________________ नोमो] गोरा वादल पदमिणी घउपई गोर' रावत' आव्यउँ वही, “काका! हिव तुम्ह रहयों' सही। एक वार जो, पतिसाह, जोवू आलिम कुं मनमाह" // 477 // गोरउ कहह'- "बादल' सुणि वात, मुझ तुझ एक अछइ संघात / 'तु जावइ हुं पाछउँ रहुं', "तउ हुँ रावत पणउ निज दहुं // 478 // काका! कीजइँ काची वात, हुं जाऊं छु मेलण धात / रिणवटि अम्ह-तुम्ह' एको साथ, जे विहडई तसु दक्षण हाथ // 479 // गोरह रावत पूछी' करी', चालिउ बादिल साहस धरी / सुभट सहू मिलिया छ. जिहाँ, बादिल चाली आविउ तिहाँ // 480 // बादिल बोलह बहसें इसु-, "कहउ तुम्हे आलोचिउँ किसुं। सुभट कहा-“बादिल! सांभल", सबल मँडाणउ एकल किलउ // 481 // // 477 // 1 गोरो BOD, गोरा / / 2 पासै D| 3 आव्यो CE, आम्यौ / 4 रहिय्यो , रहज्यौ , खमियो / 5 रही E / 6 जोवो , देखें / 7 जोवों...को..., जोउं...को...D, देख कुअर तणो पणि माह E / // 478 // 1 कहि, कहै DE | 2 अछै DE | 3 ...जावे...पाछोरहो , ...जायइ...पाछा रहुं DI 4 तो... पणो...दहो , तौ...पण...दहु D / द्वितीय अर्द्धाली प्रति में नहीं है। // 79 // 1 कीजै D / 2 छउं 50 / 3 तुझ मुझ / / 4 एकौ D / 5 ...बिहडै... D, इण वातें मुझ दक्षिण हाथ है / प्रथम अख़्ली E प्रति में नहीं है / E 643 / // 480 // 1 राखी / / 2 घरे / 3 चाल्यो BOE, चाल्यौ D / 4 धरे / 5 छै DE / 6 रावत ___BODE | 7 आन्यो Bo, आवै DE | // 41 // 1 बोले DE | 2 वहसइ B, बइसे , विहसे D, बहसी / 3 इस3 B, इसो CDE | 4 कहो 0, कहौ DE | 5 तुहे...A, आलोच्य B, आलोच्यो , आलोच्यौ DE | 6 किस3 B, किसो CE, किसौ D / ७सांभलउ , सांभलो GE, सांभलौ / 8 एकिल किलउ B(किलो)किलो DE IA 459 / B 520 / 0 531 / 0568 / E649 / D प्रतिमें-. साजि साजि स हुबो असवार, रिप-दल गाहण सब मुझार / बोले बीर सम वालण वयर, गढमढ रखवालो जखु सयर // 563 / / जाणे कुल-कीरति तनु धरौ, तेज पुंज जिम रवि अवतरयौ / साहसीक स्वामी धम धीर, बाचा पालण सरण सुबीर / / 564 // सहू सुभट सुर देखी भली, सूरातन सामंत अटकली / कदे न आवै बादल सभा, अचिरज आज हुवा दरलभा / / 565 // सकै तो काई बिमासी बात, गाजण-सुत ए सुर बिख्यात / सुभट राय-सुत बैठा जिहां, आव्यौ धान्यौ बादल तिहां // 566 // उठी सभा सहु आसण दीयौ, तिही बयठो बादल द्रिढहीयौ / पूछ सभा पयोजन आजि, कहौ बादल पधाऱ्या किणि काजि // 567 // प्रतिमें सांम धरम सरणै साधार, रिप-दल गाहण सबल सूझार / जाणे कुल-कीरति तन धर्यो, तेज-पुंज सूरज अवतर्यो / 645 // सभा सह देखी खलभली, सूरातन सामंत अटकली। बादल कद ही न आवै सभा, ग्रास न लामै नहि घर विभा // 646 // सके त काइ विमासी वात, गाजण-सुत ए सुर विख्यात / ... सुभटराइ सुत बैठा जिहां, कीयो जहार आवीनै तिहां / / 647 // उठी सभा बहु आदर दियै, बैठो बादल तब द्रिढ हिये। पूछे सभी प्रयोजन आज, कहो पथार्या काहे काज // 348 //