________________ 9. कवि हेमरतन कत ऍम सुणीनइ' अस्त्री तेह, विकसित वदन हुई ससनेह / रोमि-रोमि सूरिम ऊछली, मुलकी महिला बोलह वली // 614 // "संभलि' बेटा हिव' बादिला! ठाकुर दोहा हई एकला। पथएँ' विचई छेटी हुइ घणी, रीस करेसी मुझन धणी // 615 // 'पहिलउ हो हिव वार म लाई', 'काकीनइ पुहचाड ठाई"। ऍम सुणी बादिल हरखिउ', "धन्य! धन्य! माता तुझ ही” // 616 // 'घणउ वित्त ते विहची करी', करि शृंगार चढि तीखई तुरी। 'जय जय राम' करी नीसरी, 'अगनिसनान कीउ सुंदरी // 617 // पति पासई' जा' पुहती जिसह, अरघासण दीउ इद्रई तिसर। अमरपुरी पुहुता' अवगाहि, जयजयकार हुउ' जगमाहि // 618 // कहि किम बाबा हत्थ, बत्थ दे सुहड पछाडिउ / भांजिउँ गय घडघट्ट, पाउ दे सीस विमाडिउ // सुहड सूर संहारि, जोध बहु कीधा धोरिल / बादल कहि-"सुणि मात, रणहि इम पडिउ गोरिल" // पाठान्तर-उच्चरइं B, ऊचरइ०, उचरै DE, ससमत्थ BODEI रिणमई B0, में OE, मुझता Bo, झूझतै DE, किणपरि BCDE | वछ तुझ सुहढ सपुच्छउ BOD, बथभरि सुहड पछाड्या / / भांजे है गै थट्ट DE, रोस भरि सहु रिण मूछ IOD, जाइ नेजै असि चाख्या / संखमुंड भड मारि D, गलिया खांन निबाव E, सीस असपति खग झोरिल / कहै DE, झुझ्या / / 0596 / B684 / 0692 | D747 / E884 / // 614 // 1- DE , 2 कामिनि Bo, कामणि DE | 3 रोम / बोले DRI // 615 // 1 सांभलि / 2 रिण BODE | 3 दुहिला B, दुहेला , दोहिला DE | 4 होर BOD, ५पाछइं Bo, पाछै D, पडै / 6 विचि BCD, विचै / 7 छेती B01 8 अम्बन 4 अमने 0, अम्हनै DET // 616 // 1 वहिलो होजे बार म लाय D, वहिला हुऔ म लावो वार / / २...नै पहुचाडौ आय D, भेला करि काकी भरतार / / 3 हरखियउ B, हरखियो , हरखियौ DE | 4 धन-धन मात तुम्हारो हीयो B (हियो , हियो DE) // 617 // 1 घणो...BCD, दान पुन्य तब बहुला करी / / ), चडी भला / 3 जइं-जहं B, जैजै / / 4 कही / / 5 कियो BOD, श्रीफल लेई हाथै धरी / इससे आगे प्रतिमें : ढोल धुरै गूंजै चीतौड / बाधो सुजस तणो सिर मोड / इण परि आखा ऊछालती। आवी खेते रिण मल्हपती॥८८९ // पूजि गवरि वलि करिय सनान / पहिरी धवल वस्त्र परिधान / 'खमा खमा कहि धनि भरतार / रिणसामंद्र हिलोलणहार // 890 // . कठमंदिर प्रिय खोहले धरी / अगनिसरण कीयो सुंदरी। पति पासै अइ पहुती जिसै / अर्द्ध सिंघासण दीयो तिसै / / 891 // // 618 // 1 पास DB | 2 जाय D, / 3 जिसै D / 4 अर्धासन दीधउ इंद्रे'B (दीयो D, तिसै ) / 5 पुहुती B0, पुहती D / 6 हुवउ B, हृयो , हयौ DIA602 / 0689 / 0697 / D752 / प्रतिमें: अमरापुर वसिया उच्छाहि, जै जै कार हुयौ जगमाहि / चंद सुरिज वे कीधा साखि, गढ चीतोड दिली-दल साखि // 892 करि मृतकृत देई संसकार, आयो बादल निज घरवार। रजपूतां ए रीत सदाइ, मरण मंगल हरषित थाई / / 893 / / पथोकं-रिण रचिया म रोइ, रोऐ रिण भाजै गयां। मरण मंगल होर, रण करि आगां ही लगै / / 894 / /