________________ तीजो] गोरा वादल पदमणी चउपई 21 हेमदान कवि मल्ल भणि, अमर किति ते वखत गिणि / दीठउ न को रविचक्र तलि, अलावदीन सुलिताण विण // 154 // ॥चोपई // कवित सुणी रीझउ सुलितॉन, भाट प्रतईं दीधळ बहु मान / "हाथि किसुं?" पूछइ पतिसाह, तव ते भाट भणइ गुण गाह // 155 // // गाथा // भाटवाक्यंमाणसरोवर' मध्ये निवसई कल' हंस पंखीया बहवे ताण चिय सुकमाला एसा पंखी करे मज्झ॥ 156 // // चोपई॥ इम निसुणी लेई सुलिताण', नव-नव मउंज महा असमान / सोहइ पसम महा सुकमाल, ते देखी-जंपइ भूपाल // 157 // "इसी सकोमल काई वली', किण ही वस्त कठे संभली?" तव ते भाट भणइ सुविचार, “हाँ, सुलिताँण ! कहुं अवधारि॥ 158 // पदमिणि' नारि इसी पातली, अति सुकुमाल सकोमल वली / एह थकी वलि अधिकी तेह', सगुण सकोमल नइ ससनेह" // 159 // // 154 // यह कवित्त BODE प्रतियों में नहीं है, परन्तु संग्रामसूरि द्वारा सम्पादित प्रतिमें तथा लग्धोदय गणि द्वारा सम्पादित 'पद्मिनी चरित्र' की प्रतियोंमें मिलता है। // 155 // इस चोपईके स्थान पर BCDE प्रतियों में निम्नलिखित चोपई है B, पातिसाहि पंख दिष्टें पडी। 'क्या बे हाथि तेरह पंखुडी।। 0, पातिस्याहि पंखि,, , तेरे // D, पातिसाहि द्रिष्टी पंखज पडी।,तेरै // E, पातिसाहीकी द्रिष्टिा पडी। यह किसकी है बे पंखडी। B, जीवइ पतिसाह हुकम जइ लहुँ / आलमसाह सलामति कहुं / D, जीवै पतिसा , जो , / आलसाहि सलामति , // E, जीवै हजरत, ज , , , , // A. 152 / B158 / ( 176 / / 184 / E 202 / / // 156 // 1 मानसरोवर D / 2 मझे BCD, मझै / 3 निवसइ BODE | 4 कलि Bc / 5 पंखीया / 6 बहुवे BC, बहवो D, बहवै / ७°चा BC, ताणी तो D, ताण तणो / 8-9 करे मुझ B0, कर मझ D, मम हत्थे EI // 157 // 1 नसुणी DI 2 जोई BD / 3 सुलताण BOD, सुलतान / 4 नवसत BODदेखी। 5 मोज BO, मौज DE | 6 महा असमान BOD / 7 सोहे D, सोहै / / ८माहा D, घणउ / ९""जंपै पतिसाह D, हरषित थइ पूछ"EI // 158 // 1 असी कोमलता कोइ ओर / 2 वसत कठे साँभली B,"वसत'"साँभली ,."बसत कहाँ साँभली D, वस्तु होती है किनही ठोर / / 3 तब DI 4 भणि c, भणे DE | ५आल. मस्याह"B, आलमसाह, आलमसाहिD, एक वस्तु इसके अणुहार BIA 115 / / 161 / 0,179 | D187 / 205 / ॥१५९॥१पदिमणि 0, पदमणि D, पदमिण / 2 सुकमाल BOD, असी पसम / 3 सुकोमल ODI 4 बली B / ५इसथै यादा (ज्यादा) कछु इक तेह / / 6 सुगुण CDB | 7 नै DEI