________________ कवि हेमरतन इत ज्यारि सहस नीसरिया सूर, पक एक भी अधिक कार। भागलि गोरउ बादिल बेर्ड', 'पूठई चाल्या सुभट सवेर्ड५७९ // घाघरटरें दीसई भट' घणा, पार न लाभ. पुरुष तणा। ट्या धाया ले तरवारि, हलकारे लागा हलकार // 580 // "!! आलिम' ऊभ रहे, हिव नासी मत जाइ वहे। पदमिणि आणी छई अम्हि जिका, तोनई हिवइ' दिखाडॉ तिका // 581 // तोनई' खांति' अछह अति घणी, अम्ह ऊमाँ ते देवा तणी। हठीउ छह तउ करि हथियार', 'हिव आलिम मनि हुइ हुसियार" // 582 // ऍम कहीनई आव्या जिसई, दीठा आलिम अरीयण तिसई। रण-रसीउ ऊठि' रिम राह, विषठी वात करइ पतिसाह // 583 // र!रे! कूड कीउ बादिलई', 'आवउ सुभट सहू हिव किला"। हलकारया असपति निज जोध, धाया किलली करतो क्रोध // 584 // माहोमाहि मंडाण' किल', 'बडवी बोलह इम बादिल / "पातिसाह! मति छंडइ पाउ', 'जउ तु अधिरु अछइ रणराउ // 585 // .579 // 1 च्यार / 2 ते DI 3 अतिहि DEI 4 आगल , आगै / / 5 वे BOD, देह। ६...सवेय B,...सवेह , पूरी पूर्हि सामंत थाट सवेह। ..50 // 1 घाघरटे BODE | 2 दीसे DB / 3 भड BCDE | 4 लाभै D, सिलह-टोप करि रूदांमणा / / ५सुभटो BODI 6 तूटी D, धाया छटी...। // 5 ॥१मसपति BE | 2 ऊभो 0E, ऊभी D / 3 रहा B, रहै / / 4 न्हासी / / 5 जायद Bom, जाये / 6 वहह BOD, वहै EI7 छै DE | 8 अम्हे BOD, मै 9 तौ नै D, तोह नै / 10 हिवै D, हि / // 52 // 1- DE | 2 खंति B0 / 3 अछै DE | ४."लेवा"ABOD, पदमिणि नारि निहालण तणी / ५हठियो छै"D, हठी हमीर जाणां तुझ सही।६"होई."BO, होज्यो , लोभम्हांसं असमर ग्रही। 562 | B 639 / 0647 | D695 / 774 / // 55 // 1 कहीने D, कहता / 2 जिसे DE3 तिसै DE / 4 रसियो OR, रसियौ / / 5 अठ्यो 0 ठ्यो DI 6 कहा BC, कहै DE | // 584 // 1 कियउ B, कियो 0, कियौ / 2 वादिलै D, वादलै / / 3 आवी मुगल सहू को मिलई ____BCD, हींदू आय वाल्या सांकडै / 4 करि धरि E / // 585 // 1 मंडाणो GE, मंडाणौ / / किलो 0, किलौ DE | 3 पिहसी"B, बोले...बादिलौ D, बोले असुपति सुं वादिलो / / 4 छंडौ D, छंडिस / / 5 पाव DE | 6 जे"B, तेरा कूड अम्हीणा घाव है / इसके आगे : प्रतिमें कवित-सुणि कहि साह, वाह तुम्ह बोल भलाई / मुख मीठा दिल कुड, इहै हींदू न कराई // पदमिन करी कबूल, तुझै सिरपाव दिवाया / छोड्या राण रतन, सबै दल दूरि चलाया। अब लडहुँ खग्गि बुल्लहुं अकथ, काफर गुंडाई धरहुं। हम सरिस चूक देखहु सु तो, मूरिख अणखुट्टी मरहुं / 778 // कहै बादल मुणि साह, राह तुम पहिल हि चुक्के / दे वाचा गढ देखि, बहुरि तुम राव हि रुक्के / / हम हींदू कै मीर, नीरखत ही कुलबट्टह / पदमिन दै लै धणी, इहै हम लाज विपट्टह / / अब करहुं मुष्ठि झूठा नि कडं, कहां रखो रस हम तुम्हहि / ग्रहि खग्ग लडहुंम धरहुं ग्रब्ब, वत्तरस नहि अवसान इहि / / 779 // दहा-कहै बादल असपति सुनहुँ, कहा बहुत बकवाद / सांम-धरम अरु द्रिढ विच, इहै बडौ रिणस्वाद / / 780 // तुम दिल लालच पदमिनी, हम लालच रिणवट्ट / सांई न्याव निवेरि है, खेलहु रिण खग झट्ट || 781 //