________________ गोरा बादल पदमणी चउपई में वृद्धि की / लोक-प्रिय काव्य की आत्मा का कलेवर इसी प्रकार घटता-बढ़ता रहता है / इसकी लोक-प्रियता के अन्य कारण भी हैं : 1. अन्य जैन रचनामों के समान यह एकांकी नहीं है। अन्य जैन चरितकाव्यों के समान इसके आधार में कोई धार्मिक-सिद्धान्त या प्रचार की भावना नहीं है। 2. रचना के विषय, वस्तु और पात्र सभी ख्याति-प्राप्त और लोक-प्रिय हैं। 3. कथा ऐतिहासक है तथा उसी राजवंश से सम्बन्धित है, जिसमें महाराणा प्रताप जैसे वीर ने इसकी रचना के समय ही अपने मान, मर्यादा और स्वतन्त्रता-प्रेम का परिचय दिया था। उन्हीं के त्याग और बलिदान की प्रेरणा से इसकी रचना हुई है। दीख पड़ता है / इस रचना में उस काल के लोक साहित्यिक परम्परामों का निर्वाह हुमा है / यह वीर रस का एक सुन्दर लोक काव्य है। उदयसिंह भटनागर