________________ कवि हेमरतन कृत [खंड तव ते भूप भणइ-"पदमिणी, काई नारि कठेई सुणी"। भाट भणई ए अवसर लही, गोरीपति निसुणइ गही गही // 160 // भाटवाक्य ॥कवित्त // भाट भण'-"सुणि' भूप, रूप अति रंभ समाणि' / हाँ तुझ हरम हजार, संख कुण लहइ समांणी / ता महि" पदमिणि काई', हउसि तुरकिणी हिंदुआणी / अदल आज तू राज, अवर कोइराउ न राँणी // तुझ महल" माहि५ पदमावती, गिणत' नारि होसी घणी / सुणि मीनती सुलितांण विण", मइँ न काइ बीजी सुणी" // 161 // ॥चोपई॥ इम निसुणी खोज खलभलइ', पातिसाह बइठउँ' संभलई॥ आसंगाइत बोलइ इसु “तई रे भाट ! कहिउं किसुं ?" // 162 // खोजा वाक्यं // कवित्त // "मम भणि भट्ट' सुकवित्त, खुद खोज" धई पूरउ / रे! सबद फरोस! 'सिबद हरमां लगि सूर। कहाँ सुनारि पदमिणी", सेज रायनकी सोहह / सुरनर- ग गनव्व", पेखि त्रिभुवन मन मोहह"। // 10 // BODB प्रतियोंमें यह चोपई है॥ B, "इसी सकोमल अति पदामिणी / तई रे भकिहाँ-कहाँ मणी? 0, सकोमलि , पदिमणी / ति रे , , . .? D, , सकोमल , पदमणी / ते रे ,, किहाँ ई ,, ,? ,, , , कहिलै , कहाँ ते ,, ,? B, हमस्युं खूब कहउँ ये साच / तुझ उपरि खुसी बहुत मुझ वाच // 0, हमसु कडू ,, / , , , , , , // D, हिमसुं, कहो बो,, , " " " " // हमसे , कहै वे ,, ,खुस मेरीय , // // 16 // 1 'भणे BOD, भणहिं भट्ट / 2 सुनि / 3 समाँणी D, समानी। हर Bo, है है / 5 तुह / 6 सब कुण लहै"D, दिवमै रूप जुवानी / / 7 तामइ...B0, तामे पदमणि काई मुगलानी पारसी D / 8 होसी तुरकणि"B, होसी तुरकाणि", होसी तुरकणि हिंदवाँणी / / 9 अदिलराज तू आज B, अदलराज तू आज 0, अदलिराज तू आज D / 10 को B00 11 राव DE | 12 रॉनी / / 13 तुझिDI 14 मुहल Bo, महिल / / 15 माँहि / / 16 गिणित" BD, गणिति"0, है है नारि इंद्रायनी ।।१७."वीनती सुलितानजी B,"वीनवी सुलतानजी, सुणोदु अरज मुझि सुलिताणजी D, अल्लावदीन सुलतान सुनि / / 18 ओर ठौरमैं नहु मुंणि ! ॥५२॥१नसुणी / / 2 खोजो ODEI 3 पलभलै D, जलफलै / / 4 आलिमसाह Bo, मालमसाहि DE | 5 बेठो 0, बैठो D, बैठो 6 साँभलै DE | 7 आसंगह तब B, आसंगितब बोले इस०, बोले उछक आसंग नही / 8 क्यउ रे भाट! कबउ तिर ते 0, किस्थ: B, क्यं रे भाट कयो ते किस D, भदै मह जैसी क्यं कही // 159 | B 16510, 183 / / 191 / / 209 /