________________ 71 दसमो] गोरा वादल पदसिणी नउपई "क्यु' अब आया हइ हम पालि, क्या हइ तुझ कुं गढ महि ग्रास" / बोलइ वादिल वलतः हसी, गेम गइ महु घटि ऊमसी // 25 // अवसरि बोली जाणइ जेह, माणस माहि गुथाइ तेह / "तिणपरि वादिल तव बोली, हरखिउं जिम आलिमन हीउ // 506 // नाम ठांम सहु निरतां कह्या, 'माहोमाहि बिहो गहगह्या / बादिल बोलइ आदर करी , "सांमी ! वात सुण माहरी // 507 // पदमिणि मेल्हिउँ हुं परधान, सुभट न मेल्हई निज अभिमान / 'पदमिणि दीठो जव तुम्ह देठि', 'जीमंत निज जाली हेठि // 508 // तिणि दिन थी ते चिंतइ इसुं कामदेव ए कहीइकिसुं। धनि ते नारि तणउ अवतार, जेहनइ आलिम छइ भरतार // 509 // विरह-वियाकुल बेठी रहई, निसि-दिन सुहिणे तुझनई लहई। 'कर ऊपरि मुख मेल्ही रहइ', नयणे नीर घणुं तसु वहइ // 510 // निपट घणा मेल्हइनीसास, अबला दीसई अधिक उदास / तुझ सुं कोइ हू" अनुराग, रातउ जाणी प्रवाली राग / / 511 // पदमिणि नर' मनि अधिकउ प्रेम, ते कहवाइ मई मुखि केम / // 505 // 1 क्यों DE | 2 है DE | 3 बोलै DE | 4 वलती D, वलतो E / ५'राय BCDE | 6 उल्हसी BCDE | A482 | B544 / 0555 / D595 / 676 // // 506 // 1 जाणै DE | 2 मुंह A| 3 गुंथाव BC, गिणावै D, गिणय / ४...अति...RO, बोलिया DI ५हरख्यो हीयउ Bo, आलमनौ हियौ / 4.5 विनय करी कहे जोडी पांण, करहुं आज पावु फुरमांण EI इसके पश्चात् BOD प्रतियोंमेंबलथी बुधि अधकी कही, जे उपजई ततकालि। वानिर वाघ विगोइयो (विणासियो D,) एकलडइ (डै D) सीयालि // B547 / 0558 / D597 / // 507 // 1 सवि BCE | 2 विगते / / 3 ते मुणि आलिम मनि...BCD, महरवांन तव आलम थया / / 4 बोलै DE | 5 साहस E / 6 धरी / 7 सुणो०E, सुणौ DI // 508 // 1 मेल्ह्यउ no, मुंक्यौ DE | 2 सुहड / 3 मुकै DE | ४...तुं...., पदमिन देख्या तुम कुंद्रेठि / 5 भोजन करतां / // 509 // 1 इसउ B / 2 कहियइ BC, कहियै DE | 3 किसउ B, किसो।। 4 तिस D / 5 तणो , तणौ D, तणा E / 6 जेहनै D, जिसके / 7 छै , है / / // 510 // बडी BC. बैठी DEI २रहै DET 3 अहनिश BODE | 4 महना BCI 5 सपने तुम्हको / / 6 लहै DEI 7 मुख ऊपरि कर देई रहई BCD | 8 पणउ Bo, पणौ D / द्वितीय अर्द्धाली E में नहीं है। // 51 // 1 कै DE | 2 दीसै DE / 3 तुम्हसुं D, तुम्हसे / / 4 हुवौ , ह्यो / 5 रातो जेम पटोली BCDE | A 489 / B552 / 0563 / D602 / E682/1 / / ॥५१२॥१नै D, कै / 2 अधिको CE, अधिकौ DI 3 कवायद B0, कहवायै DEI 4 मुखK (सैE) BODE | 5 रहै DE | 6 मुखस्युं बात (कहै D)... BOD, मुख करि वात न तिण से कहै E / मुझ तेडी ए दाख्यो मेद / मूक्यो करवा विरह निवेद // E683 // इसके आगे प्रति में-सुणि साहिब आलम! अरज, मैं पदमिनका दास / यह रुक्का तुम्हकुं दिया, है इसमे अरदास // 684 / / ले रुक्का आलम सुहथ, वाचत धरत उछाह / तावी छाती विरहतें, मेटत हित-जल दाह / / 1685 //