________________ 49 कवि हेमरतन कृत [खंड अनुपम रतन-जडित आवास, अगर कपूर अनोपम वास' / चिहुँ दिसि दीसइँ चित्र अनेक', मंडप महल महा सुविवेक // 307 // तिहाँ आवी बेठो पतिसाह, मन महि आवइ अधिक उछाह / पदमिणि पाँहईं अधिक पडूर', दासी आवि दिखाडई नूर // 308 // इक' आवी बइसण दे जाइ', वीजी थाल मडावइ ठाइ। त्रीजी' आवि धोवाडइ हाथ', चोथी ढालइ चमर सनाथ // 309 // दासी आवई' इम जू जूई', आलिम मति अति विह्वल हुई। "पद मिणि आ कह, आ पदमिणि, सरिखी दीसाइ सहु कामिणी" // 310 // व्यास कहइ-"संभलि' मुझ धणी! ए सहु दासी पदमिणि' तणी। वार-वार स्युं झवक ऍम? पदमिणि इहाँ पधारइ कॅम"? // 311 // "मुष्टि करी रह साहि सुजॉण', "म हव बलि-चलि विकल अयाँण। ए आवई ते सगली दासि, प्रमदा पदमिणि' तणी खवासि" // 312 // देखी दासी रंभ समान', आलिम-मनि अति हूई गुमाँन / "जेहनइ दासि अछईं एहवी', ते कहउ आप हुसी केहवी'? // 313 // // 307 // 1 अनोपम , अनौपम D, 'नूपम / 2 आवासि / ३...अनूपम...B, ...अनौपम...D, अगर धूप कपूर सुवास / / ४...दीसह... DC,...दीसै...D, चित्रसाली रंगित चित्राँम BI ५...महिल महा मुबिबेक D, विचि-विचि मीनाकारी कॉम / / . // 308 // 1 बइठउ B, बाठो , बैठो D / 2 मइ BC, मन माहि D / 3 आवै / / 4 उत्साह छ / 5 पदमणि DI 6 पासइँ B, पासइ D, पासैः / 7 पुंडूर DI 8 आवइ B, आवि c, आइ DI 9 दिखावै CD I E प्रतिमें यह नहीं है / // 309 // 1 एक...सण दे जाय D / २...मंडावै धाय D / ३...धुवाटइ...BC, तीजी आय धुवाडै DI 4 चउथी BC, चोथी D / 5 ढोलइ B, ढालै DIE प्रतिमें यह नहीं है / इसके नीचे BC प्रतियोंमे ये दो चोपइयाँ अधिक हैं(१) इक सखि मेवा मिठाई घणी, इक सखि भाँति बहु (बहू 0 ) सालण (साल 0) तणी / इक सखि साग सगएती (सगोती c) थाल, लेइ-लेइ ऊभी सुंदरि बालि / / (2) इक आणइ खूब घणाँ (घणा c) पकवान, इक आणइ गुरडी देवजीर धान (धान 0) // ___ इक आणइ हलुआ साकर तणा, पातसाह (पातिसाह 0) मनि रंज्या घणा / // 310 // 1 आवइ BC | 2 जू जूई B| 3 विकलत थई Bc | 4 पदिमणि / काँमिणी / A 303 / B 347 / 0348 | DE प्रतियों में यह नहीं है। // 31 // 1 कहइँ B, कहि 8, कहै DE | 2 सुणि दिली-धणी E / 3 सुह BC, सब DE | 4 पदमणी D, पदमिण / 5 बार बार D / 6 सु, सुं D, क्या E / ७झबको B, जबको , झबको / 8 पदमणि D, पदमिण / 9 पधारै cD, पधारें / // 312 // 1 मुष्ट B0 / 2 हो , रहो DE | 3 साह BCE | 4 सुजाण B, सुजॉन / / ५मम होवउ वलि विकल अजाण BE, मम होवो वलि विकल अजाँण , मति हो बलि-बलि विकल अजाँण DI 6 आवड BCDE | 7 पदमणि D, पदमिण E / // 313 // १...रूप-निधान BCE,...रूप-निधान D, दासी रूप-विलासी देखE। २...हूवउ गुमान B, हुवो गुमान D, वार-चार चितै अनिमेष म्। ३...अछइ...AC,जेहनै...छ... D, जेहनी दासी छै एइवी / / ४...कहु...,...आपि हुस्यह...BE,...कहो आपि हुस्यह...०....कहौ...D I इसके नीचे OD प्रतियोंमें यह कवित्त है। आगलि बहुत खवासि, नारि बहु पोइस करती। पालि सह पँचच्यारि, च्यारिसित चिहुं दिसि रती।