________________ गोरा बादल पदमनी बडेपा रखता है। फिर भी उसका कोई अंश पूर्ण ऐतिहासिक नहीं है / पर वह किसी न किसी मात्रा में ऐतिहासिक सामग्री अवश्य प्रस्तुत करती है। इतना होने पर भी उसका उद्देश्य सहित्य रचना है, रस उत्पन्न करना है, इतिहास लिखना नहीं (देखो-खंड 1 / 4 / 5) / अतः उसको इतिहास के क्षेत्र में लेजाकर कृत्रिम कहना उचित नहीं है / 'पदमणि चउपई' इतिहास नहीं, काव्य है / उसका रचयिता इतिहासकार नहीं, कवि है, जिसका उद्देश्य किसी प्राश्रयदाता को प्रसन्न करना नहीं, केवल लोकप्रिय चरित्रों को लोकप्रिय काव्य-शैली में चित्रित करके उनके प्रादर्शों को लोक-जीवन में स्थापित करना है। __ हेमरतन की प्राप्त रचनामों में उसके जीवन सम्बन्धी जो अन्तक्ष्यि सूत्र प्राप्त होते हैं, उनसे उसके रचनाकाल, गद्य-परम्परा, शिक्षा, ज्ञान, अनुभव, तत्सम्बन्धी इतिहास प्रादि की ओर संकेत-सूत्र प्राप्त हो जाते हैं / उनके आधार पर उनके व्यक्तित्व की शोध संभव है / जैन धर्म में दीक्षित हो जाने के पश्चात् माता-पिता आदि का सांसारिक सम्बन्ध टूट जाता है और गुरु-परम्परा से उसका सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। यही कारण है कि हेमरतन ने अपने माता-पिता का परिचय न देकर गुरू परम्परा का ही उल्लेख किया है। बहिक्ष्यि सामग्री से हमें उसकी शिक्षा-परम्परा तथा तत्कालीन साहित्य और तत्संबंधी इतिहास का संकेत-सूत्र मिल जाता है / एक लेखक के विषय में इतनी तो जानकारी होनो ही चाहिये और इसके लिये प्राप्त अल्पतम सामग्री भी किसी सीमा तक पर्याप्त है / उसके आधार पर उसके जीवन और व्यक्तित्व का पता लगाने में तो हम सफल हो ही जाते हैं। अतः उसकी रचनाओं के प्राधार पर उसका जीवन निश्चित करेंगे। हेमरतन की अब तक जो रचनाएँ पिछली खोज में प्राप्त हुई हैं, वे निम्नलिखित हैं 1. अभयकुमार चउपई रचना काल वि०स० 1636 2. महीपाल 3. गोरा बादल पदमणि चउपई , , , 1645 4. शीलवती कथा " " // 1673 5. लीलावती , , , 1673 6. रामरासो 7. सीताचरित 8. जदंबा बावनी . शनिचर छंद