________________ प्रस्तावना संग्रह में भी है। यह उन्होंने अपनी बीकानेर यात्रा में लिखवायी थी। इसका एक प्रकाशित संस्करण भी मिलता है। कुछ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर पं० प्रयोग सर्मा ने इसका सम्पादन कर तरुण भारत ग्रन्थावली, दारागंज, प्रयाग में प्रकाशित करवाया था। प्रकाशित रचना खड़ी बोली के अधिक निकट है जो हस्तलिखित प्रतियों से भिन्न है / 5. लब्धोदय वर्ग : इस वर्ग की चार प्रतियां उल्लेखनीय हैं (1) संवत् 1753 की लिखित प्रति:-इसमें 780 छन्द हैं। इस समय यह उदयपुर के सरस्वती सदन में सुरक्षित है। (2) सं० 1761 की लिखित प्रतिः-इसका आकार " x 6.2" है। यह माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भीडर (उदयपुर के पास) में सुरक्षित है / इसमें 61 पत्र और 811 छन्द हैं / (3) संवत् 1823 की लिखित प्रतिः-यह सरस्वती सदन, उदयपुर में सुरक्षित है / इसमें 803 छन्द हैं। (4) संवत् 1865 की लिखित प्रति:-यह भी माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भींडर के संग्रह में है। इसका प्राकार 13.5"x8.5" है। इसमें 800 छन्द हैं / लिपि अधिक भ्रष्ट है / 6. भागविजय वर्ग : इस वर्ग में केवल वे ही रचनाएँ ली गई हैं, जिनमें संग्राम सूरि के क्षेपक भी सम्मिलित हैं / ऐसी कोई प्रति नहीं मिलती जिसमें केवल संग्राम सूरि अथवा केवल भागविजय के ही क्षेपक हों। इस वर्ग की निम्नलिखित प्रतियां महत्वपूर्ण हैं / (1) माणिक्य ग्रन्थ भण्डार, भींडर की दो प्रतियां:- इनमें पहली वि० सं०१७६० की लिखित है और दूसरी संवत् 1771 की / इनमें पहली प्रति लेखक की मल हाथ-पड़त लगती है और दूसरी उसी की प्रतिलिपि / पहली का आकार 10"x4" है / इसमें 31 पृष्ठ और प्रशस्ति सहित 616 617 छन्द हैं। (2) प्रॉरिएन्टल इन्स्टीट्यूट बड़ौदा की सं० 1783 की लिखित प्रति:-इसका पाठ अधिक शुद्ध नहीं हैं / प्रस्तुत संस्करण के लिये हेमरतन वर्ग और भागविजय वर्ग ही अधिक उपयोगी सिद्ध हुए हैं / जायसी और जटमल की रचनाएँ प्रकाशित हैं / लब्धोदय