Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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(तद्भ्यः) } टाइणा वा { (इदम्) - (एतत्) - (किं) - (यत्) - (तत्) 5/3 } {(टा)-(इणा) 1/1} वा - विकल्प से इदम्, एतत्, किं, यत्, तत् से परे टा के स्थान पर विकल्प से 'इणा' (होता है)। इदम् →इम, एतत् →एत, किं →क , यत् →ज, तत् →त से परे टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'इणा' होता है। (इम + टा) - (इम + इणा) - इमिणा (तृतीया एकवचन) . (एत + टा) - (एत + इणा) : एतिणा (तृतीया एकवचन) ... (क + टा) - (क + इणा) - किणा (तृतीया एकवचन) (ज + टा) - (ज + इणा) - जिणा (तृतीया एकवचन) (त + टा) - (त + इणा) : तिणा . (तृतीया एकवचन)
50.
आम एसिं 6/4 आम एसिं { (आमः) + (एसिं) } आमः (आम्) 6/1 एसिं (एसिं) 1/1 आम् के स्थान पर 'एसिं' (होता है)। , इदम् →इम, एतत् →एत, किं →क , यत् →ज, तत् →त से परे आम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'एसिं' (होता है)। (इम + आम्) - (इम + एसि) : इमेसिं (षष्ठी बहुवचन) (एत + आम्) - (एत + एसि) : एतेसिं (षष्ठी बहुवचन) (क + आम्) - (क + एसिं) : केसिं (षष्ठी बहुवचन) (ज + आम) : (ज + एसि) : जेसिं (षष्ठी बहुवचन) (त + आम्) (त + एसि) : तेसिं (षष्ठी बहुवचन)
51. किंयत्तद्भ्यो उस आसः 6/5
किंयत्तद्भ्यो ङस आसः {(किं) + (यत्) + (तद्भ्यः) + (ङसः) + (आसः)} { (कि) - (यत्) - (तत्) 5/3} उसः (ङस्) 6/1 आसः (आस) 1/1 किं, यत्, तत् से परे ङस् के स्थान पर 'आस' (होता है)। किं →क , यत्→ज, तत्→त से परे डस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'आस' (होता है)।
(28)
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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