________________ गोरा बादल पदमनी पपई के 'पधिनी चरित्र' के एक स्वतन्त्र संस्करण का प्रकाशन अपेक्षित है / भागविजय की रचना हेमरतन की रचना का ही परिवर्तित और परिवद्धित संस्करण होने के कारण पाठालोचन और पाठशोधन के लिये उसका उपयोग करते हुए उसको नीचे पाठान्तर में रखा गया है। इस प्रकार उपर्युक्त प्रतियों में जिनका प्रयोग प्रस्तुत संस्करण में किया गया है उनका नामकरण निम्न प्रकार से किया गया है-- 1. A प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 1 देराश्रीवाली प्रति वि. सं० 1646 की लिखित / 2. B प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 2 में उल्लिखित पहली प्रति वि० सं० 1661 की लिखित / 3. C प्रति - हेमरतन वर्ग को प्रति संख्या 2 में उल्लिखित दूसरी प्रति वि० . सं० 1726 की लिखित / 4. D प्रति - हेमरतन वर्ग की प्रति संख्या 3 में उल्लिखित वर्द्धमान ज्ञान .. मन्दिर, उदयपुर की वि० सं० 1785 की ढाका में लिखित खण्ड प्रति / 5. E प्रति - भागविजय वर्ग की प्रति संख्या 1 में उल्लिखित पहली प्रति वि० सं० 1760 में रचित और लिखित मूल प्रति / उपर्युक्त प्रतियों के छन्दों की तुलना और निरीक्षण से एक उलझन उपस्थित हुई। प्रत्येक प्रति में क्षेपकों के अतिरिक्त अनेक सुभाषित, उक्तियां, और प्रसंगानुसार अन्य अनेक कवियों की रचनाओं के उद्धरण भी थे। इन सभी पर एक ही क्रम में छन्द संख्या अंकित थी। यहां तक कि सबसे प्राचीन सं० 1646 की लिखित प्रति में भी यही स्थिति थी। इधर कई प्रशस्तियों के अनुसार हेमरतन के मूल छन्दों की संख्या 616 (षटसित षोडस) होनी चाहिये, जब कि प्रत्येक प्रति में छन्द इससे अधिक संख्या में थे। सं० 1646 वाली प्रति में भी यही स्थिति वर्तमान थी। प्रत्येक प्रति के छन्दों को पारस्परिक तुलना और सूक्ष्म निरीक्षण से हेमरतन के मूल छन्दों की खोज में बहुत सहायता मिली। इस तुलना से प्रत्येक प्रति की छन्द संख्या की स्थिति निम्नलिखित देख पड़ती है : स्वीकृत छन्द अस्वीकृत छन्द प्रति के मूल छन्द 604 612 654 651 675 562 864