध दे छलिउ, राउ भूलउ मति भग्ग। कन्यउ मंत्र मंत्रियाँ, राउ छोडावे लिजई। 'झूझण भलउ न होइ, पलटि पदमावति दिजइ / "तनु दहुं जीभ खंडवि मरूं, जोगिणिपुरि पति पेखसुं। पदमिणी नारि इम उच्चरइ - “अब किस सरण उवेखस्यु // 374 // 'बाइ ! सुणी इक वात? हुई बाजार सवारी। 'पदमिणि धउ पतिसाह, दुरंगू गढ राउ उवारी / 'खीमकर्ण भुज मंत्र, देल्ह पदमसी वयट्ठा। "मिल्या पंच पंचार, सुभट सइँबल्य न दिट्ठा' 'चीतोड चौरास्या सवि जुड्या, ताँ नवि सरणइ ऊवलं ! 'नविर९ सेज सुलिताणकी, अबहुँ जीह खंडवि मरूं" // 375 // // 372 // १रामै D / 2 द्रोपती D / 3 पांडव DI 4 पदमणी | ५छटै DI AE प्रतियों में नहीं है। // 373 // 1 देइ BC | 2 पउलि BOD| 3 य BCD | 4 निभाया BCD| 5 अवर गए गढ माहिं BODI 6 खांणा खाइ उठियउ, कोट गढ सहु दिखलायउ खाय D, उठीयो , उठीया D, सब D, दिखलायो G, (दिखलाया D) BODI 7 खुसी हुवा (हुया B) पतसाह (पतिसाह D), देखि छल (छलि०) व्यासि सिखायउ (सिखायो 0, सिखाया D) BODI 8 सुभट सहू कायर हूवा (हुया B), बांहि (बांह CD) साहिराजा लियउ (लियो , लिया D) BCDI 9 पोलि लंधि बहु वात करि, रतनसेन ('नि D) काठ (काठो , काठी D) कियउँ (कियो , कियौ D) BCD | E में नहीं है। // 374 // 1 विकल एक...,...चित्रोडि (चित्रकोटि D) विलग्गउ। 2 बोल बंध दे छल्यो, राण भूलउ (भलो , भूली D)...BCD / ३...(करउ A, करिउ D) मंत्र मंत्रीए राण छोडावी (छडावि D) लीजह (लीजै D) BODI ४...(भलौ D)..., पकडि...दीजइ (दीजै D) / 5 तन दहउ...मर, जोगणि हउं पति न पेखु इसु Bc,..., आलम घरि पिख्यु नही / / 6 पदमणि D / 7 उच्चरै D / ८...सरणइ हूं पइसू BO, सु अब किणि सरणै हुं रही DIA 358 / / 415 / 8 423 / D 448 / E में नहीं है। // 375 // 1 सखी सुणउ (सुणो , सुणी D)..., मंत्री हम वात सवारी (समारी D) / 2 (पदिमिणि 0, पदमिणि D), (यो , दिउ D)..., पुरंग्गठ...उगारी (उब्वारी D) / 3 खीमकरण (खेमकरण D)...,... बइठा (बयठा D) / ४...कोइ सत्त न दीठा। ५चित्रोडि (चित्तोडि D) चओरास्यां (चौरांस्यां D) सब मिल्या, त्यां नवि सरणइं (सरण D) ऊगरूं (ऊबरूं D) / ६...रहउ (चडूं D)...सुलताणकी, अबहि जीभ खंडवि मरउ BCD I E प्रतिमें नहीं है।
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________________ [खंड कवि हेमरतन कृत // चोपई॥ इण' अवसरि हिव हूउ जेह, थिर मनि करि नइ निसण: "तेह / तिणि पुरि' गोर ‘रावत रहई', 'खित्रवट रीति खरी निरवहइ // 376 // तसु' भत्रीजउ बादिल वाल', वेरी' कंद तण कुद्दाल'। 'ते बेही बहु वलना धणी, बेही राउत बेही गुणी // 377 // 'राउ थकी रीसाणा रहइँ, प्रास न कोई नृप न ग्रहई / 'घरे रहई न कर चाकरी, रतनसेनि मुक्या परिहरी // 378 // 'ते बेही जाता था जिसइ', गढरोहउ मंडाण तिसई'। रुधइ गढि नवि जाइँ तेह', 'जाताँ लागइ खित्रवटि खेह' // 379 // 'तिणि कारणि ते नवि नीसरई, खरच-वरच पोता न कर। अंग तणउ न तिजइ अभिमान', 'मॉन विना नवि लाभइ मॉन // 380 // खित्री ते, जे खित्रवट धरइ', अपजसथी मन माहे डर।। रूधे जाताँ न रहइ माम; करई अहो निसि नृपनउँ काम // 381 // 'ब्युही तीरइ अधिक त्रेष', साँमि-धरम पालइँ सविशेष। गढनी लाज घगी निरवह.', इणि परि ते बे राउत रहइँ // 382 // हिव चिति चिंतह' इम' पदमिणी'-"गोरा-बादिल' बेही गुणी। त्याँहुँ जाइ करुं वीनती, वीजाँ माहि न दीसइ रती" // 383 // // 376 // 1 हीण BCE | 2 हिवै D / 3 हूवो , हूयो CE, हूवौ / 4 करिनै D, करिसवि E | 5 निसूणो , मुणिज्यों D, मुणयो / 6 तिण DE | 7 गढि DE | 8 गोरो C, गौरो D, गोरौ / 9 रहै DE | 10 खित्रवटि...(निति वहै D) BcD,...तणा बिरद भुज वहै / // 377 // 1 तासु BCDE | 2 भत्रीजो C, भतीजो DE | 3 वादलराव / 4 बेरी (बेयरी D)...तणो... BCD, सूरातन भरीयो दरियाव / / ५...बे बेई (बेउ D),...BCD, ते बेवै बल छल जाण / 6 बेई रावत बेई...DOD, वे वैरावत वै कुल भांण / // 378 // 1 ते बेई जाता था किसइ (जिसई D),...कोई...(नृपनो , पनो D) असई BOD| 2...( रहै c...करै D)..., रत्तनसेन (BC)...BOD, पणि तेहनें नहि मुनिजर सांम, खरच ग्रास नवि कोई ग्राम, घरे रहे न करे चाकरी, रतनसेन मूक्या परिहरि E| A360 / B 419 / 0427 / D452 / E527 / // 379 // १...बेई B0 (बेउ D, बेये E)...(जिसे DE) जिसई BCDE | 2 गढरो हो (मंटाणो CE, मंडाणी D) BCDE | 3 रूधई Bc (रूथै DE)...जायइ Bc (जाए D, जायै :)... ४...लागै DE...खेद B00 // 380 // १...नीसरै D, तिग कारगि रहिया ग्रहि टेक छ / २...विरच BCD, पोतानो D (प्रोतानी D), हिव जासां काइ हूआं एक / / ३...तणो CE (तणौ D)...तजई B0 (तजै DE)...4 सूर सुभट (महाबल:) महा सवल (जोधE), जुयान (जुवांन E) BCDE | ॥३८॥१धरई BC, धरै D / 2 ते DI 3 टरई BC, टरै D / 4 रूघई BC, रुधर BC, रुधै D / ५रहई BC, रहै D / 6 करई B, करे , करै / 7 नृपनो c, चपनौ D, खित्री सोइज खित्रवट चले, मरण दियै पिण नवि नीकलै / भुंडा भला पटतर नाम, खापां छेह हुवै खग जांम F | D 455 / E 530 / // 382 // 1 बेहूं BC, तीरई B (तीरे अधिको , बेउ तीरै अधिको D) तेप विन्हे सुहट मति अधिको रोषः। 2 पाल BC, पालै DE | 3 सुविशेष BCD, सुविवेक / 4 निरवहद BC, निरवहै DE | ५इण परि BCD, विधि / 6 रावत BCDE | 7 रहइ BC, रहै DE | D 457 / 3 532 / // 383 // 1 चिंतै DE | २त्री BCD| 3 पदमणी D, पदमिनी E / 4 बादल BCDE | 5 सुणियइ BCD, सुणिजे / 6 करो BC | ७दीस DEL
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________________ आठमो] गोरा वादल पदमणी चउपई 'इम आलोची पदमिणी नारि', चडि चकडोलि पहुंती वारि / साथइ लेइ सखी परिवार, आवी गोरिलाइ दरवारि // 384 // आगलि गोर बेठउ दिट्ठ', तव तसु नँयणे अमीय पइट्ट। गोरई दीठी जव पदमिणी', 'तव ते हरषित हूवो गुणी // 385 // गोरउ' साँम्हों धायों धसी, विनय करी इम बोलइ हसी। "मात! मया बहु कीधी आज, कहउँ पधाऱ्या केहइ काज // 386 // आलसूआँ माहि आवी गंग, पवित्र हूआ मुझ अंगण-अंग"३ / बलती बोलह इम पदमिणी', "हुँ आवी तुम्ह मिलवा भणी // 387 // , सुभटे' सगले दीधी सीख, दया धरम नी लीधी दीख / सीख दिउँ हिव तुम्ह पिण' सही, जिम असुराँ घरि जाउं वही // 388 // सुभट सहू हूआ सत्त हीण, खिति-पुडि खित्रवटि हूई खीण / सुभटे सगले दाखिउ दाउ', पदमिणि दे नई लेशाँ राउ // 389 // हिव तुम्ह सीख दिउ' छउ किसी ? 'सुभटे सगले कीधी इसी"। गोरउ जंपइ'-"सुणि मुझ' मात! गढ माहे हुं केही मात्र ! // 390 // 'खरच न खाओँ राजा तण', पूछइ कोइ नही मंत्रणउँ' / पिण मनि आरति म करउँ मात! भली हुसी हिव सगली वात // 391 // mmar // 384 // १...आलोचि ते पदमिणि (पदमिनि E)...B0| 2 चोडोलिE | 3 साथें BCD, साथै E | __4" D, नै / 5 दुरबारि AT A 368 / B 425 / 0 433 / D 459 / E 534 / __ *तेहने D (पणिE) मतो D (तेहने E) न D (नवि E) पूछ कोइ DE | जै D (जे E) पूछे DE तो इम काइ होइ। जाणहार (DE री एहीं रीति) (धरती हुयै जांम E) / साचा सुभट न पूछै नीति D (सकजां दुचिंता राखै साम / D 456 / 531 / // 385 // 1 आगइ BC, आगै DE | 2 गोरू , गोरिल BCDE | 3 बेहु A, बइठउ B, बेठो , बयठो D, बैठो / 4 दीठ BCDE | 5 पईठ BCDE | 6 गौरे D, गोरै E| 7 पदमणी D, पदमिनी E | ८...हूउ - (हूयो )..., मनि हरष्यो करि आगति घणी / // 386 // 1 गोरू , गोरो BODE | 2 साम्हउ B, साम्हो 0, साम्ही D, संम्हो E | 3 धायउ BI 4 करी नइ Bo, करीनै DE | 5 बोलै DE | 6 भलइ BC, भलै DE | 7 केहउ B, केहो CDE | ८काजि AI // 387 // 1 आलस्याँ Bo, आलसिया D / 2 मैE। ३...हुवउ B (हूयो , हुवो D)... आंगण C (अंगो D)...लहिरे आया मोती नंग E / 4 बोलै DE | 5 ते BCDE | 6 पदमणी D, पदमिनी / कपूर जाणि आयो लाहणे, कामधेन पहुती आंगणे E / // 388 // 1 सुभटें B, सुभटई 0 / 2 धर्म BC | 3 मेल्ही 10 / 4 दियउ B, देउ , दीयौ D, दियो / ५तुम A / 6 पणि BCD | 7 जावं 10 | 8 रही B / . // 389 // 1 सवे / 2 हवा BD, हृया / 3 क्षिति-पुडि BO, पुहवी D, प्रिथवी / 4 दाख्यो RCE | ५दाव DE | 6 पदमणि DI 7 देई DE | 8 लेस्यां BCD, लेसांE / 9 राव DE I // 39 // 1 देउ , दियो DE | 2 सुभटां...BC, सुभट सहूनी सुधि-बुधि खिसी D, कहो वात छै आधिक तिसी। 3 गोरू, गोरो ODE | 4 जंपै DE | 5 मुझि BCD, मोरि E | A 374 | B430 / 0439 / / 465 / 3 541 / // 39 // १...खावू BCD...तणो D, खरच ग्रास नही राजा तणो / 2 पूछई BC, पूछै DB | 3 मंत्रणो OE, मंत्रणौ / 4 कर A, करो CE, करौ / 5 सगली होसी भल्ली (रूडी DE) वात . BCPEI
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड जइ' तुम्हि आव्या' मुझ घरि वही, तर अनुराँ घरि जाश' नहीं। सुभट तणउ ए नही संकेत, अस्त्री देइ नइ लीजइ जेत्र // 392 // वरि' मरिचर्ड मुभटाँ नई भलउ', "जिणि परि तिणि परि करिवउ किलउ। अस्त्री देइ नई लीजइ राई ! सुभट' न थाप" एहवउ दाउ // 393 // जाण्या सुभट वडा' जूझार, अस्त्री देइ नइ ल्यइँ भरतार / ते जीवी नइ करिशई किनु, जिने काम आलोच्यु इतुं" // 394 // पदमिणि जंपद'-"गोरा ! सुण, इणि' घरि छाजइ ए मत्रंणः / सिरिखइ-सिरिख सगले थाइ, भीत पखे" नवि चित्र लिखाइ // 395 // भीति' सदाइ झालइ भार, त्राटी बलिनइ थावइ छार' / बीजा ऊभा मुंक्या सही. तहुं तुझ घरि आवी वही // 396 // . ॥कवित्त // तुं हिज गई गोरिल्ल तुं हिज दल माहे वह। तुं हिज गई' गोरिल्ल ! तुं हिज मोरा प्रिय अड्डउ / तुं हिज गउ गोरिल्ल ! तुं हिज दल वीडउँ झल्लइ / सुणि राउत गोरिल्ल"! नारि पदमावती बुल्लई' / // 392 // 1 जे BCDEI 2 तुम्ह NCE) 3 आया / 4 तो DE | 5 जास्यो BO, जासौ DB | 6 तणो CDR | 7 नारी DE, दे नइ B (देवनि , देई DE) लेसी BC (लीजै D, कीजैE) जेत्त D (जेत ) / // 393 // 1 वर BCD, वलि / 2 मरवो CE, मरवा / / ३नुभटाँ नई BC, सुभटा नै D, रजपूताँ / 4 भलो CE, भली D / 5 जिण परि तिण परि BCD करिवो CD..., आम्हो सांम्हो करिवो किलो। 6 स्त्री RCE | 7 देवने DE | 8 लीजई B, लेजई, लीजै DE | 9 राव | 10 सकज E / 11 थायइ Bc, थापै DE | 12 एहवो , एहवी D, एह / 13 कुदाव। E544 * / // 394 // 1 भला BCD | 2 स्त्री देई नह ले भरतार BC, राणी दे लेस्यै भरतार D, राणी दियै लियै सरदार / / 3 करिस्यइँ BC | 4 किस्यउ BC | 5 जेणे RcI ६आलोच्य B, आलोच्यो / DE में द्वितीय अर्द्धाली नहीं है। // 395 // 1 जपई B / 2 राउत BCD | 3 मुणो / 4 एणि / 5 मंत्रियो / 6 सरिखइ BC, सरि D / 7 सरिखो CDI 8 सगल , सगलै D / 9 थाय DI 10 भींति BODI 11 पवई BD, पखै / 12 किम BCDI D में प्रथम चरण नहीं है और E में सम्पूर्ण चौपई नहीं है। D 469 / // 396 // 1 भीति BCDE | 2 सदाही BOD, सदा लगि / 3 झालै D / 4 त्राटां बलिनई (बलिनै थापै D) थावई... BCD, त्राटी बलि जलि थाये...।। 5 मेल्ह्या B, मेल्या , मेल्हा D, मेल्ही / 6 तो CDE | 7 तुम्ह BCDE | A 380 / / 436 / 0 445 / / 471* / E549* / * इणि D (इण E) बुधि DR सारु D (सारै E) खोयो DE राय D (राव ) / हिवै गढ पदमिणि खोसे जाय D (गढ पिणि गमसै एहवे दाव ) / स्याल न होय सीहां काम D (इण परि बोल्यो गोरिल जाम ) / ' अपजस पूरी जासै माम D (जंपै पद मिण नारी तांम E)D470 / / सहु सरिखे निसवादो थाइ, भीत पर किम चीत्र लखाई॥ E548 //
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________________ आठमो] गोरा बादल पदमणी चउपई "अवर सुहड सत्त हीण ह', 'जस लीजइ त. एकलह / अल्लावदीन खं खग्ग वलि, रतनसेंन छोडावि लइ.५५ / / 397 // ॥चोपई // 'गोरउ जंपइ “सुणि मुझ माइ ! गाजण तर मुझ व भाई। तसु सुत वादिल अति बलवंत, तेह नई पिण' जाइ पूछा मंत" // 398 // 'बेही आया वादिल दिसी', 'वादिल साँम्ही धाय धगी। विनयवंत पग करीय प्रणाम', पूछह वादिल "ह काम " // 399 // गोर' जपई-"यादिल सुण, सुभटे कीधर ए मंत्रण। पदमिणि देइ नई लेशा राय अबरन मेडद कोई उपाय // 400 / / पदमिणि आवी आपाँ पासि, हिवनडे कामुं कहइ विमासि / तोनह पूछण आव्या सही, करशाँ वात तुहारी' कही // 401 // सुभट सकोई बेठा फिरी, जूझण' बात न लाई आदरी / आपेई पिण अछाँ उदास, राउं' तण नही ग्रास न वास / / 402 // // 397 // 1 राय D / 2 गोरिल / 3 माहि / 4 बडो C, घडी D / ५प्रीअडो, प्रीयडी D! 6 वीडो , बीडी D / 7 झलइ C, झलै / / 8 / 9 हिज / 10 वोलह E, वोले / / 11 सह BCD / 12 अब जस तुम्द हुः इक्कर: RCD (पकलै / / 13 अलावदीन BCD | 14 स्यूं BCD) 15 छुढाई ले DI तुं गोरा रजपूत, तुंहि सामंत गहि गाडो। तुंहि ढाल हींदुआन, तुहि मोरा प्रियाडो। सुर धीर तुं सकज, नुहिज दल बीझो झलै / तु मुझ दीये सुहाग, नारि पदमनि इम बुले। अवर सुहड सतहीण सब, यह जस तो तुज इकले। अल्लावदीनसं खगां बलि, हीदपति छोडावि लै॥E 550 // // 398 // 1 गोरू A, गोरिल , गौरो D, गोरो E / 2 . DE | 3 मोरी BCE | 4 माय CD, मात / ५गाजन A / 6 सुभट BCD, हता E! 7 बडउ B, बडो D, बहा / 8 मुझ BODE | 9 भाइ D, भ्रात E / 10 वद्दल BC, बादल D, वादल E / 11 छै E / 12 तेहनै DE | 13 पणि BCDE | 14 जई A, ए DE | 15 पूछ3 B, पूछो / 16 मंत्र BCDE | // 399 // 1 वेई...बादिल...BCD, तब पदमिनी गोरिल ससनेह E / 2 वादिल BCD सम्हउ B (साम्हो , साम्ही D) धायो BCD (धायु A)..., पहुता जइ वादल नै गेह / 3 विनैवंत D / 4 करी BCDR I 5 परनाम E / ६...वादल (केहु A, केहो cD)..., काकानै वलि की सलाम / 553/1 / // 40 // 1 गोरु A, गोरो BCE, गौरो E | 2 पै DEI 3 वादिल B, वादल CE, बादल DI 4 सुण A, सुणो 0, मुणौ / 5 सुहडै / / 6 कीधु A, कीधो , कीधी D, थाप्यौ E / 7 मंत्रण A, मंत्रिणो , मंत्रगौ DE | 8 पदमणि D, पदमिन E| 9 दे नई B, देस्यां CD, देई / 10 लेस्यां BCD, देसां / 11 राउ BCD, राव / 12 मंडै D, चिंते / 13 दाव EIA 384 | B 439 / 0 449 / D 475 / / 553/2, 554/1 / // 40 // 1 पदमणि D, पदमिन / / 2 आयां / / 3 हिवि (हिवे D) तूं BCD...कहउ BD (कहो०) बिमासि BOD, आंणी आझो मनि विसवास EL.4 तोन D, तुझने / 5 आया / 6 करसां / 7 तुम्हारी Bo / . // 402 // 1 सह कोइ B, सह को ODEL 2 बइठा BC, बयठा D, बेठा छ। 3 झूझण BODE | 4 ल्यै BCDE I 5 आँपेई / 6 पणि BCDE | ७राय / /
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________________ 62 कवि हेमरतन कृत हिव तुं जेम कहइ'तिम करां, नीच देता लाजे मरों। ऑपे डीले छाँ दुइ जणा, आलिम आगलि लसकर घणा // 403 // किम जीपेशा कहउँ एकला, एकला कदेई न हुवई भला / तिणि कारणि तो पूछण भणी, आविउ लेई हुँ' पदमिणी" // 404 // पदमिणि' बादिल सु वलि' भणइ' - "सरणइ आवी हुं तुम्ह तणइ / राखि सकउँ त राख सही', नही तरि पाछी जाउं वही // 405 // खड' जीभ दहुँ निज देह, पिण नवि जाउं असुरों गेह / लाखा जमहर करि नइ बलुं, पिणि नवि कोट थकी नीकलु" // 406 // इम सुणि वादिल' बोली', दूठ महा दुरदंत / जाणि कि गयवर* गाजीउ, अतुल बली एकंत // 407 // / 6 अछाँ // 403 // 1 कहै DE | 2 नीची DE | 3 लाजां BCDE | 4 आँपे A / ५डीलई BCDE | ७दोइ BCDE | 8 आगइ BCD, साथै / / // 404 // 1 जीपेस्यां RCD, जीपेसां / 2 कहो CDE | ३...होवइ...B0, किला न होई (होवै) कदेहि भला DE | 4 आव्यउ B, आव्यो CE, आव्यौ D / 5 ले / 6 साथै / // 405 // 1 पदमणि D, पदमिन E | 2 बादल BCDE | 3 स्यूं B / 4 इम BCDE | 5 भणै DE | 6 सरण DE | 7 तणे DR | 8 सको CE, सके / 9 तो CE, तौ DI. 10 राखो CE, राखै D / 11 मुझ E| १२...जावं...BCD, नहि तर तेहवो दाखो मुझE | D481* / // 406 // 1 खांडउं , खांडो / 2 दहउं / / 3 जावउं B, जावू CIA 390 / B445 / 0455* . सील न खंडु (खाडं E) देह अखंड / जो फिर (फिरि E) उलटे (उलटैE) ए ब्रह्मड / बात लख सम एको बात (सुहड करावे वलि भरतार E) / जीवंतां ए न फिरै घात (मुझ कुल एह नही आचार E) / D 482 / E561 / सील DE, प्रसाद D (प्रतापै E) तुझ जस होई D (होसी फते E) / रिपुदल DE गाहौ D (गाहो E) अवसर जोय D (झूबो मते ) / पदमणि रहै नै छूटे राय D (रहै गढ वलि छुटै राय E) / गढ राखो जस त्रीभवण थाय D (हुं पिण रहुं सुजस जगि थाय E) D 483, : 562 / सील DE प्रसादै D (प्रतापैE) सुर D (सुख E) वरदाय D (वरताइE)। रिपु जीपै मनि बंछित थाय D (जीपी रिमरिझ वंछित थाय E) / कलिजुग नाम करुं अखंड D (कलिजुग नामो करो अखंड E) / काया अथिर थिर जस नव खंड D (प्रगटै सुजस लगै नव खंड E) D484 / 3 563 / श्रीपति पणि साहस नै साथि D (परमेसर पिण साइस साथि ) / जयत हथा DE होज्यौ नरनाथ E (करसी जगनाथ E) / लहि सोभाग DE देहुं D (दिउँ ) आसीस DE | जीवो DB बादल D (वादल E) कोडि DE बरीस (वरीस)। D 485 / 564 // कहे पदमिन भासीसी, अखे वादल अजरामर। तुं मुझ पीहर वीर, धीर चित मेर बराबर / खगि भांजहु खुरसाण, मांण रखहु हीदूवानह / धुरै जैत नीसांन, करें दुनीयांन वखानह / सनाह साम सरणे सुहड, एह विरद तुय मुज लहे। कर घालि मूंछ ज्यो सब सुहड, तुझ्झ आंक माथै बहै // E565 // // 407 // 1 बादल BOD, वादल / 2 बोलीयउ BC, बोलियौ D, बोलियो / 3 दुटु...BOD, मद पोरस-मैमंत E / 4 जाणकि B, जाणिके C, जाणिक D, जांणिकै / 5 केसर B0, केहरि DHI 6 गाजीय B0, गाजियो DE | 7 अतुली बल...BOD, देख घणां देह दंत:।
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________________ 63 आठमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई "सुणि बाबा!" बादिल' कहइ', "सुभटाँसु' कुण कॉम ? सुभट' सहूं सूए रहउ', ए करिस्युं हुं कॉम // 408 // काका'! थे कॉइ खलभलउ', अंगि' म धरउ उताप। तउ हुँ बादिल' ताहरउँ', सयल' हरूं संताप // 409 // पदमिणि अंगणि' पग दी', पवित्र हूउँ मुझ गेह / महलि पधारउँ माउली', दुख म धरउँ निज देहि // 410 // आलिम' भाजु एकल', जउ वाँसइ जगदीस। त" हुँ बादिल बहसीउ, ज आणु अवनीस" // 411 // बीड' झालि बादिलइ, बोलइ इम बलवंत। "आलिम गंजी आप बलि', आणु नृप एकंत // 412 // सुभट सहू सूए' रहउ, सुभटाँसु'कुण काँम ? ए सगला', हुं एकलउ, निपट करूं निज नॉम" // 413 // बादिल' बोलइ- “पदमिणी, मनि म करें ऊचाट। तउ हुं गाजण जनमी, जउँ" भंजु गज-थाट // 414 // अरि दल गंजु एकल', भंजु नृपनी भीड / राम काजि हणमति' की', तिम टालुं तुझ पीड॥ 415 // ॥४०८॥१काका / 2 बादल BOD, वादल / / 3 कहै DE | ४...स्युं B...काम BCD, अवरा कहो काम E / ५...सोई BCD रहो D, बैसि रही सारा सुहढ / ६...काम BOD, एह अम्हीणो नाम / // 409 // १...खलभलो ,...खलभली D,...काका थै चित मत चलौ / 2 अंगि धरउ : (अंगि धरो , अंगि धरौ D, अंगि धरहुंE) उल्हास BODE | 3 बादल BOD, वादल E / 4 ताहरो CE, ताहरौ / 5 भत्रीजो BCDE स्याबासि B (साबासि CD, साबास E) / // 410 // 1 पदमणि D, पदमिन B / 2 आंगणि DE | 3 दीयउ BC, दीयौ D, दीयो / 4 हवउ B0, हुवौ , हुयो / 5 पधारो CE, पधारौ / 6 मायडली BOD, माइडी E / 7 धरो CE, धरौ / 8 तिल / / 9 देह BCDE | ॥४११॥१आलम EI. 2 भजउ B, भंजो , भजी D, भांजउ E| 3 एकलो CE. एकलौ / 4 जे वांसह (बासै D)...BCD, दिउं प्रिसणां खगरेह / / ५...वादल विहसीउ, कुरवट अजुआलौ किलै / / 6 जे आणउं B0 (जैआ[D)..., आंगुं रतन नरेस / ॥१२॥१बीडो 08, बीडी।। 2 झाल्य BD, झाल्यो CE| 3 वादिलई BC, बादलै D, वादले / 4 बोलै DE | 5 अति, BcD, ई / 6 बलवांन / 7 अंगजु हूं आप बलि BO, एहनै गंजु आप बलि D, तू सत सीता दूसरी / / 8 आणउं BCD, हुं दूजो हणमांन EIA 396 / B445 / आप बलि Bo, एडन स रा / / 8 आणउं BCD 0461 | De // 413 // 1 सोई B0 / 2 रहो / 3 स्यूं / / 4 काम BC | 5 सगल B, सगलो / 6 एकलो / 7 करो B0 / 8 तुम्ह B0 / 9 नाम BC | DE प्रतियोंमें नहीं है। // 114 // 1 वादल BC | 2 करउ B, करो। 3 उच्चाट B01 4 जो०। 5 गाजन-धरि BO| 6 जनमीय B, जनमियो / 7 जे BO, 8 भंजउ B, भंजे C | DE प्रतियोंमें नहीं है। // 15 // 1 आलिम भांजउ...B, आलिम भंजो एकलो c, आलम तोडुं एकलौ / / 2 मांजउ BCD | .3 काज BCD | 4 हणमंत Bo, हणवंत / 5 कीयउ B, कियो 0, कियो / गलउं - रालो , टाळू / 7 ए BODIE प्रतिमें नहीं है।
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________________ [खंड 64 कवि हेमरतन कृत सत्ति! तुहारइ' सॉमिणी', मली' महादल मांन / गढ'माहे आणुं घरे, रतनसॅन राजॉन // 416 // जीह सडउ ते जण तणी', दाखि जिणि ए दाउ। पदमिणि साटइ' पालटे, आगेशी' घरि राई" // 417 // लूण उतारइ' पदमिणी, वाला वादिल अंगि / विरद बुलावे बादिला, इम' जंपइ कणयंगि // 418 // गोर हिव अति गहगहिउँ', सूरिम चडी सरीर / कायर' पूछया कंपवइ', धोर' वधारई धीर // 411 // "घरे पधार' पदमिणी', आरति म करउ काँइ / बादिल बोल्या बोलडा, ते झूठी नवि थाइ // 420 // सूर न पश्चिम ऊगमई', मेरु न कंपइ वाइ। सापुरस" बोल्या नवि टलइ, मूवाँ अवर विहाई" // 421 // - [ नोमो खण्ड ] पदमिणि घरे पधारी जिसइ, वादिल' माता आधी तिसइ / सुणी सगल तिणि संकेत, हीया माहि' न मावई हेत // 422 // नयण झरएँ' मुंकई नींसास, अवला दीसह अधिक उदास / इणि परि आवी दीठी मात, विनय करी सुत पूछई वात // 423 // "किणि कारणि तुं माता इसी? कहउ' वात मन माहे किसी ? "आरति चीत किसी तुझ भणी ? काँइ दीसइ आमण-दूमणी // 424 // // 416 // 1 तुम्हारद B, तुमारे , तुहारै D, तुहारे / 2 स्वामिणी BC, स्वामिनि D, सामनी / 3 मखें / / 4 मांण E / ५...आणउं...BCD, घडी माहि आणु घरे E / 6 खुमांण E / . // 417 // 1 जीभ E, सिडोल (सिडी E) त्यांE, जन तणी BCD (दुरजगा E) / 2 ज्यां ए दाख्यो दाउँ / 3 पदमणि D, पदामिण E| 4 साटई IC, साटै D, साटे / 5 आणेस्यां BCD, आणेसां / // 418 // 1 उतारइं BC, उतारै D, उतारे E / २...वादल...BCD, मिली मिली भीडै अंग / / 3 बुलाई सही B, बोलाइ, बुलाए D, बुलावे / / ४...बोलई कुगयंगि BC,...वोले कणयंगि D, तु जीपै रिण जंग / A 402 / B 457 10 467 / D496 / E574 / // 419 // 1 गोरो...गहिगयो BC, गौरो मनि...गहिगह्यौ / , गोरो संभलि गहिगयौ / २सूरम 3 कार BC | 4 कंपवई BC, कंपवै DE | 5 सूर BODE | 6 धरई मनि BC, धरै मनि D, धरावै / // 420 // 1 पधारो CDE | 2 पदमणी D, पदमिनी / / 3 करौD, करो। 4 माह BCE, माय / / ५फिरेन / // 42 // 1 पश्चम BCDE | २-ऊगमै DE | 2 कंप DE | 3 वाय D / 4 सापुरिस बोल्या बोलडी D, सापुरसारा बोलढा E / ५...मूयां..., टलै सु वीजी काय D, फिर न झुठा थाइE| A402 / B460 / 04701 D499 / / 577 / / // 422 // 1 जिसे DE / 2 बादल BOD, वादल / / 3 तिसै DE / 4 सुणीयउ सगलउ BOD, सुणियो सगलो / / 5 तिण / / 6 हीयडा BCD, हइटा : 7 मांहि BCDE | 8 मावै DEI // 423 // 1 झरइ BC, झरै DE | 2 मूकई BC, मूकै DE | 3 माता BCDE | 4 दीसे DEI 5 इण BCDE | 6 पूछे DEL // 24 // 1 कहो CDE | 2 मनमइ छइ BO, मनमै छै DE | 3 तिसी / / ४...चिन्ति...तुम्ह (तुम) BCD, आरति केही छै तुम्ह तणै / 5 काई... BCD, क्युं छै चित आमण दुमणै / / . .
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________________ नोमो गोरा वादल पदमिणी चउपई मात कहइ'-"सुणि बादिल बाल! माडो कॉइ' पडइ जंजालिं ? दूध-दही तुं मुझ नइ एक, तो विण काइ न बीजी टेक // 425 // तुं' मुझ जीवन प्राणाधार', तो विण' सूनउँ सहि संसार। 'त. ए काँइ कीउ मंत्रणउँ', 'वाँसइ कासु देखइ घणः // 426 // सुभट घणा गढ माहि समाज', त्याँ बेठा तो केही लाज? ग्रास चास को नही नृप तण', "आपे खरच कराँ आपण // 427 // घणा जिके खाई छ. ग्रास, 'सुभट रह्या छइ तेइ उदास / तुं किणि करणि' हुई अझलख', विणठी वेला का नवि लखः // 428 // 'रिणवट रीति न जाँण अजे', 'वात करी जावउ वजवजे। कद कीया छई तई संग्राम ? अण जाण्याकिम कीजई काँम ? // 429 // आलिम किणि परि गंज्यउँ जाइ ? आटइ लूण किसानई थाई। बादिल ! पुत्र अछइ तुं बाल! "मत मुझ दुःख दीइ अणगाल" // 430 // परणिउ अछइ अजे तुं आज', 'कहता आवइ मन महि लाज'। पहिली साझ घरनी वहू, किला करेयो' पाछइ सह // 431 // // 425 // 1 कहै DB | 2 माडां BO, माडा / 3 काय D, काइ / / 4 पडै D, लियो / / 5 मुझनौ D, माहरै / / 6 तुझ BCD, तुझ ED, विणि D, काय D, नही E, वीजी CD, मुझE, टेक / // 426 // 1 / 2 प्राण BO, प्रांण E, आधार BC, अधार D / 3 तुझ BCDEI 4 बिणि / / 5 सूनी D, सूनो / 6 सहु। 7 तइँ BC, ते D, ते E, एकाकी BCD, एहवो E, कीयउ BC, कीयौ , कीथो E, मंत्रणौ D, मंत्रणो B 8 बासई BC, पुठे D, पूठे .,...दिख्यो BC, देखें D, दीठो E, घंणी D, धणो E / // 427 // 1 माँहि / 2 सकाज / / 3 बइठाँ B, वइठाँ, बैठां DE | 4 तुझ BCDE | 5 अन्य प्रतियों में नहीं है। 6 तणो DE | '७...खावा आपणो D, खरच करां छां निज गाठिनो EIA 410 / B 466 / 0476 / / 505 | E583 / // 428 // 1 घणा घणी / / 2.3 खाई छइ Bo, खाए छै D, खा छै / / 4 सुहड E...? DE, तेह Bc, तिहाँ D, तिकै E, विमासि / / 5 किण कारणि BCE | 6 होइ BC, हुदै DE | 7 अझंखौ D, अझलखो।। ८काइ नवि EC, का तू नवि D, कांइन / 9 लखो D, लखो।। // 429 // 1 रणवट AB...जाणइ B, जाणौ D..., रिण विध किम जाणे सौ सजी / / २...जावइ B0, जायै D..., घर विध वात न जाणो अजी / / 3 कदे D / 4 कीधा E / ५छइ BC, छै DRI संता BC, ते ७संग्राम BODE / ८जाण्यB जाण्यां , जाण्या / ९कीजे D, कीजै / / 10 काम BO I . // 30 // 1 आलम E| 2 किण परि BO, किणथी / 3 गंज्यो BOE, गंज्यौ / 4 जाइं B0, जाय DI 5 आटई BC, आदै D, आटे / 6 किसानइं BE, किसानै DE | 7 थाई Bo, थाय DB | 8 वादिल BCD, बादल / / 9 पूत BODHI 10 अछै DB | 11 माइनइ दुख दीयइ अणगाल Bo, मायनै दुख दीयौ असराल D, रिण संग्राम तणो नही ताल / / ॥३५॥१परण्यो BO, परण्यौ D, परण्यां E, अछइं BC, हिवै D, पणि B, हिवद B, हिव 8, अछै D. छो, तुअ D, हिवडा , राज / / 2 कहितां D, आवई BO, आवै , मन माहि BOD..., सेजे जातां आवै लाज / 3 साधो CE, साधी / / 4 करेग्यो Bo, करज्यो D, करेग्यो / ५पाछै DE | 6 बहू AI
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________________ खंड कवि हेमरतन कृत. अजे अछइ' तुं बादिल' बाल, 'कुसुम कली जिम अति सुकुमाल / . म करसि वात विमास्या' पखें, अति ऊछंछल थाऊ रखे // 432 // 'बादिल जंपइ वलतउ हसी-"माता! वात कही तई किसी? किणि परि बाल कहिउ मुझ माइ'! पहिली मुझ नइ ते समझाइ // 433 // धूलि न चुंथु रोउ नही, आडी न करूं साडी ग्रही। थान न चुंखु मुखि आपणइ', पोढुं नही कदे पालणइ // 434 // 'काँइ कहइ तुं मुझ नइ बाल', 'देखि जेम करूं धकचाल। राउ घणा ऊथापे थ', 'इसडइ कामि किसु ऊतपुं? // 435 // सीसि उडाडु सगला सित्र', त हुँ' जाणे ताहरपुत्र / गाजन बाप सही गाजवं, मत मनि जॉणइ कुल लाजवू'३ // 436 / / खित्रवटि रिणवटि पाछउ' खिसुं, त तुं मात' कहे मुझ' इसुं। भिडता पाछउँ पग जउदी, तउ-तउ माता फाटउ ही // 437 // खल-दल' खडि करूं दहवाट ? 'तउतुं कॉइ करइ ऊचाट। म करसि माता मनि अणदोह! सगले आज वधारूं' सोह // 438 // ॥५३२॥१अछ, अछै D| 2 वादल ncDI ३...ज्यं BC, दुध मलन नि / 4 विचारया 5CD | 5 पखई BC, पखै D / 6 अछांछल BC, उछाछल / / 7 घायइ BC, घाइ / / 8 रखद // , रख DI अलगां डुंगर रलियांमणो, हुंम हुयै अणदीठां तणो। जुद्ध तणा मुख भला अदीठ, वात करंता लागै मीठ / 4 588 / // 33 // 1 वलहो CE जंपई BC, जंपै DE, वादल हसी BCDE | 2 तै DE | 3 क्युं BC, किम हुं DE, हवं BC, बालक कही BCDE, मुझ BCD, मोरी E, माइ BE, माय CD| 4 नई BC, न DE | ५ए / 6 समझाय CD I A 416 / / 472 / 0 483 | D512 / E 590 / // 434 // 1 चुधुं , चुथौ / 2 रोवउं BC, रोवु D| 3 आडउ B, आडो CE, आडौ DI 4 साडौ D, साडो / 5 चूंवू BC, चूधुं / 6 आपणइं BC, आपणै DE | 7 पउढउं BC, पोढो EI. 8 कही / 9 पालणई BC, BC, पालणे / / // 435 // १...कहई... नई...BC,... कहै...'नै...D, क्युं जांण्यो तें मुझनै बाल E / २...करों BC, धगचाल BCD, देखि जिसा मांडु धकचाल / 3 राव D, घणां BCD, थयउं BC, उथाप्यौ फिरि थांपुंगा / 4 इसडई Bo, इसडै D, कामि BC, किस्युं BC, ऊभगउं B, ऊभउं , हु भगुं D, साम सनाह बिरह मुझ थाइ E| // 436 // 1 शीश BC, उडाउं D, सत्र D, राज तणो सवि राखो सूत / 2 तो D, तो E / 3 माता / 4 जाणइ B जाणे D, हुं / 5 ताहरो CE, ताहरौDI 6 पूत / 7 गाजण ICDI 8 पिता E| 9 गाजवउ E, गाजवो , गाजउं D / 10 मति BCD | 11 मन C, इम / - 12 जाणई B, जाणिइ 0, जाणे D, जांणै / / 13 लाजवउ B, लाजवउ C, लाजउं DI ॥४३७॥१पाछो , पाछौ / 2 खिसउं B| 3 तो CE, तौ / / 4 माता / / 5 कहै मुझ D, कहिजै / / 6 इस्यउं BC, इस्यउ DI 7 पाछो , पाछौ / 8 जो c, जौ D / दीयउ B, दीयो 0, दीउ D / 10 तउ मुझ B, तो मुझ C, तो मुझ D / 11 फूटई B, फूटे C, फूट / / 12 हीयउ B, हीयो०, हीउ DI भिडतां जो तिल पाछौ खिसुं, तो तुं माता कहि जै इसु E | E में प्रथम अर्खाली नहीं है / इ 593/1 / / // 38 // 1 लखदल BODI 2 खोडि Bo, खेसि DE | 3 करों B| 4 कांई करई करे D, तुं मनि... BOD, माता म धरो मनि ऊचाट / 5 अंदोह BCDE | 6 सगली BCDE | 7 वधारउं B, वधारो CIA421 | B477 10 487 | D516 / / 593/2-594/1 /
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________________ 67 नोमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई गाजन' आज' करूं गाजतउ', 'रण-रस रंगि रमु राजत। सीह सिबद सुणि गय घड जॉइ', 'कायर वचन कहइ मुखि काँइ” // 439 // ॥कवित्त॥ आइ माइ तिणि ठाइ, बइठि बादिल्ल पासि तस / "तूर्य विण पुत्र निरास, तुं हिज चालिउ जूझण कसि ? नयण मोरू बादिल्ल! प्राण बादिल्ल भणावइ / वयण मोरू बादिल्ल! वारवरौं समझावह"। आवती माइ तव पेखि करि, ऊठि बादिल प्रणाम कीय / "बालक पुत्र! जुगि-जुगि जियो, कवण कुमंत्री मंत्र दीय" // 440 // रे बादल मुझ बाल'! वात तू वदह' करारी। मनि परिहरि अभिमान, बोल बोल सुविचारी। सुभट होवई दस वीस, तास वलि रामति कीजई। आलिमसाह अथाह', "तास विढि नवि जीपीजइ / बालक मति ऊछाँछली, जूझि-बूझि जाण नही। मुझ मानि वचन सुपसाउँ३ करि, "जउ मुझ सुत" बादल सही // 441 // "हुँ कित' बाल माह! धाइ अंचलि नवि लग्गुं / हुँ कित' बाल माई! रोइ भोजन नवि मग्गुं / 9 कित' बाल माइ! धूलि लिटुं नवि फिडे। 9 कित बाल माई! पाइ पालणइं न लुटूं। 'बालउ रिमाइ तई क्यु कहिउ', 'अवर राई रक्खाविउ / "सुलितांण-सेन-विनडुं नही", "तउ तबहि माइ फुट्टउ ही२ // 442 // // 39 // 1 गाजण DB | 2 आजि D / 3 गाजतो D, गाजतो | 4 रिणरसि BO, रणरसि D.... राजतो 0, राजतौ D, सुजस पडह निसुगुं वाजतौ / / 5 शब्द B0, सबद DE | ६...घट BO जाई BC, जाय D, गेवर घटा E | 7 काइर B0, बचन D, कहइं B0, कहै D, काई Bo, काय D, नहासै सगला जो पिण कटा |A 422 / B478 / 0488 / D517 / तिम आलम भाज एकलो, गढ चीतोड दिखावू भलो : 595 / // 440 // BOD प्रतियों में यह कवित्त नहीं है। प्रतिमें यह दोहा है। A423 / एक घणाही एकला, इक एकला घणाह / सीह सहसै वीटीयो, जोखो जणा जणाह / / 596 // // 44 // 1 कहि / / 2 मात / 3 वदै , वदहि / 4 बोलो 0D, बोलहुं / 5 होवो D, हो / 6 बलि आरंभ / 7 कीजै DE | 8-9 आलम साहि अथाहि / / १०...जीपियई.०, जीपिणे D, गंमंद किम बाहि तरीजै। 11 जाणे DE | 12 वयण / / 13 सुपसाव DE | 14 जो D, तो पूत BIA प्रतिमें नहीं है / B 479 / 0489 / / 518 / / 597 / // 44 // 1 किम / 2 बालो OR, बालौ / 3 माई Bo, माय DI 4 धाय D / 5 रोब DI 6 नहु A, नह BODI ७धूलि लोटि नवि पिढें BOD, धूलि ढिग मांहि न लोटूं। 8 पाइ पाहणे न...D, जाइ पालणि नवि पोळू / / 9 बालो...,... ते किम को BOD, जाजुल नाग आलम जवन / / 10 अवर राणउ (राणो, राणी D)राउ रखावीउ BOD, तास जडि छोडं ग्रहै। 11 रिण खेल मचावडं बाल जिम / / 12 तवहि BOD...फुटर B, फुटकर 6, फूटै D, हीयउ Bo, हीयौ D, तबहि माइ बालो कहै /
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड "रे वाला वादिल्ल! मनह' आपणउ' न बूझसि / रे याला बादिल्ल! कुमर', कहि किसि मुहि झूझसि / गढ वीटिउ' चिहुं ठाइ, 'सूर निवसंति खित्री वसि। तूअविण पुत्र निरास, तुं हिज चलिउँ" झूझण कसि"। इम कहइ माइ-"वादिल सुणवि, वयणि' मोर चित्त धरी"। साहण समुंद सुलितांण दल, "केम वच्छ अंगमि सुधरी" // 443 // “हु कित वालउ 'माइ : मेछ' पॉखाँ भरि' पिल्लं / हुं कित बालउ' माइ ! सपत पातालहि पिल्लु। बाला वासिग नाग, कान्हि आणीउ भुजा बलि / बाला जाजा सूर, सीस जस दीध साँमि छलि / बाला बलालि एत की", दुरयोधन बंधवि ली / सुलितांण सेन विनडुं नही, तवहि माइ फुटर" ही" // 444 // // चोपई // . सुत न सूर पण संभली, माता मन महि' अति खलभली। माता' वचन न मानह' रती, माता माहि गई विलवती // 445 // वात सहू वहूअर' नई कही-“जाई राखउँ निज पति ग्रही। मुझनी सीख न मानइ तेह, रहसी नेट तुहारइ नेहि // 446 // सहु' सिणगार सजे सावता, पहिरी वस्त्र नवा फाबता। हाव भाव करि वचन विलास, जिण परि तिण परि घाले पास" // 447 // एम सुणी वहूअर नीकली', झलका कति जिसी बीजली। सुकलीणी सजि सोल सिंगार, आवी जिहाँ छइ निज भरतार // 448 // // 44 // 1 मनसि D| 2 आपणई BCE, आपणै / / 3 किस BODRI 4 बीट्यउ BB, वीट्यो , विटिं / / 5 सूर नवि सुभट खत्रिवस BODE | 6 तो BODE | 7 चाल्या BODE | 8 कस BODE | 9 कहै D / 10 माय / 11 वयण BODE | 12 मोरो BODE | 13 चिति BODRI 14 धरि खरो BODE | 15 केम पत इतर तरो BCDE | ॥४४॥१वालो , बालो DI 2 म्लेछ BODI 3 पख BO, दल DI 4 ऊमा BODI 5 असुर सहु (दल D) घाणी पिलु BODI 6 बाले DI 7 आणीयउ B, आणियो , आणियौ / 8 जगदेव D / 9 दीस B / 10 समछि BO, समथि / / 11 वलि BCD| 12 बलि BODI 13 एतौ D / 14 कीयो E / 15 लियो , लीयो DI16 सुरताण ABODI 17 फुट BC, फूटे DI 18 हीयउ BCD I A 426 / B 482 1 0 492 / / 521 / 8 में नहीं है। // 445 // 1 नो 05, नौ / / 2 सूरपणो CE, पणौ / / 3 माही BCDE | 4 कलमली / 5 वरज्यो / / ६माने D, माने / / 7 तब गइ महिलामै / E602 / / // 446 // 1 बहूयर BCE, बहूवर D / 2 नाँ A, ने D, नै / 3 जाइ नइ BCE, जायने / / 4 राखो ___CE, राखौ / / 5 माहरी DB | 6 मानै D, माने / / 7 नेठि BCDs| 8 तुमारै D, तुम्हारे / // 447 // 1 सवि।। 2 करे B01 3 पहिरण BODE | 4 भलां BODE | ५पाडे BC, पाडौं D, पाडो। // 448 // 1 बहूयर BOR, बहूवर D / 2 नीसरी BOD| 3 झबकंती BODE | 4 जाणे BCDE I 5 वीजुली BB | 6 सुकुलीणी BODE | ७तिहां बैठो D, बैठ जिहांE A 430 / B487 / 0497 / / 526 / 6606 /
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________________ नोमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई रूपई रंभ जिसी राजती, ललित वचन बोलइ लाजती। नयणे निरमल दाखद नेह, साँमि धरमि साची ससनेह // 449 // कोमल कमल-वदन कामिनी, दीपहुँ' दंत जिसी दामिनी / हसित वदन' बोलइ हितकरी, "सॉमी ! वात सुण माहरी // 450 // आलिम दूठ' महा दुरदंत, कहि नई किसी परि झूझसि कंत / अरि बहुला नह" तुं एकलउ', कहउँ किसी परि करिस किल" // 451 // बादिल बोलह'-"सुणि कामिणी'! जो ए जंग करूं जामिणी। गज बहुला नई एक ज सीह, तउ' पिण नावइ तसु मनि बीह // 452 // मयगल' माता मद बहु झरई, सीह थकी किम नाठा' फिरएँ। सीह सदाई साँम्हों धसई', 'वात्य ई नवि पाछउ खिसह // 453 // सुंदरि बोला- "सामी ! सुणउ, खोट म कर ए मंत्रण। करता वात अछइ सोहिली, पिण ते वेला अति दोहिली" // 454 // बादिल बोलह- "सुंदरि सुण', भय म दिखाडउ' मुझनइ घणउ / कायर वात करई हसि-हसी, वेला पडीयाँ जाई खिसी // 455 // ते हुँ' पुरुष नही बादिलउ', जो ए जिणपरि झालुं किलउ"। 'वलती बनिता बोलइ वली', 'कता! वात न जायइ कली // 456 // हय हीसारव गज सारसी', 'प्रबल करई मुंगल-पारसी। 'गोला-नालि वहाँ दीकली', "न सकइ को पेसी नीकली // 457 // // 449 // 1 रू. DE | 2 मृग-लोयणी (नयणी DE) सुंदरि गयगती BCDE | 3 दाखै DE | 4 स्वामि B01 // 450 // 1 दीपै DEI 2-3 कर जोडै / 4 बोले DB | 5 स्वामी B0 / 6 सुणी D, सुणो / // 45 // १दु BODE | 2 कहिन A, कहिनै DE | 3 किण DE | 4 नै D, ने / / 5 एकलो 0E, एकली D / 6 कहो, कहौ / ७करिस्यो Bo, करिस्यौ / / 8 किलु, किलो BO, किलो E, इसे मते नवि दीसे मलौ / // 452 // 1 जंपा Bo, जपै DE | 2 त्रिय मूढ / 3 जौ...D, सूरा तन गुण छै अति गूढ / / 4 नै ___DE | 5 तो DE | 6 पणि cDI 7 नावै DEI // 453 // 1 मइगल Bo, मैगल / 2 झरै D | 3 सवि / 4 न्हाठा / / 5 फिरै DE | 6 सिंघ B01 7 सदाही , सदा लगि / 8 साम्हउ B / 9 धसै DEI 10 वाढ्यो (BOD) ही BOD...पाछो खिस (D), घणा देखि मन माहै हसै| D531 / // 454 // 1 बोलै DB | 2 स्वामी B01 3 सुणो 0E, सुणौ / 4 खोटो 0E, खोटी / / ५करो CE, करौ / / 6 मंत्रणो CE, मंत्रणौ / ७करै D, सवि। 8 पिणि BODRI 9 होइ / A 436 / B492 / 0502 / / 531 क / 3611, कांसुं अटकां बोलीयां, कटकां दूर थयांह / _ भंडां भला. पटतरो, खापां छेह गयांह // 612 // // 455 // 1 बोलै DE | 2 सुणो OB, सुणी D / 3 दिखाडे A, दिखाडइ B, दिखाडो, दिखाडी D, दिखा डिस / 4 नै D, रिण / ५घणो , घणौ D, तणो / 6 कहै DB | 7 वणियाँ / 8 जायइ Bo, जाए D, जायै / / // 456 // 1 हवं B0 / 2 वादिलो , बादली D, वादलो। 3 माडलं BC माहुं DE ! 4 किलो CE, किलो ____D / ५...बोले...D, वलती अरज करे वलि इसी / / ६...जाय...D, जात नही छै जोदा जिसी / // 457 // 1 है हीसै गैवर सारसी / / 2 गुदवद (चुद D, गल बल B) मुगल बोलइ (बदै D, करै :) पारसी BODRI ३...ढीकली ०,...बहै...D, सोसै खिण इक माहि तलाव B / ४...कोइ...Bc,
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________________ 70 कवि हेमरतन कृत चउगढ-दा नितु चोकी फिरई', शस्त्र घणा अरि अंगइ धरइ / तिहाँ तुं पइसिसि किम एकल', ए आलोच नही छइ भलउ" // 458 // वादिल वोलइ वलत हसी, "तइं ए वात कही मुझ किसी! / हयवरगयवर पायक पूर, हेकणि हाकि करूं चकचूर! // 459 // लाख सतावीस लसकर लूटि, केवी सगला नाँ कूटि!। माल घण' आणु अरि मारि, तउ मुझ माता झेलिउँ भार"! // 460 // कांता जंपइ'-"रहि हों' कंत! मुझ मति माहि न भाजई भ्रंत / अजे न साजी छइ तइंसेज, निज नारी सुं न रमि हेजि // 461 // काम-युद्ध नवि जाण' करें, 'निज नारी थी नासउ डरे। बालक जेम अजे निकलंक, दे नवि जाणइ अधरे डंक // 462 // ते तु किणी' परि झूझसि सहि"? 'वलत बादिल बोलइ नहीं। नारी जंपइ-"सुणि मुझ नाथ, मुझ तनि अजे न लायां हाथ // 463 // ...सकै कोइ पैसि...D, मुख मंकड चित दुष्ट सुभाव - / / 495 / 0505 | D534 / E615 / पा? बरजि बाथ एकला। मांस-भखी बणै अणपला / D535 / / अवंता पंखी आडै / बट भोघाण भर्याहण हणै 536 // भुरज ढहावै दे-दे टला, मांस-भखी बाण अलपला / ऊडता पंखीआ हणे, वाले बाधी कवडी हणै / / / 616 // मुख मंकट चख मिरी, जूह काला गिर कंधह / भुज जम दूठ दूरंत, बलिठ जांणग जुध बंधह / गल बल्ली पारसी बरा, मद भैगल मद छक्कह / अजण बाण भुज भीम, करै मुख हक्क किलक्कह / असपति सेन अणगंजीयत, तुम्ह नहि मानहुं मगज भर / अनुमान काम आरंभीय, कहै नारि इम जोरि कर / / E617 // ॥४५८॥१चो..., चिहुं पाखै जिहां चोकी फिरै / / 2 अंगे A, अंगै DI 3 धरै DI 4 पैससि DI ५एकलौ / / 6 छै / / 7 भलौ DI : प्रतिमें यह नहीं हैं। // 459 // 1 बोलै DE | 2 वलतो , वलतौ / / 3 ते , ते E / 4 हैवर DE | 5 गैवर DE | 6 एकणि BCDEI // 46 // 1 मारुं / 2 घणा BODE | 3 तो CDE | 4 झाल्यौ DI A 442 / B498 / 0508 / D539 / 619 / सघण घटा जिम पवन, किरण तप जेम हिमालय / अरुण तेज अंधियार, कुंभ पुत्तहि वरुणालय / मयंद पिखि पिखि सिघली, वज्र जिम पिख गिरंदह / गुरट पिखि जिम उरग, असुर टंकारव नंदह / उद्धभे वांग लगै हणुं, भीम गयंद जिम भ्रमवै / अरि-सेन लच्छि दातार जिम, खग्गि उढावहुं विद्रवै / / 620 / / इम त्रिय सुणि वादल वयण, फिरि बोली तजि कांनि / त्रीया सेज न गंजिहि, किम गंजडु सुलतान // 621 // // 461 // 1 जपे DEI 2 रहो रहो / 3 एह / 4 भाजै DE | 5 अजी DEV 6 साधी BODE | 7, DE | 8 ते D, तुम्ह / ९रम्यउ BO, रम्यौ D, रमिया 31 // 462 // 1 जाणो CE, जाणौ / 2 करी DE | ३...नासो...०,...ते नास्हौ...D, सुरत विचित्रा नाजे चरी E / 4 अछइ BC, अछै D, अछो / 5 जाणै D, जाणो / // 463 // 1 किस BC, किण DI 2 कृडि रिहाड (रोहाड , मति D) कीजह (कीजै D) प्री नही BODI 3 पै DI 4 लागउ Bo, लागा D E प्रतिमें' खडग जुद्ध छै विसमो सही, कूडी डंस न कीजै कही / मुझ तन हाथ न घाली सको, भोगी स्वाद लहै जेह थिको // 624 //
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________________ 71 नोमो] - गोरा वादल पदमिणी-चउपई ते तु अरि-दल भंजसि कॅम"? वलत' बादिल जंपई ऍम / "सुणि सुंदरि! तुं म करे हेज, तिणि दिनि आविसु तुझनी सेज // 464 // जिणि दिनि जीपिसुं वयरी एह, त हुँ रमस्युं रंग सनेह / ताहरी वात कही तई सही, पिण हिव रमल करुं ए वही // 465 // ताँ लगि सेज न हेज न नेह, आलिम भाँजि करुं नहि खेह / ताहरई' वचनें भाजउ आज, गाजननंदन आवइ लाज // 466 // वलती' नारि पयंपई वली, सूरिम सगलइ तनि ऊछली। "भलइँ ! भलइँ ! सॉमी स्यावासि', भवि-भवि हुँ छु' थारी दासि // 467 // जिम बोलइ छइ तिम निरवहे', मत किणि वातइ जायइ ढहे। लाज म आणइ कुलि आपणइ, सॉमी झुंचे साहसि घणई // 468 // नेजइ घाउ करे नरनाथ, देखिसु हिवइ तुहारा हाथ / खडग प्रहार खरा चालवे, आयुध अंगि घणा झालवे // 469 // // 464 // 1 बलतो , बलतौ / 2 बादलि BODI 3 जौ / प्रतिमें नहीं है। // 465 // १जीपसी BODI २वरी BC | 3 तोल, तो DI 4 DIL प्रतिमें नहीं है। // 466 // 1 ताहरै DI 2 भाजु DIA 447 / / 504 / / 514 / D545 / प्रतिमें-असपति घढा विसम वींदणी, भमुंह चढावी मेले अणी / जरह कचुंकी भीडित अंग, विलकुल मुख चख राते अंग / / 625 // मल्हपै भयमंत नारी जेम, वचन विरस चित न धरे पेम / अमंगल सींधू नद गावती, छल धरती टाकुल वावती / / 626 / / असपति गढ छै एहवी रंस, खोटी मन मै म घरो हुंस।। तेह सरिस रंग रहसी केम, प्रिय बालक त्रिय प्रौढा जेम / / 627 // भिडसो रिण बलि दाखो तेम. वलतो वादल पै ऍम / सुणि सुंदरि ! तुंम करिस खेद, मुज्झ वचन माने धू-वेद / / 628 // पोरस तणो दिखालिस तेज, तिण दिन आविस ताहरी सेज / जा लगि प्रियजन वखानै नही, गुणीयण विरद न चै उमही / / 629 // तां लगि केहा सूर सधीर, वल्लभ माने जेह सरीर / लोही साटे चाडै नीर, ते कुलदीपक बावन धीर / / 6.30 // तब नारी जंप कर जोडि, अवर नही कोइ ताहरी जोडि / भलो भलो कहसी संसार, साम-धरम रहसी आचार / / 631 // // 467 // १वलतुं AI 2 पयंपै / / 3 सगलै DI 4 साबासि BCDI ५छउं BC, E प्रतिमें नहीं है। // 468 // 1 बोले DE | 2 छै DB | 3 निरवाहि BCD | 4 वातै DE | 5 जायै DE | 6 ढाहि BCD I ७आपणै DE | 8 अझै BODE | 9 घणे DET E633/1 // // 169 // 1 नेजै DE | २...हिवै...D, जिम हुँ देखू ताहरा हाथ E / 3 आउध BODI द्वितीय अख़्ली : में नहीं है। इसके आगे BOD प्रतियोंमें कुंडलिया कंता जूझसि कवणि परि, किम करवार गहंति / देखसि दृढ मनि अंगरी, किम तुं प्री चाहंति / किम तुं प्री चाहंति, तिख्य खग्गल रिण छूटइ। खग्ग-ताल वाजंति, तेज अंधाधड तूटा / मनप्रिय कायर होइ तुं, देखि मयगल मयमंता। तव मुझ लज्जा होइ, जूझि जव भाजह कंता //
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________________ ___खंड कवि हेमरतन कृत पाछा पाउ रखे रणि दीह', मरण तणउँ" भय माऽऽणे हीइ।। भलउ भवाडे खित्री-वंस, पुहवि करावे सबल प्रसंस // 470 // खलदल खेत्र थकी खेसवे, आयुध अंगइ राखे सवे / सुभटाँ माहि वधारे सोह, वाहे विकट छछोहा लोह // 471 // नाम करे नव खंडे' नाथ, वाहि सकइ तिम वाहे हाथ। सुभट सहू कहीइ सारिखा, परगट लाभई इम पारिखा // 472 // जीवण मरणि तुहार' साथ', हुं नवि मुंकुं जीवन-नाथ!। घj घणुं हिव कासुं कहुं ! तेम करें जिम हुँ गहगहुं // 473 // भिडता भाजई नासे मू', कायर कंपि हूउ जूजूउं'। एहवा वचन 'सुण्या मई कॉनि, तउँ मुझ लाज हुसी असमाँनि" // 474 // कंत कहा-"संभलि, कामिनी' ! हिवह सही तुं मुझ सामिनी / बोल्या बोल भला तई एह, "निज कुलवट नी राखी रेह" // 475 // अस्त्री आणि दिया हथियार, 'साझिउ सुभट तण सिणगार। मिली गली माता-पग वंदि, असि चढि चालिउ बादिल भंदि॥ 476 // ॥१७॥रखे DB | २प्रिय BODE | ३दीयइ BO. दिये DBI 4 तणो CE. घणो D / ५माणिमि BOD, मांग / / 6 हीयइ BO, हियै DE (E 633/2) / 7 भलो CR, भलौ / 8 क्षत्री 801 A 451 / B509 / 0521 / / 550 / / 634/1 / // 471 // 1 अंगै D / 2 सछोहा BOT F प्रतिमें प्रथम अर्धाली नहीं है। 1634/2 / ॥७२॥१खंडे DEI 2 सकै DEI 3 कहा BO, कहीये DE | 4 लामै DEI ५हिव BCD, रिण / / A453 | B511 / 0 522 / D552 / / 635 / // 73 // 1 तुहारो D, सदा तुं / 2 नाथ / 3 मूक्यउं B0, मूंको DEI 4 प्रीतम नाथ BOD, प्रीतम साथ / / ५घणउ-घणउ Bघणो , घणो D / 6 कास्यं B / ७कहउं B / ८तिम / 9 करजे / 10 गहिगह B01 // 474 // 1 भिडतउ B, मिडती D! 2 माजी A, भाजे D / 3 निश्चE BO, निसचे / 4 मूबड B, मूयो , मूवी / / ५हूवउ , हुवो , हुवी D / 6 जूजूवउ B, जूबवो , जूजवौ / 7 पह BODI 8 जउ (जो 0, जौ D) सुणीया BCDI 9 तो , तौDIA 455 / / 513 / 0524 / / 554 / / प्रति में नहीं है। इससे आगे D प्रतिमें धीरज नारि वधार नेह, खित्रवटि माहि राखण रेह / उत्तमराय तणी कुवरी, खिसती मति किम आपै खरी / / 555 // भूखा घरनी आवै नार, कुमति घणी सुपै भरतार / पूछी ऊछी मति साजवै, तिणि सगला माहे लाजवै / / 556 D // // 75 // 1 कहै (DR) / 2 सुंदरी।। 3 हिवै (D)..., मोटा वंस तणी कुंयरी / / 4 ते D, ते / / ४...खेह BOD, हित वांछै सोइ ज ससनेह / 456 / B514 / 0525 / 557 / / 637 / प्रतिमें इससे आगे ऊछा घरनी आवै नारी, कुमति दिये पख्या भरतार / तै कुलवंती नारी तणो, महिवल सुजस वधारयो घणो॥ 638 // ताहरा सत्त तणौ परसाद, आलम तणो उतारु नाद / सांम धरम नै कुलवट रीत, अजुआली निसंणु निज क्रीत // 639 // ॥१७॥१मारी DET 2 साज्यो BO...तणो 0..., साज्यौ...तणो...D, सझि आयुध ऊठ्यौ तिणवार।। 3 हिलिगली BOD, विनय करी / 4 अश्व BOD...चाल्यो Bo, चाल्यो D, वादल BOD..., अस्त्र चढी चाल्यो आणंदि। A457 / B515 / 0526 / D558 / 640 /
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________________ नोमो] गोरा वादल पदमिणी घउपई गोर' रावत' आव्यउँ वही, “काका! हिव तुम्ह रहयों' सही। एक वार जो, पतिसाह, जोवू आलिम कुं मनमाह" // 477 // गोरउ कहह'- "बादल' सुणि वात, मुझ तुझ एक अछइ संघात / 'तु जावइ हुं पाछउँ रहुं', "तउ हुँ रावत पणउ निज दहुं // 478 // काका! कीजइँ काची वात, हुं जाऊं छु मेलण धात / रिणवटि अम्ह-तुम्ह' एको साथ, जे विहडई तसु दक्षण हाथ // 479 // गोरह रावत पूछी' करी', चालिउ बादिल साहस धरी / सुभट सहू मिलिया छ. जिहाँ, बादिल चाली आविउ तिहाँ // 480 // बादिल बोलह बहसें इसु-, "कहउ तुम्हे आलोचिउँ किसुं। सुभट कहा-“बादिल! सांभल", सबल मँडाणउ एकल किलउ // 481 // // 477 // 1 गोरो BOD, गोरा / / 2 पासै D| 3 आव्यो CE, आम्यौ / 4 रहिय्यो , रहज्यौ , खमियो / 5 रही E / 6 जोवो , देखें / 7 जोवों...को..., जोउं...को...D, देख कुअर तणो पणि माह E / // 478 // 1 कहि, कहै DE | 2 अछै DE | 3 ...जावे...पाछोरहो , ...जायइ...पाछा रहुं DI 4 तो... पणो...दहो , तौ...पण...दहु D / द्वितीय अर्द्धाली प्रति में नहीं है। // 79 // 1 कीजै D / 2 छउं 50 / 3 तुझ मुझ / / 4 एकौ D / 5 ...बिहडै... D, इण वातें मुझ दक्षिण हाथ है / प्रथम अख़्ली E प्रति में नहीं है / E 643 / // 480 // 1 राखी / / 2 घरे / 3 चाल्यो BOE, चाल्यौ D / 4 धरे / 5 छै DE / 6 रावत ___BODE | 7 आन्यो Bo, आवै DE | // 41 // 1 बोले DE | 2 वहसइ B, बइसे , विहसे D, बहसी / 3 इस3 B, इसो CDE | 4 कहो 0, कहौ DE | 5 तुहे...A, आलोच्य B, आलोच्यो , आलोच्यौ DE | 6 किस3 B, किसो CE, किसौ D / ७सांभलउ , सांभलो GE, सांभलौ / 8 एकिल किलउ B(किलो)किलो DE IA 459 / B 520 / 0 531 / 0568 / E649 / D प्रतिमें-. साजि साजि स हुबो असवार, रिप-दल गाहण सब मुझार / बोले बीर सम वालण वयर, गढमढ रखवालो जखु सयर // 563 / / जाणे कुल-कीरति तनु धरौ, तेज पुंज जिम रवि अवतरयौ / साहसीक स्वामी धम धीर, बाचा पालण सरण सुबीर / / 564 // सहू सुभट सुर देखी भली, सूरातन सामंत अटकली / कदे न आवै बादल सभा, अचिरज आज हुवा दरलभा / / 565 // सकै तो काई बिमासी बात, गाजण-सुत ए सुर बिख्यात / सुभट राय-सुत बैठा जिहां, आव्यौ धान्यौ बादल तिहां // 566 // उठी सभा सहु आसण दीयौ, तिही बयठो बादल द्रिढहीयौ / पूछ सभा पयोजन आजि, कहौ बादल पधाऱ्या किणि काजि // 567 // प्रतिमें सांम धरम सरणै साधार, रिप-दल गाहण सबल सूझार / जाणे कुल-कीरति तन धर्यो, तेज-पुंज सूरज अवतर्यो / 645 // सभा सह देखी खलभली, सूरातन सामंत अटकली। बादल कद ही न आवै सभा, ग्रास न लामै नहि घर विभा // 646 // सके त काइ विमासी वात, गाजण-सुत ए सुर विख्यात / ... सुभटराइ सुत बैठा जिहां, कीयो जहार आवीनै तिहां / / 647 // उठी सभा बहु आदर दियै, बैठो बादल तब द्रिढ हिये। पूछे सभी प्रयोजन आज, कहो पथार्या काहे काज // 348 //
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________________ 74 , कवि हेमरतन कृत हठी आलिम अमली माण, राजा साही लीधउ प्राणि / .. गढ पिण हेवई लेसी सही, जे इहाँ आविउ छह इम वहीं // 482 // पदमिणि धाँ त चटईपास, नही तरि गढ नी केही आस। - गढि जात' कॉई नवि रहर', वली करी हिव ज्युं तुं कहह" // 483 // बादिल बोलइ' “भल मंत्रण', की तुम्हे' आलोचि घणउँ / पदमिणि देशाँ 'आपे सही, पिण इक वात सुणउ' मुझ कही // 484 // छाटुं पडसी सगलइ देसि, मस्तकि कोइ न रहसी केस / खित्रवट सहू लोपासी खरी, आ / वात भली नादरी // 485 // 'मांडा सुभट भएँ गहगही', 'पिण निज माँण न मेल्हईं सही। मॉण पखइनर कही किसउ, कण विण ठाला कूकस जिसः॥ 486 // काया-माया बे कारिमी, घडी एक' वाँकी घडी एक' समी। कायर हुउ अथवा हुई सूर, मरण किणइ थी न टलह दूर // 487 // तउ ते मरण समारी मरउ', ढाँढा होई किसुं ऊगरउ / पदमिणि दीधी कहीइ केम, पति राखणसुं जउँ छह प्रेम" // 488 // वीरमाण इम निसुणी भणइ'- "बादिल! बोलि तुं बलि घणई। भाषी सहू भली तई वात, पिण नवि प्रीछह तुं तिल मात्र // 489 // // 482 // 1 हठिओ CD, हठियौ / 2 लीधो CE, लीधी / / 3 हिवडै D, हिवडा / / 4 लेस्य 80, लेसां DE | ५...आव्यउ B...,जेह मुगल दल आग्यौ वही D, दिली-पती बैठो हठ ग्रही EIA 460 1 352110533 / / 570 17651 / // 183 // 1 तो OB, तौ D / 2 छुटे , छूटै DE | 3 जाताँ BODE | 4 रहै DE | 5 कहै DB | ॥१८॥१बोले , बोलै DEV 2 भलो CE, भलौ DI 3 मंत्रिणो , मंत्रणो DE | 4 कियो CE, कियो DI ५तहे।। 6 आलोच्यो Bo, आलोच्यौ D, आलोचज / / ७घणो OE, घणौ / 8 देस्या BOD, देसां। 9 एकु BODE | 10 सुणो OE, सुणौ / // 485 // BODE प्रतियोंमें यह नहीं है। // 86 // १...मरै...D, सुहड मरे आणी उच्छाह। 2 पणि...वही B0, पणि...मुंकै वही B, पणि...मुंकै राह / / 3 पखे 4, पखै DB | 4 कहीयइ Bo, कहियै DR | 5 किसो 0, किसौ DE | 6 ठालउ B, ठाली 0D 1 7 जिसो 0, जिसौ DE | // 48 // 1 इक , घडीयै-धडीय / 2 होइ B0, होय D, हुइ-दुयै / / 3 किणी Bo, किणे D, किण / / ४टले DEI // 48 // 1 तो , तो D, तो पिण / 2 मरो 0E, मरौ / / 3-4 कित्यु ऊवरउ B, उधरै उधरो , कित्यं उवरौ D, असत हुयां थी नवि ऊवरो।। 5 कहीयह B0, कहीये DB | 6 कुलवट / 7 स्यं BODE | ८जो D, जो / ९छ DE | A466 / B526 / 0537 / D574656 / इसके आगे DB प्रतियोंमें होसी वातां देस प्रदेस, माथै कोई न रहसी केस। छाँट पढे सगले संसार, राय बुडायो देह नार // D575, R657 // // 189 // 1 मणे D / २.बोल्यो., बोल्यौ D, बोले / / 1 घणे DE | 4 ते D, ये / / ५प्रीछो 80, प्री , प्रीब्यो।
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________________ गोरा वादल पदमिणी चउपई नोमो] आलिम ईस तणउ' अवतार, लसकर लाख सतावीस लार। यवनी' सुभट वडा झूझार, हणइ हेकीकर्ड हेलि हजार // 490 // साही लीधउं वलि सिरदार', झूझता आवइ तसु भार। काई परि हिव' पुहचह नही, नही तरि म्हे वलि झूझत सही" // 491 // बादिल बोलइ'- "कुंअर ! सुणउ', ए आलोच नही आपण। किसा आलोच करइ केसरी ? मारई मयगल माथई धरी // 492 // इम करतां जे मूआ वली, 'तउ पिण कीरति हुइ निरमली। काया साठह कीरति जुडह', "तउ नवि मोलह मुंहगी पडई // 493 // काया चांबतणी' कोथली, 'खिण इक मेली खिण ऊजली। तिण साठा जउ कीरति मिलइ, तउ लेतां कुण पाछउँ टलह" // 494 // वीरभांण हिव बोलह वली “बादिल! तुझ मति अतिनिरमली। 'अरजुण ते जे वालइ गाइ', करि जिम हिव तुझ आवइ दाइ // 495 // राजा छूटइ' पदमिणि रहह', इणि वातई कुण नवि गहगहह" / बादिल बोला- "कुंअर! सुणउ ! करयों ऊपर वांसई घणः // 496 // हुं जाउं छुलसकर माहि, आयु वात सहू अवगाहि"। करि जुहार बादिल असि चडिउ', "साहसि सुरपति सांसह पडिउ // 497 // // 490 // 1 तणो CE, तणी D / 2 जुवनी-BCD, मूंगल / 3 हणे DE | 4 एकेकी BCD, एकीको E | // 491 ॥१लीधो , लीधौ D, लीया E| 2 रतनसी रांण BCDE ! 3 आवै DE | 4 प्राण BCDE | 5 तिण / 6 पहुंचै DE | 7 परि BCD | // 492 // 1 कहै DE | 2 कुमरजी BCD, कुअरजी E / 3 सुणौ D, सुणो BCE, | 4 आपणो CE, आपणौ / / 5 करे CE, करै / / 6 केहरी D / 7 मारै D, मारे / 8 मइंगल Bo, मैगल DI 9 माथै D, पोरस E / // 493 // १जै D, जो E / 2 मूवा BD, आवां E / 3 काम / 4 कुलवट रहसी रहसी नाम / 5 साटै DE | 6 जुडै DE | 7 तो...पडै D, तो ते मोल न महंगी पडै / // 494 // 1 वाय , सांस / 2 माहे मइली (मैली DE) ऊपरि उजली BCDE BODE प्रतियोंमें द्वितीय अाली नहीं है। // 495 // BCD प्रतियोंमें प्रथम अर्द्धाली नहीं है। प्रतिमें यह अ‘ली ऊपर की द्वितीय अर्भाली इस रूप में बनी है-कहै कुंयर सुणि बादल राइ, जो इम तुम्हनें आवै दाइ॥ 5 662 / 1 आजण BCD,...वाले DE | 2 करउ तेम जिम आवइ दाइ BCD, करो विचार जे रूडो थाइ E663,1 / // 496 // 1 छटै DE | 2 रहै DE | 3 वातै DE | 4 गहगहै D, ऊगहै / 663,2 / 5 कहै DE | 6 कुमारजी BODE, सुणो CE, सुणौ D / 7 करिय्यो B, करिजो , करिज्यो D, करियो 48 वांस DE | 9 घणो CE, घणौ DIपहिली मति सवि (उंधी करी / आलम तेब्यो बाहि 0 माहे D) धरी D583, 1 / E664 / इसके पश्चात् DE प्रतियों में मारण तणो न खेल्या दाव, गढ पणि दीठो बांध्यो राउ || D583, 2 // केवल D में (जहर कहर आलम असवार, आया माहे तीन हजार)। / . छलिबलि दूध न पायौ बही, तो हिव सोव करी सही / / D584 / 665 / .. केवल प्रतिमें सूरातन चित धीरज ज्यांह, परमेसर त्यां आवै बांह / हिव आदर्यो सत ध्रम तणो, सुहडा धीरज देयो घणो // 666 // // 497 // 1 जावं BC | 2 आउं D / 3 खड्यो / 4 सासै पड्यौ D, साहसनूर सूरातन चड्यो / .. 475 / B534 / 0545 / / 585 / / 667 // इसके पश्चात् BCDE प्रतियों में सीहन जोवई (जोवै DE) चंद बल, ना जोवई (जोवे DE) घरि रिदि। ...
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________________ 76 कवि हेमरतन कृत [खंड [दसमो खण्ड] गढनी पोलि हुंति ऊतरिउ', बुद्धिवंत बहु साहसि भरि / निलवटि दीपइ अधिकउँ नूर, प्रतपइ तेज तणउँ घटि पूर // 498 // आयुध अंगि सहू साबता, पहिरणि वस्त्र नवा फाबता। आवइ एकलमल असवार, जाणे अभिनव अगनि-कुमार // 499 // आलिम दीठउ' ते आवत', सुभट धण दीसह साबत"। आलिम मेल्ह्या सांम्हा दूत, “पूछउँ', आवइ किम रजपूत // 500 // दूते जाई पूछि तेह, बोलइ' बादिल अति ससनेह / "" अविउ छु करवा वात', पदमिणि आणि दीउं' परभाति // 501 // आलिम मांनई' मुझ मंत्रण', त उपगार करूं 9 घण''। दूते जाइ धणी नई कहिउ', इम सुणि आलिम अति गहगहिउँ // 502 // माहि तेडाविउ दे बहु मांन, दीठ असपति अति असमांन / 'तेज तपइ ब्यउं ही तनि घण', 'आलिमसाहि दीउ बेसणउँ" // 503 // बइठ' बादिल बुद्धि-निधान, असपति पूछइ दे बहु मांन / "क्या तुझ नाम किणइका पूत, अब किसका हह तूं रजपूत // 504 // एकल (एकलो 0D, इकलो) भंजई (भाजइ 0, भंजै D, भाजे E) गयघटा, जिहँ साहस तहँ सिद्धि // B535 / 0546 / D586 / / 668 // केवल BOD पतियोंमें सीह सपुरिसां सत्तबल, बोलई (बोलै D) ते परमाण (परिमाण D) / हरि हर ब्रह्मा नवि खिसई (खिस D), ते पुरिसां सुविहाण // B536 / 0547 / / 587 // // 498 // 1 उतरो 0, ऊतर्यो D, नीसर्यो / 2 नई. B0, नै D, ने / 3 मर्यो OE, भो ___D / 4 दीसइ , दी / / 5 अधिको CE, अधिको D / 6 प्रतपै DR | 7 तणो 05, तणी D / // 499 // 1 सज्या / / 2 पहिऱ्या / / 3 सहू BODE | 5 जाणिक B0, जाणे DE | 6 कुवार D, कुआर / // 50 // 1 दीठो 0E, दीठौ / 2 आवतो , आवतौ D / 3 घणुं AD, घणो / 4 दीसै D / 5 सावतो , सावतौ / 6 मेल्यौ साम्ही D / 7 पूछह 0, पूछो D / 8 आवै DIA78 / B539 / 0550 / D590 / प्रतिमें - आवत दीठो आलिम जिसे, ए आवै छै कारण किसे // पूछण सांम्हा मूक्या दूत, क्युं आवत है ए रजपूत // 3 671 // // 501 // 1 आई / / 2 पूछया BCD, पूछयो / / 3 बोलै D, बोले / / ४...आन्यौ ...D, भायौ है इक कहवा वात। ५दीयउं 80 | // 502 // १माने 0, मनि DE / 2 मंत्रणो CE, मंत्रणौ / / 3 तो cr, तो / 4 घणो 08, षणो ___DI ५जाय / / 6 ते 05, ने D / ७कम B, कमो , कमो / 8 मनि BODE I 9 गहगाउ B, गहगमो 0E, गहगयौ / // 503 // 1 तेढाव्यB0, तेडान्यो D, तेडाव्यो। 2 दीठो , दीली / ३...(त ) वेहन 10 (जेहनौ D) अति (घणो 0, घणौ D), तेज देख दिनकरथी षणो। ४...दीय (दियो, दियौ 0), (वेसणो 0 बैसणौ D), हुकम कियो खुस बेसण तणो छ। // 54 // १ठो DB | 2 पूछ / 3 किसका हूँ Bom| 4 है /
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________________ 71 दसमो] गोरा वादल पदसिणी नउपई "क्यु' अब आया हइ हम पालि, क्या हइ तुझ कुं गढ महि ग्रास" / बोलइ वादिल वलतः हसी, गेम गइ महु घटि ऊमसी // 25 // अवसरि बोली जाणइ जेह, माणस माहि गुथाइ तेह / "तिणपरि वादिल तव बोली, हरखिउं जिम आलिमन हीउ // 506 // नाम ठांम सहु निरतां कह्या, 'माहोमाहि बिहो गहगह्या / बादिल बोलइ आदर करी , "सांमी ! वात सुण माहरी // 507 // पदमिणि मेल्हिउँ हुं परधान, सुभट न मेल्हई निज अभिमान / 'पदमिणि दीठो जव तुम्ह देठि', 'जीमंत निज जाली हेठि // 508 // तिणि दिन थी ते चिंतइ इसुं कामदेव ए कहीइकिसुं। धनि ते नारि तणउ अवतार, जेहनइ आलिम छइ भरतार // 509 // विरह-वियाकुल बेठी रहई, निसि-दिन सुहिणे तुझनई लहई। 'कर ऊपरि मुख मेल्ही रहइ', नयणे नीर घणुं तसु वहइ // 510 // निपट घणा मेल्हइनीसास, अबला दीसई अधिक उदास / तुझ सुं कोइ हू" अनुराग, रातउ जाणी प्रवाली राग / / 511 // पदमिणि नर' मनि अधिकउ प्रेम, ते कहवाइ मई मुखि केम / // 505 // 1 क्यों DE | 2 है DE | 3 बोलै DE | 4 वलती D, वलतो E / ५'राय BCDE | 6 उल्हसी BCDE | A482 | B544 / 0555 / D595 / 676 // // 506 // 1 जाणै DE | 2 मुंह A| 3 गुंथाव BC, गिणावै D, गिणय / ४...अति...RO, बोलिया DI ५हरख्यो हीयउ Bo, आलमनौ हियौ / 4.5 विनय करी कहे जोडी पांण, करहुं आज पावु फुरमांण EI इसके पश्चात् BOD प्रतियोंमेंबलथी बुधि अधकी कही, जे उपजई ततकालि। वानिर वाघ विगोइयो (विणासियो D,) एकलडइ (डै D) सीयालि // B547 / 0558 / D597 / // 507 // 1 सवि BCE | 2 विगते / / 3 ते मुणि आलिम मनि...BCD, महरवांन तव आलम थया / / 4 बोलै DE | 5 साहस E / 6 धरी / 7 सुणो०E, सुणौ DI // 508 // 1 मेल्ह्यउ no, मुंक्यौ DE | 2 सुहड / 3 मुकै DE | ४...तुं...., पदमिन देख्या तुम कुंद्रेठि / 5 भोजन करतां / // 509 // 1 इसउ B / 2 कहियइ BC, कहियै DE | 3 किसउ B, किसो।। 4 तिस D / 5 तणो , तणौ D, तणा E / 6 जेहनै D, जिसके / 7 छै , है / / // 510 // बडी BC. बैठी DEI २रहै DET 3 अहनिश BODE | 4 महना BCI 5 सपने तुम्हको / / 6 लहै DEI 7 मुख ऊपरि कर देई रहई BCD | 8 पणउ Bo, पणौ D / द्वितीय अर्द्धाली E में नहीं है। // 51 // 1 कै DE | 2 दीसै DE / 3 तुम्हसुं D, तुम्हसे / / 4 हुवौ , ह्यो / 5 रातो जेम पटोली BCDE | A 489 / B552 / 0563 / D602 / E682/1 / / ॥५१२॥१नै D, कै / 2 अधिको CE, अधिकौ DI 3 कवायद B0, कहवायै DEI 4 मुखK (सैE) BODE | 5 रहै DE | 6 मुखस्युं बात (कहै D)... BOD, मुख करि वात न तिण से कहै E / मुझ तेडी ए दाख्यो मेद / मूक्यो करवा विरह निवेद // E683 // इसके आगे प्रति में-सुणि साहिब आलम! अरज, मैं पदमिनका दास / यह रुक्का तुम्हकुं दिया, है इसमे अरदास // 684 / / ले रुक्का आलम सुहथ, वाचत धरत उछाह / तावी छाती विरहतें, मेटत हित-जल दाह / / 1685 //
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________________ [संर कवि हेमरतन कृत आलिम ! आलिम ! करती रहा', 'मुझ सुं वात सहू ते कहइ // 512 // BC प्रतियोमें फारसी मिश्रित भाषा के ये 'बेत' हैं अजार दर्द बदिल मेर, खिज्र दूर यार। चि कुनम् सबुर कुनम् दिले एक औ दर्द हजार। तनरा रबाब साजिम् रगहा सितार तार / दीगर सरोज नेस्त व झूझुआर यार / / इसके आगे BCDE प्रतियों में-जोखि (मैं E) देखू वदन छवि, हुं (मैं इ) वैकुंठ न जाउ (चाहिब)। इंद्रपुरी किह काजिद (किहि कामकी DE), तुय सीह नही जिह ठाम (मीत नही जिस माहि B) / इसके आगे BOD प्रतियों मेंसोरठा- मई (मैं D) मन दीन्हउ (दीन्हो०, दीनो D) तोहि, जा दिन ते दरसन भया / अब दोइ जिय नहि मोहि, प्रेम लाज तुम्हरी बहू (बही D) // B557 / 0568 / / 607 // मई मन दीन्हउ तोहि, सका तउ निरवाहियो। ना तरि कहियउ (-यौ D) मोहि, मई ( D), मन बरजर्ड (-ज D) आपणउ (णौ D) B558 / 0564 / D608 / इसके आगे BODE में निस वासर आठों पहुर, छिन नहि विसरत (बिसरै :) मोहि / जिह जिह (जहाँ ) नयन (नैन B) पसारिहुँ, तिह तिह (तहाँ इ) देखु तोहि // 1687 // इसके आगे BCD में धनि धनि आलमसाह तूं, काम तणउ (तणो 0, तणौ D) अवतार / मन मोयो पदमिणि तणउ, अब करि हमरी सार / / B 560 / 0571 / / 610 // इसके आगे प्रतिमें मन हुंतो सो तुम्ह लियो, सुक्ख गयो तजि गाम / ___ अब तो हम पै नाहि कछु, छोडि तुहारौ नाम / / 611 // . DB प्रतियोंमें साहि तुम्हारे (तुहारे D) दरकुं, अधर रमो जिय आइ / कहो क्या आग्या देत हो, फिरि तन रहे कि जाइ // D612 / 3 688 // - Dप्रतिमें प्रीतम प्रीत न कीजियो, काहुं मुंचितलाय / अलप मिलण बहु बीछरण, सोचत ही जिय जाय // 113 // . प्रीतम कुं पतियों लिखं, जो कछु अंतर होय / हम तुम्ह जिवडा एक है, देखणकुं तंन दोय // 614 // प्रतिमें प्रीत करी सुख लहनको, सो सुख गयो हराइ / जैसे खदार छबुंदरी, पकरि सांप पछिताइ // 689 // प्रतियोंमें वाती ताती विरह की, साहिब जरत सरीर / छाती जाती छार हुइ, जो न बहत द्रग नीर / / D1153690 // D प्रतिमें मुझ प्राणी तुझ पासि, तुझ प्राणी जाणुं नहीं। जो कोई विरहो नासि, पंजरको विरहो नहीं // 616 // जिम मन पसरै चिहुं दिसा, तिम जो कर पसरति / दूर थकी ही सानना, कंठा ग्रहण करति॥१७॥ प्रतिमें कहै पदमिन सुनि साह, वाह तुम्ह रूप बड़ाई। अहो काम अवतार! अहो तेरी ठकुराई। मुझ कारण हाठि चडे, लडे अहि खग्गउ नंगे। पकडयो रांण रतन, वचन विसवास रलंगे।
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________________ 79 दसमो] . गोरा वादल पदमिणी चउपई 'तुझ नउ आविउ सुणि परधांन', तेह प्रतई दीध' बहु.मांन / सुभट कहइ' म्हे मरस्यां सही, पिण म्हे' पदमिणि देस्यां नही // 513 // समझाया मई 'सुभट समेत, वीरभांण राजा जग-जेत। क्युं क्युं आज दवइ छइ वात', "तिणि जाणां छां मिलसी धात // 514 // पदमिणि मेल्हिउ' हुँ तुम भणी, विनय भगति वीनववा घणी। 'वली जिका होइ छइ वात, कहिस्यु आवी ते परभाति // 515 // सीख दी हिव मुझनई सही, पदमिणि पासइ जाउं वही। . जोती होसी' मुझनी वाट, करती होसी अति ऊचाट // 516 // विरह-विथा न सहइ विरहणी, काम पीड घटि चालइ घणी / तुझ संदेस सुधा-रस जिसा, पाउं तु जाइ सुणाउँ जिसा" // 517 // असपति' इणिपरि संभली', पदमिणि प्रेम-प्रकास / वयण बाणि वीयर्ड' घण', 'मनि मेल्हइ नीसास // 518 // अब वैठि रहे करि मौन मुख, कहा तुम्हारे दिल वसी। जिहि काम काज एते किये, सो क्यों न करहुं अब है खुसी / / 691 / / मैं तेरी पय-वास, मै हुँ तेरी गुण-वंदी। तुम रहिमान रहीम, में हुं त्रिय आदम गिंदी। मैं तो यह पग किया, सेज आलिम मुख माणु। नांतरि तजि हुँ प्राण, अवर नर निजरि न आणुं / अब करहुं मिहिर नान्हुँ अरज, हुकम होइ दरहाल यह / मै आइ रहुं दाजिर खडी, छोडि देहुं हिंदुवांन पह / / 692 / / BCD प्रतियों मेंपंच (दस D) दुहा नइ (नै D) बेई बेत ! मांही लिखियउ (-या D) छइ (छै D) संकेत / लिखि प पत्रि दीई (दई D) अम्ह साहि / पढि तुम्ह देखउ (देखो D) क्या हह ( है D) माहि // B561 / 0 572 | D 618 / // 513 // 1 तुम्हनउ आयउ जब... B, तुम्हनो आयो जब...c, जब आयौ आलम...D, जब भेजे आलम... / 2 प्रत D / 3 दीधो CD | 2-3 चौ पदमनि छोडै राजान | 4 कहै , मुहड कहै / / 5 अम BC, हम D, वलि E / 6 परिस्यां E / 7 आप A, देसां / // 514 // 1 मै D 2 किहुं-किहुं BCD | 3 छै DE | 4 कान E / ५...जाणीव्यु मेलसे भाति B, (तिण :) जाणुं छु विणिसै वान (बान D) DE | // 515 // 1 मेल्यउ हूं / / 2 वीनवी छई घणी / / 3 होवई छइ वात, आवी कहिस्युं ते / / // 56 // १दियौ DE | 2 पत्री पढी BODE | 3 पासै D, पदमिन पासे / 4 जाव B0, जावी DI 5 होस्यई Bc, होसै / ६माहरी DEI 7 औचाट DIA 494 / B56510 575 / ___D620 / E696 / // 517 // 1 सहै D, खमै E / 2 घडि B, अति / 3 चालै DE | 4 तुम्ह / 5 पाउं जाकर तिहां तिसा BCDE I // 518 // 1 असिपति A, असुपति / / 2 सांभली / / 3 वेध्यउ B, वेध्यो ODB | 4 घणो 03, धणी / / 5 प्रबल मेल्हई...cD, मूकै सबल...। इसके आगे BCDE प्रतियोंमेंपत्री यांची प्रेम करि (सुंE), चतुराई सुविचार / कागल (कागद E) करि मेल्हइ (मेल्हे c, मूकै ) नही, नैणा लग्गी (नयण लिगाई ) तार // 1568 / 0578 / D623 / / 199!
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________________ कवि हेमरतन कृत अलज तनि' अतिं ऊपन, विलली' विरह विराल / अवसर देखी आपण', जागि काम जटाल // 519 // काम-बाण कुण सहि सकइ', दाझइ सगली देह / सुंदरि तणा सँदेसडा, निपट वधारयउ नेह // 520 // विरह-विथा सहि नवि सकइ', अलज अंगि न माइ / प्रेम सुणी पदमिणि तण', घट गलहल ज्यूं जाइ // 521 // असपति थ' अहि सारिख, साहि न सकतउ कोइ / खीलिउ'बादिल गारुडी, पदमिणि मंत्र परोइ // 522 // ॥चोपई // असपति बोला- "बादिल, सुण', तुं अम्ह' आज घरे प्राहुणउ / भगति जुगति तुझ केही करां, 'तहं दीठइ मनमाहे ठरां' // 523 // पदमिणि सुं हम करयो प्रीति, रूडी परि सहु भाषे रीति / जब हम हाथि चडी पदमिणि, 'तउ मुझ घरि तुं होइसि धणी // 524 // सुभट साहू समझावे घण', थिर करि थापे ए मंत्रण। दूध डांग दिखलावे घणी, वात विहांणी आवे वणी" // 525 // ऍम कही निज करसुं' साहि, पहिराविउँ बादिल पतिसाहि / लाख सुनाया दीधा सार, हयवर गयवर वस्त्र अपार // 526 // // 519 // 1 अजल B, अलजो , अलिजौ D / 2 तिणि BCDI 3E ऊपनो , ऊपनौ / / 4 विलती , बिलल D / ५आपणौ / 6 जाग्यौ D E में नहीं है। // 520 // १सकै DB 2 दाझै DE | 3 सगल3 A| 4 वधारइं A, वधारयो BC, वधारै DE | ॥५२॥१सकै DE | 2 अजलउ B, अलजो , अलिजो D / 3 माय D / 4 तणो , तणौ DI 5 थलहलियो BC, (-यो D) / E में नहीं है / इसके आगे BODE प्रतियोंमें बार बार चुंबन करई (करै D, करे B), रुक्के (का DE) कुं (कों E) मुखि लाई। इलम (अजब E) पढी बहु (है E) पदमिणी (-नी), खूब लिख्या इह (है B) माहि / / B 572 / 8.582 | D 627 / E701 / // 522 // 1 थो, थौ DE | 2 सारिखो AOD, सारिखौ / / 3 सकतो CE, सकतौ / / 4 खील्यो BODEI ५प्रेम AI // 53 // 1 असुपति BC | 2 बोले 0, बोले D / 3 सुणो CE, सुणौ / / 4 हम D, मेरे / / 5 आज BC, आजि DI 5-6 वल्लम B1 6 पाहुणो ,पाहुणौ D, पाहुणौ / / 8 युगति BI 9 तुम्ह D, कितियक कीजिये / / 10 तो दी?..., तेरी अकल वसी मुझ हीये FiA501 / B574 / 0584 | D629 / E703 // // 525 // 1 स्यं B0, सौं। 2 अम्ह 80 | 3 करिज्यो BO, करज्यो , कहियौ / 4 स्यं B01 ५राखे BODI ने BC जै D, जो। ७चडही / 8 तउ (तो, तौ D) तुझ परि होइ धरती घणी BOD, तो तुझकुं धुंधरती घणी EI // 525 // 1 समझाए BCB | 2 घj AE, घणौ DI 3 मंत्रणौ (णो E) / 4 सवाहे BOD, सुधारे / // 526 ॥१करस्युं BDI 2 पहिराग्यो BOE, पहिराव्यौ / 3 हैवर DE | 4 गैवर DE | - ... इसके आगे BODB प्रतियोंमें रुका लिखि देवउ (देउं D, देहुं B) तुम्ह हाथ, माहि लिखउं () निज बंदगी वात (प्रीतिसु बात D, प्रीतम गाथ)। रमा ल्यउ (ल्यु D, लिं ) नही आलिम तणउ (तणो , तणौ D, तणी), वांचर (वांचे DB) काई भाजई (भाजै DE) मंत्रणउ (मंत्रणो क मंत्रणा . मंत्रणा :) //
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________________ दसमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई ते लेई वादिल आवी', हरखि माइ तणउ तव हीउ। निज नारी रूलियाइत थई, “दिन आजूणउँ दीधई दई" // 527 // गोरउ' रावत' मनि गहगहिउ', "करसी बादिल सगल' कहिउँ"। हरषित नारि हुई पदमिणि, "ओँ मेल्हेसी सही मुझ धणी" // 528 // सुभट सहू संक्या' मन माहि, वादिल आगई अधिकी आहि। सिगति' न छांनी राखी रहइ, वाँधी अगनि हुई तउ दहइ // 529 // बादिल बहसी' कि मंत्रण', "कहुं वात ते सगला सुण'। बि सहस सज करउ पालखी, 'वात न जाणइ जिम को लखी // 530 // ऊपरि अधिक धरउ' आँछाड', पागथियां बांधउ पटवाडि / दुइ-दुइ सुभट रहउ" त्यां माहि, 'सहि संजूह घटे संबाहि // 531 // साचा शस्त्र' घणा आदरी, बइस मन महि साहस धरी / लारोलारि करउ पालखी, कहिस्यां माहे छई तसु सखी // 532 // विचि' पालखी पदमिणि तणी, परठी सोभ कर तिणि घणी। साच पदमिणि तणउँ सिँगार', ऊपरि थाप भमर गुंजार // 533 // मुखस्युं (सुं D, सैE) वात कहूंगा घणी, विरह विथा सहु आलिम तणी। मुझकुं दीजई (दीजै DE) अवइ (अबहि E) रजाइ, आलिम ऊठि (साहि इ) दिया पहुंचाइ / B 579 / 0 589 / / 634 / / 708 // // 527 // 1 आवियो , आवियौ D / 2 हरख्यउ B, हरख्यो , हरख्यौ / / 3 तणो C, तणौ / / 4 हीयउ B, हियो , हियौ / 5 आजूणो 0 (-णी D) / ६दीयो , दीधौ / प्रतिमें-सोवन-पोट हमालां सिरे, है हीसै गै सारव करै। इण परि आयो चित्रगढ माहि, पूछ वात सहू परचाइ / / 709 // रीझ मोकली निज घर ज्यार, माता हरषित थई ति वार / देखी साह तणो सिरपाव, देखी सूरातन दरियाव / / 710 // // 528 // 1 गोरो CE, गोरौ / / 2 राउत / / 3 गहगयो BC, गहगयो DB | 4 सगलो OB, सगलौ D) ५कह्यो , कह्यौ DE | 6 ए मेल्हेस्य BC, (मेलवसी D, मेलवसैE)। A506 | B581 / 0591 | D635 / 3711 / // 529 // 1 चमक्या / / 2 आगै D / 3 इधकी D / 4 सक्ति B0, सकति , सगति / / ५रहै DET 6 हो BODE | 7 तौ D, तो / इसके आगे BCDE प्रतियोंमें जिहि घटि (ज्यां बुधिE) गुण दियउ (दियो CE, दियौ D), निंदउ (निंदो DE) मत मति (मिलि E) मंद / ले कुंड (कूडो , जौ कुंडै DE) जे ढांकियइ (करि छाइयै DE), छिप्यो रहई (रहै CDE) किम (कित ) चंद / / B583 / 0593 / D637 / 713 // . // 30 // 1 बैसि DB | 2 कियट BO, कियौ , कियो / 3 मंत्रणो GF, मंत्रणौ / / 4 सुणो , सुणौ / 5 करो 05, करौ / / ६...जाणे 0, (जाणे D)...वात न जाये किण ही लिखी / // 53 // 1 करउ B, करो 0E, करौ / / 2 ऊछाड BODI 3 पाखतियां / 4 बांधो CE, बांधौ DI 5 रहो 05, रहौ / 6 सहु संजोय...BC, सहु संजोव...D, बांधी वस्त्र सिलह सन्नाहि छ। // 532 // 1 सत्र cD, / 2 वइसो बैसो D, 3 करौ D, धरौ / 4 कहिसां / / 5 छै DB | प्रतिमें प्रथम अाली नहीं हैं। // 53 // 1 विचमइ पालखी, बीचि पालखी D, विचै पालखी / / 2 करो करौ , धरौ / / 3 साचो on, साजी / / 4 न3 B, नो, नौ / / ५सिणगार BODI 6 थापो OB, थापौ / 11
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________________ खंड कवि हेमरतन कृत तिणि महि गोर' रावत रहह', वात रखे को बाहरि' कहा। "इक प्रतिबिंब पदमिणि माहि', 'आलिम सकइ न जिम अवगाहि // 534 // छेती' विचि' न राखः छती, लारोलारि करउ लागती। गढनी पउलि लिगावउँ लार, सेन समीपई आण' पार // 535 // ऍम करी हिव तुम्हि आवयो', वेला बहुली पडखावयों। हुं विचि जाइ करेसु वात, मेलिहसु सगली धातइँ-धात // 536 // 9 जाई' आणिहुँ राजान, पुहचाडेस्यां नृप निज थांन / पछह करेस्यां सबल' किलउ', ए आलोच अछह अति भल" // 537 // सगले सुभटे थापी' वात, परठ करता हूउ प्रभात / सीख सहू समझावी करी, चालिउ बादिल चंचल चडी॥ 538 // पहुतउ' तिमह जलसकर माहि, जिहां बइठउ छह आलिमसाहि / जाई बादिल कीउ' सिलांम, हरषित हू असपति तांम // 539 // "बादिल, साचा कहि संदेस, दिउँ' घणा जिम तुझनई देस।" बादिल वात' कहह' परगडी, "साँमी! वात सिराडइ चडी॥ 540 // सुभट सहू समझाव्या' नीठ, पदमिणि आणी गढनी पीठि / सुभट सहू भाषइ छइ ऍम, निसुण सॉमी विनती तेंम // 541 // पदमिणि सुंज छह तुम्ह काम, त' हिव राख' माम माम। ऊपावउँ अम्हनि वेसास', पदमिणि आणां जिम तुम्ह" पासि" // 542 // // 534 // 1 तिणि BOD) 2 मै / / 3 गोरो CDE4 रहउ B, रहो , रहौ न, रहै / / 5 बाहिरि 0, वारै / / 6 कहउ B, कहो , कहौ D, कहै / / ७...प्रतिव्यवउ , एक प्रतिव्यावो , एक प्रतिबिंबो D / 8 आलम न सके...DI E प्रतिमें द्वितीय अर्खाली नही है। 0512 / B58810599 / / 642 / 717 / / // 535 // 1 छेकी / 2 विचइ / 3 राखो GE, राखौ / / 4 करो 08, करौं / / 5 पोलि CE, पौलि D / 6 लगाडो BO, लगाडी D, लगाडो / 7 समीपै DE / 8 आणो CR, आणी D / // 536 // 1 आवय्यो Bo, आवज्यौ DE / 2 बहुती BODE | 3 पडखापिय्यो BC, पडखावज्यो DE | 4 करेशु , करेस्युं B / 5 मेल्हसि BO, मेलसि D, मेलिस। 6 धांगडि B जिमतिम DRI 7 धाताधात Bo, धातौ धात DE | // 537 // 1 लेई / / 2 आणिसि B0, आविस / / 3 पहुंचाडेसुं BOD, पहुंचावेसुं / 4 करेसा 4 | 5 सबलो OR, सबलौ / 6 किलो CE, किलो / / 7 अछै DB | 8 भलो OR, भली / // 538 // 1 मानी BODE | 2 परठ DE | 3 करता DB | ४थयो BODRI 5 चाल्यउ B0, चाल्यो DA // 539 // 1 पहुतौ DE | 2 तिमैज D, जाई / / 3 बेठो 40, बयठो D, बैठो।। 4 छै Dr 5 कियउ 50, कियौ DE | 6 ह्यो , इयौ D, बोले / // 50 // 1 घउं B0, देउं D, बगसुं / / 2 ज्यु BC, जुं D, बहुला / 3 तुझने , तुझनै DY 4 अरज / ५कहै , करे / 6 सराडै 2, सिराडै / / // 54 // 1 कटक सह समझावी / / 2 माखै छै D / 3 निसुणी DRIA518 / / 594 // 0 604 / D64813 722 / // 52 // 1 स्युं / 2 जो ODB | 3 छै DI / 4 तो Da / ५राखे B, राखां / / 1 मामोमाम BODBT 7 ऊपाडउ B, ऊपावो ODIC अम्हन B, मनै , हमसं। विसवास।। 10 आणउ B, आणुं DAI 11 तुझAI
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________________ दसमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई असपति बोलइ वलतउ' एम, “कहु वेसास' हूइ तुम्ह कॅम"। 'बादिल बोला- “साहिब सुण', 'चलवउ लसकर सहु तुम्हतणः // 543 // 'जउ वलि बीहउ तउ असवार', तीरइ राखउ' सहस बि-च्यार। अवर सहू आघा चालवउ', 'जिम वेसास हूइ अभिनवउ // 544 // ऍम सुणीनई ऊतावलउ', बोलह आलिम अति वावलउ। "हमे हिवई बीहाँ किण थकी, बादिल वात भली तइँ वकी" // 545 // हुकम कीउ' असपति हुसियार, कूच करायउँ' लसकर सार। सहस बि-च्यारि रहुउ' हम पास, हिंदुआंनइ जिम हुइ वेसास // 546 // लसकरिए' जब लाध दूअउ, हरष घण मन माहे हू। लसकर कूच की ततकाल, चाल्या सुभट सहू समकाल' // 547 // साऊ-साऊ सहस बि-च्यार', असपति' पासि रह्या असवार / बोलह आलिम-“बादिल', सुण, कहिउ' कीउँ हइ हमि तुम्ह तण // 548 // वेगि अणाव हिव पदमिणि, पाल' वाचा आपापणी' / "लाख सुनइया वलि तसु दिया', 'पहिराव्या वलि वागा विया // 549 // ते लेई बादिल आवीउ', 'हरषिउ माइ तण वलि ही। 'निज सुभटांसुं की संकेत', "हिव जगदीसइँ दीध: जेत्र // 550 // . // 543 // 1 असुपति B0 / 2 बोलै DE | 3 बलतो CE, बलतौ / / 4 बिसवास / 5 हुवह BO, होइन, हुयै / / 6 ...वलतो ,...बोले...सुणो D...कहै श्री आलम सुंणो / 7 चलावउ... तुम्हा...BC, लसकर बिदा होइ तुम्हतणी D, बिदाकरो लसकर आपणो EI ॥५॥१जो वलि (बलि BDE) बीहो तो CDE | 2 तीरे , पास DE | 3 राखो OE, राखौ / 4 बे च्यार D / 5 चालवो, आगै चालवौ D, अवर दियो सहु आगे चलाइ / ६...हुवर (B0)अति भलो , ...हुवै अभिनवौ , जिम विसवास अम्हां मनि.थाइ / // 545 // 1 नै DB | 2 ऊतावलो 4 ऊतावलौ DE | 3 वोलै DE | 4 बावलो , बावलौ D, बाउलो / ५हम अबीह BCDE | ६बीहै / 7 किस / / 8 असी तै क्या / // 546 // 1 कीयउ B, कियो 05, कियौ / 2 करावउ B, करावो DE / 3 रहो CDE | 4 हिंदुवानइ Bo, नै D, हिंदूको / / 5 हुवइ B, होइ CE होयै विसवास / - 524 / B601 / 0611 / 0655 / E730 / // 547 // 1 लसकरियां BE, लसकरियै / / 2 लाधो CE, लाधौ D / 3 दूयो OE, दुवौ D / 4 घणो CE, घणौ / / ५हूयो OF, हुवौ D / 6 कीयउ B, कियो CE, कियो D / 7 विकटविकराल है। इसके आगे प्रतिमें : मीर मलक कोई खान निबाब / मुगल पठाण घणी जस आव / पदमिन सनस करे जेह भणी / आगै चलाए दिल्ली धणी / / - 732 // // 548 // 1 विचार B, विच्चारि / 2 असुपति / / 3 वादल सुणो / / 4 करो हमे B / 5 कीयो B, कीयउ / 6 तम तणो / // 549 // 1 अणावो OE, अणावौ D / 2 पालो CE, पालौ D / 3 आपां / 4 लाखमोहर तसु (महुर तव 3) रोकड दिया DE / 5 पहिरावणि BCD...किया 0 (लिया D), पहिरामणि वागा समपिया / // 55 // 1 आवियो OE, आवियौ / / 2 हरख्यो BCD...तणो तव हियो CE (हीयउ B), हरख्यौ माय तणौ तव हिया D / 3 वलि...कीयउ...B...(कियो cD), तव सुहडांसु....। 4 कीयउ छइ जेत्र B, कियो...c, कियौ , D, दियौ छै / /
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________________ कवि हेमरतन कृत ले' पालखी' तुम्हे आवयो', लारोलारि खरी राखयों। मत किणि वात हू आखता, 'खित्रवटि कॉइन ऑणिसु खता"॥ 551 // एम कही आघउ' संचरिउ, पालंखिए पूदि परिवरिउ / दीठ' असपति आविउँ वली, बादिल वात कहई निरमली // 552 // "साहिब! संभलि' मुझ वीनती, पदमिणि ऍम कहह' हितवती / "हुं आवी हिव सही तुम्ह गेह', 'साहिब हिव तुं हुए ससनेह // 553 // साच' राखे मुझ सोहाग, मागुं मान मुहतK राग। तुझ घरि हरम हजारों गमे, त्यासु पिण तु रंगई रमे // 554 // पिण' सोहागिणि' मुझनइ करे, जऊ आणइ छह पदमिणि घरे"। "ऍम सुणी वलि आलिम कहइ', "पदमिणि आपे आदर लहई॥ 555 // पदमिणि नारि तण' नख एक, ते सम नावई नारि अनेक / पदमिणि कारणि मई हठ कीउ, वाच लोपि राजा प्रहि ली // 556 // मुझ मनि पाँति अछइ अति घणी, 'सॉमिणि होसी मुझ पदमिणी / अवर' हरम सहु करसी सेव, पदमिणि जई पधराव हेव" // 557 // ऍम कही वलि बादिल भणी, परिघल दीधी पहिरावणी। ते लेवी बादिल आवी', हरषिउ माइ तण वलि हि // 558 // // 55 // 1 लेई / / 2 पालखी। 3 आवज्यौ / / 4 लावयो B, लावज्यो oz, लावज्यौ / / 5 वर B, हुवो 0E, हुओ D / ६...नाणिसु...Bo,...नाणसि...D, रखे लिगावो कार खता। . // 552 // 1 आघो 0E | 2 संचरथउ , संचरयो , संचरयो DE | 3 पालखी BOD, पालखियां / 4 पूठE BO, पूठे DE / 5 परिवरयउँ BC, परवरयौ DE | इसके आगे : प्रतिमें:. राघव व्यास हुता बुधिवान। सांमद्रोहथी नाठो ग्यांन / छल कल ए न लिखाणी कांइ / लूंणहरांम तणे परमाह॥ 6 दीठो OE, दीठौ / / 7 आवै BOD, आवह। 8 कहे कहै D, कहो।। 530 / B607 / 0617 / / 661 / / 638 / // 553 // 1 सांभलि / 2 कहै DE | 3 गुणवती DE | 4 हुं आवी सही तुम्ही गेह BO, आषी हुं अवही तुम्ह गेह D, आईं छु हजरत तुम्ह गेह / / 5 आलम धरयो अधिक सनेह / / // 554 // 1 साचो , साचौ DE | 2 मुहतस्युं BOD, महत अनुराग म्। ३तुम्ह BODE | 4 पणि " BODE | 5 रंगै DEI ॥५५५॥१पणि BODE | 2 सोहागनि BC, सोहागणि D, सोहागिण / ३जह BODI 4 आणी DI 5 तुं BCD | 3.5 एह अरज मन माहि धरे / ६"कहै D, 'सुणीने आलम कहै / / 7 आपै / / 8 लहै DE | इसके आगे E प्रति में : यदुक्तं-क्युं कांमण क्युं करम गति, क्युं पुरवलो लेख / मांरो साहिब मां बलं, क्यु माहि मांहि वसेख // 742 // // 556 // 1 तणौ D, तणा / 2 तिण / 3 समान BCD, सारिखी / / 4 नही BODE | 5 में / ६कीयउ B, कियो CE, कियौ / / 7 वयण / 8 लीयउ B, लियो OR, लियौ DI // 55 // 1 खंति BODI 2 अछै DE | ३"होसइ"B,'होसी"cD, मानीती करसुं पदमिनी / / 4 अउर B0 / 5 हम BCD, सहु / 6 जाइ BO, जाय D, कुं / 7 पथरावो DE | // 558 // 1 पहिरामणी BE | 2 लेई BODE | 3 आविय3 B, आवियो CE, आवियो D / 4 हरख्यो Bo, हरख्यौ / ५गोरा BCD | 6 तणौ / / 7 हियो , हियौ / / 4-7 पदमिण नारी बाधा. वीयो / A536 / B613 / 0623 / / 668 / 745 /
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________________ इसमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई सुभटाँसु' वलि भाषी वात, "जइ मेल्हुँ छ धात धात'। तुम्ह सहु थाहरि रहयों इहाँ, वात रखे को' काढउ' किहाँ" // 559 // आविउँ' बादिल वलि असि चडी', नव-नव वात कहइ मनि घडी। हो बुद्धि वसई जेहनइ', किसुंदुहेलुं छह तेहन // 560 // वाता करतां लावह वार, फिरीउ बादिल वार वि-च्यार। बोल बंध सहि साचा किया, लाख बि-च्यार सुनइया लिया // 561 // असपति अति ऊतावलि करइ, बादिल तिम-तिम मन महि ठरह / परगट आणि धरी पालखी, आलिम देखइ सहु सारिखी // 562 // बादिल वलि-वलि विच महि फिरइ', पदमिणि नइ'मिस वातां करई। रहिउँ' पुहर दिन इक पाछिलउ', लसकर आध" गआगिल // 563 // किला तणी हिव' वेला थई, तव वलि बादिल बोलइ जई। "साँमी ऍम कहह पदमिणी, मुझ ऊभा हुई वेला घणी // 564 // मुझनी' एक सुण अरदास, ज्यु हु आवु तुझ' आवास / रतनसॅन मेलउ इकवार, तिसमुंवात करां दो-च्यार // 565 // लेड राजा ऑर्बु' दरबारि, ज्यु मुझ अधिक रहइ आचार"। आलिम बोलह-"सुणि बादिला!, पदमिणि बोल कहावह भला // 566 // इणि बोलाँ हम हूआ खुसी, पदमिणि न्याइ कहीजइ इसी"। हुकम कीउ आलिम ततकाल, "छोड रतनसँन भूपाल" // 567 // // 559 // 1 नइ BC, नै DAI 2 जाई मेलविसि धाता धात B (मेलवस्यां , जाय मेलवी D, मेलविसु / / ) 3 बाहरि / 4 रहय्यो B, रहिय्यो , रहैज्यो , रहियो / 5 कोइ / 6 काढो D, काढौ / / // 560 // 1 आम्यो Bo, आन्यौ , आयो / 2 अश्वि B, अश्व D3 चढी , चढही / / 4 वलि-वलि BCDI 5 करह B0, करै D, करे / 6 हो? E / ७वसै DE8 जेहनै DBI किसड Bo, किसी / . 10 दुहेलो B0, उणारत / / 11 छै DE | 12 तेहनै DB I // 56 // 1 लागह Bo, लागै DE | 2 फिरि तव वादल आव्यउ मनि ठार B (आन्यो०), फिरतो बादल आन्यौ त्यार D, फिर वलि वादल आयौ तार / द्वितीय अर्द्धाली BCDE प्रतियों में नहीं है। // 562 // प्रथम अर्द्धाली BODE प्रतियों में नहीं है। 1 देखे 0, देखै DE | // 563 // 1 मा / 2 फिर DE 3 नै DE | 4 करै DB | 5 रघउ B, रहयो , रहयो DRI 6 एक OD, पाछलो , पाछिलै DE | 7 दूरि BODE 1. 8 गयो B0, गयौ DE | 9 आगलोक, आगिलो DEI // 564 // 1 तव B0, जब DRI 2 तिहां BCDE | 3 वोलै DE | 4 हजरत / / ५कही B0, कहै DBN ६थई / A542 / B614 / 0624 / / 669 / / 747 / // 565 // 1 माहरी DE | 2 सुणो , सुणौ DE | 3 जो 0, जिम / 4 आउं D / 5 तुम्ह BODB | 6 मेल्हई B, मेलो , मूको DE | 7 एकवार cDI ८-स्थु B, तिणसं D, विणसैः / ९करूं / 10 दोइच्यारि cDE // 566 // 1 आवउं B, आवो 0, आउं D / 2 ज्यउं B, जू 0, जिम / 3 हम BODE | 4 कुलवट / / 5 रहे DE | 6 बोलै DE | 7 कहावै DET // 567 // 1 यह / / 2 बोलै DE | 3 हुवा BD, हूये / / 4 नारि छ। 5 कहावइ , कहीजे DB | 6 हुवउँ B, कियो , कियो D, दियौ / 7 छोडौ DE |
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________________ कवि हेमरतन कृत [खंड वादिल माहि छोडावण' गयउ', राजा रूसि अपूठठ' थय। "फिट रे बादिल! मुह म दिखालि, सबल लिगाडी तई मुझ गालि // 568 // वयरी' वयर' घण' तई कीउ', पदमिणि साटइ' मुझ नई ली। विधवट माथइ घाली खेह, "निसत सुभट हूआ निसनेह" // 569 // बादिल बोला- "सांमी सुण, अवर काउ' छह ए मंत्रण। मुष्टि करीन आघा' चल',भागि तुहारई होसी भलउ?" // 570 // // 568 // 1 छुडावण BODE | 2 गयो DE | 3 रूठि BCD | 4 अपूठो OB, अपूठौ / / ५थयो OE, थयौ / / 6 लगाडी Bo, लगावी D, लिगाइ / 7 ते 0, तै D / 8 मुझि D / 7-8 मुझने। // 569 // 1 वहरी , बयरी D / 2 बइर 0, बैर / / 3 घणो CE, घणौ / / 4 ते , तै DE | 5 कियो , कियौ DE | 6 साटै DE | ७नै DE / 8 लियो लियौ DE | 9 माथै DE | 10 नाखी / / 11 खित्री निसत थया सविसेह / ॥५७०॥१बोले / / 2 सुणो , सुणी / / 3 कियउ B, कियो , कियौ / 4 छै / / ५मंत्रणो B, मंत्रणी D / 6 नै D / 7 अब तुम्हि BD, तमे 0 / 8 चलो B0, चलौ / / 9 तुम्हारह Bo, तुहारै D / 10 होसइ B, होस्यह / 11 भलो DEI A 548 / B626 / 0636 / D781 / / प्रतिमें नही है / इसके आगे A प्रतिमें चो. सं. 561 के बाद तथा BOD प्रतियों मेंकवित्त-कीउ कूढ वादिल, लेइ पालिखी पहुत्तउ, तसु महि राखिउ बाल, नाम पदमिणि दियत्त / / हूउ हरष सुरतांण, जबहि सुणि आवत नारी / गोरी तब पूछीउ, बोल बोलइ बिचारी॥ "अलावदीन सुणि बीनती, एक वात मोरी कलई"। पदमिणि नारि इम उच्चरई "एकवार राजा मिलई" // 549 / / 622 / 0632 / D677 / पाठान्तर-कीयउँ B, कियो 0, कियौ DI पालखी BD, पालखी 0 / पहूतो , पहूतौ D // तसु माहि गोरो राउ BOD, दित्त BC, दीतो D // हुवउ B, हुयो , हुवो DI आवती राणी BOD || पदमिणि तव BCD, बोलि सुललित वाणी BCD || कलै D // ऊचरै / मुझ रतनसेन राजा मिलई (मिलै D) BODU कवित-बादिल तिहाँ आविउ, राउ जिहां बंधणि बद्धउ / ले मस्तक आपणउ, चरण ऊपरि तसु दिदउ / एउ कोप राजान, वर तई सारिउ वेरी / एह दई न लोभिउ, नारि आणी क्युं मेरी // पादिल ताम मनिमहि हसिउ, कृपा करउ सांमी सही। बाल रूपि पदमावती, राउ नारि तोरी नही / / 550 / / 626 / 0636 / / 68 / / पाठान्तर-आवियो 0D / गांधण छ / बांधियर्ड B / बांध्यो , बंध्यौ D // आपणो 0D, चरण राज लेड दीपउ B | (दीयो 0, दौधौ D)॥हवउ B, हयो , हुवी D, तै D, बयरी D // मुझ वचन लोपियउ (लोपियो OD) BOD || हस्यउ B, हस्यो 0, हस्या D, करो 0 करौ D, बालिका BOD, राव DI यह कवित्त BOD प्रतियों में चो. सं. 563 के बाद दिया गया है। प्रतिमें। कवित्त-फिट बादल कहि राव, वाच चुक्को हिंदुवानह / खित्री ध्रम लज्जयौ, मिट्यौ भडमान गुमानह // साम भ्रम लुप्पियो, लूण तासीर न किन्ही / जी तव प्यारो कीयौ, नारि असपतिकुं दिन्ही॥ कहा करूं मैं त'परवस परयौ, वाच लोप आलम भयो। सत छोडि किती अब जीवि हैं, जब ही नीर उतरिगयो / / 656 / / कीवादल सुणि राव, वाच हिंदुवान न चुक्कहिं / खित्री धम्म उज्जली, सुहडन न धीरज मुकहिं / / साम ध्रम्म रखि है सदा, जस्स सब ही कौं प्यारी / भुगतहुं गढ चीत्तोड, इला जस बास उवारी॥ मैं करहुं सेव अस सांभि की, असपति सहि लहि में लयौ। महिमांन मान दिजै सदा, करहुं यादि पुव्वहि कसौ // 657 / / दूहा-महिल अगंजित गढ सधर, अहि सत राज गहिल। उस आलिमकी महिर सौं, सब ही होहि सहिल्ल / / 658 // राखि रजा सिर रांमकी, धरि मन उमँग उछाह / राज पधारहुं चित्रगढि, सबविधि होहि भलाह // 659 // कवित-राव करहु मनि व्यांन, जवनपति हह हमीरह / गमर कियै रस नाहि, ढलकि हे अंजलि नीरह। परा लेख जो कछु, धाता निम्यौ निस छट्ठी। रोस मोस विनु न क्युं, लोक वाइक नहु झुट्ठी // हजरत रजा सिरि परि धरहु, उत्तम रीत न छांडीये। डाव विण घाव है है नहीं, वांचहुं पहुं मरम होये // 66 //
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________________ गोरा बालक पदमिपी उपा प्रीछि भूप चलि ततकाल', 'आलिम बोला इम असराल'। "पदमिणि नई मिलि आवर्ड जाई', 'जिम तुझ सीख दिउं सदभाइ" // 571 // राजा चालिउ' पदमिणि भणी, सिबका श्रेणि घणी साँघणी। राजा पेठंडे महि पालिखी', वात सहू तव साची लखी // 572 // वादिल बोला. "सॉमी सुण, अवसर नहि ए वातां तण। एक थकी बीजी अवगाहि, गढि लगि जावउँ सिबका माहि // 573 // साँमी थावर्ड हीई सचेत', माहि जई करयों संकेत / साच' करयो ए सहिनाण, 'वाजावेयो ढोल-निसाण" // 574 // ऍम सुणी राजा रंजीउ', 'हरष संपूरित हउ हो। कुसले खेमे पुहत' माहि, जाणि के सूरिज' मुंकी राहि // 575 // कुसल तणा वाजा वाजिया, तव ते सुभट सहू गाजिया। नीकलिया' नव हत्था जोध', 'घड दूसासण वहई विरोध // 576 // साँमि-कॉमि' समरथ अति सूर, गोरउ रावत अतिहि कसर' / अरि-दल देखी अति उससह, सुभट सहू मन माहे हँसई // 577 // सूरिम सगलइ' तनि ऊछली, सोहइ सुभट तणी मंडली। साचा पहिरया सुघट' सनाह, रुक-हत्था दीसई रिम राह // 578 // // 51 // 1 प्रीछयउ...चल्यउ'', प्रीछयो', प्रीछि भूपति चलौ "D, भूप प्रीछि ऊठ्या तिण वार / / २"मनि"BC,"बोले ननि"D, असपति बोले अति चितप्यार : 3 / 4 आवौ DET 5 जाय D.६"तुम्ह""दीयउं B, दियो OD, पीछे सीख दिये सतभाइ EIA551 / B628 0638 / / 682 / E761 / // 572 // 1 चाल्यो BO, चाल्यौ D, चाल्या E / २."सेण घj सांधणी B, घणास्युंधणी 0, भेणि धणी स्यांधणी D, सुखपालां देखी घणघणी / 3 पाठा Bo, पयठो D, पैठा माहि जिसे / 4 पालखी BODEI // 576 // 1 बोले DE | 2 सुणो 0, सुणौ DE | 3 तणो DE | 4 जाए BOD, पहुंची। // 574 // 1 थाज्यो B0, थाइज्यो D, थाज्यौ / / 2 हिवइ BO, हिवै D, घणु / 3 सजेत / / 4 करिज्यो Bo, करज्यो , कीयौ / / 5 साचो 0, साची DB | 6 वजाडी ढोल अन"B0, ढोल बजाय अने नीसाण D, दीजी डंका जैत निसाण है / इसके आगे DE प्रतियोंमेंD-एक चरित देख सविचार, मंत्रभेद नवि हुवो लगार / स्वामि-धरम नोए सुपसाय, गढ राख्यौ नै छटो राय // D686 // -रतन तुहारै वखतै सही, मंत्रभेद पिण हूयौ नही। सांम-धरम नै सत परमाण, गढ रहियौ नै छूटा राण / / 765 // ॥५५॥१रंजियउ B, रंजियो , रजियो DET 2 हरखि, हवउ हीयउ Bo, हरिख संपरित यो हियो D, साई सफल मनोरथ कियौ / 3 कुशल-खेम पहुतउ गढ माहि B (पहुतो आ पहुतौ न, पहुता।) 4 कि / 5 सूरज / / 6 मूंक्यउ B, मूक्यो , मूक्यौ DEI // 576 // 1 नीसरिया BODE | 2 योध / / 3 वडरूसासण B, बहै D, मांण दुसासण वैर बिरोध / / 555 / / 633 / 0641 / / 6881 E767 / इसके बाद DB प्रतियों में:DE-राघव तणो (चेतन D) हुयौ मुख स्यांम / कूड कियौ पणि सक्यौ न काम / / D-पातिसाहि नै पासै रह्यौ / नां कांइ जाण्यौ ना काइ कौ // 689 / / -साम-द्रोह पातिग परगट्यो / अकलि गई पोरस पिण मिट्यौ / / 768 // // 577 // 1 सांमकांम। 2 गोरो , गोरौ D, गोरो रावत चढहीयौ नर / / 3 तनि DRI 4 ऊससे D. उल्हसै / ५माहै हसै DE | // 578 // 1 सगलै DI 2 सबल D| 3 दीसै DI प्रतिमें-सूरातन चडिया सिरदार, डंडा पग झलहल जंझार / / दलां दुभाडण दूठ दुबाह, रुक हत्था दीपै रिमराह /
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________________ कवि हेमरतन इत ज्यारि सहस नीसरिया सूर, पक एक भी अधिक कार। भागलि गोरउ बादिल बेर्ड', 'पूठई चाल्या सुभट सवेर्ड५७९ // घाघरटरें दीसई भट' घणा, पार न लाभ. पुरुष तणा। ट्या धाया ले तरवारि, हलकारे लागा हलकार // 580 // "!! आलिम' ऊभ रहे, हिव नासी मत जाइ वहे। पदमिणि आणी छई अम्हि जिका, तोनई हिवइ' दिखाडॉ तिका // 581 // तोनई' खांति' अछह अति घणी, अम्ह ऊमाँ ते देवा तणी। हठीउ छह तउ करि हथियार', 'हिव आलिम मनि हुइ हुसियार" // 582 // ऍम कहीनई आव्या जिसई, दीठा आलिम अरीयण तिसई। रण-रसीउ ऊठि' रिम राह, विषठी वात करइ पतिसाह // 583 // र!रे! कूड कीउ बादिलई', 'आवउ सुभट सहू हिव किला"। हलकारया असपति निज जोध, धाया किलली करतो क्रोध // 584 // माहोमाहि मंडाण' किल', 'बडवी बोलह इम बादिल / "पातिसाह! मति छंडइ पाउ', 'जउ तु अधिरु अछइ रणराउ // 585 // .579 // 1 च्यार / 2 ते DI 3 अतिहि DEI 4 आगल , आगै / / 5 वे BOD, देह। ६...सवेय B,...सवेह , पूरी पूर्हि सामंत थाट सवेह। ..50 // 1 घाघरटे BODE | 2 दीसे DB / 3 भड BCDE | 4 लाभै D, सिलह-टोप करि रूदांमणा / / ५सुभटो BODI 6 तूटी D, धाया छटी...। // 5 ॥१मसपति BE | 2 ऊभो 0E, ऊभी D / 3 रहा B, रहै / / 4 न्हासी / / 5 जायद Bom, जाये / 6 वहह BOD, वहै EI7 छै DE | 8 अम्हे BOD, मै 9 तौ नै D, तोह नै / 10 हिवै D, हि / // 52 // 1- DE | 2 खंति B0 / 3 अछै DE | ४."लेवा"ABOD, पदमिणि नारि निहालण तणी / ५हठियो छै"D, हठी हमीर जाणां तुझ सही।६"होई."BO, होज्यो , लोभम्हांसं असमर ग्रही। 562 | B 639 / 0647 | D695 / 774 / // 55 // 1 कहीने D, कहता / 2 जिसे DE3 तिसै DE / 4 रसियो OR, रसियौ / / 5 अठ्यो 0 ठ्यो DI 6 कहा BC, कहै DE | // 584 // 1 कियउ B, कियो 0, कियौ / 2 वादिलै D, वादलै / / 3 आवी मुगल सहू को मिलई ____BCD, हींदू आय वाल्या सांकडै / 4 करि धरि E / // 585 // 1 मंडाणो GE, मंडाणौ / / किलो 0, किलौ DE | 3 पिहसी"B, बोले...बादिलौ D, बोले असुपति सुं वादिलो / / 4 छंडौ D, छंडिस / / 5 पाव DE | 6 जे"B, तेरा कूड अम्हीणा घाव है / इसके आगे : प्रतिमें कवित-सुणि कहि साह, वाह तुम्ह बोल भलाई / मुख मीठा दिल कुड, इहै हींदू न कराई // पदमिन करी कबूल, तुझै सिरपाव दिवाया / छोड्या राण रतन, सबै दल दूरि चलाया। अब लडहुँ खग्गि बुल्लहुं अकथ, काफर गुंडाई धरहुं। हम सरिस चूक देखहु सु तो, मूरिख अणखुट्टी मरहुं / 778 // कहै बादल मुणि साह, राह तुम पहिल हि चुक्के / दे वाचा गढ देखि, बहुरि तुम राव हि रुक्के / / हम हींदू कै मीर, नीरखत ही कुलबट्टह / पदमिन दै लै धणी, इहै हम लाज विपट्टह / / अब करहुं मुष्ठि झूठा नि कडं, कहां रखो रस हम तुम्हहि / ग्रहि खग्ग लडहुंम धरहुं ग्रब्ब, वत्तरस नहि अवसान इहि / / 779 // दहा-कहै बादल असपति सुनहुँ, कहा बहुत बकवाद / सांम-धरम अरु द्रिढ विच, इहै बडौ रिणस्वाद / / 780 // तुम दिल लालच पदमिनी, हम लालच रिणवट्ट / सांई न्याव निवेरि है, खेलहु रिण खग झट्ट || 781 //
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________________ समो] . गोरा बादल पदमिणी चउपई तुं मायउ ढीली थी' घसी, हिव मत जाई पाछउँ खिसी। सूर अछातः करि संग्रॉम, नहि तरि रहसी नहि तुझ मॉम" // 586 // मालिमना चडिया असवार', 'जिम-दल सरिखा जोध झुझार। मिडई भली परि भारथ भीम', सुभट न चापइँ पाछी सीम // 587 // धसबस धूलि विधूसई धरा, माहोमाहि भिडइँ आकरा / खेहा उंबर ऊडिउ खर', 'सूझइ सूर नही पाधर // 588 // बाण बिटई बिहुँ' दिसि घणा, वाजहं लोह घणा साँधिणा / खडग विछ्टइ' करता खीज, जाणि कि बादलि झबकई बीज // 589 // // 56 // 1 से D / 2 पाछो , पाछौ / / 3 अछै / / 4 तो 0 | ५"तुझ धिप मांम B0, नहीत जासी ताहरी मांम DIF प्रतिमें नहीं है। // 587 // 1 आलिम इम चढियो असिधार BCD, आलम ताम हुआ असवार / 2 जिमिदिमि"BOD, जम जेहा मूगल झंझार / 3 भिड्या खाग रिण मचियो दूठ, सुभट न दाखै कोई पठन // 5881 विधसै DI 2 मिलइ BC, मिलै D / 3 ऊड्यउ B, उड्यो , उड्यौ / 4 खरो , खरी D, इसौ / ५...पाधरो 0, सूझै...पाधरौ D, सूरिज पान वधूल्या जिसौ (1) / A568 / B645 / 0653 | D701 / B783/1 // // 59 // 1 विछूटै DB | 2 चिहुं / / 3 बाजे...D, रूडै नगारा सींधू तणा 783/2 / 4 खगा / 5 विछटै D / 6 वि B / 7 चमकी प्रतिमें :-खडग भलक्कै ऊजलधार, जाणिक बीजुल घण अधार / सन्नाहै तूटे तरवार, जागै जाल-अगनि अणपार // 784 // कुंत अणी फूटै सुसरा, तूटै कालिज ने फीफरा / ऊ. बूर वहै रत-खाल, गूंजै सीगणि गुण असराल // 785 // वहै तीर चणणाट पंखाल, झडमातौ तातौ रिणकाल / पडै मारि गूरज गोफणी, फोजां फूटै तूटै अणी / / 786 / / मारि मारि कहि वाहै लोह, रिणलूधा सामंत सछोह / खान निवाब गडूथल खाइ, हजरत करै खुदाइ खुदाइ // 787 // नारद किलकै करि करि हास, गिरझणि मांस तणा ले ग्रास / धड ऊपरि धड ऊथलि पहै, किता कमंध कंध विण लडै / / 788 / / रिणचाचरि नाचै रजपूत, धुंकल नाचवियो रिणधूत / धनि-धनि कहि सूरिज धीरवै, अपछर वरमाल कंठ ठवै // 789 // ऊपरि सुर तेत्रीसां साथ, देखे रांणीजायां हाथ / सामंत सांम्है लोहै लहै, असपति हाथै नवि ऊपडै // 790 // वलि कहै वादिल,"सुणि पतिसाह ! तुम्हको पदमिणकी है चाह / सो तो रतनसेनके हाथ, हमसे दी नहि जायै नाथ // 791 // देखो झिलमिल खग-दामिनी, हाथ हमारे ए पदमिनी। अहनिस तुम्हकुं करती याद, चाखण असुर-रगतका स्वाद // 792 // सो तो हाजर कीधी आणि, कही हती मैं तुम्हसै वाणि / इस पदमिणका इहै सुभाव, पहिली मारै विष-कन्याव / / 793 // पछै अमरपुर हाजर करे, जहां अपछरा सेवा करै / उस पदमिनथें इह पदमिनी, हमको प्यारी लागै घणी // 794 // जिस खातर तुम्ह आए अही, सो तो पदमिण गढमें रही। ऐसा क्या तुम्ह महुरत लिया, कहँ ओ बांभण जिण तुम्ह दिया / / 795 / / पूछौ फिरि कहँ राघव व्यास, उसने किया तुम्हारा हास। तुम्ह हो अल्लाके फिरस्ते, पांच निवाजु गुदारावस्ते // 796 // सेवा समरण करते सही, अब खुदाई कहँ छिपि रही। राघव कहां गया सैतान, उसके घर पदमिण असमान / / 797 / / 12
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________________ कवि हेमरतन कृत बहोत रूप खूब भणी, उह सिंघलकी है पदमिणी / उसकुं रक्खहुं तुम्ह अवास, हजरत चेला बैगा म्यास" // 798 // इण परि मोसा बोले घणा, हलकारे सामंत आपणा। कोटि चब्या जोवैराजान, पदमिण धै आसीस प्रधान // 799 // कोटि चच्या जोवै सब लोह, जैत जैत भाषै सहु कोइ / मुंगल सुहह लथोबथ होय, गज जेठी नवि भाजे कोर // 800 // अपछर हर करै आरती, जोगिण पत्र भरै मदमती। रुद्र करै गूंथी रुंडमाल, रथ-थंभ्यो देखे किरणाल / / 801 // धड बेहद करि मुंगल तणा, ढीग करकड मचिया घणा / आवट फूट ह्यौ रिण इसा, असुरां प्रलैकाल सारिसौ // 802 // वादलडो है रिण दरियाव, मांड्या वासिग नै सिर पाव / जीभ वही जिणपरि रिणकाज, वाहै हाथ दुणा तिण लाज / / 803 // बड़ा पर मद सेर जवाण, पोरस रस भरियो अभिमाण। वाहै इसौ निचीतौ रूक, हेके घात करे दोइ टूक // 804 // दूहा-उत आलम तोबा कहै, इत हलकारे रांण / त्यां वेला वादल तणा, अडिया भुज असमर्माण // 805 : करि सींधू दहा कहै, तिण वेला कवि 'पात'। सूरां सूरातन चडै, वदै बिन्है दल वात // 806 // कुण तोलै जल साइरां, कुण ऊपाडै मेर / वादल तो विण साहसिउ, कुण झालै समसेर // 807 // दलां विभाडण साहरां, ऊपाडण गयदंत / तुज्झ भुजां गाजणतणा, बलिहारी बलवंत // 808 // जावे असपति रीझियौ, सुहडां खमी सबाब / खागै खान निबाबरी, तें ऊतारी आव // 809 // हसियौ आलम जाब सुणि, खग खसियो खित्रखार / तुं वेधालग वादला, अंगदरो अवतार // 810 // बाका खान निबाबरा, फाटा ऊबा केह / वाका सुणिया जगसिरे, वाजंते डाकेह // 811 // महि डोले सायर सुखै, पच्छिम ऊगे भांण / वादल नेहा सूरमा, क्यु चुक्कै अवसांण / / 812 / / रिणडोहै फिरि फिरि खलां, धडां ध्रपावै धार / पारीखै पडिहार परि, न भूलै मनुहारि // 13 // तब गोरो रावत कहै, "सुणि, वादल भत्रीज / खागै खडियौ खेतरिण, हिव वावां जस-बीज / / 814 // गढपति साही वींदणी, मद जोवण मैमंत / मुझ मन परणेवातणी, खरी बिलग्गी खंत" // 815 // "सुणि गोरा!" वादल कहै, “तुं सामंत सकाज / तुं दल-नायक हींदुआं, तुम मुझे रिणलाज / / 816 // तुं सिंघ चारण सूरिमा, अजुआलण कुलवट्ट / तुं बांधे पतिसाहसुं, पैतौडर रिणव / / 817 // बांधौ मौड महाबली, बांधौ असि गजगाह / सिर तुलछीदल घालियां, दहियां खाग दुबाह" // 818 // केसरियां वागा किया, भुज डंबाणै खाग / जांणि क भूखो केहरी, झुडमा न्हाँखै झाग / / 819 // सूरिज हूंत सलाम करि, वलि बलि मूछां घालि / सुरपति साहां समचडै, आयो सडलग झालि // 820 // भरे डणि दाइ बाण भति, राम राम मुखि रहा। अकलतै रिण ओपियौ, माझी लोह मरः // 821 / / कडे नगारा सींधुआ, रिडै सुरातन रस्स / मदि आयो गोरो मरद, अडियौ सीस अरस्स / / 822 // आवे असपति आगलैं, इसो उढायौ खाग / पाधरि पाखल पाथरे, जांणिक हणमंत वाग / / 823 // करि हाका किलकै हस, डस रिमां जिम नाग / तिण वेलां त्रिजटा हथौ, दीयै अदंगा दाग / / 824 / / पक्कै दीहै गोरिलो, दियै रिण पक्का दाव / पक्का खान निवाब सिर, परै पकंदा घाव / / 825 // म्यां घटि सूरातन नही, त्यां जोवन अप्रमाण / केहरि पंचासै हुयै, तौ ही सेर जुवाण // 826 // आडा खल भांजे अनड, फुरलंतो गज भार / आयौ असपति ऊपरै, मुख कहतौ हुसियार // 827 / / तोले खग तारा लगे, गोरै कीधौ घाव / असपतिजीव उवेलवा, पाछा दीधा पाव / / 828 // कहै वादल "गोरा सुणी, सका एह सुभाव / आपा आंगमी आप छ, कुण राजा कुण राव // 829 // सोनै रिणवाही घणी, वदसी जगत वसेख / दीलेसर परमेसवर, त्यां सुं केहो तेष" / / 830 // घट घट नै जै घाव करि, लडै भिड ले बोह / गोरो रिणवट पोढियौ, वाहि वहाव लोह // 831 // खमा-खमा कहि अपरा, हरि औडै सिर हाथ / गिलै टला भख ग्रीधणी, भुजां वदै दिन नाथ // 832 // आवै वादल ऊपरै, करै हथाली छांह / दिलिपति साहे डोहिया, भांगी तुज्झ भुजांह // 833 / / भइयौ सूरातन तणौ, अजै अँतमांण अथाग / भुज बेवे रूंध्या भला, इक मूछां इक खाग / / 834 // मुख देखे काका तणी, वांदै मूछों वाल / वादल आयौ साहसुं, चौरंग बांधै चाल / / 835 // हलकारे भह आपरा, वाकारे रिभ थाट / पडियौ कांसै वीज परि, झाडतो खग झाट / / 836 // लोह चकारौ ऊडवै, इसा लगाया हाथ / पाप रखै तव छाडियो. सारो असपति साथ // 837 // रहया वै सारा रवद, ऊभो असपति आप | जांणि विखेरचौ वानरे, करि गुंजाल ताप // 838 //
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________________ इसमो] गोरा बादल पदमिणी चउपई अगनि-झाल झलकई प्रसिधार, घण जिमि हुई घोर अंधार // 590 // सालक्या खलहल लोही-खाल, पावस जेम वहह' परनाल। पूए पत्र रुहिर जोगिणी, मुण्ड माल ले ईसर घणी। झडवड झडप भरह सींचाण, अंबर जोवई अमर विमाण // 592 // सरिज निज रथ खची रहइ', रगति-विगति नवि काई लहह। इणि अवसरि गोर गजगाहि', धाई आविउ जिहाँ पतिसाह // 593 // मेल्बर्ड खडग महाबलि जिसई, असपति अलग नाठ" तिसरें। पोला'बादिल-"बे कर जोडि, नासंता मारयाँ छ. खोडि" // 594 // खलि गलिया वादलि खगै, खूरह सम खुरसाण / सामंद जाणिउ तांण सुत, पीधा चल प्रमाण / / 839 / / पकच्यो असपति वादले कलमठ अबीह / मैगल हंदा मद गले, गाल वजाडै सीह // 840 // फिरि छोडै पकडै फिरे, नाच नचावै तेम / रस लागौ रामति रमै, भोला बालक जेम / / 841 // कवित्त-"मणि वादल"-कहै साह, "राह हींद ध्रम रक्खौ। सांम धरम सरतांन. अकलि उसताद परक्खौ / / तुं सामंत समत्थ, बुधि बल अकल दुबाहौ / तुंही ढाल हिंदुआंन, तुंही रावत खग वाहो। गोरिल सरग-अपछर वरी, तुम्ह दुनियां महि जस सुनहुं / पतिसाह दलां लाई धरा, बहुत हुई अब बस करई // 842 / / दूहा-"भ्रम राख्यो राख्यौ धणी, पदमिण रक्खी पुट्ट। अब रक्खहुँ मेरी अदब", कहै आलम सुणि "दुढ" // 843 // मरै लाज झंझै खरो, इह दुनियां न डकत्ति। भत्रीजै-काकै मिडै, दीधो न्याव विगत्ति // 844 // // 590 // 1 तूटै / / 2 ऊडै D / 3 झाल D / 4 झलकै D / 5 होवइ BODI // 591 // 1 वहै / / 2 पडनाल D / 3 थयो c, थयौ DIF में नही है। Dप्रतिमें-तूटै धढ सिरि फूटै फार, जरकै फेफर हाट दुधार / कडकै कंध महा विकराल, बडकै जोसण जोध कधाल // 705 // हाकि हाकि धावै नर धसी, तूटै जो बड मुगला दिसी। इला-बिला क्या किया खुदाय, कहर दिया बादल बहकाय // 706 // किहां डेरा किहां बीबी साथ, लागा राणीजाया हाथ / घड ऊपरि धड ऊथलि पडे, ग्रहि करवाल मुंड विणु लडै / / 707 // रिणचाचरि नाचे रजपूत, पाडै पडै बिहाडै भूत / नवि चीतारै घर सुख-सोह, बाहै बहकि छछोहा लोह / / 708 // " रेरे! मुंगल अंधा ढोर", इम कहि बाहै खग्ग अघोर। पदमणि ले करमै करवाल, किहां दिलीधर धन संभालि / / 709 / / कित ते बांभणि बुद्धि विहीण, जिणि ए बाट दिखाडी खीण / पदमणि विणि आघौ मति जाय, ढाहे ढीच सु आलमसाहि // 710 // कोटि चढ्यौ जोवै राजान, पदमणि दे आसीस प्रधान / कोटि चढ्या जोवै सब लोय, मुगल सुहड सब लथबथ होय // 711 // // 592 // 1 झडफ BD, झडपि 0 / 2 भरै / / 3 अंबरि / / 4 योवई , जोवै DID में नहीं है // 593 // 1 रौ / / 2 लयौ / / 3 गोरो BOD | 4 गजगाह 10 / ५मायो BODI - 573 / ___B65010658 | D 713 / E में नही है। // 594 // 1 मेल्यो BC, मूक्यौ / / 2 घणई BC, घणे / / 3 अलगो , अलगौ | 4 नाठो ODI ५पणइ BO, पणै / / 6 बोले / 7 छै DIEमें नही है।
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________________ कवि हेमरतन त रतनसेन राजा अति भलउ', 'गढ ऊपरथी देखा किल'। जोवह बादिल गोय तणाँ, हाथ महाबल अरिगंजणां // 595 // पदमिणि ऊभी धई' आसीस, 'जी' बादिल कोडि' वरीस। धन्य! धन्य बलिहारी तूझ, 'तई मुझ राखिउ सगलुं गूझ // 596 // सुभट घणा छई ऊभा एह, ते सगला नीसत निसनेह / बादिल एक महाबल सही, सत्य थकी जो चूकई नही // 597 // साँमि-धरम' साचउससनेह, राखी बादिल रणवट रेह / ' गोर' रावत रणमहि रहिउँ, आलम-सॅन सहू लहु बहि // 598 // लूटी लीधुं लसकर सहू, के नाठ्या के मारया बहू। इणपरि अरियण सहु एकला', बहसि करे जीता बादिलइ // 599 // पातिसाह साही मुंकीउ', 'इक वलि मोटउ ए जस ली। साहि कहइ-"संभलि' बादिला, किया पवाडा त अति भला // 600 // // 595 // १...भलो ,...भली D, ऊभै रतनसेन राजान / / २...देखै किलो D, दीठो जुख महा असमान। 3 जोवै D, जोया E| A575 / B652 / 0660 / 715 / 844 / // 596 // १दै , दियै छ / 2 जीवउ B, जीवो , जीवौ DE | 3 घणा / / ४...राख्यो...B,...सगलो...०, तै मुझि राख्यौ सगलौ गूझ D / प्रतिमें द्वितीय अर्खाली नहीं है। // 597 // 1 छै / 2 थकउ B0, थकी D / 3 चकै D / प्रतिमें नहीं है। // 598 // 1-3 सामि-धरम साचव्यो सनेह Bo, साचव्यौ DE, सनेह BOD, सवेह / 4 खित्रवट BODAI 5 गोरो BODE | 6 मांहि BCD, भै / 7 रखा BOD, रह्यो , रह्यौ / / 8 सवे। ९लहि D, खग / 10 बह्या BD, बह्यो , वह्यौ / // 599 // १...लीधउ...B0, लीधौ D, लूंटाणौ लसकर जूजूयौ छ। २...नाठा...D, साकाबंधी भारथ हुयौ। 3 एकलै D / 4 बादिलै DE | // 600 // 1 मूंकीयउ B, मूंकीयो , मूकीयौ D, मुंकीयौ / / 2 एक वली मोटउ जस लीयउ B (मोटो ODI, लीयौ DE) / 3 कहैं DE | 5 सांभलि / / 6 ते DE | A581 / B 657 / 0665 / D 720 / E847 // कवित्त-चादिल तिहां ले बलिउ, राव अरि राव बत्तीसह / खडग काढि सनमूख, भिडिउ सुरतांण सरीसह // करि पारसी मुगल, तेण तहां कूट कमायउ / लंका मणि उद्धरिउ, तुरक अर तुरक सवायउ। हाइ-हाइ करतां ऊठिया, बादिल तहां सई मुह सरिउ / जब लगइ जूझदल बिहुं हुउ, तब लगि हयवर पाखरिउ / / 583 / / 659 / 0 667 / D 722 // पाठान्तरः-चल्यो BC, चलियो D, प्रगटि डोला रु वीसह BOD | बद्यउ B, वद्यो , बघौ , सुलतांण D / तेणि तण कूट उपायो B (कूडो पायो , पायौ D) / सुभट सेन (नि 0) ऊधरयउ B (ऊधरयो 0, ऊधरयौ D), 'तुरक बलि हिंदु सवायो (यौ 0) BOD | मार करता ऊठिया BOD, तिहां BCD, मुखि करयो BOD / लगै D, व्यहु Bo, हुवउ B, हुवो 0D, हैवर D, पाखरयउ B, पाखरयो , पाखरयौ DI E में नही है / इसके आगे B प्रतिमें 660 से 671 तक, 0 में 668 से 679 तक, D में 723 से 734 तक और में 849 से 865 क्षेपक हैंआलिम एक अनइ जु खवासि, दिन दुहु पहुता लसकर पासि / निमां सांम जब वेला थर्द, खबरि कराई लसकरि जई // B660 / 0668 / D723 / 048 // पाठ०-जो , अनै दुखबास D, आलम साथै एक खबासि / हुई है। करावै D / दिराई / / मुगल पठाण अनइ उमराउ, ततखिण आइ नम्या पतिसाहु / ऊभा खोजा खान तफीम, तसलीमें लागी तसलीम // B661 / 0669 / D 724 / / 850 / पाठ-मुंगल E, अनै DE, उमराव DE | आयि D, साहिपाद D, पतिसाहि / / तसलीमैं / /
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________________ चमो] गोरा वादक पदमिणी पपई wwwaaman "आलिम बीबी पदमिणि किहां, तुम्ह इकले आये क्युं हहां / किहां लसकर किहां सह साथ, किणपरि बात हुई धरनाथ // B662 / 0670 / D 725 / 851 / पाठा-एकलो DB | किहां भड जोधा साथ / किस विधि...कहौ नाथ / / "खुदाई करू वडा हिंदुराण, लसकर मारि किया कचघाण / हम हइयाति खुदाई दई, मुसकल बहुत हमाकुं भई // ____B663 / 0671 | D726 / / 852 / पाठा०-खुदाय / / घमसाण DB | खुदानै छ / मुसकलि D, बोहोत DI बादल राधो निपट बडा सइंतान, हम पणि भूले बडा गुमानि / हमस्युं कूड किया परपंच, पदमिणि मिस मेल्या सहु संच / / B664 / 0 672 / D 727 / E853 / पाठा०-सैतान DE | बडै D, हम भूलाए करि तान E, कियो D, रूका दिखाया करि परपंच / / डोला महिथी कहरि गुमानि, दोई निकल्या सेर जुवान / बहुत लडाई हमस्युं किई, हमकुं पनह खुदाई दिई / / _B665 / 0673 / D 728 / 3854 / पाठा-महिथी DE, बडे असमान दोदो 0E, दोइ-दोइ D / हमसूं , असे , भई DB दई जीत पणांह खुदानै दई / हमकुं पदमिणि किया कछु टोण, नहि हम आगलि हींदू कोण / करो कूच नहु लावउ वार, अब हम सह होवइ असवार" // B666 / 0674 | D729 / / 855 / पाठा-पदमिन हम से कीन्हा हाणE। हींद हम आगे है कौन E / करहुE, लावो, लावहुप्राइस य कहि साह हुआ असवार / लसकरि कूच कियउ तिह थकी, अनुक्रमि पहुता दिली ढकी। रातें पहुत महल मझारि, लसकर सहू गया घरवारि / / B667 / 0675 | D730 / E856 / पाठा०-कियो , कियौ / धकी D | राति CD, पुहंता , पहुतो / बडे पयांण लांघी मही; अनुक्रमि आए दिल्ली वही। लसकर सबै विदा करि तार, रातें आए महल मझार / / / बीवी बहुत आइ बेगमा, “पदमिणिको दिखलावो हमा"। "पदमिणिका मुहु काला किया, हमकुं जीवु खुदाई दिया" // / 668 / 0676 / D 731 / E857 / पाठा०-हुं D, कुंE, दिखलावी DE | जी तब हमे खुदान दिया / "खिमा कीजइ, तुझ कुं पतिसाह, लागइ तुम्हकी हमां बलाइ” / "बेटा तुझ कुं बहुत गुमान, बातां मा तूं नही सुजान / / 669 / 677 / D732 / E858 / पाठा०-कीजें तुम्ह कुं , खमाखमा E / लागै तुमारी D, लगें तुम्हारी हमैं / एता कीजै नहि अभिमान / मिहरी कारण कलमथ हुआ, राणा राउण महु खय गया। काहे पूत कहीं कुं फिरउ, बइठा जउंखि दिली महि करउ // - 3670 / 0688 / D733 / / 859 / पाठा०-मिहरीकुं बहु D, किया E | राणा रावण बहु कुल गया , उस खातर रांमण सिर दिया। को E, फिरो , फिरौ DE | बयठा D, बैठा E, जौखि DE | इसके आगे B प्रतिमें: करि आरती उतारै लोण, पदमिनका है गया टोण / खैर करैगा आलमपनां, क्या है कमी इक पदमिन विना // 860 // दूहा-करि कागद वादल लिखी, हजरत रखहि पास / इक तेरे मुख मूंछ है, अई हींदू सावास / / E 861 / / आगे BODE प्रतियों में पातसाह दिली गया, बादल की सुणो बात / बादिल रिण सोध्यो तिहां, जब जइ हुवउ विख्यात // B671 / 0679 | D734 / E862 /
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________________ 14 कवि हेमरतन छत जीवि दान दीयउ मुझ भणी, किसी कराँ हिव कीरति घणी"। "आलिम साहि गयउ एकल', गोरइ' बादिल जीत्य' किल६०१ // जयजयकार' हुउ जस लीध, करणी बादिल अधिकी कीध / ऊघडीया गढना बारणा, बिरद हूआ बादिलनइ घणा // 602 // राजा सॉम्ह' आविउँ रंगि, मिलिया बेही अंगोअंगि। महामहोछवि माहे ली", अरध देस' बादिल नइ दीउ // 603 // 'पदमिणि वली पयंपइ ऍम', "न करइ बादिल को तो जेम'१।। 'तई दीधउ मुझनइ अहिवात', 'सीतल कीधा तइँ मुझ गात' // 604 // 'धन्य! धन्य! तो माता सार', 'तुज्य तणउ जिणि झेलिउ भार। धन्य! धन्य! ते नारी सार, जेहनइ बादिल छ। भरतार" // 605 // मस्तकि तिलक करी' सुविसाल, वडावह' मोती भरि थाल / निज भाई करि थाप्य तेह, पहचाडि बादिल निज गेह // 606 // सुभा माहि चिहुं पाखती, देखण नारि मिली आखती। ठउडि-उउडि' मोती ऊछलई, सगा.सणीजा आवी मिलई // 607 // पाठा०-गए 8, सुणि 0D, भई दुनी सिर वात : / सोध्यौ , बादल भंड रिण सोझियौ , जय जय इयो (हुवी D), ऊवारी अखियात E / इससे आगे प्रतिमें :हसम खजांना लूटिया, ग्रही मुंक्यौ पतिसाह / बोल्यौ त्यु निरवाहियो, अइयौ भीछ दुबाह / / B 863 // // 601 // 1 जीवत / 2 दियो , दियौ / 3 किसुं.D। ४."गयो एकलो 0 (एकलौ D), बालम नीसरियौ एकलो / 5 गोरै / / 6 जीत B, जीतो , जीतौ DE | 7 किलो , किलो 1 DE | इसके आगे ABCD प्रतियों में:ऊघाड्यौ चित्रकोट गढ, साम्हा आया रांण / मिलिया वादल रतनसी, करै वखाण खुमाण // 864 // साम्है ले आया सकल, घुरिया जैत निसांण / वाधायौ गजमोतियां, गुणियण करै वखांण // 865 // . // 602 // 1 जइजइकार / / 2 हूवउ B, हूयो , हुवौ / / 3 ऊघाड्या B, ऊघाडा D / 4 हृव B, यो , हुवौ / 5 ने , नै D E में नहीं है। // 603 // 1 साझो , साम्ही D / 2 आयो BCDE | 3 माहै / / 4 लीयउ , लियो 0, लियो DEI ५राज / // 604 // १...पयंपै...D, पदमिणि नारि लियै वारणा / / २...करे तइं कियउ...(कीयो , करै...ते कियौ D), हरषित आंसू छुटै घणा E / ३...दीधो...D ते दीधी मुझिनै अहिवात DE | ४...कीधउ...B (कीयो , कीथो ते D), तूं माहरौ भव भव नौ भ्रात E / ॥६०५॥१धनि धनि तुझ माता जगि सार BODE | २...झाल्यउ...B (तणो झाल्यो 0), जिणि झाल्यो बादल भौ (नौ) भार DE 3 (धनि-धनि नारी अवतार BODE) 4 चेहनै D5 छै / // 606 // 1 कियउ B, कियो , कियौ DE | 2 वाधावई BC, वाधावै D, वाधाव्यौ / 3 बंधव BODA | 4 थाप्यो BC, थाप्यौ DE | 5 पुहचाव्यो B, पहुचाड्यो , पहुचाडौ D, पहुचावी 588 / B 676 / 0684 / D 739 / / / 868 / // 607 // 1 चउहुदई B0, चहुटा D / 2 मिलह / / 3 ठोडि-ठोडि C, ठाम-ठाम D / 4 उछलै DI ५मिलै DI प्रतिमें : मोती-हार सींघल-गै तणो / पीहर दीधो मुहगौ घणो। सो पदमणि वादल नै दियौ / माथै चाढी नै तिण लियौ // 869 // घोडा हाथी दे सिरपाय / खडग कटारा ढाल जडाव / घोडवहिल सुखपालां घणी / करे मुद्रडी जवहर तणी / / 870 / इण परि परिघल पहिरांमणी / कुंची अरधभंडारह तणी। सूपीनै पहुचवीया घरै / वाजिब धंमल मंगल बहु करै // 871 // चहुटा मांहिं गली-ए-गली / देखै नर-नारी बहु मिली। सुभट सहू आवीनै मिलै / करि जुहार मुंह आगलि पुलै // 872 //
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________________ इसमो] गोरा बादल पदमिणी चउपई इणिपरि आविउँ महल' मझारि, वहरी-वरग घणा संघारि। . "जह लागऊ मातानइ पाइ','माता द्यइ आसीस सुभाइ // 608 // निज नारी ओढी' नव घाट, लांबु ताणी तिलक ललाटि'। अरघ अभोख लेई करी, 'थाल भरी सॉम्ही संचरी // 609 // कीया विविध वधावा घणा, कुसले खेमे आव्या तणा। . हिव गोरानी' अस्त्री कहह', "काकः कम रणंगणिं रहई // 10 // कहउ, किसीपरि वाह्या हाथ, किम संघारि सत्रुसँघात"। बादिल बोला'-"माता सुण। किस वखाण करुं ते तण // 611 // 'गोर ढाया गयवर घणा', 'पार न पामु सुभटाँ तणा'। भालिम साहि की एकल, इणिपरि गोए' की किल" // 12 // तिल-तिल छेदी तनु आपण', अमरपुरी पुहतः प्राहुण। कुल अजुआलिङ' गोरर' आज, सुभटों तणी उतारी लाज" // 613 // // 608 // 1 आयउ 8, आयो , आयौ DE | 2 महिल DE | ३...सिंहार BO, सिघारि D, बदीजण बोले जयकार / 4 जाय लागौ माताने पाय D, आवी लागो माता पाह / ५"सवाह B0, दे"सवाय D, मात दिय"सवाइ। // 609 // 1 उनठी D / 2 लांब3 Bo, लांबो D, सजि सिंगार करि तिलक / 3 निलाट BODE | 4 अभोंखो BOD, अभोखो / 5 देई / 6 मोती थाल भरी। ॥६१०॥१कीधा BCDE | 2 गोरिलरी छ। 3 कहै DE | 4 काको cD, काकौ / 5 किम BOD, किणविध / / 6 रण अंगणि B, रिण अंगणि OD, रिण भै / ७रहै DB | ॥६११॥१कहो cD, कहौ / 2 किता। 3 सिंहारया BC, संघारथा DE | 4 अरियण साथ BODAI 5 बोले DE | 6 सुणौ DE | 7 किसो C, किसुं / / 8 करौ / / 9 तणो , तणौ DI 79 किसुं वखाणुं काकातणौ। इसके आगे प्रति में: भिडते इसौ उडायो रीठ, अंबर ऊडी सघलै दीठ / चौडै खेत वजायो सार, ढाया मुंगल बढा जंझार / / 877 / / चरै फौजां गैदल तणी, आलम लगै गयौ तुझ धणी। खाग वजाडि करतौ खंड, एंहा पोरसिया भुजडंड // 878 // पणि असपति पग पाछा दिया, जैत तणा ढाका वाजिया / किता विछाया खांन निबाब, कै औसीकै कै पयताब / / 879 // ऊपर गोरिल भट पोढियौ, अंबर सुजस तणौ ओढियौ / तन बीखरियो तिल तिल होय, मूछां-मरट न मिटियो तोय // 880 // आलमसाहि कियौ एकलौ, गोरै इण परि कीधो कीलग। तिल-तिल तंन करे आपणौ, सरगापुर हयौ पाहुणौ / / 881 // कुल अजुआल्यौ गोरै आज, सुहडां सींघ चडावी राज / रिण खेती गोरे भोगवी, मैं तो किलो कियौ पूठि थी॥ 882 // घडी वींदणी गोरे वरी, बांधै मोड महारिण करी। मै तो जानी थकी भूबिया, विरद भुजां बल गोरिल लिया // 883 / / // 12 // 1 गोरे... काकै ढाया गैवर घणा / २...पामई...BOD, मुगल जोध संघारथा बण्या DI ३कीय B,कियो, कियौ / / 4 एकलो , एकलौ / / ५गोरै / / ६कीयो कीपी DI ७किलो, किली DI A594 / B682 / 0690 / D 745 / 5 में नहीं है। 11 आपणो , आपणौ / / 2 हूवउ B, हूयो , हुतौ / / 3 पाहुणो D / 4 ओजवाल्या B, उजवाल्यो ODI ५गोर DIE में नहीं है। इसके आगे BCDE प्रतियोंमें:कुंडलिया- गोरिक त्रिय इम उच्चरह, “सुणि बादिल समरत्य। मो प्रिय रण महि जूझतइ, कहि किम बाधा हत्य। .
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________________ 9. कवि हेमरतन कत ऍम सुणीनइ' अस्त्री तेह, विकसित वदन हुई ससनेह / रोमि-रोमि सूरिम ऊछली, मुलकी महिला बोलह वली // 614 // "संभलि' बेटा हिव' बादिला! ठाकुर दोहा हई एकला। पथएँ' विचई छेटी हुइ घणी, रीस करेसी मुझन धणी // 615 // 'पहिलउ हो हिव वार म लाई', 'काकीनइ पुहचाड ठाई"। ऍम सुणी बादिल हरखिउ', "धन्य! धन्य! माता तुझ ही” // 616 // 'घणउ वित्त ते विहची करी', करि शृंगार चढि तीखई तुरी। 'जय जय राम' करी नीसरी, 'अगनिसनान कीउ सुंदरी // 617 // पति पासई' जा' पुहती जिसह, अरघासण दीउ इद्रई तिसर। अमरपुरी पुहुता' अवगाहि, जयजयकार हुउ' जगमाहि // 618 // कहि किम बाबा हत्थ, बत्थ दे सुहड पछाडिउ / भांजिउँ गय घडघट्ट, पाउ दे सीस विमाडिउ // सुहड सूर संहारि, जोध बहु कीधा धोरिल / बादल कहि-"सुणि मात, रणहि इम पडिउ गोरिल" // पाठान्तर-उच्चरइं B, ऊचरइ०, उचरै DE, ससमत्थ BODEI रिणमई B0, में OE, मुझता Bo, झूझतै DE, किणपरि BCDE | वछ तुझ सुहढ सपुच्छउ BOD, बथभरि सुहड पछाड्या / / भांजे है गै थट्ट DE, रोस भरि सहु रिण मूछ IOD, जाइ नेजै असि चाख्या / संखमुंड भड मारि D, गलिया खांन निबाव E, सीस असपति खग झोरिल / कहै DE, झुझ्या / / 0596 / B684 / 0692 | D747 / E884 / // 614 // 1- DE , 2 कामिनि Bo, कामणि DE | 3 रोम / बोले DRI // 615 // 1 सांभलि / 2 रिण BODE | 3 दुहिला B, दुहेला , दोहिला DE | 4 होर BOD, ५पाछइं Bo, पाछै D, पडै / 6 विचि BCD, विचै / 7 छेती B01 8 अम्बन 4 अमने 0, अम्हनै DET // 616 // 1 वहिलो होजे बार म लाय D, वहिला हुऔ म लावो वार / / २...नै पहुचाडौ आय D, भेला करि काकी भरतार / / 3 हरखियउ B, हरखियो , हरखियौ DE | 4 धन-धन मात तुम्हारो हीयो B (हियो , हियो DE) // 617 // 1 घणो...BCD, दान पुन्य तब बहुला करी / / ), चडी भला / 3 जइं-जहं B, जैजै / / 4 कही / / 5 कियो BOD, श्रीफल लेई हाथै धरी / इससे आगे प्रतिमें : ढोल धुरै गूंजै चीतौड / बाधो सुजस तणो सिर मोड / इण परि आखा ऊछालती। आवी खेते रिण मल्हपती॥८८९ // पूजि गवरि वलि करिय सनान / पहिरी धवल वस्त्र परिधान / 'खमा खमा कहि धनि भरतार / रिणसामंद्र हिलोलणहार // 890 // . कठमंदिर प्रिय खोहले धरी / अगनिसरण कीयो सुंदरी। पति पासै अइ पहुती जिसै / अर्द्ध सिंघासण दीयो तिसै / / 891 // // 618 // 1 पास DB | 2 जाय D, / 3 जिसै D / 4 अर्धासन दीधउ इंद्रे'B (दीयो D, तिसै ) / 5 पुहुती B0, पुहती D / 6 हुवउ B, हृयो , हयौ DIA602 / 0689 / 0697 / D752 / प्रतिमें: अमरापुर वसिया उच्छाहि, जै जै कार हुयौ जगमाहि / चंद सुरिज वे कीधा साखि, गढ चीतोड दिली-दल साखि // 892 करि मृतकृत देई संसकार, आयो बादल निज घरवार। रजपूतां ए रीत सदाइ, मरण मंगल हरषित थाई / / 893 / / पथोकं-रिण रचिया म रोइ, रोऐ रिण भाजै गयां। मरण मंगल होर, रण करि आगां ही लगै / / 894 / /
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________________ 97 - इसमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई विरद बुलावह' बादिल घणा, 'सॉमि-धरम सतवंत तणा'। इस न कोइ हूउ* सूर, 'त्रिहुं भवणे कीधउ जसपूर // 619 // पदमिणि राखी राजा लीउ', गढन भार घणउ झीलीउ। 'रिणवट करीनइ राखी रेह', नमो नमो बादिल गुण-गेह // 620 // // 619 // 1 बुलावै DB | 2 स्वामि"BOD, सांम सनाह सुहडाइ तणा / 3 इसो BODE | B, हूयो 0E, हूवी D / 5 कीयो 0D, त्रिहुं भवने प्रगट्यौ / ॥२०॥१लीय: B, लीयो , लीयो DB | 2 नो CD, नौ / / 3 घणो cD, भुजैः / 4 झालियो OD, झालियौ / 5 ने , नै D, रिण भिडतां राखी सवि रेह | A604 / B691 / 0699 / D 754 / 3 896 // इसके आगे BODE प्रतियोंमें :कवित्त-"जय बादल जय पत्ति, बिरद बादिल अरिगंजण / संकट सांमि सनाह, तेज मोड्यो गय बंधण / / मलिउ गयंदां माण, हण्या हत्थी मयमत्तह / आणिउ मोरउ कंत, तुहि ज दीधउ अहिवत्तह" // पदमिणि नारि इम उच्चरइ, "तुम्ह सरिस नहु अवर हुस।" आरति उतारहि वर तरुणि, जय बादल जय पत्ति तुय / / पाठान्तर-जैE, जय पत्त BCD, जैवंत / संकटि र, संगटि E, भंजण BCD, भिडै पतिसाहा भंजण छ / मुल्यउ मल्लकां B, मिल्यो मलको , मिलियो मिलकां D, मलल मलिकां / आण्यो मोत्यो B, आण्यौ मोरो D, सांम-बंद छोडावण, तै ज दीधो D, दियण बहिनी / ऊचरै D, श्रीमुख कई R, तुझ सरिखउ नहि B (सरिखो"हूअ CD), इसो अवर नह कोइ हुअा / उतारे , उतारे DE TA605 / B692 / 0 700 / D 755 / / 897 / कवित्त-करि प्रपंच बादिल्ल, नारि ऊगारी बलि छलि / सहि न सक्यउ सुरिताणि, काजि जस एह भुजां बलि // मलिउ गयंदां मांण, सांमि आणिय उवेलिय। भंजि ढाल पाडीय सिलार, मलिकां दल मेलिउ / ' इम सुणवि माय आणंद कीउ, पुत्रई परदल पेलीउ / उच्चरी बात बादिल की, पदमिणि-कंत उवेलीउ // पाठान्तर-बादल , सक्यो Bo, सक्यौ D, मल्यो BC, मल्यो D, स्वामी आणीयो उवेलीय BODI पाडिया BODI सिलार सकंदल मेलीय BODI सुणिवि माइ आणंद हियह B0 (हिय D) पुत्र परहल पउलीयउ Bc (पोलीयो D) / बादलतणी BOD, उवेलीयउ RC, ऊबोलीयो D Eप्रति में:कवित्त-कहै मात-"बादला, भलै मुझ उयरि उपनौ। कुलदीपक कुल-तिलक, रंकपरि रयण सपनौ। ग्रहियो खल पतिसाह, रुक बलि गंजण अरिदल / जैत हत्थ जग जेठ, तुझ बलिहार भुजबल // मुख मुंछ तुहि ज कुल-लाज, तुहि भारी छै लोकीय भडां / चीतोडमोड बांध्यो सिर, दिल्लीपति चाडै तडां // 898 // चौपई-रांम तणे भाई हणमान, तिम बादल रतनसी रांण / पदमिणि सती सीता सारिखे, वादल भड लंगा आरिखे // 899 / / सेवा कीधी अवसर तणी, तिण सोभा वाधी घणघणी। करि दिखाले इसी इक कोइ, अवरोइ मुहडां आधार होई // 900 // A606 | B6931070110.119.. /
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________________ ग्रन्थान्त 'A प्रतिकी प्रशस्तिबादल राउतनी ए कथा, सुणतां नावह निज घटि व्यथा। रोग सोग दुख दोहग टलइ, मनना सयल मनोरथ फलइ // 1 // पूनिम गछि गिरूआ गणधार, देवतिलक सूरीसर सार / न्यानतिलक सूरीसर तास, प्रतपइ पाटई बुद्धिनिवास // 2 // पदमराज वाचक परधान, पुहवी परगट बुद्धिनिधान / तास सीस सेवक इम भणह, हेमरतन मनि हरषा घणइ // 3 // संवत सोलह सई पणयाल, श्रावण सुदि पंचमि सुविसाल / पुहवी पीठि घणुं परगडी, सबल पुरी सोहह सादडी // 4 // पृथवी परगट राण प्रताप, प्रतपइ दिन दिन अधिक प्रताप। . तस मंत्रीसर बुद्धिनिधान, कावेड्या कुलतिलक निधान // 5 // सांमि धरमि धुरि भामु साह, वयरी वंस विधुंसण राह / तसु लघु भाई ताराचंद, अवनि जाणि अवतरिउ इंद्र // 6 // धूय जिम अविचल पालइ धरा; शत्रु सहू कीधा पाधरा। तसु आदेश लही सुभ भाई, सभा सहित पांमी सुपसाइ // 7 // वात रची ए बादिल तणी, सांमि धरमि ए सोहामणी। वीरारस सिणगार विशेष, रस बेरस अछ। सविसेष // 8 // सुणता सवि सुख संपद मिलइ, भणतां भावटि दूरई टला। ऊजम अंगि हुई अति घणउ, मुहकम जाणइ करि मंत्रणउ // 9 // षटसित षोडस गाथा बंधि, सुणिउ तिसु भाष्यउ संबंधि। अधिक ऊन जे हुइ उच्यरित्रं, सयण सुणी ते करयो खलं // 10 // सांमि रम पालंतां सदा, सगली आवह घरि संपदा।। सुर नर सहू प्रसंसा करह, वरमाला ले लखमी वरइ // 11 // // इति श्री गोराबादिलचरित्रे, बादिलजयलक्ष्मीवर्णनो नाम प्रथमखंडः / संवत 1646 वर्षे मगशिर सुदि 15 // - 1 यह प्रशस्ति A प्रतिकी है जो संवत् 1646 में लिखी गई है।
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________________ दसमो] गोरा वादल पदमिणी चउपई BC प्रतियोंमें उपलब्ध प्रशस्तिका पाठ गोरा बादिल तणी ए कथा, सुणतां नासह निज घरि वृथा। मनना सयल मनोरथ फलइ, रोग-सोग-दुख-दोहग टला // 1 // पूनिम गछ गरुवा गणधार, देवतिलक सूरीसर सार। न्यानतिलक सूरीसर तासु, प्रतपइ पाटइ बुद्धिनिवास // 2 // पदमराज वाचक परधान, पुहवी प्रगटा बुद्धिनिधान / तासु सीस वाचक इम भणइ, हेमरतन मन रंगइ घणइ // 3 // संवत सोलह सह पणयाल, श्रावणधुरि पंचमि सुविशाल / पुहवी पीठ घणी परगडी, सबल पुरी सोहइ सादडी // 4 // पृथ्वी प्रगटा राण प्रताप, प्रतपह दिन दिन अधिक प्रताप / तसु मंत्रीश्वर बुद्धिनिधान, कावेड्याकुल तिलक समान // 5 // खामि धरम धुरि भामउ साह, बहरी बसि विधूसण राह / तसु लघु भाई ताराचंद, अवनि जाणि अवतरिउ इंद // 6 // ध्र जिस अविचल पालइ धरा, सित्रु सबे कीधा पाधरा। तसु आदेस लही सुभ भाउ, सभा सहित पामियां पसाउ // 7 // वात रची ए बादिल तणी, सामि धरम अति सोहावणी। धीरा रस सिणगार विसेष, अउर रस अछ। सविशेष // 8 // सुणतां सुख सवि संपद मिलइ, भणतां भावठि दूर टला / उजम घटि होवह अति घणउ, मुहकम जाणइ करि मंत्रणउ // 9 // षट सित षोडस अंक बंधि, सुण्यउ तिसउ भाष्यउ परवंध। अधिकउ ऊछउ जे उपरयो, सयण सुणी ते करिग्यो खरो॥१०॥ खामि धरम पालंता सदा, सयली भावह घरि संपदा। सुर नर सई प्रशंसा करह, वरमाला ले लक्ष्मी वरइ // 11 // // इति श्री पदमिणी गोराबादल कथा चतुष्पदी समाप्तः //
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________________ [खंड 100 कवि हेमरतन कृत D प्रतिकी प्रशस्तिका पाठ / गोरा बादलनी ए कथा, सुणतां नासै घटनी ब्रथा / रोग-सोग-दुखदोहग टलै, मनना सदा मनोरथ फलै // 1 // सीलधरम सुणतां सुख होय, खामिधरम सुणतां जस लोय / सीलै मन बंछित फल लहै, स्वामिधरम सापुरिसा बहै // 2 // धनि धनि पदमणि नारि सुसील, जिणि पाम्यौ संकट महि सील / सील प्रसादै छटो राय, गढ राख्यौ जस हुवौ सवाय // 3 // खामिधरम यिणि संपुरणाचरी, तिणि सांभलतां सहु सुख बरी / उत्तिम पुरिसां चरित सुनंद, सुणतां लहियै परमाणंद // 4 // पूनिम गछ गिरुवा गणधार, देवतिलक सूरीसर सार / न्यानतिलक सूरीसर तास, प्रतपै पाटै बुद्धिनिवास // 5 // पदमराज वाचक परघांन, पोहवी प्रगटा बुधिनीधांन / तासु सीस इम वाचक भणै, हेमरतन मंन रंगै घणै // 6 // बात रची ए बादलतणी, स्वामि धरम अति सोहामणी। बीरा रस सिणगार बिसेष, सील सबल पदमणिनो बेष // 7 // सुणतां सुख-चतुराई मिलै, भणतां भावटि दूरी टलै। ऊजम घटि होवै अति घणौ, मोहोकम जाणै करि मंत्रणौ // 8 // खामिधरम पालंता सदा, सबली आवै घरि संपदा / सुरनर सहू प्रसंसा करै, बरमाला लै लिखमी वरै // 9 // // इति श्री राणा रतनसी तसु प्रिया पदमनी चोपई संपूर्णम् //
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