________________ प्रधान सम्पादकीय चित्तौड़ की पद्मिनी का कथानक गोरा बादल के आख्यान के बिना अधूरा है। इस इतिहास प्रसिद्ध आख्यान पर आधारित सम्भवतः यह पहली राजस्थानी भाषा की प्रस्तुति है हालांकि इससे पूर्व भी इस वृत्त पर आधारित कथ्य को अन्य भाषाओं के कवियों ने भी अपनी रचना का आधार बनाया था। विगत तीन दशक पूर्व हेमरतन की यह रचना विभाग द्वारा प्रकाशित करवाई गई थी। विद्वानों एवं साहित्यरसिकों के आग्रह पर एक बार पुनः इसका नवीन संस्करण आपकी सेवा में प्रस्तुत करते हुये मुझे प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। आशा है गोरा बादल पद्मिणी चउपई का यह नवीन संस्करण आपके लिये उपादेय सिद्ध होगा। आनन्द कुमार आर.ए.एस. निदेशक