Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ संज्ञा-सर्वनाम-संख्यावाची शब्द-सूत्र 1. अत ओत् सोः 5/1 अत ओत् सोः { (अतः) + (ओत्) } सोः अतः (अत्) 5/1 ओत् (ओत्) 1/1 सोः (सु) 6/1 अत् से परे सु के स्थान पर ओत्→'ओ' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे सु ( प्रथमा एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'ओ' होता है। (देव +सु) = (देव + ओ) : देवो ( प्रथमा एकवचन ) जश्शसोर्लोपः 5/2 जश्शसोर्लोपः { (जस्) + (शसोः) + (लोपः) } . { (जस्) - (शस्) 6/2} लोपः (लोप) 1/1 जस् और शस् के स्थान पर 'लोप' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे जस् ( प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर लोप (शून्य प्रत्यय) होता है। (देव + जस्) - (देव + '0') - देवा' ( प्रथमा बहुवचन ) (देव + शस्) - (देव + '0') - देवा (द्वितीया बहुवचन) 1. सूत्र 5/11 से मूलशब्द के अन्त्य 'अ' का 'आ' हुआ है। 3. अतोऽमः 5/3 अतोऽमः { (अतः) + (अमः) } अतः (अत्) 6/1 अमः (अम्) 6/1 अम् के अत्→'अ' का ( लोप होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे अम् (द्वितीया एकवचन के प्रत्यय) के 'अ' का लोप होता है (और 'म्' शेष रहता है) (देव + अम्) : (देव + म्) : देवं' (द्वितीया एकवचन) 1. सूत्र 4/12 ‘मो बिन्दुः' से पदान्त म् को अनुस्वार हुआ है वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126