________________ [खंड 100 कवि हेमरतन कृत D प्रतिकी प्रशस्तिका पाठ / गोरा बादलनी ए कथा, सुणतां नासै घटनी ब्रथा / रोग-सोग-दुखदोहग टलै, मनना सदा मनोरथ फलै // 1 // सीलधरम सुणतां सुख होय, खामिधरम सुणतां जस लोय / सीलै मन बंछित फल लहै, स्वामिधरम सापुरिसा बहै // 2 // धनि धनि पदमणि नारि सुसील, जिणि पाम्यौ संकट महि सील / सील प्रसादै छटो राय, गढ राख्यौ जस हुवौ सवाय // 3 // खामिधरम यिणि संपुरणाचरी, तिणि सांभलतां सहु सुख बरी / उत्तिम पुरिसां चरित सुनंद, सुणतां लहियै परमाणंद // 4 // पूनिम गछ गिरुवा गणधार, देवतिलक सूरीसर सार / न्यानतिलक सूरीसर तास, प्रतपै पाटै बुद्धिनिवास // 5 // पदमराज वाचक परघांन, पोहवी प्रगटा बुधिनीधांन / तासु सीस इम वाचक भणै, हेमरतन मंन रंगै घणै // 6 // बात रची ए बादलतणी, स्वामि धरम अति सोहामणी। बीरा रस सिणगार बिसेष, सील सबल पदमणिनो बेष // 7 // सुणतां सुख-चतुराई मिलै, भणतां भावटि दूरी टलै। ऊजम घटि होवै अति घणौ, मोहोकम जाणै करि मंत्रणौ // 8 // खामिधरम पालंता सदा, सबली आवै घरि संपदा / सुरनर सहू प्रसंसा करै, बरमाला लै लिखमी वरै // 9 // // इति श्री राणा रतनसी तसु प्रिया पदमनी चोपई संपूर्णम् //