Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 73
________________ बहुवचन प्रथमा द्वितीया नपुंसकलिंग - अमु (वह) एकवचन अमुं (6/60, 5/30) अमूइं (6/60, 5/26) अह (6/24) अमूणि (6/60, 12/11) अमुं (6/60, 5/3) अमूइं (6/60, 5/26), अमूणि (6/60, 12/11) अमुणा (5/17) अमूहिं (6/60, 5/18, 5/5) अमुस्स (6/60, 5/8) अमूण (6/60, 5/4, 5/11) अमुणो (5/15) अमूदो, अमृदु, अमूहि अमूहिन्तो, अमूसुन्तो (6/60, 5/6, 5/11, 6/61) (6/60, 5/7, 5/12) अमुस्सिं, अमुम्मि, अमुत्थ (6/2) अमूसु (6/60, 5/18, 5/10) तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा स्त्रीलिंग - सव्वा (सब) एकवचन बहुवचन सव्वा (9/18) सव्वाउ, सव्वाओ (5/20) सव्वा (6/60, 5/2) सव्वं (5/21, 6/60, 5/3) सव्वाउ, सव्वाओ (5/19) सव्वाइ, सव्वाए (5/22, 5/23) सव्वाहिँ (6/60, 5/5) सव्वाइ, सव्वाए (5/22, 5/23) सव्वाण (6/60, 5/4) द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सव्वादो, सव्वादु, सव्वाहि सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो (6/60,5/6, 6/61) (6/60, 5/7) सव्वाइ, सव्वाए (5/22, 5/23) सव्वासु (6/60, 5/10) सप्तमी (66) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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