________________ ग्रन्थान्त 'A प्रतिकी प्रशस्तिबादल राउतनी ए कथा, सुणतां नावह निज घटि व्यथा। रोग सोग दुख दोहग टलइ, मनना सयल मनोरथ फलइ // 1 // पूनिम गछि गिरूआ गणधार, देवतिलक सूरीसर सार / न्यानतिलक सूरीसर तास, प्रतपइ पाटई बुद्धिनिवास // 2 // पदमराज वाचक परधान, पुहवी परगट बुद्धिनिधान / तास सीस सेवक इम भणह, हेमरतन मनि हरषा घणइ // 3 // संवत सोलह सई पणयाल, श्रावण सुदि पंचमि सुविसाल / पुहवी पीठि घणुं परगडी, सबल पुरी सोहह सादडी // 4 // पृथवी परगट राण प्रताप, प्रतपइ दिन दिन अधिक प्रताप। . तस मंत्रीसर बुद्धिनिधान, कावेड्या कुलतिलक निधान // 5 // सांमि धरमि धुरि भामु साह, वयरी वंस विधुंसण राह / तसु लघु भाई ताराचंद, अवनि जाणि अवतरिउ इंद्र // 6 // धूय जिम अविचल पालइ धरा; शत्रु सहू कीधा पाधरा। तसु आदेश लही सुभ भाई, सभा सहित पांमी सुपसाइ // 7 // वात रची ए बादिल तणी, सांमि धरमि ए सोहामणी। वीरारस सिणगार विशेष, रस बेरस अछ। सविसेष // 8 // सुणता सवि सुख संपद मिलइ, भणतां भावटि दूरई टला। ऊजम अंगि हुई अति घणउ, मुहकम जाणइ करि मंत्रणउ // 9 // षटसित षोडस गाथा बंधि, सुणिउ तिसु भाष्यउ संबंधि। अधिक ऊन जे हुइ उच्यरित्रं, सयण सुणी ते करयो खलं // 10 // सांमि रम पालंतां सदा, सगली आवह घरि संपदा।। सुर नर सहू प्रसंसा करह, वरमाला ले लखमी वरइ // 11 // // इति श्री गोराबादिलचरित्रे, बादिलजयलक्ष्मीवर्णनो नाम प्रथमखंडः / संवत 1646 वर्षे मगशिर सुदि 15 // - 1 यह प्रशस्ति A प्रतिकी है जो संवत् 1646 में लिखी गई है।