________________ ___खंड कवि हेमरतन कृत पाछा पाउ रखे रणि दीह', मरण तणउँ" भय माऽऽणे हीइ।। भलउ भवाडे खित्री-वंस, पुहवि करावे सबल प्रसंस // 470 // खलदल खेत्र थकी खेसवे, आयुध अंगइ राखे सवे / सुभटाँ माहि वधारे सोह, वाहे विकट छछोहा लोह // 471 // नाम करे नव खंडे' नाथ, वाहि सकइ तिम वाहे हाथ। सुभट सहू कहीइ सारिखा, परगट लाभई इम पारिखा // 472 // जीवण मरणि तुहार' साथ', हुं नवि मुंकुं जीवन-नाथ!। घj घणुं हिव कासुं कहुं ! तेम करें जिम हुँ गहगहुं // 473 // भिडता भाजई नासे मू', कायर कंपि हूउ जूजूउं'। एहवा वचन 'सुण्या मई कॉनि, तउँ मुझ लाज हुसी असमाँनि" // 474 // कंत कहा-"संभलि, कामिनी' ! हिवह सही तुं मुझ सामिनी / बोल्या बोल भला तई एह, "निज कुलवट नी राखी रेह" // 475 // अस्त्री आणि दिया हथियार, 'साझिउ सुभट तण सिणगार। मिली गली माता-पग वंदि, असि चढि चालिउ बादिल भंदि॥ 476 // ॥१७॥रखे DB | २प्रिय BODE | ३दीयइ BO. दिये DBI 4 तणो CE. घणो D / ५माणिमि BOD, मांग / / 6 हीयइ BO, हियै DE (E 633/2) / 7 भलो CR, भलौ / 8 क्षत्री 801 A 451 / B509 / 0521 / / 550 / / 634/1 / // 471 // 1 अंगै D / 2 सछोहा BOT F प्रतिमें प्रथम अर्धाली नहीं है। 1634/2 / ॥७२॥१खंडे DEI 2 सकै DEI 3 कहा BO, कहीये DE | 4 लामै DEI ५हिव BCD, रिण / / A453 | B511 / 0 522 / D552 / / 635 / // 73 // 1 तुहारो D, सदा तुं / 2 नाथ / 3 मूक्यउं B0, मूंको DEI 4 प्रीतम नाथ BOD, प्रीतम साथ / / ५घणउ-घणउ Bघणो , घणो D / 6 कास्यं B / ७कहउं B / ८तिम / 9 करजे / 10 गहिगह B01 // 474 // 1 भिडतउ B, मिडती D! 2 माजी A, भाजे D / 3 निश्चE BO, निसचे / 4 मूबड B, मूयो , मूवी / / ५हूवउ , हुवो , हुवी D / 6 जूजूवउ B, जूबवो , जूजवौ / 7 पह BODI 8 जउ (जो 0, जौ D) सुणीया BCDI 9 तो , तौDIA 455 / / 513 / 0524 / / 554 / / प्रति में नहीं है। इससे आगे D प्रतिमें धीरज नारि वधार नेह, खित्रवटि माहि राखण रेह / उत्तमराय तणी कुवरी, खिसती मति किम आपै खरी / / 555 // भूखा घरनी आवै नार, कुमति घणी सुपै भरतार / पूछी ऊछी मति साजवै, तिणि सगला माहे लाजवै / / 556 D // // 75 // 1 कहै (DR) / 2 सुंदरी।। 3 हिवै (D)..., मोटा वंस तणी कुंयरी / / 4 ते D, ते / / ४...खेह BOD, हित वांछै सोइ ज ससनेह / 456 / B514 / 0525 / 557 / / 637 / प्रतिमें इससे आगे ऊछा घरनी आवै नारी, कुमति दिये पख्या भरतार / तै कुलवंती नारी तणो, महिवल सुजस वधारयो घणो॥ 638 // ताहरा सत्त तणौ परसाद, आलम तणो उतारु नाद / सांम धरम नै कुलवट रीत, अजुआली निसंणु निज क्रीत // 639 // ॥१७॥१मारी DET 2 साज्यो BO...तणो 0..., साज्यौ...तणो...D, सझि आयुध ऊठ्यौ तिणवार।। 3 हिलिगली BOD, विनय करी / 4 अश्व BOD...चाल्यो Bo, चाल्यो D, वादल BOD..., अस्त्र चढी चाल्यो आणंदि। A457 / B515 / 0526 / D558 / 640 /