________________ 70 कवि हेमरतन कृत चउगढ-दा नितु चोकी फिरई', शस्त्र घणा अरि अंगइ धरइ / तिहाँ तुं पइसिसि किम एकल', ए आलोच नही छइ भलउ" // 458 // वादिल वोलइ वलत हसी, "तइं ए वात कही मुझ किसी! / हयवरगयवर पायक पूर, हेकणि हाकि करूं चकचूर! // 459 // लाख सतावीस लसकर लूटि, केवी सगला नाँ कूटि!। माल घण' आणु अरि मारि, तउ मुझ माता झेलिउँ भार"! // 460 // कांता जंपइ'-"रहि हों' कंत! मुझ मति माहि न भाजई भ्रंत / अजे न साजी छइ तइंसेज, निज नारी सुं न रमि हेजि // 461 // काम-युद्ध नवि जाण' करें, 'निज नारी थी नासउ डरे। बालक जेम अजे निकलंक, दे नवि जाणइ अधरे डंक // 462 // ते तु किणी' परि झूझसि सहि"? 'वलत बादिल बोलइ नहीं। नारी जंपइ-"सुणि मुझ नाथ, मुझ तनि अजे न लायां हाथ // 463 // ...सकै कोइ पैसि...D, मुख मंकड चित दुष्ट सुभाव - / / 495 / 0505 | D534 / E615 / पा? बरजि बाथ एकला। मांस-भखी बणै अणपला / D535 / / अवंता पंखी आडै / बट भोघाण भर्याहण हणै 536 // भुरज ढहावै दे-दे टला, मांस-भखी बाण अलपला / ऊडता पंखीआ हणे, वाले बाधी कवडी हणै / / / 616 // मुख मंकट चख मिरी, जूह काला गिर कंधह / भुज जम दूठ दूरंत, बलिठ जांणग जुध बंधह / गल बल्ली पारसी बरा, मद भैगल मद छक्कह / अजण बाण भुज भीम, करै मुख हक्क किलक्कह / असपति सेन अणगंजीयत, तुम्ह नहि मानहुं मगज भर / अनुमान काम आरंभीय, कहै नारि इम जोरि कर / / E617 // ॥४५८॥१चो..., चिहुं पाखै जिहां चोकी फिरै / / 2 अंगे A, अंगै DI 3 धरै DI 4 पैससि DI ५एकलौ / / 6 छै / / 7 भलौ DI : प्रतिमें यह नहीं हैं। // 459 // 1 बोलै DE | 2 वलतो , वलतौ / / 3 ते , ते E / 4 हैवर DE | 5 गैवर DE | 6 एकणि BCDEI // 46 // 1 मारुं / 2 घणा BODE | 3 तो CDE | 4 झाल्यौ DI A 442 / B498 / 0508 / D539 / 619 / सघण घटा जिम पवन, किरण तप जेम हिमालय / अरुण तेज अंधियार, कुंभ पुत्तहि वरुणालय / मयंद पिखि पिखि सिघली, वज्र जिम पिख गिरंदह / गुरट पिखि जिम उरग, असुर टंकारव नंदह / उद्धभे वांग लगै हणुं, भीम गयंद जिम भ्रमवै / अरि-सेन लच्छि दातार जिम, खग्गि उढावहुं विद्रवै / / 620 / / इम त्रिय सुणि वादल वयण, फिरि बोली तजि कांनि / त्रीया सेज न गंजिहि, किम गंजडु सुलतान // 621 // // 461 // 1 जपे DEI 2 रहो रहो / 3 एह / 4 भाजै DE | 5 अजी DEV 6 साधी BODE | 7, DE | 8 ते D, तुम्ह / ९रम्यउ BO, रम्यौ D, रमिया 31 // 462 // 1 जाणो CE, जाणौ / 2 करी DE | ३...नासो...०,...ते नास्हौ...D, सुरत विचित्रा नाजे चरी E / 4 अछइ BC, अछै D, अछो / 5 जाणै D, जाणो / // 463 // 1 किस BC, किण DI 2 कृडि रिहाड (रोहाड , मति D) कीजह (कीजै D) प्री नही BODI 3 पै DI 4 लागउ Bo, लागा D E प्रतिमें' खडग जुद्ध छै विसमो सही, कूडी डंस न कीजै कही / मुझ तन हाथ न घाली सको, भोगी स्वाद लहै जेह थिको // 624 //