Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
(64)
नपुंसकलिंग
एकवचन
जं ( 5/30)
जं ( 5/3)
जिणा (6/3)
जेण ( 5/4, 5/12)
जास (6/5)
जस्स (578)
जत्तो, जदो (69)
जस्सिं, जम्मि, जत्थ (6/2) जहिं ( 6/7)
जाहे, जइआ (6/8)
एकवचन
कं ( 5/30)
कं ( 5/3)
किणा (6/3)
केण ( 5/4, 5 / 12 )
कास (6/5)
कस्स (5/8)
कत्तो, कदो ( 6/9 )
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कस्सिं, कम्मि, कत्थ (6/2)
कहिं (677) काहे, कइआ (6/8)
ज (जो)
नपुंसकलिंग - क (कौन)
बहुवचन
काई (5/26), काणि ( 12 / 11 ) काई (5/26), काणि ( 12 / 11 )
केहिं ( 5 / 5, 5 / 12 )
बहुवचन
जाई (5/26), जाणि ( 12/11 ) जाई (5/26), जाणि ( 12 / 11 )
जेहिं ( 5/5, 5/12)
जेसिं (6/4)
जाण ( 5/4, 5 / 11 ) . जाहिन्तो, जासुन्तो, जेहिन्तो, सुन्तो ( 5/7, 5/12)
जेसु ( 5 / 10,5 / 12 )
केसिं (6/4)
काण ( 5/4, 5 / 11 ) काहिन्तो, कासुन्तो, केहिन्तो, सुन्तो ( 5/7, 5 / 12 ) केसु ( 5 / 10, 5 / 12 )
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1 )
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